अब लाइट वेट ज्वेलरी का जमानागोल्ड हुआ महंगा
- Aabhushan Times
- Jun 13
- 7 min read

गोल्ड के महंगा होने की स्थिति में न तो समाज ज्यादा वजनी ज्वेलरी खरीदना वहन कर सकता तथा न ही ज्वेलर्स भारी भरकम ज्वेलरी बेच सकते। अत: इसी में लाभ है कि लाइट वेट ज्वेलरी ही खरीदी व बेची जाए, तो भारतीय ज्वेलरी मार्केट में लाइट वेट ज्वेलरी का चलन तेजी से जगह बना रहा है।
गोल्ड ज्वेलरी के बिजनेस में अब भारी भरकम ज्वेलरी की सेल का जमाना लद गया लगता है, आने वाला वक्त लाइट वेट ज्वेलरी का है, जिसकी शुरूआत दुनिया के विभिन्न देशों में तो काफी पहले हो चुकी थी, लेकिन भारत में अब वक्त आ गया है जब लाइट वेट ज्वेलरी ही चलेगी। गोल्ड के ज्वेलरी की मांग हमेशा से ही सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक कारणों से महत्वपूर्ण रही है। विवाह, सगाई, जन्मदिन और अन्य विशेष अवसरों पर गोल्ड को ज्वेलरी और स्त्री धन के रूप में उपहार में देने की परंपरा भारतीय समाज में गहराई से समाई हुई है। हालांकि, हाल के वर्षों में गोल्ड की कीमतों में तेजी से वृद्धि ने उपभोक्ताओं और ज्वेलर्स दोनों के लिए भारी-भरकम गोल्ड के ज्वेलरी को खरीदना और बेचना चुनौतीपूर्ण बना दिया है। गोल्ड की कीमतें लगभग 1 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम के आसपास पहुंचने के साथ, लाइट वेट ज्वेलरी का चलन तेजी से बढ़ रहा है।
हाल के वर्षों में गोल्ड की कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। गोल्ड 1 लाख रूपए प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गया है। वैश्विक स्तर पर, गोल्ड 3350 डॉलर प्रति औंस से आसपास कारोबार कर रहा है, जो भारतीय रुपये में इंपोर्ट लागत को और बढ़ाता है, क्योंकि भारत में गोल्ड इंपोर्ट किया जाता है। इसके अतिरिक्त, जीएसटी, मेकिंग चार्ज पर जीएसटी, और टीडीएस ने गोल्ड की लागत को और बढ़ा दिया है। इस बढ़ती लागत ने उपभोक्ताओं को भारी-भरकम ज्वेलरी से हटकर हल्के वजन वाले ज्वेलरी की ओर प्रेरित किया है। अक्षय तृतीया जैसे शुभ अवसरों पर भी, जब गोल्ड की खरीदारी को शुभ माना जाता है, ग्राहक अब 15-18 ग्राम की हल्की ज्वेलरी को प्राथमिकता दे रहे हैं। देश के सभी प्रमुख शहरों में अक्षय तृतीया 2025 के दौरान सर्राफा बाजारों में लाइट वेट ज्वेलरी की मांग प्रमुख रही।
भारत में, विशेष रूप से दक्षिण भारत (केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु) और राजस्थान जैसे क्षेत्रों में, जहां परंपरागत रूप से भारी ज्वेलरी का चलन रहा है, वहां भी अब लाइट वेट ज्वेलरी की मांग बढ़ रही है। उपभोक्ता न केवल कीमतों के कारण, बल्कि आधुनिक डिजाइनों और पहनने में आसानी के कारण भी इन ज्वेलरी को पसंद कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, टर्किश और इटैलियन डिजाइनों की लाइट वेट ज्वेलरी, जो देखने में भारी लेकिन वजन में हल्की होती है, नई पीढ़ी की युवतियों में खासी लोकप्रिय है। इसके अलावा, सिल्वर और गोल्ड-सिल्वर फ्यूजन ज्वेलरी का चलन भी बढ़ रहा है, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में। सिल्वर की कीमतें भी गोल्ड की तरह ही, हाल ही में 1 लाख रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंची हैं, गोल्ड की तुलना में कहीं अधिक किफायती हैं। ज्वेलर्स यह विकल्प उन उपभोक्ताओं के लिए आकर्षक बता रहे हैं, जो परंपरागत रूप से गोल्ड को प्राथमिकता देते थे, लेकिन अब बजट की सीमाओं के कारण वैकल्पिक धातुओं की ओर रुख कर रहे हैं। आज की आधुनिक महिलाएं ज्वेलरी को अपनी खूबसूरती की एक खास जरूरत मानती हैं, न कि प्रदर्शन की चीज। युवा पीढ़ी की महिलाएं तो ज्वेलरी को अलसैट के रूप में बी कम ही पसंद करती है, क्योंकि वे खरीद कर रलॉकर में रखने में विश्वास नहीं करती। उनका कहना है कि ज्वेलरी है, तो पहनोष लेकिन भारी भरकम ज्वेलरी पहनें तो कहां पहनें। महिलाओं के इस बदले हुए मिजाज को मार्केट भी अच्छी तरह से समझने लगा है, तभी तो कई ऐसे ब्रांड्स हैं जो सिर्फ वर्किंग वुमन, स्यटूडेंट्स या युवा महिलाओं के लिए ही ज्वेलरी डिजाइन करते हैं, तथा निश्चित तौर से वह ज्वेलरी लाइट वेट ही होगी है, क्योंकि वह पहनने में आसान होती है, उसको लेकर रिस्क भी कम होती है और वह हैवी ज्वेलरी की तरह महंगी भी नहीं पड़ती। छोटे व मझोले शहरों के ज्वेलर्स भी मानते हैं तथा अपने ग्राहकों को भी समझा रहे हैं कि यही ज्वेलरी आपको निडर होकर घर से निकलने को प्रेरित करती है क्योंकि भारी भरकम ज्वेलरी के खो जाने इअथवा चोरी हो जाने पर मुकसान भी बड़ा होता है। फिर, लाइट वेट ज्वेलरी लुक में भी किसी भी अन्य ज्वेलरी से बहुत ज्यादा शूबसूरत होती है, जो पहनने वेला की खूबसूरती में भी चार चांद लगाकर कई गुना बढ़ोतरी कर देती है। वैश्विक ज्वेलरी उद्योग का 2025 में वार्षिक कारोबार बढऩा अनुमानित है, जिसमें भारत का योगदान महत्वपूर्ण है। भारत में ज्वेलरी बाजार का आकार 2023 में 85.52 बिलियन अमेरिकी डॉलर था और 2024 से 2030 तक 5.7 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर के साथ बढऩे की उम्मीद है। भारत का ज्वेलरी उद्योग सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 7.5 प्रतिशत का योगदान देता है और कुल व्यापारी निर्यात में 14 प्रतिशत हिस्सा रखता है। