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अगले साल सवा लाख के पार जाना हर हाल में संभव

  • Aabhushan Times
  • Nov 20, 2024
  • 6 min read


सिल्वर की कीमतों में भी भारी गिरावट आई है, जिससे बाजार में सिल्वर की खपत की गुंजाइश तो बढ़ी है, लेकिन लगातार फीकी पड़ती चमक में लोग इंतजार कर रहे हैं कि सिल्वर और गिरे, तो खरीदें। दीपावली के बाद से शुरू हुई सिल्वर में तेज गिरावट दिखी। हालांकि, सिल्वर की कीमतों में गिरावट इंटरनेशनल मार्केट में हर देश में देखी गई हैं। सिल्वर की कीमतों के लिए दीपावली का उजाला तेजी की नई राह लेकर आया, तो सिल्वर की कीमतें सीधे 5 हजार रुपये के जबर्दस्त उछाल के साथ ऑल टाइम हाई पर पहुंच गई। बीते महीने भर से सिल्वर की कीमतों में लगातार बढ़त जारी रही और यह 1 लाख रुपए प्रति किलोग्राम के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। लेकिन बाद में सिल्वर नेजो लुढक़ना शुरू किया, तो उसमें भी नए कीर्तिमीन रचते हुए नीचे उतरती ही गई। सिल्वर की समझ रखने वाल विशेषज्ञों के अनुसार, सिल्वर की कीमतें वैश्विक मांग में कमी और डॉलर के मजबूत होने के कारण काफी दबाव में हैं, लेकिन अंतत: तेजी ही देखनो को मिलेगी, क्योंकि सिल्वर की उपगयोगिता काफी बढ़ी है और यह केवल ज्वेलरी या निवेश तक ही सीमित खरीददारी में रुक नहीं सकता। जब तक औद्योगिक उत्पादन में सिल्वर की खपत की जरूरत बनी रहेगी, थोड़े से उतार चढ़ाव के साथ सिल्वर की शाइनिंग सदा निखरती रहेगी। सिल्वर की इंटरनेशनल फर्मों में सलाह देने वाली संस्थाएं गहन जानकारी के साथ जो मार्केट रिसर्च पेपर जारी करती रही हैं, उनका कहना है कि सिल्वर 2025 के अंत तक 1 लाख 25 हजार के आसपास पहुंचेगा, यह तय मानकर चलना चाहिए, क्योंकि हर हाल में इसका औद्योगिक उपयोग जारी रहेगा, आइटी सेक्टर में भी इसकी खपत लगातार बढ़ रही है तथा सौर उर्जा अर्थात सौलार पॉवर का उपयोग जैसे जैसे बढ़ता जा रहा है, सिल्वर की खपत भी कम नहीं हो सकती। तथा, जब खपत कम नहीं होगी, तो उसके रेट तो बढऩे ही हैं।   


सिव्लर में भविष्य की संभावित तेजी के मजबूत आधार के बावजूद वर्तमान स्थिति यही है कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कमजोरी के कारण सिल्वर की कीमतों में बहुत तेजी के साथ गिरावट देखने में आई है। वैश्विक स्तर पर डॉलर इंडेक्स में मजबूती की वजह से गोल्ड के साथ साथ सिल्वर की कीमतों पर भी दबाव बढ़ा है। अमेरिकी बॉंड की कीमतों में बढ़ोतरी होना भी सिल्वर की इस ताजा गिरावट का एक बड़ा कारण है। डोनाल्ड ट्रंप की चुनावी जीत के बाद अमेरिकी बॉंड की कीमतों में बढ़ोतरी से सिल्वर की तेजी में करेक्शन में रुझान आ रहा है। सिल्वर सेक्टर के इंटरनेशनल जानकारों का कहना है कि सिल्वर की कीमतों में आने वाले समय में और गिरावट हो सकती है। जानकार बताते हैं कि अगर डॉलर इंडेक्स थोड़ा सा भी ज्यादा मजबूत बना रहता है और अमेरिकी बॉंड की कीमतों में वृद्धि जारी रहती है, तो सिल्वर की कीमतों पर और दबाव बन सकता है। इसके अलावा, वैश्विक आर्थिक स्थिति और केंद्रीय बैंकों की नीतियां भी इन कीमतों को प्रभावित कर सकती हैं। माना जा रहा है कि सिल्वर की कीमतों में उतार-चढ़ाव लगातार बने रहने की संभावना है, और यह गोल्ड की तुलना में कुछ ज्यादा ही अधिक वक्त तक स्थिर रह सकती है। इस कारण सिल्वर के निवेशकों को इन बाजार बदलावों को ध्यान से देखना होगा। यदि भविष्य में सोने की कीमतों में गिरावट जारी रहती है, तो यह निवेशकों के लिए खरीदारी का अच्छा अवसर हो सकता है। वहीं, सिल्वर में मामूली बढ़ोतरी के कारण, निवेशक इसे भी एक विकल्प के रूप में देख सकते हैं। कुल मिलाकर सोने और सिल्वर की कीमतों में गिरावट का सिलसिला जारी रहने की संभावना है, लेकिन यह गिरावट कितनी देर तक रहेगी, यह भविष्य के वैश्विक आर्थिक रुझानों पर निर्भर करेगा। इसी कारण सिल्वर की समझ रखने वाले जानकारों की सलाह है कि बाजार को प्रति सतर्क रहने की जरूरत है और सिल्वर के उतार-चढ़ाव को समझते हुए सही समय पर ही सिल्वर की खरीदी करना जरूरी है।


