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Aabhushan Times

अब नहीं आएंगे गोल्ड बॉन्ड




अगले वित्त वर्ष से सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड जारी न करने पर विचार कर रही सरकार


सरकार अपना कर्ज कम करने पर ध्यान दे रही है। इसी क्रम में वित्त मंत्रालय अगले वित्त वर्ष (2025-26) से सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड बंद करने पर विचार कर रहा है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा, 'सरकार को सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड के निवेशकों को परिपक्वता अवधि पूरी होने पर सोने की कीमत के बराबर भुगतान करना होता है जिससे सरकार की देनदारी बढ़ती है। इसके साथ ही निवेशकों को ब्याज का भी भुगतान किया जाता है जिससे सरकार पर आर्थिक बोझ बढ़ता है। सरकार ने वित्त वर्ष 2027 से अपना कर्ज और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अनुपात में व्यापक कमी करने का निर्णय किया है। ऐसे में इस तरह की योजना को जारी रखने की कोई तुक नहीं है। साथ ही इसने सोने के आयात को कम करने के अपने प्रारंभिक उद्देश्य को भी पूरा कर लिया है।Ó वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वित्त वर्ष 2026 के बजट में कर्ज घटाने के संबंध में विस्तृत योजना की घोषणा कर सकती है। सरकार ऋण और जीडीपी अनुपात वित्त वर्ष 2025 में घटकर 56.8 फीसदी रहने की उम्मीद कर रही है जो वित्त वर्ष 2024 में 58.2 फीसदी था। सीतारमण ने इस साल जुलाई में अपने बजट भाषण में कहा था, '2021 में घोषित राजकोषीय घाटे को कम करने की रूपरेखा से अर्थव्यवस्था को काफी मदद मिली है और हमारा लक्ष्य अगले वर्ष (2025-26) राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 4.5 फीसदी से कम करना है। वित्त वर्ष 2026-27 से हमारा प्रयास हर साल राजकोषीय घाटे को इस तरह रखना है कि केंद्र सरकार का कर्ज गिरावट की राह पर रहे।Ó


सरकार ने वित्त वर्ष 2025 में एक बार भी सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड जारी नहीं किए हैं मगर पूर्ण बजट में 18,500 करोड़ रुपये के गोल्ड बॉन्ड जारी करने का लक्ष्य रखा था, जो अंतरिम बजट के 26,852 करोड़ रुपये के लक्ष्य से कम है। भारतीय रिजर्व बैंक ने अंतिम बार 21 फरवरी को 8,008 करोड़ रुपये मूल्य के सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड जारी किए थे।


ईवाई इंडिया में मुख्य नीति सलाहकार डीके श्रीवास्तव ने कहा कि सरकार को सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड जैसी योजनाओं को जारी रखने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, 'अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत बढ़ रही है और आगे भी इसमें तेजी आ सकती है। कुल मिलाकर सरकार का कर्ज न बढ़े यह देखना जरूरी है।Ó


सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड को पहली बार नवंबर 2015 को जारी किया गया था। इस पहल का उद्देश्य खुदरा निवेशकों को फिजिकल सोने के बजाय गोल्ड बॉन्ड में निवेश के लिए प्रेरित करना था। सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड की परिपक्वता अवधि 8 साल है और इसके बाद निवेशकों को सोने के मौजूदा बाजार भाव के हिसाब से भुगतान किया जाता है। निवेशकों के पास 5 साल बाद भी इस बॉन्ड को भुनाने का विकल्प दिया गया है।


व्यक्तिगत निवेशक और हिंदु अविभाजित परिवार अधिकतम 4 किलोग्राम तक तथा ट्रस्ट एवं अन्य ऐसी इकाइयां एक वित्त वर्ष में 20 किलोग्राम तक गोल्ड बॉन्ड में निवेश कर सकते हैं। वित्त वर्ष 2015-16 में गोल्ड बॉन्ड के अंकित मूल्य पर 2.75 फीसदी और बाद के वर्षों में 2.5 फीसदी की दर से ब्याज भी दिया जाता है।


उपलब्ध नवीनतम आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2023 तक कुल 45,243 करोड़ रुपये मूल्य के सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड जारी किए गए हैं और मार्च 2023 के अंत तक इस पर कुल बकाया देनदारी बढक़र 4.5 लाख करोड़ रुपये हो गई थी। आरबीआई ने अगस्त में सरकार पर वित्तीय बोझ कम करने के लिए मई 2017 और मार्च 2020 के बीच जारी सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड को समय से पहले भुनाने की सुविधा देने की घोषणा की थी।


साभार - बिजनेस स्टैंडर्ड

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