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गोल्ड में तेजी का बाजारवैश्विक आर्थिकी, युद्ध के हालात और डॉलर व बैंक रेट्स के कारण








- राकेश लोढ़ा


भारत सरकार द्वारा गोल्ड पर से इंपोर्ट ड्यूटी कम करने के बावजूद गोल्ड की बढ़ती कीमतों में हालिया तेजी पर सबकी नजर है। आने वाले समय में गोल्ड के रेट्स के संभावित रूप से 1 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम तक0020पहुंचने के आसार माने जा रहे हैं। विभिन्न वैश्विक और स्थानीय कारकों पर निर्भर करता है कि गोल्ड के रेट्स कहां तक जाएंगे। लेकिन गोल्ड के रेट्स ऐतिहासिक रूप से वैश्विक आर्थिक, राजनीतिक, और वित्तीय स्थितियों से प्रभावित होते रहे हैं। वर्तमान में दुनिया भर के जो हालात हैं, उनमें से प्रमुख वैश्विक कारण ज्यादा अहम हैं, जो गोल्ड के रेट्स में इस तेजी का कारण बन सकते हैं। वैसे, यह भी सही है कि भारत सरकार ने गोल्ड से 9 फीसदी इंपोर्ट ड्य़ूटी कम नहीं की होती, तो वर्तमान में गोल्ड के जो रेट्स हैं, उनके हिसाब से आज गोल्ड के रेट्स 80 हजार के पार होते। इसी को मद्दे नजर रखते हुआ माना जा रहा है कि गोल्ड में तेजी बरकरार रहेगी और अगर जल्दी ही 1 लाख का आंकड़ा छू लिया, तू तो और भी तेजी रहेगी, क्योंकि जब बड़े पैमाने पर गोल्ड में निवेश बढ़ता हैं, तो उससे गोल्ड के रेट्स ऊपर की ओर जाते हैं। गोल्ड के रेट्स जब उपर की ओर जाते हैं, तो खरीददीरों पर मनोवैज्ञानिक दबाव भी बढ़ता है कि गोल्ड कहीं और महंगा ना हो जाए, उस डर से खरीददारी और होती है। यदि गोल्ड के रेट्स महत्वपूर्ण मनोवैज्ञानिक सीमा, जैसे 1 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम के करीब पहुँचते हैं, तो गोल्ड निवेशकों को और अधिक आकर्षित कर सकता है, जिससे कीमतों में और तेजी आ सकती है।


दुनिया भर के देशों के प्रोद्योगिकी क्षेत्रों में पिछले साल अर्थात 2023 में गोल्ड की डिमांड में वृद्धि जारी रही थी, जो लगभग 11 प्रतिशत बढ़ी, जिसका मुख्य कारण इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में एआई बूम माना गया। लेकिन इस साल यह बढ़ोतरी 14 प्रतिशत की वृद्धि दर पर देखी जा रही है। उधर, गोल्ड की कुल आपूर्ति में साल-दर-साल 4 प्रतिशत की वृद्धि हुई,  खदानों में गोल्ड का उत्पादन 929 टन हो गया था। जिसके इस साल कम होने के आसार हैं, तो इसका असर भी कीमतों पर ही रहेगा। फिर, ओटीसी की बढ़ती मांग, केंद्रीय बैंकों की ओर से निरंतर खरीद और ईटीएफ निकासी में कमी के कारण दूसरी तिमाही में गोल्ड के रेट्स रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गईं। गोल्ड के रेट्स 2525 अमेरिकी डॉलर प्रति औंस के आस पास ट्रेंड करते रहे हैं, जो कि पिछले साल की तुलना में काफी ज्यादा है। ।वैश्विक स्तर पर केंद्रीय बैंकों और संस्थानों ने वैश्विक गोल्ड होल्डिंग्स में 183 टन की वृद्धि की, जो साल-दर-साल 6 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाती है। गोल्ड रिजर्व के संचालकों का मानना है कि अगले 12 महीनों में गोल्ड आवंटन में वृद्धि जारी रहेगी, जो एक जटिल आर्थिक हालात और वैशिवक स्तर पर बिगड़ते राजनीतिक वातावरण में गोल्ड के रेट्स को बढ़ते रहने में सहायक सिद्ध होंगे। वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता ने गोल्ड के रेट्स में तेजी ला दी है। फिलहाल भले ही गोल्ड 75 हजार के नीचे ही चल रहा है, लेकिन इंपोर्ट ड्यूटी के कम होने का भार कम नहीं होता, तो गोल्ड तो कब का 80 हजार के पार पहुंच गया होता। वैसे, देखा जाए, तो दुनिया भर में बढ़ती मुद्रास्फीति ने निवेशकों को सोने की ओर आकर्षित किया है, क्योंकि इसे मुद्रास्फीति के खिलाफ एक सुरक्षित निवेश माना जाता है। खासकर अमेरिका और यूरोप में बढ़ती मुद्रास्फीति ने सोने की मांग को बढ़ाया है। उसके साथ ही वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी के संकेत की वजह से निवेशकों ने आमतौर पर अधिक स्थिर और सुरक्षित निवेश विकल्पों की ओर रुख किया हैं, जिनमें गोल्ड सबसे प्रमुख है। इस कारण भी ऐसे समय में गोल्ड के रेट्स तेजी से बढ़ सकते हैं। इसके साथ ही गोल्ड के रेट्स बढऩे में ब्याज दरों का प्रभाव भी जबरदस्त रहा है। दुनिया भर के देशों सहित खास तौर पर अमेरिका में केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दरों में बदलाव का भी गोल्ड के रेट्स पर सीधा असर पड़ा है। यदि ब्याज दरें कम ही रहती हैं, तो गोल्ड के रेट्स और बढ़ सकते हैं।  क्योंकि अन्य निवेशों की तुलना में सोने का आकर्षण बढ़ जाता है।


