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Aabhushan Times

अभी तो और बढ़ेगी गोल्ड की चमकगोल्ड थोड़ा सा नीचे उतरकर पहले 80 हजार, फिर सीधा 1 लाख के पार


गोल्ड का वैश्विक व्यापार परिदृश्य काफी उत्सुकता जगा रहा है, रेट 75 हजार के आसपास घूम रहे हैं और थोड़े से आगे पीछे भी हो रहे हैं, फिर भी साफ तौर पर कहा जा सकता है कि वैश्विक स्तर पर गोल्ड बिजनेस लगातार विकसित हो रहा है और कोई आश्चरिय नहीं कि एक बार 69 हजार तक के बेसप्राइस तक नीचे जाने के बाद फिर से तेजी पकड़ता हुआ इसी वित्तीय वर्ष में 1 लाख तक भी पहुंच जाए। इसके पीछे तर्क यही है कि भारत में गोल्ड की डिमांड लगातार बढ़ रही है, दुनिया भर के देश गोल्ड खरीद रहे हैं और भले ही चीन ने फिलहाल गोल्ड की खरीदी कम कर दी हो, लेकिन अंतत: उसे भी गोल्ड खरीदे बिना अर्थव्यवस्था को बैलेंस करना आसान नहीं होगा। इसी कारण 2024 के अंत तक 900 टन से भी ज्यादा हो जाने की उम्मीद है और उसके पार जाते ही रेट सीधे 1 लाख तक पहुंच सकते हैं। वैसे भी भारत का गोल्ड रिजर्व बढक़र अब 817 टन पर पहुंच गया है जिसके और बढऩे के आसार हैं, क्योंकि खरीदी जारी है। खरीदी जारी रखने के पीछे सबसे बड़ा कारण है कि देश की अर्थव्यवस्था को बैलेंस किए रखना है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया इस साल लगातार गोल्ड की खरीदारी करता जा रहा है। इस साल के शुरूआती महीनों यानी जनवरी, फरवरी में भी गोल्ड की खरीदारी का यह सिलसिला रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बरकरार रहा। भारत ने चुनाव की घोषणा से पहले के दो महीने में 13 टन से ज्यादा गोल्ड की खरीदी की है। इसके साथ ही फरवरी के अंत तक के आंकड़ों के मुताबिक भारत का गोल्ड रिजर्व बढक़र अब 817 टन पर पहुंच गया है और माना जा रहा है कि खरीदी जारी रहेगी, तो रेट भी लगातार उपर की तरफ ही जाते दिख रहे हैं।


भारत का जेम एंड ज्वेलरी निर्यात दुनिया में सबसे बड़ा है। खास तौर से गोल्ड व डायमंड ज्वेलरी का इसमें सबसे बड़ा योगदान है। जैसे जैसे भारत में ही नहीं, दुनिया भर में गोल्ड के रेट्स बढ़ते जा रहे हैं, गोल्ड ज्वेलरी का निर्यात व खपत भी लगातार बढ़ती जा रही है। भारत ने बीते साल 2023 में वैश्विक स्तर पर ज्वेलरी की खपत में 4.3 प्रतिशत का बढ़ोतरी हुई, इसी कारण माना जा सकता है कि वैश्विक स्तर पर गोल्ड ज्वेलरी के कारोबार में भारतीय बाजार 2024 में और बढऩे की संभावना है। माना जा रहा है कि भारत का गोल्ड ज्वेलरी कारोबार 2027 तक 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। वैश्विक स्तर पर, भारत 2021 में 33 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ डायमंड का शीर्ष निर्यातक था और खास बात यह है कि गोल्ड ज्वेलरी के मामले में भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है और भारत की सोने की मांग 2024 में 900 टन तक पहुंचने की उम्मीद है और गोल्ड व ज्वेलरी बाजार पर नजर रखने वाले मानते हैं कि गोल्ड अगर एक लाख के पार भी गया, तो भी यह तेजी थमने वाली नहीं है, क्योंकि गोल्ड जैसे जैसे तेजी पकड़ेगा, वैसे वैसे इसकी खरीदी बढ़ती रहेगी, क्योंकि लोग चढ़ते रेट में गोल्ड खरीदते हैं और उतरते रेट में इस उम्मीद में खरीदी रोक देते हैं कि अभी तो और नीचे उतरेगा। दुनिया भर में गोल्ड ज्वेलरी के मामले में भारत का बड़ा नाम इस कारण भी है क्योंकि यहां कारीगरी बेहद सस्ती है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट देखें, तो जनवरी 2024 में भारत का गोल्ड ज्वेलरी निर्यात तेजी से बढक़र 35.43 बिलियन अमेरिकी डॉलर पहुंच गया।


