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गोल्ड की चमक निरंतर जारीसरकार द्वारा इंपोर्ट ड्यूटी कम करने के बावजूद

  • Aabhushan Times
  • Aug 29, 2024
  • 6 min read








राकेश लोढ़ा


भारत सरकार ने गोल्ड और सिल्वर पर इंपोर्ट ड्यूटी अर्थात आयात शुल्क में कटौती कर दी है। उम्मीद थी कि इससे गोल्ड व सिल्वर सस्ते होंगे। लेकिन हुआ उल्टा, भारत सरकार के इस कदम से दुनिया के दूसरे सबसे बड़े स्वर्ण बाजार भारत में दोनों कीमती धातुओं के रेट्स सस्ते नहीं हुए बल्कि इनकी मांग में और वृद्धि हो गई है और वैश्विक स्तर पर कीमतों को समर्थन भी मिला और रेट्स भी बढ़ गए। भारत सरकार के आयात शुल्क में कटौती करने के इस महत्वपूर्णकदम से गोल्ड और सिव्लर के आयात पर टैक्स में आधे से अधिक की कटौती हो गई है, तथा आयात शुल्क 15 प्रतिशत से घटकर 6 प्रतिशत हो गया, इसके साथ ही भारत सरकार के नए आदेश के कारण प्लैटिनम पर भी इंपोर्ट ड्यूटी घटाकर 6.4 प्रतिशत कर दी गई है। मगर, गोल्ड फिर से 73 हजार के आसपास पहुंच गया है। हां, इतना जरूर है कि भारत सरकार ने अगर गोल्ड और सिल्वर पर इंपोर्ट ड्यूटी कम न की होती, तो गोल्ड और सिल्वर दोनों और महंगे होते। ऐसे में खास बात यह होती कि रेट बढऩे पर बिक्री थम जाती है, जबकि इन दिनों गोल्ड व सिल्वर की बिक्री अपनी रफ्तार पर है। जिस के कारण ज्वेलर्स के चेहरों पर मुस्कान है और इस बार का आइआइजेएस भी बहुत शानदार रहा, क्योंकि इसके रेट लोगों की खरीद की सीमा में हैं। हम देखते रहे हैं कि गोल्ड की तस्करी लगातार बढ़ती जा रही थी तथा विभिन्न अवैध चैनलों से भारत में गोल्ड आता जा रहा था, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान हो रहा था। इसीलिए, भारत सरकार ने इंपोर्ट ड्यूटी कम की जिससे कि गोल्ड की तस्करी पर रोक लगे। सरकारी अधिकारियों को एक और उम्मीद रही कि आयात शुल्क कम करने से देश में गोल्ड से बनी ज्वेलरी के घरेलू मूल्य को समर्थन मिलेगा। वल्र्ड गोल्ड काउंसिल ने भी भारत सरकार के इंपोर्ट ड्यूटी में कटौती को सही दिशा में एक बड़ा कदम बताया।

जैसा कि अंदेशा था, गोल्ड और सिल्वर पर इंपोर्ट ड्यूटी में कटौती किए जाने से इनके रेट थोड़े से कम हुए, तो कम कीमतों ने उपभोक्ताओं की मांग को भी बढ़ाया है। बाजार में गोल्ड व गोल्ड से बनी ज्वेलरी की डिमांड बढऩे से गोल्ड की सेल में वृद्धि हो रही है, जिससे सरकार को तो बेहतर राजस्व मिल ही रहा है, ज्वेलर्स को भी लाभ हो रहा है तथा बुलियन का कारोबार करने वाली कंपनियों को भी लाभ हो रहा है। खास बात यह है कि सेल बढऩे के साथ ही गोल्ड फिर से 73 हजार के आसपास पहुंच रहा है। गोल्ड और सिल्वर पर इंपोर्ट ड्यूटी में कटौती से पहले के आंकड़े देखें, तो हाई इंपोर्ट ड्यूटी के बावजूद, भारत में गोल्ड की डिमांड वैसे भी कोई कम नहीं थी। लेकिन अब लगातार मजबूत हो रही है। सन 2024 के पहले पांच महीनों में, भारत में गोल्ड के आयात में साल-दर-साल 26 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिसमें 230 टन गोल्ड देश में आया। यह अपने आप में एक रिकॉर्ड रहा, जो कि हाई इंपोर्ट ड्यूटी के बावजूद रहा।