गोल्ड के रेट्स बढऩे का एक और कारण है - भू-राजनीतिक तनाव अर्थात युद्ध और संघर्ष के अलावा अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक तनाव भी एक बड़ा कारण है। अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध, और अन्य देशों के बीच व्यापारिक और राजनीतिक संघर्ष भी सोने की कीमतों को प्रभावित कर सकते हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध के चल रहे टुद्ध के अलावा लेबनान, फिलस्तीन और ईरान जैसे तीन ताकतवर देशों के साथ इजराइल का युद्ध का भार झेल पाना बेहद मुश्किल है। इन भू-राजनीतिक तनावों ने गोल्ड के निवेशकों और खरीददार देशों के बीच असुरक्षा की भावना को बढ़ा दिया है। ऐसे में गोल्ड की डिमांड का बढऩा जब तय है, तो गोल्ड के रेट्स में तेजी भी तय है है।


डॉलर और गोल्ड का चोली दामन का साथ है। गोल्ड के रेट्स आमतौर पर अमेरिकी डॉलर के साथ विपरीत दिशा में चलते हैं। जब डॉलर कमजोर होता है, तो गोल्ड के रेट्स बढ़ जाते हैं क्योंकि अन्य मुद्राओं में गोल्ड सस्ता हो जाता है, जिससे इसकी वैश्विक डिमांड बढ़ती है। ऐसे में फेडरल रिजर्व की नीतियों की भूमिका बड़ी महत्वपूर्ण हो जाती है। यदि अमेरिकी फेडरल रिजर्व अपनी मौद्रिक नीति में ढील देता है या डॉलर की आपूर्ति बढ़ाता है, तो डॉलर की कमजोरी और गोल्ड के रेट्स में वृद्धि हो सकती है। इसके अलावा गोल्ड की वैश्विक डिमांड तो वैसे भी सदा बढ़ती ही रही है। विशेष रूप से चीन और भारत जैसे देशों में गोल्ड की डिमांड बढऩे से भी गोल्ड के रेट्स पर दबाव पड़ेगा। इन दोनों ही देशों में गोल्ड सांस्कृतिक, सामाजिक और धार्मिक महत्व रखता है, और आर्थिक अस्थिरता के समय निवेशकों के लिए भी सुरक्षित आश्रय देता है। फिर, कई देशों के केंद्रीय बैंक अपने मुद्रा भंडार में गोल्ड शामिल करने की तैयारी में हैं। दुनिया भर के कई केंद्रीय बैंक मौद्रिक विस्तार की नीतियों का पालन कर रहे हैं, जो गोल्ड के रेट्स में वृद्धि का कारण बन सकते हैं, क्योंकि मुद्राओं के मूल्य में गिरावट आने पर भी गोल्ड का आकर्षण बढ़ता है। यदि केंद्रीय बैंक बड़ी मात्रा में गोल्ड की खरीदारी करते हैं, तो इसकी वैश्विक मांग बढ़ सकती है, जिससे गोल्ड के रेट्स में तेजी पक्की है। यह भी माना जा रहा है कि वैश्विक हालातों के बीच गोल्ड के खनन और उत्पादन में कमी भी आ सकती है। अगर ऐसा होता है, तब तो गोल्ड की आपूर्ति में गिरावट आने से गोल्ड के