गोल्ड खरीद रहा है हर देशदुनिया को केवल गोल्ड से ही उम्मीद
- Aabhushan Times
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राकेश लोढ़ा
दुनिया भर के देशों की बिगड़ती अर्थव्यवस्था, जटिल भू-राजनीतिक परिस्थितियों और वित्तीय विघटन ने गोल्ड को पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक बना दिया है। लगभग सभी देशों का अपने अपने भंडार बढ़ाने के लिए गोल्ड के नए सिरे से भंडारण बढ़ाने एवं प्रबंधन मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित हो रहा हैं। 2024 में दुनिया के केंद्रीय बैंकों ने 1000 टन से ज्यादा गोल्ड खरीदा। इस वित्तीय वर्ष में अर्थात अप्रेल 2025 से मार्च 2026 में चीन, भारत, और रूस जैसे देशों के केंद्रीय बैंक और ज्यादा गोल्ड खरीद सकते हैं इसी वजह से माना जा रहा है कि 2025 में गोल्ड की डिमांड दुनिया भर में पहले से ज्यादा बढ़ेगी। इतिहास में दूसरी सबसे बड़ी वार्षिक खरीद 2022 में 1082 टन गोल्ड खरीद के रिकॉर्ड उच्च स्तर के बाद2023 में केंद्रीय बैंकों ने 1037 टन गोल्ड अपने जोड़ा। लेकिन केवल जनवरी 2025 के एक महीने में ही भारतीय रिजर्व बैंक ने 2.8 टन अर्थात 2800 किलो गोल्ड खरीदकर अपने भंडार भरने की कोशिश की है। यह अमेरिका में ट्रंप सरकार के आने का बाद से विभिन्न देशों के माल पर टैरिफ बढ़ाने की वजह से है, क्योंकि डॉलर के रेट भी लगातार ऊंचे ही हैं। केंद्रीय बैंकों द्वारा इस रिकॉर्ड गोल्ड खरीदी के बाद, समस्त संसार में सर्वाधिक सुरक्षित तथा अर्थव्यवस्था को मजबूत सहारा देने वाली आरक्षित परिसंपत्ति के रूप में गोल्ड को सबसे अनुकूल तत्व रूप से देखा जाना जारी है। ऐसे में सबसे अहम बात यह है कि जो लोग गोल्ड के सस्ता होने या रेट नीचे आने की राह देख रहे हैं, उनके सपने धरे ही रह जाएंगे, क्योंकि अंतत: तो गोल्ड के रेट को ऊपर ही जाना है। गोल्ड इंडस्ट्री के इंटरनेशनल मार्केट रिसर्चर और बड़े जानकारों का भी दावा है कि आने वाले कुछ ही महीनो में गोल्ड भारतीय बाजार में एक लाख पर ट्रेंड कर सकता है। मुंबई मार्केट के जानकार भी कह रहे हैं कि जिस तरह से गोल्ड के रेट 90 हजार पर स्थिर हो रहे हैं, तथा जनवरी 2025 के शुरू होते ही सीधे 15 फीसदी बढ़े और केवल फरवरी व मार्च महीने में 10 फीसदी बढ़े, उस हिसाब से गोल्ड की चाल में तेजी दिख रही है। सेंट्रल बैंक गोल्ड रिजर्व सर्वेक्षण के अनुसार30 फीसदी केंद्रीय बैंकों ने अगले बारह महीनों में अपने गोल्ड के भंडार को और बढ़ाने का इरादा किया है। गोल्ड के भंडार से ही किसी भी देश की उच्च संकट जोखिम और बढ़ती मुद्रास्फीति को बैलेंस किया जा सकता है। मतलब, गोल्ड ही सदा की तरह अब भी सबसे मजबूत तत्व है, जिसके माध्यम से कोई भी देश अपनी अर्थव्यवस्था एवं मुद्रास्फीति को सम्हाले रखने में सक्षम होता है।