बीते कुछ महीनों में दुनिया भर के देशों के सेंट्रल बैंक्स ने गोल्ड की जमकर खरीददारी की है। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है महंगाई को रोकने के लिए मुद्रास्फीति को बैलैंस करना। केंद्रीय बैंकों की जमकर गोल्ड खरीदी के कारण ही गोल्ड की कीमतों का परवान चढऩा सबसे बड़ा कारण रहा है। इसी कारण गोल्ड की कीमतों में फिलहाल रिकॉर्ड तेजी देखी जा रही है। हालांकि, इन दिनों घरेलू बाजार में जहां गोल्ड 73 हजार के स्तर पर है। वहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देखें, तो आने वाले दिनों में इसके और तेज होने के ही संकेत हैं। भले ही कुछ दिन के लिए गोल्ड के रेट 5 फीसदी नीचे उतर कर 69 हजार के स्तर पर पहुंच जाएं, लेकिन फिर तेजी से छलांग मारकर फिर से 75 हजार के पार पहुंचने से इसे कोई रोक नहीं सकता। गोल्ड की खरीदी के मामलों को देखें, तो पिछले साल, यानी नवंबर और दिसंबर 2023 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने गोल्ड की खरीदारी से थोड़ा सा परहेज किया था। लेकिन इस साल के पहले दो महीनों यानी जनवरी और फरवरी में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की गोल्ड की खरीददारी तेजी से बढक़र 20 महीने के अपने सबसे उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी। वल्र्ड गोल्ड काउंसिल की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर के विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंकों की तरफ से फरवरी 2024 के दौरान कुल 19 टन गोल्ड की खरीद की गई, जबकि दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों ने जनवरी 2024 के दौरान नेट 45 टन सोना खरीदा था। मतलब, साफ तौर पर फरवरी में गोल्ड की खरीद 58 फीसदी कम हई। मगर, दोनों महीनों को खरीदी को जोडक़र देखें, तो इस साल के पहले दो महीने के दौरान ही दुनिया भर के देशों द्वारा 64 टन गोल्ड की खरीदारी की गई है। जो कि 2022 की इसी अवधि के मुकाबले यह चार गुना ज्यादा है। तो साफ तौर पर कहा जा सकता है कि गोल्ड के रेट अभी और ऊपर ही जाएंगे।


गोल्ड के ग्लोबल मार्केट में बीते दिनों दिखी तूफानी तेजी के बीच गोल्ड की घरेलू कीमतों में तेजी साफ तौर पर देखी जा रही है। गोल्ड पिछले माह 76 हजार को पार करके 73 हजार के नीचे ट्रेड कर रहा है, और आने वाले दिनों में यह 69 हजार तक भी नीचे जा सकता है, तो इसका मतलब ये तो कतई नहीं माना जाना चाहिए कि गोल्ड अब और सस्ता होगा। बाजार के जानकार मान रहे हैं जैसे जैसे दुनिया भर के रिजर्व बैंटक्स की तरफ से गोल्ड की खरीदी फिर शुरू होगी, गोल्ड के रेट आगे आगे दौड़ेंगे। यानी पिछले दिनों गोल्ड में जो रिकॉर्ड तोड़ मजबूती देखी गई थी, वह भी पीछे छूट सकती है और गोल्ड के भाव 80 हजार के पार तो आने वाले कुछ ही दिनों में पहुंच सकते हैं। दुनिया भर में, गोल्ड के तीन सबसे महत्वपूर्ण व्यापार केंद्र लंदन ओटीसी बाजार, यूएस वायदा बाजार और शंघाई गोल्ड एक्सचेंज हैं। इन्हीं तीनों बाजारों में वैश्विक व्यापार का 90 प्रतिशत से अधिक हिस्सा हैं। गोल्ड के रेट्स तय करने में भी इन्हीं बाजारों के निर्धारण के तत्व शामिल होते हैं। वर्ल्ड़ गोल्ड काइंसिल की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक इन तीनों ही वैश्विक मार्केटस के एक्सपर्ट्स का मानना है कि दुनिया में जाहे कुछ भी हो जाए, गोल्ड आने वाले दिनों में तेजी पकड़ते हुए फिर से 77 हजार के पार पहुंच कर 80 हजार के आसपास भी पहुंच सकता है। 