सिल्वर मार्केट के एक्सपर्ट्स के मुताबिक गोल्ड में गिरावट के असली कारण की तरह ही सिल्वर की गिरावट का कारण भी वही है। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद वहां के लोग सुरक्षित निवेश जगह ज्यादा जोखिम लेकर जल्दी कमाई करीने वाले निवेश की ओर आकर्षित हो रहे हैं। इस मामले को जरा गहराई से देखें, तो अमेरिकी निवेशकों ने क्रिप्टो करेंसी में कैपिटल फ्लो बढ़ा दिया है। इसकी वजह से बिटकॉइन जहां अपने ऑल टाइम हाई लेवल पर पहुंचकर ट्रेड कर रहा है, तो सिल्वर की मांग में अचानक गिरावट आ गई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सेंटीमेंट कमजोर होने के कारण स्लिवर की आयात पर निर्भर रहने वाले भारत जैसे कई देशों के बुलियन मार्केट में भी सिल्वर को बड़ा झटका लगा है तथा रेट तो टूटे ही हैं, माग भी कमजोर हुई है। सिल्वर के इंटरनेशनल मार्केट में अचानक तेजी के कारण खरीदी का सेंटीमेंट कमजोर होने से ज्वेलरी सेक्टर में सिल्वर की मांग में आई गिरावट के कारण भी उसके रेट्स के नीचे गिरने का दबाव बना है।


इंटरनेशनल मार्केट में बुलियन के एक्सपर्ट जो अध्ययन कर रहे हैं, उनकी रिपोर्ट्स के अनुसार दीपावली के बाद ज्यादातर बुलियन बाजारों में सिल्वर की मांग में गिरावट आई है। हालांकि इस गिरावट का छोटा सा कारण विवाह व त्यौहारी सीजन का होना तथा इंडस्ट्रीयल उत्पादन में शीथिलता मानी जा रही है। लेकिन वास्तविक बड़ा कारण है अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की जाह्म्त के बाद से वहां डॉलर में तेजी आना तथा क्रिप्टो करेंसी का मजबूत होना। माना जा रहा है कि वैवाहिक खरीदी शुरू होने के बाद भारतीय ज्वेलरी मार्केट में सिल्वर की मांग में एक बार फिर तेजी आने की उम्मीद है, लेकिन यदि अंतरराष्ट्रीय बाजार में सिल्वर की कीमतों पर दबाव बना रहा, तो भारत में भी खरीदारों को सिल्वर के सस्ता होने से उपभोक्ताओं को खरीदी में थोड़ी सी राहत मिल सकती है। वैश्विक स्तर पर सिल्वर की तेजी और उसके टूटने के कारण अभी भी जस के तस हैं। इस कारण बाजार को उम्मीद है कि सिल्वर फिर से तेजी पकड़ेगा तथा जिन लोगों ने गिरावट के दैर में सिल्वर की खरीदी की है, वे फायदे में रहेंगे। बाजार के जानकारों का कहना है कि भारत में सिल्वर की कीमतों में पिछले कुछ समय से जारी रिकॉर्ड तोड़ तेजी की सबसे बड़ी वजह अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी मांग में जोरदार बढ़ोतरी होना रहा। मिडिल ईस्ट के तनाव और अमेरिका में बनी राजनीतिक अनिश्चितता के कारण निवेशकों पिछले कुछ समय से सेफ इन्वेस्टमेंट के रूप में चांदी में भी निवेश कर रहे थे, जिसकी वजह से 30 अक्टूबर को सिल्वर की कीमतें भी 38 डॉलर के स्तर के ऊपर पहुंच गई थी, लेकिन अब स्थिति बदल गई है।


