गोल्ड के लिए गोल्डन पीरियड एक कदम पीछे होकर 2025 में ही फिर दो कदम आगे बढ़ेगा गोल्ड


राकेश लोढ़ा
वैश्विक स्तर पर बेहद तेजी से जटिल होते जा रहे विभिन्न देशों के राजनीतिक तनाव, युद्ध की स्थिति तथा उससे खराब होते वित्तीय माहौल ने गोल्ड के भंडारण को बढ़ाने व प्रबंधन को पहले से कहीं अधिक मजबूत बनाने की कोशिश ने गोल्ड को एक बार फिर से प्रासंगिक बना दिया है। इसी कारण माना जा रहा है कि नए साल में बहुत तेजी से गोल्ड की कीमतें एक बार फिर से 85000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंचकर आगे 90 हजार रुपए का रुख भी कर सकती हैं। और अगर भू-राजनीतिक तनाव और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएं जारी रहती हैं तो घरेलू बाजार में ये कीमतें 95 हजार रुपये के आगे के स्तर तक भी पहुंच सकती है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले दुनिया भर के ज्यादातर देशों की मुद्रा नीति में नरम रुख और सेंट्रल बैंकों की गोल्ड की खरीद के प्रति तेजी पकडऩे की संभावना से भी गोल्ड में तेजी आने को मदद मिल रही है। नए साल में गोल्ड की कीमतों पर जानकारों की स्पष्ट राय है कि बाजार को चिंता करने की जरूरत नहीं है और तेजी तय है।
वल्र्ड गोल्ड काउंसिल के रणनीतिकारों की राय में इस साल अर्थात 2025 में गोल्ड फिर से तेजी पकड़ेगा और 2024 की बराबरी का रिटर्न भी दे सकता है। इसकी खास वजय यही है कि सेंट्रल बैंकों की 2022 की1082 टन के रिकॉर्ड उच्च स्तरीय खरीदी के बाद सन 2023 में 1037 टन सोना खरीदा था, जिसे इतिहास में दूसरी सबसे बड़ी वार्षिक खरीद बताया गया था। लेकिन उसके बाद के पिछले साल 2024 के बेरा में यही माना जा रहा है कि बहुत ऊंचे भाव होने के बावजूद दुनिया के सभी देशों के सेंट्रल बैंकों ने जबरदस्त खरीदी की, एवं गोल्ड खरीदी के मामले में पुराने इतिहास को एकदम से पलट कर रख दिया था। अब एक बार फिर से माना जा रहा है कि सन 2025 में भी वैश्विक स्तर पर विभिन्न देशों के राजनीतिक तनाव तथा वर्तमान में विकसित हो रही युद्ध की स्थिति तथा आर्थिक हालात खराब बने रहने का अनुमान है, तो गोल्ड की खरीदी भी उनको करनी ही होगी। इसी कारण, 2025 भी गोल्ड को कोफी आगे लेकर जाने वाला साल माना जा रहा है।
सन 2024 बीत गया, उस पूरे वर्ष के दौरान विभिन्न सैश्विक नेताओं की बातों पर ध्यान दें, तो अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की सत्ता आने के साथ ही आर्थिक हालात के बदलने की पूरी संभावना है। डोनाल्ड़ ट्रंप मूल रूप से राजनेता नहीं है, एक व्यापारी हैं, तथा कोई भी व्यापारी व्यापार को कभी भी खराब नहीं होने दे सकता। अमेरिका की आर्थिकी को मजबूत करते हुए दुनिया के सभी देशों पर ताकतवर बने रहने की उनकी रणनीति के तहत गोल्ड सर्र्वोपरि होगा। भारत की ही बात करें, तो भारतीय रिजर्व बैंक ने 2024 की तरह ही 2025 में भी गोल्ड की खरीद की बढ़त में तेज़ी के विपरति अपना रुख दिखाया है। बीते साल अप्रैल से सितंबर को दौरान भारतीय रिजर्व बैंक ने 32.63 टन सोना खरीदा, जिससे हमारा कुल स्वर्ण भंडार 854.73 टन हो गया है। यह महत्वपूर्ण खरीद मध्य पूर्व में बढ़ती मुद्रास्फीति और भू-राजनीतिक तनाव के बीच हुई है, जिसने 2024 में गोल्ड की कीमतों को बढ़ावा मिला। इसी तरह की सूचनात्मक और व्यावहारिक चर्चाओं और वैश्विक नेताओं के आर्थिक चिंतन को देखें, तो मक्रोइकॉनॉमिक्स, निवेश की बढ़ती प्रवृत्ति, उपभोक्ता रुझान, भू-राजनीतिक तनाव, प्रौद्योगिकी विकास, आपूर्ति श्रृंखला में कमी और बाजार पर बहुत अधिक निर्भरता जैसे कुछ खास कारणों की वजह से 2025 में गोल्ड की खरीदी दुनिया के सभी सरकारी बैंक जारी रखेंगे। सभी देशों की सेंट्रल बैंकों द्वारा रिजर्व संपत्ति के रूप में गोल्ड को ही सबसे अनुकूल रूप से देखा जा रहा है। सन 2025 के सेंट्रल बैंक गोल्ड रिजर्व के पूर्वानुमान सर्वेक्षण के अनुसार, दुनिया के लगभग 60 फीसदी सेंट्रल बैंकों ने सन 2025 के अगले बारह महीनों में अपने गोल्ड के भंडार को बढ़ाने का इरादा किया है, जो कि इस सर्वेक्षण को शुरू करने के बाद से अब तक का उच्चतम स्तर है।