भारत में गोल्ड पर इंपोर्ट ड्य़ूटी में 6 फीसदी की कटौती से पहले ही, ऑस्ट्रेलिया के एएनजेड बैंक द्वारा हाल ही में जारी एक नोट में कहा गया था कि भारत में गोल्ड की डिमांड दुनिया भर में गोल्ड की मौजूदा तेजी को बढ़ाने में मदद कर सकती है, तथा गोल्ड की कीमतें2,500 डॉलर और उससे भी अधिक हो सकती है। भारतीय सरकारी गोल्ड कंपनी एमएमटीसी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में गोल्ड महज एक कीमती धातु नहीं, बल्कि उससे कहीं अधिक है। सही मायने में देखें, तो भारतीय उपभोक्ताओं का गोल्ड के साथ भावनात्मक जुड़ाव है, जिसका महत्व विशेष अवसरों पर सामने आता है। इस सांस्कृतिक संदर्भ को देखते हुए, सामान्य लोग भी मान रहे हैं कि केंद्रीय बजट में गोल्ड पर शुल्क में 6 प्रतिशत की कटौती का निर्णय एक स्वागत योग्य कदम है, जिससे गोल्ड की खुदरा कीमतों में स्थिरता आने की उम्मीद मानी जी रही थी। हालांकि ड़लर के रेट्स बढ़ जाने के परिणामस्वरूप गोल्ड की खपत में वृद्धि का एक अच्छा राऊंड शुरू होने और सरकार के पर्याप्त समर्थन से भारत गोल्ड की सेल के एक बड़े पॉवर सेंटर के रूप में विकसित होता जा रहा है। हाल ही में संपन्न आइआइजेएस में इस बार भी गोल्ड ज्वेलरी की रिकॉर्ड सेल बताती है कि गोल्ड के प्रति भारतीय समाज का आकर्षण कम नहीं हो सकता क्योंकि यह संपन्नता की निशानी होने के साथ साथ व्यक्ति की गरिमा को बढ़ाती है तथा उसके मन में भविष्य के प्रति निश्चिंतता का भाव जगाती है।

हम सदियों से देखते आ रहे हैं कि भारतीय समाज का गोल्ड के प्रति ऐतिहासिक लगाव रहा है। भारतीय परिवारों के पास अनुमानित 25 हजार टन गोल्ड है, और देश में बड़े काले बाज़ार को देखते हुए यह अंदाज संभवत: बहुत ही कम है। गोल्ड हमारे देश के विवाह समारोहों और सांस्कृतिक अनुष्ठानों में बड़ी ही गहराई से जुड़ा हुआ है। भारतीयों ने लंबे समय अर्थात पिछली कई सदियों से गोल्ड को धन के भंडार के रूप में महत्व दिया है, खासकर गरीब ग्रामीण क्षेत्रों में ही नहीं संपन्न समाज में भी इसकी ताकत देखी जाती रही है। भारत की गोल्ड की लगभग दो-तिहाई मांग शहरी केंद्रों के बजाय ग्रामीण इलाकों से आती है, जहाँ बड़ी संख्या में लोग टैक्स सिस्टम से बाहर काम करते हैं।


हमारे देश में सबसे खास बात यह है कि भारत में गोल्ड को लग्जरी नहीं माना जाता। गरीब भारतीय भी गोल्ड खरीदते हैं। सन 2018 के एक सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में हर दो घरों में से एक ने पिछले पांच वर्षों में गोल्ड खरीदा है। कुल मिलाकर, 87 प्रतिशत भारतीय परिवारों के पास थोड़ा बहुत गोल्ड तो है ही, बाकी 3 फीसदी के पास गोल्ड नहीं है, तो सिल्वर तो है ही। यहां तक कि भारत में सबसे कम आय वाले परिवारों के पास भी थोड़ा बहुत गोल्ड है ही। सर्वेक्षण के अनुसार, आय के निचले 10 प्रतिशत में 75 प्रतिशत से अधिक परिवार कुछ गोल्ड खरीदने में कामयाब रहे। दुनिया भर के देशों में कोविड-19 के भयंकर डरावने आर्थिक परिदृश्य में भी गोल्ड की खरीदी बड़े पैमाने पर हुई और उसके बाद भी आर्थिक संकट से जूझ रहे भारतीयों के लिए गोल्ड एक जीवन रेखा के रूप में खड़ा रहा। कोविड-19 में भी भारतीयों ने लॉकडाउन की दूसरी लहर का सामना किया, उस वक्त लाखों भारतीयों ने अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए गोल्ड बेचना शुरू किया, लेकिन जैसे ही हालात सुधरे, तो फिर से खरीदना भी शुरू कर दिया। इसी सामान्य से उदाहरण के जरिए समझा जा सकता है कि गोल्ड का भारतीय समाज का गहरा नाता है। अत: भारत सरकार ने भले ही इंपोर्ट ड्यूटी कम करके स्मगलिंग रोकने की कोशिश की है और कीमतों को भी 6 फीसदी नीचे लाने का प्रयास सार्थक व प्रभावी किया हो, लेकिन गोल्ड सस्ता होगा, इस बात में किसी को दम नजर नहीं आता। क्योंकि गोल्ड से इंपोर्ट ड्यूटी कम करते ही वह 69 हजार तक नीटे उतर आया था, लेकिन चंद दिनों में ही फिर से 72 हजार के पार पहुंच कर 73 का आंकड़ा छूने को बेताब दिख रहा है।