अमेरिका के चुनाव परिणामों में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद राजनीतिक अनिश्चितता खत्म हो गई है, जिसकी वजह से निवेशकों ने सेफ इन्वेस्टमेंट का रास्ता छोडक़र रिस्क लेना शुरू कर दिया है। ट्रंप वैसे भी बिजनेसमैन हैं, तथा लोग व्यापार को सम्हालने में उन पर भरोसा करते हैं, जिस कारण से बिटकॉइन जैसी क्रिप्टो करेंसी रिकॉर्ड 95 डॉलर के स्तर से भी ऊपर चली गई, वहीं सिल्वर के साथ साथ गोल्ड भी गिरावट का शिकार हो गया। लेकिन इस ताजा गिरावट के बाद भी सिल्वर में तेजी आने के संकेत साफ है, क्योंकि हर देश को अपने औद्योगिक उत्पादन को बढ़ावा देना जरूरी है, ताकि रोजगार चलते रहें।


आइटी सेक्टर में मोबाइल फोन, टीवी, सोलर पैनल जैसी जरूरी वस्तुओं के निर्माण के कारण माना जा रहा है कि सिल्वर में फिर से तेजी के हालात बनेंगे। इसके साथ ही अगर विभिन्न देशों के बीच युद्ध की स्थिति जारी रही तथा आई अंतरराष्ट्रीय संबंधों की परिस्थितियों में अधिक परिवर्तन नहीं हुआ तो भी सिल्वर में गिरावट का सिलसिला थम सकता है, जो कि होना ही है। लेकिन अगर ईरान और इजरायल के बीच एक बार फिर हमले का दौर शुरू हुआ तो दोबारा गोल्ड तथा सिल्वर में तेजी की रफ्तार देखने को मिल सकती है, लेकिन इसमें भी सिल्वर ज्यादा तेज भागेगा, क्योंकि उसकी खपत विभिन्न उत्पादों में ज्यादा हैं, जिससे सिल्वर में एक बार फिर तेजी आ सकती है और अगले साल के अंत तक इसके सवा लाख रुपए प्रति किलो के पार जाने की संभावना बनी हुई है।













अंबालाल जैन - शुभम सिल्वर


सिल्वर की कीमतें लगभग दो महीने के सबसे निचले स्तर पर आ गईं हैं, क्योंकि मुख्य रूप से मजबूत डॉलर इसका कारण बना है। अमेरिकी मुद्रास्फीति स्थिर बनी हुई है, जबकि फेडरल रिजर्व से खास संकेत है, इसी कारण सिल्वर में गिरावट तो है, लेकिन यह स्थायी नहीं, टैंपरेरी है।











धवल सिरोया - सिरोया सेसमलजी सुरजमलजी एण्ड कं.


सिल्वर की कीमतें काफी निचले स्तर पर आ गईं हैं तथा ज्वेलरी मार्केट में इसके अभी और नीचे उतरने के संकेत है। मगर, फिर भी लोगों को उम्मीद है कि सिल्वर में जो करेक्शन देखने को मिल रहा है, उसका विवाह के सीजन से देश के ज्वेलरी की खपत को मिल रहे प्रोत्साहन में असर नहीं हुआ।












अमन सिंघवी - अरिहंत ९२५ सिल्वर


डोनाल्ड ट्रम्प के दूसरे राष्ट्रपति काल के तहत अमेरिकी व्यापार शुल्क की संभावना ने सिल्वर पर भी दबाव डाला। अमेरिका में ब्याज दरों की अनिश्चितता के कारण सिल्वर अपने सबसे उंचे के शिखर पर पहुंच कर लगातार फिसल रहा है, लेकिन इसका फिर से तेजी पकडऩा भी तय है।












विनय शोभावत - आनंद दर्शन सिल्वर


मेरी राय में सिल्वर की ये गिरावट जल्दी ही थम जाएगी और बाजार में फिर से तेजी की बहार लौटेगी। हम सई सालों से देख रहे हैं कि एक बार जब कोई भी रेट बहुत तेजी से आगे बढ़ता है, तो उसमें करेक्शन तो आना ही है। सिल्वर भी लगभग दुगने से ज्यादा बढ़ गया था, तो करेक्शन तो वाजिब ही है।

 
 
 

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