रेट्स और तेजी से बढ़ सकते हैं। गोल्ड के रेट्स में इस तरह से हम विश्लेषण करें, तो हालिया तेजी और लगभग 80 हजार के आसपास पहुंचने की स्थिति के बाद सीधे इसके 1 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंचने की संभावना विभिन्न वैश्विक आर्थिक, राजनीतिक, और वित्तीय कारणों का परिणाम है। मुद्रास्फीति, वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता, भू-राजनीतिक तनाव, और निवेशकों की बढ़ती मांग ने गोल्ड को एक सुरक्षित आश्रय के रूप में मजबूत किया है। यदि वर्तमान प्रवृत्तियां जारी रहती हैं, तो गोल्ड के रेट्स और भी ऊंचाइयों तक पहुंच सकते हैं। हालांकि, गोल्ड के बाजार में अस्थिरता भी बनी रहती है, लेकिन वैश्विक स्तर पर जो हालात हैं, उनके हिसाब से गोल्ड का सस्ता होना तो दिवास्वप्न ही है, बल्कि 80 हजार पर लंबे समय तक ठहर जाए, इसकी भी कोई संभावना कतई नहीं है।







मोहनलाल शेठ - एस के शेठ ज्वेलर्स

वैश्विक स्तर पर गोल्ड की डिमांड लगातार बढ़ रही है।  लेकिन खनन अगर कम होता है, तो गोल्ड के रेट्स सबसे ज्यादा तेजी से रेट्स बढ़ेंगे। पिछले साल गोल्ड का खनन कुछ कम रहा, तो भी रेट्स 75 हजार के पार चल रहे हैं, तो और कम होगा, तो क्या होगा, अंदाज लगा सकते हैं।







दिनेश जैन - समृद्धि ज्वेलक्राफ्ट प्रा. लि.

गोल्ड की रिकॉर्ड उच्च कीमतों के बावजूद दुनिया भर के देशों में गोल्ड ज्वेलरी की डिमांड में वर्ष-दर-वर्ष की तरह इस साल भी बढ़ोतरी ही दर्ज की जा रही है।  इसी से हमें समझना होगा कि गोल्ड के रेट्स अगर 80 हजार से और आगे की तरफ बढ़ते भी है, तो खरीदी कम नहीं होगी।








हसमुख राणावत - संघवी धनरूपजी देवाजी एण्ड कं.

गोल्ड की रिसाइकलिंग में पिछले साल 4  की वृद्धि दर्ज हुई, जो इस साल कम होगी, ऐसा माना जा रहा है। इसी से समझना चाहिए कि लोग पुरानी ज्वेलरी गला कर नई  बनाने अर्थात गोल्ड की रिसाइकलिंग के बजाय नया गोल्ड खरीदने में ज्यादा लगे हैं, तो रेट्स कहां से कम होंगे।








अजीत जैन - माणक ज्वेलर्स प्रा. लि.

गोल्ड की वैश्विक खरीद के लिए केंद्रीय बैंकों की मजबूत डिमांड गोल्ड के बढ़ते रेट्स को समर्थन दे रही है।  ऐसे में, गोल्ड के  80 हजार से और आगे भी जाने में कोई बड़ी चुनौतियां नहीं दिख रही हैं, लेकिन वैश्विक तनाव के हालात गोल्ड को 1 लाख पार ले जाते हुए भी दिख रहे हैं।



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