top of page
  • Aabhushan Times

अमेरिकी फेडरल रिजर्व सख्त गोल्ड में उतार के कोई संकेत नहीं हालात नहीं बदले तो अगले साल ही 75 पार





















अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने महंगाई पर और ज्यादा काबू पाने की स्थिति में आगे भी ब्याज दरों के बढ़ाए जाने का संकेत दिया है। इससे गोल्ड व सिल्वर के रेट्स पर सीधा असर पड़ सकता है। फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों के बढ़ाए जाने से गोल्ड व सिल्वर महंगे होंगे। इससे पहले रेट हाइक के सिलसिले पर लगाम कसने के लिए अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरें न बढाने की बात कही थी, लेकिन गोल्ड व सिल्वर की पूरी दुनिया में बढ़ती डिमांड को देखते हुए यह निर्णय बदलना पड़ा है। फेडरल रिजर्व के चेयरपर्सन जेरोम पॉवेल ने विश्व बैंक के एक कार्यक्रम से पहले कहा कि अमेरिका ताजा हालात में सावधानी के साथ आगे बढ़ेगा, ताकि हम हर तरह के जोखिम से बचने में समर्थ हो सके। उन्होंने यह भी कहा कि आगामी कुछ महीनों के डेटा चौंकाने वाले हो सकते हैं और यह भी संभव है कि इसमें ज्यादा सख्ती का जोखिम शामिल हो। फेडरल रिजर्व के चेयरपर्सन पॉवेल की यही बात ध्यान देने लायक है, क्योंकि इसी मोड़ पर आकर गोल्ड में तेजी मानी जा रही है।


फेडरल रिजर्व के चेयरपर्सन जेरोम पॉवेल के इस संकेत से साफ है कि आने वाले महीनों में गोल्ड के रेट्स में तेजी देखने को मिलेगी, जबकि किसी भी तरह की कमी की बात बहुत दूर तक नहीं दिख रही है। इंटरनेशनल गोल्ड मार्केट के जानकारों की राय में साल 2025 के अंत तक गोल्ड के जो 75 हजार तक जाने के आसार बताए जा रहे हैं, वे उससे पहले भी देखने को मिल सकते हैं। इसका सीधा अर्थ केवल यही है कि गोल्ड को 75 हजार का आंकड़ा छूने के हालात बन रहे हैं तथा निवेशकों के लिए यह कमाई का एक बेहतर संकेत तो है ही, ज्वेलर्स तथा बुलियन विक्रेताओं के लिए भी शुभ संकेत है। हालांकि, गोल्ड के उंचे रेट्स में ज्वेलर्स तथा बुलियन विक्रेताओं के लिए कमाई के अवसर तभी खुलेंगे, जब ग्राहकी बढ़ेगी, तथा ग्राहकी तभी बढ़ेगी जब लोगों के हाथ में पैसा आएगा। यह तो हुई, खरीददारों की बात लेकिन ग्राहकी ठंडी भी रहती है, तो ज्वेलर्स तथा बुलियन विक्रेताओं सहित निवेशकों को कोई खास नुकसान होने की संभावना न के बराबर है, क्योंकि गोल्ड 75 हजार का पार भी जा सकता है, ऐसे में उनके तो गोल्ड असैट में बढ़ोतरी होनी तय ही है। फेडरल रिजर्व के चेयरपर्सन पॉवेल ने कहा है कि अमेरिकी नीति निर्धारक इतनी ऊंची ब्याज दर बनाए रखना चाह रहे हैं, जिससे महंगाई अपने 2 प्रतिशत के टारगेट पर वापस जा सके। ऐसे में अगर अमेरिकी रिजर्व की सख्ती इस स्तर तक जारी रहती है, तो गोल्ड के रेट्स को आसमान छूने से कोई रोक ही नहीं सकता।


