गोल्ड : कभी कम, कभी ज्यादा चमकदार तेजी की संभावना या गमगीन गिरावट की आशंका
- Aabhushan Times
- May 17
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गोल्ड की कीमतें हाल ही में 1 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम को पार करने का कार्तिमान बनाकर फिर से नीचे आ चुकी हैं और 1 लाख के आसपास घूम रही है। हम देखते रहे हैं कि गोल्ड की कीमतें हमेशा से ही उतार-चढ़ाव की स्थिति में रहती हैं। लेकिन पिछले तीन साल में इसमे अप्रत्याशित तेजी देखने को मिली है। आने वाले दिनों में इसकी कीमतें बढऩे के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और मुद्रास्फीति शामिल हैं। लेकिन इसकी कीमतें गिरने की भी आशंका जताई जा रही है, जिनमें वैश्विक आर्थिक सुधार और डॉलर की मजबूती शामिल हैं। गोल्ड न केवल अपनी चमकदार सुंदरता के लिए जाना जाता है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण निवेश विकल्प भी है, इसीलिए निवेशक डरे हुए हैं कि कहीं रेट ज्यादा न गिर जाएं, तो खरीद भी नहीं रहे है। वेश्विक मार्केट के विशेषज्ञों के अनुसार, गोल्ड की कीमतें 2025 के अंत तक और बढक़र 1 लाख 20 हजार तक जा सकती हैं। लेकिन, कुछ जानकार यह भी कहते हैं कि गोल्ड में यहीं से खतरनाक गिरावट का दौर शुरू होगा, जो उसे 55 हजार के निचले स्तर पर भी ले जा सकता है। लेकिन इसकी संभावना बहुत ही कम ही है। इस तरह से एक प्रकार से गोल्ड फिलहाल चमकदार तेजी और गमगीन गिरावट की आशंका के बीच अधरझूल में है, और इसके रेट स्थिर होने में अभी कम से कम दो - तीन साल का वक्त लग सकता है।
गोल्ड के रेट बढऩे की बात करें, तो कई कारण हो सकते हैं। इनमें से एक मुख्य कारण है वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता। जब वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता बढ़ती है, तो निवेशक सुरक्षित निवेश विकल्पों की तलाश में जुट जाते हैं। गोल्ड एक ऐसा निवेश विकल्प है जो सुरक्षित माना जाता है, इसलिए इसकी मांग बढ़ जाती है और इसकी कीमतें बढऩे लगती हैं। एक अन्य कारण है मुद्रास्फीति। जब मुद्रास्फीति बढ़ती है, तो लोगों की क्रय शक्ति कम हो जाती है। गोल्ड एक ऐसा निवेश विकल्प है जो मुद्रास्फीति के प्रभाव से बचाता है, इसलिए इसकी मांग बढ़ जाती है और इसकी कीमतें बढऩे लगती हैं। हालांकि, गोल्ड की कीमतें गिरने की भी आशंका है। एक मुख्य कारण है वैश्विक आर्थिक सुधार। जब वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार होता है, तो निवेशक जोखिम भरे निवेश विकल्पों की तलाश में जुट जाते हैं। गोल्ड जोखिम भरे निवेश विकल्पों की तुलना में कम रिटर्न देता है। इसलिए, जब वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार होता है, तो गोल्ड की मांग कम हो जाती है और इसकी कीमतें गिरने लगती हैं।
गोल्डमैन सैक्स ने अनुमान लगाया है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में गोल्ड2025 के अंत तक 3,700 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकता है, जो भारतीय बाजार में 1.20 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम के आसपास होगा। वर्ल्ड गोल्ड मार्केट के कुछ विशेषज्ञों का भी मानना है कि भू-राजनीतिक तनाव, महंगाई, और रुपये की कमजोरी के कारण गोल्ड 1.20 लाख रुपये तक पहुंच सकता है। लेकिन, यदि अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध या वैश्विक मंदी का जोखिम बढ़ता है, तो कीमतें 4,500 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच कर भारत में गोल्ड के रेट लगभग 1.30 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम तक भी जा सकते हैं। हालांकि, वैश्विक आर्थिक स्थिति सामान्य होती है, तो लंबी अवधि में कीमतें स्थिर हो सकती हैं। लेकिन वैश्विक आर्थिक स्थिति सामान्य होने की संभावना कम ही लग रही है। लेकिन गोल्ड 90 हजार रुपये तक नीचे जा सकता है, इसकी आशंका मानी जा रही है।जैसा कि हाल ही में देखा गया है कि गोल्ड 1 लाख के स्तर से गिरकर 95 रुपये तक आ गया। आज जब ये पंक्तियां पढ़ रहे होंगे, तब शायद और भी नीचे आ गया होगा। क्योंकि संभावित स्तर की बात करें, तो कुछ विशेषज्ञों का अनुमान है कि वैश्विक आर्थिक स्थिरता और व्यापार तनाव में कमी के कारण गोल्ड 90 हजार रुपये या उससे नीचे भी जा सकता है। हाल के आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल 2025 के अंत में गोल्ड 95 हजार रुपये तक गिर चुका था, जो वैश्विक बाजार में स्थिरता और निवेशकों के रुझान में बदलाव का परिणाम था।