अमेरिकी आर्थिकी के नवीनतम आंकड़ों से पैदा हुई सकारात्मक स्थिति के कारण भले ही कुछ दिन पहले गोल्ड की कीमतों में नरमी आई और यह 2432 डॉलर तक नीचे उतर गया था, लेकिन मिडल ईस्ट में बढ़ते जियो-पॉलिटिकल जोखिम ने गोल्ड में पिर से तीव्र तेजी को बढ़ावा दिया।इस बात की आशंका मानी जा रही है कि ईरान आने वाले दिनों में इजरायल पर हमला कर सकता है, क्योंकि दुनिया के बड़े देशों की दोनों देशों से संयम बरतने की अपील युद्ध के लिए सज्ज दोनों पक्षों के बीच संघर्ष विराम के संकेत देने में विफल रही है, और इजरायल ईरानी हमले के लिए तैयार है। जिससे इंटरनेशनल लेवल पर अराजकता को बढ़ावा मिल रहा है। इसी बढ़ते जोखिम के कारण गोल्ड की सुरक्षित मांग बढ़ी है, जो पंद्रह अगस्त के बीतते ही, 2500 डॉलर के मनोवैज्ञानिक स्तर पर नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। माना जा रहा है कि गोल्ड आने वाले कुछ दिनों में 75 हजार का आंकड़ा छू ले तो कोई बड़ी बात नहीं होगी।







रामजीवनलाल सोनी - एमएल कन्हैयालाल ज्वेल्स

भारत सरकार ने गोल्ड और सिल्वर पर इंपोर्ट ड्यूटी अर्थात आयात शुल्क में कटौती की है, जिसके बावजूद गोल्ड के रेट्स थम नहीं रहे है, लेकिन इससे सेल में तेजी पकड़ी है। हालांकि, इंपोर्ट ड्यूटी में कटौती से गोल्ड की तस्करी का ग्राफ डाउन हुआ है।







किशोर जैन - एमयु ज्वेलर्स प्रा. लि.

खास बात यह है कि गोल्ड से इंपोर्ट ड्यूटी 6 फीसदी कम करने से सेल बढऩे से गोल्ड ज्वेलरी इंडस्ट्री में कमाई के अवसर पैदा हो रहे हैं। भारत सरकार द्वारा इंपोर्ट ड्यूटी कम करने से गोल्ड ज्वेलरी उद्योग को काफी बढ़ावा मिलेगा।







कांतिलाल सोलंकी - संगम चेन्स एन ज्वेल्स

गोल्ड के इंटरनेशनल मार्केट पर नजर डालें, तो इसके रेट्स कम होते नहीं दिखते। इजराइल व ईरान के बीच हमलों को स्थगित होने

की संभावना कम लग रही है, ऐसे में गोल्ड की कीमतों में संभवतया नरमी नहीं आएगी।






प्रविण जैन - श्री वर्धमान ज्वेलर्स

अंतर्राष्ट्रीय बाजार में व्यापक रूप से आशंका जताई जा रही है कि ईरान यदि इजरायल के खिलाफ आक्रमण शुरू करता है, तो गोल्ड में और उछाल आ सकता है और कुछ ही समय में यह 2550 डॉलर के पार भी पहुंच सकता है।




 
 
 

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