वल्र्ड गोल्ड काउंसिल के मार्केट रिसर्चर्स एवं रणनीतिकारों की राय में इस साल 2025 में गोल्ड की खरीद की प्लानिंग मुख्य रूप से होल्डिंग्स बढ़ाने, घरेलू उत्पाद दरों के बढऩे और वित्तीय बाजार की खराब हो सकने वाली हालत के प्रति चिंताओं के कारण ही हो रही है, जिसमें उच्च वैश्विक संकट के जोखिम और आर्थिकी में बढ़ती मुद्रास्फीति शामिल है। गोल्ड ज्वेलरी के एक्सपोर्टर्स भी 2025 के बारे में व्यापार को लेकर काफी सकारात्मक रुख मान रहे हैं। बाजार के जानकारों का मानना है कि एक्सपोर्ट्र्स को दुनिया के प्रमुख गोल्ड मार्केट्स अमेरिका, यूके, थाइलैंड, दुबई और विशेषकर चीन में गोल्ड की मांग जबरदस्त तरीके से बढऩे की उम्मीद है। जेम एंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी) के चेयरमैन किरीट भंसाली मानते हैं कि दुनिया भर के कुछ देशों के बीच चल रहे राजनीतिक तनाव तथा युद्ध की स्थिति के कारण गोल्ड ज्वेलरी की मांग प्रभावित होने के कारण ज्वेलरी उद्योग के लिए साल 2024 भले ही बेहद चुनौतीपूर्ण रहा है। लेकिन सन 2025 में अमेरिका और चीन जैसे प्रमुख एक्सपोर्ट मार्केट्स समग्र तेजी पकड़ेंगे तथा निर्यात को फिर से नए सिरे से सकारात्मक तरीके से प्रभावित करेंगे। जीजेईपीसी के 2025 से बहुत उम्मीद है, क्योंकि इस साल की शुरूआत का उसका ज्वेलरी शो आईआईआईजेएस सिग्नेचर पहले दिन ही बेहद सफल रहा है।
दुनिया के कई सेंट्रल बैंकों की रिपोर्ट में गोल्ड के प्रभावशाली प्रदर्शन की समीक्षा को देखने पर साफ लगता है कि, आने वाले 5 साल का समय गोल्ड के लिए पिछले 5 साल से भी ज्यादा अच्छा है। इसी कारण सन 2025 के लिए गोल्ड के दृष्टिकोण का पता लगाते हैं, तो अमेरिका में ब्याज दरों में गिरावट और धीमी आर्थिक सुधार की गति के कारण गोल्ड में भले ही शुरू के तीन महीनों में मामूली वृद्धि की उम्मीद है। लेकिन जैसे जैसे वक्त बीतेगा, गोल्ड तेजी पकड़ता रहेगा तथा धीरे धीरे ही सही, लेकिन अंतत: बेहतरीन स्तर पर ऊपर पहुंचेगा। क्योंकि दुनिया भर के देशों के प्रमुख बाजारों को आकार देने वाले प्रमुख कारकों में गोल्ड ही प्रमुख धुरी है, साथ ही अमेरिकी आर्थिक नीतियां, भू-राजनीतिक अनिश्चितता और उभरते नवाचार इसे तेजी से आगे बढऩे में सपोर्ट करेंगे। इसके साथ ही अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बिटकॉइन के प्रति रुचि की वजह से उसके रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने और भारत, व चीन जैसे केंद्रीय बैंकों के गोल्ड के सबसे बड़े उपभोक्ताओं के फिर से खरीदी की ओर लौटने के साथ, यह पता लगा है कि ये रुझान आने वाले वर्ष में गोल्ड को एक अप्रत्याशित लेवल पर बेहतरीन स्थिति में स्थापित कर सकते हैं।
पिछले साल अर्थात सन 2024 में गोल्ड द्वारा निवेशकों को मिले रिटर्न पर नजर डालें, तो कुल 23 प्रतिशत रिटर्न मिला है, जिसे एक शानदार कमाई कहा जा सकता है। माना जा रहा है कि गोल्ड ने 2024 में अपने नए शिखर पर पहुंचने के साथ मजबूत प्रदर्शन किया। इस पूरे साल के दौरान घरेलू बाजार में गोल्ड में अधिकतम 28 प्रतिशत और न्यूनतम 23 प्रतिशत रिटर्न दर्ज किया गया।
30 अक्तूबर को गोल्ड ने 82,400 रुपये प्रति 10 ग्राम का अपना ऑल टाइम हाई का उच्च स्तर बनाया था। वैश्विक स्तर पर, इंटरनेशनल मार्केट में गोल्ड ने कॉमेक्स में गोल्ड वायदे ने 2024 की शुरुआत 2,062 डॉलर प्रति औंस से की थी और 31 अक्टूबर को 2,790 डॉलर प्रति औंस के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया, जिससे 28 प्रतिशत तक का रिटर्न मिला, लेकिन बाद में साल के अंत तक 2600 डॉलर प्रति औंस पर उतर गया, तो इसी कारण इससे भी आगे वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच गोल्ड का आकर्षण मजबूत हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि भू-राजनीतिक तनाव, केंद्रीय बैंकों की खरीद और प्रमुख केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दरों में कमी की ओर रुख के कारण 2025 में भी कीमती धातुएं मजबूत प्रदर्शन करेंगी। इस साल अर्थात 2025 की शुरूआत में गोल्ड इंटरनेशनल मार्केट में कॉमेक्स पर 2600 डॉलर प्रति औंस के आसपास के वैश्विक स्तर पर अरनी ठहराव की स्थिति में था, लेकिन धीरे धीरे उसके लगातार बढ़ते रहने के संकेत मिल रहे हैं।