हालांकि, वित्तीय बाजार और कई अर्थशास्त्रियों का मानना था कि अमेरिकी सेंट्रल बैंक अपनी अधिकतम ब्याज दरें बढ़ा चुका है। लेकिन फेडरल रिजर्व के चेयरपर्सन जेरोम पॉवेल के ताजा वक्तव्य से साफ हो गया है कि अब भी पॉलिसी मेकर्स ब्याज दरों को बढ़ाने की गुंजाइश रखते हैं। जिसका सीधा असर गोल्ड के रेट्स को सपोर्ट करेगा और किसी भी हाल में गोल्ड के कमजोर पडऩे की कोई संभावना ही नहीं है। इसके साथ ही जानकार यह भी कहते हैं कि हालांकि, अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरें बढ़ाने की अपनी कार्रवाई पूरी कर चुका है, लेकिन यह भी साफ हो गया है कि जब तक अमेरिकी सेंट्रल बैंक को महंगाई में और सुधार नहीं दिखाई देता, फेडरल रिजर्व का कठोर लहजा बना रहेगा। इसी वजह से गोल्ड में किसी भी तरह की कमजोरी के न आने के संकेत साफ हैं। दीपावली के दिन भारत में गोल्ड 61550 रुपए प्रति दस ग्राम तक पहुंचा, क्योंकि धन तेरस की डिमांड काफी ज्यादा रही एवं दीपावली पर भी ग्राहकी चलातार चलती रही। जबकि इसके दो दिन पहले गोल्ड के रेट्स 61150 ही थे। कुछ नामी एवं बड़े ज्वेलर्स ने गोल्ड कॉइन व गोल्ड बार की पैकिंग के नाम पर भी 50 से 100 रुपए ज्यादा वसूले, जो कि वाजिब भी माने जा रहे हैं। मुंबई ज्वेलरी मार्केट के जानकारों की राय में पैकिंग को रेट्स भी काफी बढ़ जाने तथा गोल्ड में मुनाफा पल - पल घटते बढ़ते रहने से पौकिंग के दाम लगाने ही पड़ते हैं। वैसे भी पैकिंग भी कोई मुफ्त तो नहीं आती। लेकिन फिर भी दीपावली व धनतेरस पर पैकिंग के नाम पर अतिरिक्त चार्ज ले रहे ज्वेलर्स से उनके रिटेल ग्राहक बहस करते देखे गए।


गोल्ड की कीमतों की बात की जाए, तो अक्टूबर महीने की शुरुआत में में रेट्स बैकफुट पर ही रहे और सितंबर के अंत में तो 1850 अमेरिकी डॉलर प्रति औंस से नीचे गिर गए थे। 7 अक्टूबर को इजराइल में हुई घटनाओं ने एक तेजी ला दी, जिससे 27 अक्टूबर तक अमेरिकी डॉलर में गोल्ड की कीमतें 2005 अमेरिकी डॉलर प्रति औंस से भी ऊपर पहुंच गई, जो कि महीने का रिकॉर्ड हाई था, तथा डॉलर व रुपए के अलावा लगभग सभी अन्य प्रमुख मुद्राओं में साफ तौर पर असरकारक रहा। भारतीय बाजार के गोल्ड मॉडल में बड़े पैमाने पर त्यौहारी व विवाह के सीजन की खरीददारी पर गोल्ड मार्केट निर्भर है। दो देशों के बीच राजनीतिक तनाव और व्यापारिक समझौतों में अनबन का भी गोल्ड पर सीधा असर होता है। भारतीय बाजारों में गोल्ड दो महीने में 62500 से नीचे उतर कर 60 हजार के भीतर भी आया, लेकिन फिर से तेजी पकड़ता हुआ दीपावली के मौके पर बाजार 61500 तक आ गया। हालांकि, यह भी गोल्ड के ऊंचे दाम से एक हजार रुपए कम रहा, मगर, गोल्ड मार्केट में अस्थिरता और पुराने रेट्स के समतुल्य फिर से आने में मुद्रास्फीति दरों में वृद्धि के साथ-साथ अमेरिकी डॉलर की ताकत का भी बड़ा योगदान रहेगा, ऐसा माना जा रहा है। हालांकि, फिलहाल केवल 1 हजार का ही फर्क है, मगर, संभव है कि नवंबर के जाते जाते गोल्ड में 62500 का यह ब्रेकईवन फिर से आ सकता है। फेडरल रिजर्व के चेयरपर्सन जेरोम पॉवेल के ताजा संकेतों का अध्ययन करने के बाद वित्तीय बाजार के विशेषज्ञों एवं अर्थशास्त्रियों सहित गोल्ड मार्केट के जानकारों की सामूहित राय का स्वर एक ही है कि अमेरिकी सेंट्रल बैंक यदि अपनी मुद्रास्फीति ठीक करने की कोशिश में अपनी ब्याज दरों के साथ सख्ती को लगातार जारी रखता है, तो सन 2025 के अंत तक गोल्ड के जे रेट्स 75 हजार तक जाने के आसार व्यक्त किये जा रहे हैं, वह वक्त कुछ पहले भी आ सकता है।