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गोल्ड इंपोर्टक देश है और दुनिया के लगभग 90 देशों में गोल्ड ज्वेलरी का निर्यात करता है, जिसमें खाड़ी देश, हांगकांग, अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और सिंगापुर शामिल हैं। 2015-2016 में स्वर्ण ज्वेलरी के निर्यात से भारत ने 369 बिलियन अमेरिकी डॉलर की विदेशी मुद्रा अर्जित की थी, और यह 5-7 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर के साथ बढऩे की उम्मीद है।
गोल्ड की कीमतों में निरंतर वृद्धि के साथ, लाइट वेट ज्वेलरी का व्यापार आने वाले वर्षों में और बढऩे की संभावना है। इसके पीछे महत्वपूर्ण हैं आर्थिक कारण। गोल्ड की कीमतें वैश्विक बाजार की अस्थिरता, डॉलर की मजबूती, और इंपोर्ट शुल्क जैसे कारकों से प्रभावित होती हैं। भारत में गोल्ड की स्पॉट कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार, विशेष रूप से लंदन के एएम और पीएम फिक्स, के आधार पर तय होती हैं। बढ़ती महंगाई और विभिन्न देशों के बीच की राजनीतिक अनिश्चितताएं भी गोल्ड को एक सुरक्षित निवेश के रूप में प्रस्तुत करती हैं, जिससे इसकी मांग और कीमतें दोनों बढ़ती हैं। नई पीढ़ी के उपभोक्ता, विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में, फैशन और कार्यक्षमता को प्राथमिकता दे रहे हैं। 18-24 वर्ष की 33 प्रतिशत युवा महिलाएं गोल्ड के ज्वेलरी को फैशन की जरूरतों के लिए उपयुक्त नहीं मानतीं, जिससे लाइट वेट और आर्टिफिशियल ज्वेलरी की मांग बढ़ रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी 44 प्रतिशत महिलाएं भविष्य में गोल्ड के ज्वेलरी की संभावित खरीदार हैं, लेकिन वे किफायती विकल्पों में लाइट वेट ज्वेलरी को प्राथमिकता देती हैं, क्योंकि यह कम खर्चीली और स्टाइलिश दिखती है। यह उन उपभोक्ताओं के लिए एक आकर्षक विकल्प है जो गोल्ड की बढ़ती कीमतों को वहन नहीं कर सकते। ज्वेलर्स ने लाइट वेट ज्वेलरी की बढ़ती मांग को भुनाने के लिए नए प्रयोग किए हैं। उदाहरण के लिए, 22 कैरेट के बजाय 18 कैरेट के ज्वेलरी और क्रिएटिव डिजाइनों का उपयोग बढ़ रहा है। इसके अलावा, मेकिंग चार्ज पर छूट और डायमंड वैल्यू पर भी छूट जैसे ऑफर ग्राहकों को आकर्षित कर रहे हैं।
आने वाले वर्षों में, गोल्ड की कीमतों में और वृद्धि की संभावना है, क्योंकि वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएं, महंगाई, और निवेशकों की मांग इसे और ऊपर ले जाएगी। इस स्थिति में लाइट वेट ज्वेलरी का व्यापार बढ़ेगा। ज्वेलर्स अधिक स्टाइलिश और किफायती डिजाइनों पर ध्यान केंद्रित करेंगे, जैसे कि टर्किश, इटैलियन, और मॉडर्न मिनिमलिस्ट डिजाइन। यह न केवल शहरी, बल्कि ग्रामीण उपभोक्ताओं को भी आकर्षित करेगा। डिजिटल प्लेटफॉर्म्स और ई-कॉमर्स के माध्यम से लाइट वेट ज्वेलरी की बिक्री बढ़ेगी। उपभोक्ता ऑनलाइन स्टोर्स पर विभिन्न डिजाइनों की तुलना कर सकते हैं और छूट का लाभ उठा सकते हैं। सिल्वर और गोल्ड-सिल्वर फ्यूजन ज्वेलरी का बाजार और विस्तार होगा, क्योंकि यह किफायती होने के साथ-साथ परंपरागत और आधुनिक दोनों तरह की प्राथमिकताओं को पूरा करता है। भारत पहले से ही स्वर्ण ज्वेलरी का एक प्रमुख निर्यातक है। लाइट वेट ज्वेलरी की बढ़ती वैश्विक मांग, विशेष रूप से खाड़ी देशों और भारतीय डायस्पोरा में, निर्यात को और बढ़ाएगी। लाइट वेट ज्वेलरी के उत्पादन में कुशल कारीगरों की मांग बढ़ेगी। वर्तमान में, ज्वेलरी उद्योग 5 मिलियन लोगों को रोजगार देता है, और 2022 तक यह 8.23 मिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है।
गोल्ड की बढ़ती कीमतों ने भारतीय ज्वेलरी बाजार को एक नए दौर में ला खड़ा किया है, जहां लाइट वेट ज्वेलरी न केवल एक मजबूरी, बल्कि एक पसंद बन रही है। यह बदलाव न केवल उपभोक्ता व्यवहार और आर्थिक परिस्थितियों से प्रेरित है, बल्कि ज्वेलर्स के नवाचार और वैश्विक रुझानों से भी प्रभावित है। वैश्विक ज्वेलरी उद्योग में भारत की मजबूत स्थिति और लाइट वेट ज्वेलरी की बढ़ती मांग इसे भविष्य में और अधिक लाभकारी बनाएगी। जैसे-जैसे गोल्ड की कीमतें बढ़ेंगी, लाइट वेट और आर्टिफिशियल ज्वेलरी का बोलबाला और बढ़ेगा, जिससे यह उद्योग न केवल उपभोक्ताओं की जरूरतों को पूरा करेगा, बल्कि आर्थिक विकास और रोजगार सृजन में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा।
--------------------------------------------------------