अब बात करके हैं गोल्ड में खतरनाक गिरावट की, जिसे सुनकर आपको डर भी लग सकता है। मॉर्निंगस्टार (अमेरिका) कीआशंका के मुताबिक, गोल्ड में 40 फीसदी तक की गिरावट संभव है, जिससे भारत में कीमतें 55,000 रुपये तक गिर सकती हैं, हालांकि यह एक बहुत ही अप्रत्याशित एवं अत्यंत चरम परिदृश्य है। क्योंकि आज तक के इतिहास में इस तरह की गिरावट के कारण अब तक सो स्पष्ट नहीं है। गोल्ड की कीमतों में गिरावट के प्रमुख कारण वैश्विक व्यापार तनाव में कमी, वैश्विक आर्थिक स्थिरता, अमेरिकी डॉलर की मजबूती, घटती मांग, बिक्री से कमाई आदि कारणों को लेकर मॉर्निंगस्टार (अमेरिका) ने आशंका व्यक्त की है कि अगर ऐसा होता है, तो गोल्ड की कीमतें भारत में 55 हजार रुपए तक गिर भी सकती हैं। मॉर्निंगस्टार (अमेरिका) का कहना है कि अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक समझौते या टैरिफ में कमी से निवेशक गोल्ड जैसे सुरक्षित निवेश से हटकर शेयर बाजार या अन्य संपत्तियों की ओर रुख कर सकते हैं। गोल्ड की कीमतें डॉलर के साथ उल्टा संबंध रखती हैं। यदि डॉलर सूचकांक बढ़ता है, तो गोल्ड सस्ता हो सकता है।मंदी का डर कम होने और निवेशकों का आत्मविश्वास बढऩे से गोल्ड की मांग घट सकती है। इसके साथ ही उच्च कीमतों पर निवेशक मुनाफा कमाने के लिए गोल्ड बेच सकते हैं, जिससे कीमतें नीचे आ सकती हैं। और कास कारण होगा गोल्ड की घटती मांग। भारत में त्योहारी सीजन के बाद मांग कम होने से भी कीमतें प्रभावित हो सकती हैं।
गोल्ड की कीमतों में तेजी के जो प्रमुख कारण हैं, उनमें भू-राजनीतिक तनाव सबसे अहम है। अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध, मध्य पूर्व में संघर्ष, या अन्य वैश्विक अस्थिरता गोल्ड को सुरक्षित निवेश बनाती है। सन 2025 में डॉलर सूचकांक 100 से नीचे गिरा है, जिससे गोल्ड अन्य मुद्राओं में सस्ता होने से गोल्ड की मांग बढ़ी है।केंद्रीय बैंकों की खरीदारी भी अहम है। दुनिया ङर के देशों ने2024 में केंद्रीय बैंकों ने 1,100 टन गोल्ड खरीदा, जो मुद्रास्फीति से बचाव और डॉलर पर निर्भरता कम करने के लिए था। मुद्रास्फीति और ब्याज दरों के साथ साथ बढ़ती महंगाई गोल्ड को आकर्षक बना रही हैं। इसके साथ ही ईटीएफ मेंभी निवेश बढ़ रहा है, तथा चीन और अन्य देशों में गोल्ड ईटीएफ में भारी निवेश किया है, जिस कारण कीमतों को बढ़ावा मिला है। फिर भारत में त्योहारी मांग भी कभी कम नहीं हुई। विवाह के सीजन में मांग बढऩे से कीमतें ऊपर जा सकती हैं।
गोल्ड के इस घटते - बढ़ते रेट के कारण ज्वेलरी के शो रूम्स में ग्राहकी पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। गोल्ड की कीमतों में तेजी से ज्वेलर्स को ग्राहकी में कमी का सामना करना पड़ रहा है। जानकारों के अनुसार, गोल्ड के 1 लाख रुपये के स्तर को पार करने से इसकी मांग में 10-15 प्रतिशत की कमी आ सकती है। गोल्ड की उच्च कीमतों ने विवाह और त्योहारों के लिए गोल्ड खरीदना मुश्किल कर दिया है, जिससे ग्राहक छोटे या कम कैरेट वाले आभूषण चुन रहे हैं। हालांकि सकारात्मक सेंटीमेंट यह भी है कि शादी के सीजन में सकारात्मक उपभोक्ता भावना के कारण मांग कुछ हद तक बनी रह सकती है। मगर, ग्राहक कम आ रहे हैं, कमाई नहीं है, जिससे खर्चे पूरे करने में छोटे - बड़े हर ज्वेलर को बड़ी परेशानी आ रही है।
गोल्ड की कीमतों का स्थिर स्तर कई कारकों पर निर्भर करता है, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार आने वाले 4-6 महीने की अल्पकालिक अवधि में यदि वैश्विक तनाव बना रहता है, तो गोल्ड 1 लाख से 1.10 लाख रुपये के बीच स्थिर हो सकता है। स्थिरता के लिए मध्यम अवधि अर्थात 1-2 साल का वक्त देखें, तो व्यापार तनाव कम होने और आर्थिक स्थिरता के साथ कीमतें 90 - 92 हजार रुपये के स्तर पर स्थिर हो सकती हैं। और लंबी अवधि अर्थात 3-5 साल में स्थिरता देखें, तो यदि महंगाई नियंत्रित होती है और वैश्विक बाजार स्थिर रहते हैं, तो कीमतें 80 - 90 रुपये तक नीचे आकर स्थिर हो सकती हैं।
हालांकि, भारत में त्योहारी मांग और रुपये की कमजोरी के कारण गोल्ड की कीमतें पूरी तरह से 80 हजार रुपये से नीचे जाने की संभावना कम है। गोल्ड के बहुत तेजी के साथ बढक़र 3 साल में दुगने रेट हो जाने के बाद एक स्थिरता का पैमाना 80 हजार तक उचित माना जा रहा है, लेकिन मॉर्निंगस्टार (अमेरिका) की आशंका के मुताबिक, गोल्ड में 40 फीसदी तक की गिरावट की जो संभावना बताई जा रही है, उसका डर भी हर किसी के दिल में बैठा हुआ है।