फेडरल रिजर्व के चेयरपर्सन जेरोम पॉवेल का ताजा वक्तव्य यह स्पष्ट करता है कि गोल्ड जो कि दुनिया के सभी देशों की अर्थव्यवस्था कौ बैलेंस करने का मुख्य आधार है, वह एक प्रमुख मेटल के रूप में अपने तेजी पकडऩे के उद्देश्य में सुरक्षित प्रवाह की ओर इशारा कर रहा। इसके अलावा, कॉमेक्स वायदा में भले ही कमी देखने को मिले, मगर शॉर्ट कवरिंग के आसार अधिक हो गए हैं। वायदा बाजार में गोल्ड सकारात्मक प्रवाह के बावजूद, वैश्विक स्तर पर गोल्ड ईटीएफ में आने वाले एक और महीने में आउट गोइंग के साथ नवंबर महीने के अंत तक, थोड़ी कमी देखी जा सकती और महीने के अंत में आंशिक रूप से अमेरिका में विकल्प समाप्ति के कारण इसमें थोड़ी बढ़ोतरी संभव है। मगर, यह थोड़ा इधर, और थोड़ा उधर होने के बावजूद गोल्ड के रेट्स में कमी के आसार नहीं है, कुछ लोगों का तो दावा यह भी है कि वैश्विक स्तर पर जो हालात बन रहे हैं, वे और सख्त हुए, तो अगले महीने यानी दिसंबर 2023 के अंत तक ही गोल्ड को 65 हजार के पार भी जाने कसे कोई रोक नहीं सकता।









दुनिया के लगभग सभी देश गोल्ड से ही अपनी अर्थव्यवस्था का संतुलन बनाते हैं। विश्व की दूसरी सबसे बड़ी इकॉनमी चीन सहित सभी छोटे बड़े देश गोल्ड की जमकर खरीदारी में जुटे है, तो गोल्ड के रेट्स कम होने के आसार नजर नहीं आते।

------------------------------------------------------------------------------------------------









अमेरिकी रिजर्व की ब्याज दरें गोल्ड पर सीधे असर करती है, लेकिन भारत में गोल्ड के प्रति लोगों की दीवानगी जगजाहिर है। इसलिए गोल्ड के पेट्स बढऩे के बावजूद भारत में खरीददारी में कमी नहीं आती और आगे भी यह ट्रेंड जारी रह सकता है।

------------------------------------------------------------------------------------------------









दीपावली पर गोल्ड में जबरदस्त बिक्री देखी गई। भले ही गोल्ड की कीमतें 2005 अमेरिकी डॉलर प्रति औंस से भी ऊपर पहुंच गई, लेकिन फिर भी त्यौहारी सीजन व विवाह के सीजन के कारण भारत में पहले की तरह ही गोल्ड खूब बिका है।



For more updates do follow us on Social Media:


Comments


Top Stories

bottom of page