विराज थडेश्वर - श्रृंगार हाऊस ऑफ मंगलसूत्र
ज्वेलर्स व्यापक पैमाने पर लाइट वेट ज्वेलरी बनाने लगे हैं। खरीददार भी उत्सुक हैं। अमेरिका, यूरोप, इंग्लैंड में पहले से ही लाइट वेट का चलन है। युवा पीढ़ी में कुछ साल पहले से ही इसका चलन बढ़ा, लेकिन गोल्ड महंगा होने से ज्यादातर लोग लाइट वेट ज्वेलरी पसंद करने लगे हैं।

यश खांटेड - राज ज्वेलर्स
भारत में गोल्ड के ज्वेलरी की मांग सदा सदा से हमारी परंपराओं का हिस्सा है। हालांकि, हाल के वर्षों में गोल्ड की कीमतों में तेज वृद्धि ने उपभोक्ताओं को लाइट वेट ज्वेलरी की ओर आकर्षित किया है। यह लेख इस बदलते रुझान, इसके कारणों, और भविष्य की संभावनाओं पर प्रकाश डालता है।

श्रेयांस कोठारी - बी डी बैंगल्स
लाइट वेट ज्वेलरी का चलन न केवल आर्थिक मजबूरी और गोल्ड के महंगा होने से, बल्कि फैशन और पहनने की सुविधा तथा कम रिस्क की वजह से भी प्रेरित है। ज्वेलरी उद्योग के लिए लाइट वेट ज्वेलरी एक नया अवसर है, जो आने वाले वक्त में अपनी स्थिति और मजबूत करेगा।

यश मेहता - एम मेहता एण्ड सन्स
यह सही है कि लाइट वेट ज्वेलरी की सेल में बढ़ोतरी अचानक देखने को मिल रही है। क्योंकि गोल्ड महंगा का होना लगभग हर वर्ग को लाइट वेट और सिल्वर की तरफ धकेल रहा है। हेवी ज्वेलरी का चलन बडे पैमाने पर रहा है, लेकिन उसके ग्राहक भी लाइट वेट ज्वेलरी की डिंमांड कर रहे है।
Comments