गोल्ड 1 लाख को पार करके फिर नीचे आ रहा है, लेकिन फिर ऊपर भी जा सकता है। लेकिन अब और कितना नीचे जाएगा, इसके बारे में कोई कह नहीं सकता। कोई एक लाख 30 हजार तक गोल्ड के रेट ऊपर जाने की बात कह रहा है, तो मॉर्निंगस्टार (अमेरिका) को आशंका है कि गोल्ड 40 फीसदी तक गिर भी सकता है।

मनीष जैन - रॉयल चेन प्रा. लि.
गोल्ड की कीमतें हमेशा से ही उतार-चढ़ाव की स्थिति में रहती हैं। फिलहाल 1 लाख के ऊपर के आंकड़े से गोल्ड फिर नीचे की ओर है, कब ऊपर फिर चढ़ेगा, यह कोई नहीं जानता। लेकिन ग्राहकी न होने से ज्वेलर प्रार्थना कर रहे हैं कि रेट न गिरे तो ज्यादा बेहतर है, ताकि ग्राहकी तो खुले।

बिपीन पुनमिया - चोकसी विमल बुलियन एलएलपी
हाल के दिनों में, गोल्ड की कीमतें तेजी से बढ़ी, लेकिन इसके साथ ही गिरावट की आशंका भी बनी हुई है। वैसे, गोल्ड अपनी असेट वैल्यू के कारण देशों के लिए तथा व्यक्तिगत तौर पर भी महत्वपूर्ण निवेश विकल्प है। इसलिए रेट तो ऊपर ही जाएंगे, यही माना जा रहा है।

दिपक शेठ - एस के शेठ ज्वेलर्स
गोल्ड की कीमतें बढऩे के मुख्य कारण है वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता। फिलहाल वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता बढ़ी है, तो दुनिया के विभिन्न देशों सहित निवेशक भी सुरक्षित निवेश विकल्पों की तलाश में हैं। इसीलिए, इसकी मांग बढऩे से कीमतें भी बढऩे लगी हैं।

पंकज जैन - संगम चेन्स एन ज्वेल्स
गोल्ड की कामीतों के बढऩे का एक खास कारण है मुद्रास्फीति। जब मुद्रास्फीति बढ़ती है, तो लोगों की क्रय शक्ति कम हो जाती है। गोल्ड एक ऐसा निवेश विकल्प है जो मुद्रास्फीति के प्रभाव से बचाता है, इसलिए इसकी मांग बढ़ रही है और इसी कारण इसकी कीमतें बढऩे भी लग रही हैं।
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