किरीट भंसाली- चेयरमेन-जीजेईपीसी
गोल्ड की बढ़ती ताकत से उम्मीद है कि 2025 में थोड़ी सी नरमी के बावजूद इसकी मांग बढ़ेगी। भले ही रेट में तेजी 2024 जैसी न रहेगी, लेकिन 2025 में वेश्विक स्तर पर गोल्ड की डिमांड तो बढ़ ही रही है, जिससे इसकी कमाई में वृद्धि मिलेगी।

राजेश रोकडे-चेयरमेन-जीजेसी
मध्यम वर्गीय भारतीय समाज का गोल्ड का सबसे बड़ा उपभोक्ता है, जो गोल्ड ज्वेलरी की मांग को बढ़ाता रहेगा। फिर विवाह का सीजन भी आने वाला है। भारत में विवाह का सीजन ज्वेलरी बाजार को एक प्रमुख गति देनेवाला चालक बना रहेगा।

संयम मेहरा- युनिक चेन्स
वैश्विक आर्थिकी व खराब हालात के बीच उम्मीद है कि 2025 में गोल्ड की कीमतों में और वृद्धि होगी, लेकिन 1 लाख तक पहुंचने के बावजूद गोल्ड की समग्र मांग पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा। इस साल गोल्ड की डिमांड भी 2024 से बेहतर होगी।

सुरेन्द्र मेहता-सेक्रेट्री-आईबीजेए
इस साल बदलते आर्थिक परिदृश्य में उम्मीद है कि गोल्ड डबल डिजिट के रिटर्न के साथ अपनी गति को तेज बनाए रखेगा। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में गोल्ड की कीमतें कीमतें 2025 में 87 से लेकर 92 के रुपये प्रति 10 ग्राम तक बढ़ सकती हैं।
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