बढ़ती महंगाई, और घटती मुद्रास्फीति से गड़बड़ाती हुई अर्थव्यवस्था को बैलेंस करने के लिए दुनिया भर के देशों की नजर गोल्ड पर है। ऐसे में चढ़ते गोल्ड को किसी भी हाल में थामे रखना आसान नहीं है। भारत में गोल्ड पर सबसे ज्यादा लोगों का ध्यान होने का सबसे बड़ा कारण भी एक ही है कि हमारे देश में गोल्ड को सामान्य व्.क्ति भी अपनी संपत्ति का हिस्सा बनाकर अपना आर्थिकी को सुधारने के साधन के रूप में देखता है। वैसे भी, भारत, चीन और अमेरिका गोल्ड की सबसे बड़ी मंडी हैं और गोल्ड ही इन सभी देशों की ताकत भी है और लोगों के लिए भी हमारे देश में संपत्ति भी इसी को माना जाता है। भारत में लगभग 50 लाख परिवारों की अर्थव्यवस्था गोल्ड बिजनेस पर ही निर्भर है, जिनमें बुलियन एक्सपोर्टर से लेकर ट्रेडर्स, ज्वेलर्स, डिजाइनर्स, कारीगर आदि सब शामिल हैं। इसलिए मान जा रहा है कि इतनी बड़ी तादात में जो लोग पूरी तरह से केवल गोल्ड पर ही निर्भर हैं, उनकी जीवन व्यवस्था को सम्हालने के लिए गोल्ड ही आखरी उपाय है और अर्थव्यवस्था का तो आधार पहले सही गोल्ड ही है, सो माना जा रहा है कि जैसे जैसे महंगाई बढ़ेगी, गोल्ड और तेजी से बढ़ेगा। गोल्ड मार्केट के जानकारों का दावा है कि सन 2025 तक गोल्ड 1 लाख के पार भी जा सकता है।


गोल्ड की कीमतें अपने परवान पर हैं।  बाजार में खरीदी भले ही कम है, लेकिन गोल्ड के रेट बढने में विभिन्न देशों की खरीदारी का बहुत बड़ा योगदान है। वैश्विक स्तर पर माना जा रहा है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व में ब्याज दरों में कटौती की संभावना प्रबल है, तो रेट और बढ़ेंगे।

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वैश्विक स्तर पर गोल्ड के ताजा आंकड़ों को देखें, तो जनवरी से अप्रेल 2024 के बीच गोल्ड बिलुयन का आयात 445 मिलियन अमेरिकी डॉलर रहा। इसी से समझा जा सकता है कि भारत में गोल्ड भले ही कितना भी महंगा हो जाए, इसकी चमक घटने वाली नहीं है।

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फिलहाल गोल्ड के रेट कम होनेवाले नहीं है, क्योंकि यह लगातार 16 वां महीना है जब चीन का केंद्रीय बैंक गोल्ड की का लगातार खरीदार रहा है। भले ही इस महीने चीन ने खरीदी को धीमा किया है, मगर गोल्ड की खरीदी के अलावा दुनिया के पास कोई विकल्प ही नहीं है।

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यह साफ तौर पर लग रहा है कि दुनिया ङर के बाजारों सहित भारतीय बाजारों में भी गोल्ड के रेट्स तेजी पकड़ेंगे, क्योंकि वैश्विक स्तर पर विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्था के जो हालात दिख रहे हैं, उनके मुताबिक गोल्ड के रेट में इजाफा हुए बिना कोई चारा ही नहीं है।

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