कुल गोल्ड की मांग चौथी तिमाही में 1 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि के साथ नई तिमाही ऊंचाई पर पहुंच गई तथा 4974 टन के रिकॉर्ड वार्षिक योग में योगदान दिया। खास बात यह है कि हर देश के केंद्रीय बैंक ने काफी तेज गति से गोल्ड खरीदना जारी रखा। लगातार तीसरे वर्ष 1000 टन से अधिक गोल्ड की खरीद हुई, जो चौथी तिमाही में तेजी से बढक़र 333 टन हो गई। गोल्ड की वार्षिक प्रौद्योगिकी डिमांड भी वैश्विक स्तर पर कुल मिलाकर बढ़ोतरी पर ही रही, और सन 2024 में इसमें 21 टन अर्थात लगभग 7 फीसदी की वृद्धि हुई। हालांकि रेट बढऩे से गोल्ड ज्वेलरी की सेल में इंटरनेशनल लेवल पर गोल्ड की खपत कम रही और स्पष्ट रूप से कमी आई। ज्वेलरी में भले ही वार्षिक खपत 11 फीसदी घटकर 1877 टन रह गई, लेकिन भारत में सन 2014 में पूरे साल भर तक गोल्ड बार और कॉइन्स की मांग 2023 के अनुरूप 1186 टन रही। गोल्ड बार में निवेश बढऩे और कॉइन्स की खरीद कम होने के कारण संरचना बदल गई। ज्वेलरी के मामले में माना जा राह है कि गोल्ड के रेट बहुत ज्यादा बढऩे से खरीददार के लिए ज्वेलरी के तौर पर इसे सम्हालना तथा संजोकर रखना बेहद रिस्की हो गया है तथा महंगी होने के कारण उपभोक्ता केवल कम मात्रा में ही गोल्ड ज्वेलरी खरीद सकते हैं, या फिर लाइट वेट ज्वेलरी खरीदी ही संभव हो पा रही है। हालांकि गोल्ड भले ही ज्वेलरी के रूप में पहले से ज्यादा नहीं बिक रहा है, लेकिन फिर भी, सोने के आभूषणों पर खर्च 9 फीसदी बढक़र 144 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है। इसकी केवल यही वजह है कि इसके रेट काफी महंगे होते जा रहा है।
गोल्ड इंडस्ट्री के दिग्गजों, इंटरनेशनल मार्केट के नामी रिसर्चर्स और मार्केट स्टडी करने वाले जानकारों के भी उम्मीद है कि केंद्रीय बैंक गोल्ड खरीदी की राह पर बने रहेंगे और गोल्ड ईटीएफ निवेशक भी इस दौड़ में शामिल होंगे। हालांकि गोल्ड के रेट काफी ऊंते हो जाने के कारण गोल्ड ज्वेलरी की मांग थोड़ी दबाव में रहेगी लाइट वेट ज्वेलरी की खरीदी के साथ साथ पुरानी ज्वेलरी की रीसाइक्लिंग में और वृद्धि दिख सकती हैं। खदानों की आपूर्ति मजबूत रहने की उम्मीद है। वल्र्ड गोल्ड काउंसिल ने अपने गोल्ड आउटलुक 2025 में जो व्यापक आर्थिक पृष्ठभूमि प्रस्तुत की है, वह मोटे तौर पर बाजार की उम्मीदों के अनुरूप है, जिसमें कुछ परिवर्तन हैं, जो आंशिक रूप से केंद्रीय बैंकों द्वारा गोल्ड की आक्रामक दर खरीदी से प्रभावित होते हैं। सर्वमान्य आर्थिक अनुमानों के अनुरूप, चार प्रमुख गोल्ड सेक्टर में कुछ खास घटनाक्रम होने की संभावना है। जिनमें अमेरिका में गोल्ड की धीमी खरीदी के साथ-साथ बीच-बीच में भाव के बढऩे का जोखिम भी बना हुआ है। वहां पर ब्याज दरें धीरे-धीरे कम हो रही हैं, लेकिन यह उतार-चढ़ाव भरा सफर है, क्योंकि भारत की मुद्रा के हिसाब सेलॉग डर्म में अमेरिकी डॉलर में गिरावट की संभावना रत्ती भर भी नहीं है। गोल्ड के तेजी से बढऩे की वजह एक यह भी है कि यूरोपीय विकास कमजोर बना हुआ है, लेकिन इस साल अर्थात 2025 के उत्तरार्ध में, दूसरी और तीसरी तिमाही में कम मुद्रास्फीति और दरों से लाभ होगा साथ ही चीनी व्यापारिक विकास में कोई अतिरिक्त वृद्धि भी वहां के निर्यात को बढ़ावा दे सकती है। चीन में कमजोर आर्थिक घरेलू गतिविधियों पर नियंत्रण के उपाय जारी है और निरंतर सकारात्मक प्रोत्साहन उपायों से इसमें सुधार हो सकता है, जिससे खुदरा और संपत्ति की बिक्री में शुरुआती सुधार देखा गया है। लेकिन गोल्ड के मामले में भारत में चार वर्षों में सबसे धीमी वृद्धि देखी गई है। हालांकि यह अधिकांश क्षेत्रों से अधिक है, तथा साथ ही ब्याज दरों और मुद्रास्फीति में सराहनीय गिरावट भी देखी गई है। लेकिन गोल्ड के सस्ता होने के आसान न के बराबर माने जा रहे हैं। भारत में हम देख रहे हैं कि गोल्ड की कीमतों में मजबूती ने 2024 में ज्वेलरी की मांग को बढ़ाया, लेकिन गोल्ड को रिकॉर्ड स्तर पर भी पहुंचा दिया। लेकिन 2025 की शुरूआत बेहद हल्की रही है। गोल्ड के मामले में वैश्विक स्तर पर भारत से स्वर्ण आभूषण की डिमांड के लिए 2025 में बहुत कमजोर शुरुआत हुई, क्योंकि रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ी गोल्ड की कीमतों ने सीधे खरीददार के सामथ्र्य को प्रभावित किया। पिछले साल भी गोल्ड के रेट लगातार बढ़ रहे थे, तो गोल्ड ज्वेलरी की डिमांड में वार्षिक गिरावट आई और वार्षिक कुल मांग घटकर 1877 टन रह गई, मतलब लगभग 11 फीसदी डिमांड कम हो गई। क्योंकि गोल्ड की कीमतों में लगातार तेजी के कारण उपभोक्ताओं की खरीद क्षमता प्रभावित हुई। गोल्ड ज्वेलरी की खरीदी में कमी वैश्विक स्तर पर 11 फीसदी रही थी, लेकिन भारत के मामले में यह केवल 2 फीसदी गिरावट ही रही। क्योंकि भारतीयों को गोल्ड लुभाता है तथा महिलाएं सबसे ज्यादा तादाद में गोल्ड ज्वेलरी खरीदती हैं। गोल्ड़ ज्वेलरी की बिक्री में वैश्विक स्तर पर 11 फीसदी की गिरावट के मुकाबले भारत में सिर्फ 2 फीसदी की गिरावट ही रही, यह बेहद सुखद बात है, लेकिन विशेष रूप से चीन गोल्ड़ ज्वेलरी की बिक्री में 24 फीसदी की वार्षिक गिरावट की वहां के ज्वेलर्स के लिए बेहद चिंताजनक है।
दुनिया भर का गोल्ड बाजार फिलहाल अमेरिका में ट्रम्प प्रशासन द्वारा लगाए गए व्यापक टैरिफ के नतीजों पर केंद्रित हैं। दुनिया के लगभग सभी देशों की खराब होती अर्थव्यवस्था पूरी तरह से अमेरिकी डॉलर की मजबूती पर आधारित रही है। लेकिन यूरो बनाम अमेरिकी डॉलर की निरंतर मजबूती भी गोल्ड के महंगा होने का कारण हो सकता हैं। इसी तरह, जापानी येन में कमजोरी की संभावना कम है। बाकी सब समान होने पर, अमेरिकी असाधारणता को इन दोनों कोनों से चुनौती मिल सकती है, जिससे अमेरिकी डॉलर पर दबाव पड़ सकता है, जो गोल्ड की मौजूदा ताकत को और अधिक मजबूती दे सकता है। कुल मिलाकर बात यही है कि अप्रेल के महीने में भी गोल्ड के रेट में कोई कमी आने की संभावना कम ही है। भारत में अगर अगले महीने गोल्ड के रेट 5 फीसदी कम भी हो गए, तो आने वाले दो महीनो में फिर से 10 फीसदी तक बढ़ सकते हैं। ऐसे में गोल्ड की चमक बरकरार रहेगी और दुनिया के लगभग सभी देशों की अर्थव्यवस्था को बैलेंस करनेवाला यह मेटल अपनी चमक को और निखारता जाएगा।

