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गोल्ड में तेजी बरकरारदुनिया भर के देश लगातार खरीद रहे हैं गोल्ड

Aabhushan Times



राकेश लोढ़ा गोल्ड की कीमतें नए रिकॉर्ड बना रही है। भारत में गोल्ड की कीमतें 90 हजार का आंकड़ा छूते - छूते मार्च महीने के पहले दिन थोड़े सी नीचे आ गए है । हालांकि फरवरी महीने में गोल्ड के रेट केवल एक महीने में ही 10 प्रतिशत से भी ज्यादा बढ़ गए। उधर, डॉलर के मुकाबले रुपया गिरता जा रहा है, तो दुनिया भर के देशों के विभिन्न सेंट्रल बैंक गोल्ड की खरीदी करते जा रहे हैं। भारत भी ताबड़तोड़ बड़े पैमाने पर गोल्ड की खरीदारी कर रहा है।रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया दुनिया भर के देशों की तरह ही अपने गोल्ड का भंडार बढ़ा रहा हैं। खास बात यह है कि भारत न केवल गोल्ड की नई खरीद कर रहा है, बल्कि विदेशों में जमा अपना गोल्ड वापस भी ला रहा है। गोल्ड के रेट लगातार बढऩे के पीछे अमेरिकी अर्थव्यवस्था में बढ़ रही महंगाई सबसे बड़ा कारण है। जनवरी 2025 की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ अमेरिका में महंगाई दर 3.1 प्रतिशत है, ये अमेरिकी फ़ेडरल रिज़र्व के 2 प्रतिशत के लक्ष्य से डेढ़ गुना से भी अधिक है। इस वजह से भी गोल्ड के रेट्स बढऩे को एक कारण माना जा रहा है। फिर, गोल्ड के रेट अगर इसी तेजी से बढ़ते रहे, तो साल के अंत तक 1 लाख का आंकड़ा तो पार कर ही सकते हैं।


दुनियाभर में गोल्ड के रेट लंदन बुलियन मार्केट से तय होते हैं। लंदन बुलियन मार्केट पूरी दुनिया में गोल्ड के लेन - देन का प्रीमियर प्लेटफार्म माना जाता है, तथा दुनिया में गोल्ड का खनन करने वाले लगभग सभी बड़े कारोबारी और गोल्ड प्यूरीफाई करने वाले उद्योगपति भी लंदन बुलियन मार्केट से ही जुड़े हैं। अब लंदन बुलियन मार्केट में तहलका मचा हुआ है कि वैश्विक स्तर पर सभी बाज़ारों में गोल्ड के रेट ऊपर जा रहे हैं, जिसका असर अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर भी साफ दिख रहा है। उन विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्था, जो पहले से ही खराब है, उनको और खराब होने की जानकारी होने के कारण हर देश गोल्ड की खरीदी में लगा हुआ है। दुनिया भर के देशों की खरीदी के कारण ही गोल्ड के रेट्स में बढ़ोतरी हो रही है। वैसे, गोल्ड के रेट्स में बढ़ोतरी का बीते 5 साल का रिकॉर्ड देखें, तो जून 2020 में भारत में गोल्ड के रेट 45 हजार रुपए प्रति 10 ग्राम के आसपास थे, जो अब लगभग 90 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम के आसपास पहुंच चुके है। जून 2020 में दुनिया में गोल्ड के रेट में उससे पहले के आठ सालों में सबसे अधिक रिकॉर्ड बढ़ोतरी दर्ज की गई थी। लेकिन हाल ही में जनवरी में थोड़े बढ़े तो फरवरी 2025 में ही गोल्ड के रेट 10 हजार रुपए प्रति 10 ग्राम तक बढ़े हैं, जो अब तक की सबसे रिकॉर्ड तेजी कहा जा रहा है। वैसे फरवरी खत्म होते होते दो हजार तक रेट नीचे भी आ गए, लेकिन बहुत ज्यादा गिरने होने के चांस कम ही है।