चेतन थडेश्वर - श्रृंगार हाऊस ऑफ मंगलसूत्र
अमेरिका में डोन्लाड ट्रंप की सरकार सख्ती कर रही है। तीसरे वल्र्ड वॉर की बात के बीच अमेरिका में दूसरे देशों से आने वाले सामान पर ज्यादा टैरिफ लगाने से ट्रेड वॉर के हालात हैं। इस कारण भी गोल्ड के सस्ता होने के आसार तो कतई नहीं है।

धीरज मेहता- एम मेहता एण्ड सन्स
वैश्विक स्तर पर सेंट्रल बैंकों ने गोल्ड की खरीदी बढ़ाई है, क्योंकि वैश्विक हालात खराब हो रहे हैं। गोल्ड के रेट नीचे आना संभव ही नहीं है, क्योंकि स्वयं डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेन के राष्ट्रपति से कहा था कि तीसरा विश्व युद्ध के हालात बन रहे हैं।

नारायण शेठ- एस के सेठ कंपनी
किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को बनाए रखने में गोल्ड ही सबसे अहम तत्व है। फिर खनन उत्पादन और पुराने गोल्ड की रिसाइकलिंग, दोनों में कमी ने गोल्ड की कुल आपूर्ति की कमी में योगदान दिया, इसी कारण रेट भी तेजी से बढ़े हैं।

अश्विन शाह - अंसा ज्वेलर्स प्रा. लि.
गोल्ड सबसे बहुमूल्य मेटल है जिसे दुनिया भर में लोग खास तौर से आर्थिक कारणों से खरीदते हैं, जो अक्सर अपने अपने देश के सामाजिक व सांस्कृतिक हालातों तथा बाजार की परिस्थितियों से प्रभावित होते हैं, इसीलिए गोल्ड के रेट कम होना संभव नहीं होता।
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