सिर्फ भारत ही नहीं ग्लोबल लेवल पर, केंद्रीय बैंकों ने 2024 में तेजी से ही गोल्ड खरीदना जारी रखा। लगातार तीसरे वर्ष विभिन्न देशों द्वारा 1 हजार टन से अधिक गोल्ड की खरीदारी की गई है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने भी अपना गोल्ड का भंडार बढ़ाते हुए अपनी करेंसी की अस्थिरता को संतुलित करने की कोशिश की है। इसके साथ ही गोल्ड रिजर्व से दुनिया के सभी देशों को रीवैल्यूएशन से अपने आप को बचाने में भी मदद मिली है। खास बात यह है किडॉलर के मुकाबले रुपये का लगातार कमजोर होते जाना और मिडिल ईस्ट देशों सहित र रूस-यूक्रेन वॉर के कारण भी गोल्ड को दुनिया के सभी देशों में सुरक्षित निवेश के तौर पर देखा जा रहा है। उधर, अमेरिका में आयात होने वाली चीजों पर चैरिफ के मामले में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा बराबर की नीति घोषित किए जाने के बाद भी गोल्ड की कीमतों में बेतहाशा बढोतरी हुई है।


वल्र्ड गोल्ड काउंसिल की हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में दी गई जानकारी के अनुसार, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने नवंबर 2024 में और आठ टन अर्थात 8 हजार किलो गोल्ड खरीदा। दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों ने नवंबर महीने के दौरान 53 टन गोल्ड की सामूहिक खरीदी जारी रखी थी। अमेरिका में राष्ट्रपति के चुनाव के बाद नवंबर के दौरान गोल्ड की कीमतों में थोड़ी सी गिरावट ने सेंट्रल बैंकों को गोल्ड जमा करने के लिए प्रोत्साहित किया।रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया भी दूसरे देशों के केंद्रीय बैंकों की तरह, सुरक्षित संपत्ति के रूप में गोल्ड खरीद रहा है। भारत न केवल गोल्ड खरीद रहा है, बल्कि विदेशों में जमा अपना गोल्ड वापस भी ला रहा है।रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का गोल्ड भंडार 883 टन पर पहुंच गया है, जिसमें से 510 टन गोल्ड देश में मौजूद है। बीते साल आरबीआई ने लंदन में बैंक ऑफ इंग्लैंड के वॉल्ट से 102 टन गोल्ड वापस भारत मंगवाया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सितंबर 2022 के बाद से, अब तक कुल 2 लाख 14 हजार किलो गोल्ड देश में वापस लाया जा चुका है। भारत सालाना लगभग 800 टन गोल्ड का एक्सपोर्ट करता है। हमारा देश स्विटजऱलैंड, दक्षिण अफ्रीका और दुबई जैसे देशों से गोल्ड का सर्वाधिक इंपोर्ट करता है। पिछले साल 2024 में भी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने करीब 73 टन गोल्ड खरीदा था। वल्र्ड गोल्ड काउंसिल के आंकड़े देखें, तो पिछले साल की भारत की गोल्ड खरीदी का 73 टन का ये आंकड़ा हमारे पड़ोसी देश चीन के मुकाबले डबल से भी ज्यादा है। हालांकि, चीन हमसे ज्यादा मजबूत अर्थव्यवस्था माना जाता है।


गोल्ड के लगातार बढ़ते रेट, दुनिया भर के देशों की खरीदी और आर्थिक हालात के बाच सभी की जुबान पर असली सवाल ये हैं कि आखिर दुनिया भर के देशों सहित रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया भी बड़े गोल्ड खरीद क्यों रहा है?  एक सवाल यह भी है कि सरकार द्वारा ये गोल्ड का भंडार क्यों किया जा रहा है? इसका जवाब यही है कि दुनिया के सभी देशों में अपना गोल्ड स्टॉक बढ़ाने का रिवाज पुराना है। हर किसी देश द्वारा गोल्ड का रिजर्व स्टॉक अपने पास रखने की रणनीति के पीछे काफी मजबूत कारण होते हैं। जिनमें, अहम कारण है दुनिया के विभिन्न देशों के बीच राजनीतिक तनावों से उत्पन्न अनिश्चितता के समय में अपने अपने देश की मुद्रास्फीति का संतुलन बनाए रखने और विदेशी मुद्रा के बढ़ते रेट के जोखिमों को कम करने का है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा नई टैरिफ घोषणाओं की वजह से वैश्विक स्तर पर ट्रेड वॉर की आशंकाएं बढ़ती जा रही है। आर्थिक जगत में माना जा रहा है कि ट्रेड वॉर की स्थिति में भारत भी इससे अछूता नहीं रह पाएगा। आर्थिक और भूराजनीतिक उथल-पुथल के दौरान गोल्ड एक सेफ इंवेस्टमेंट के रूप में देखा जाता है।


डॉलर एक तरह से मजबूत करेंसी है। 2007 से 2009 के बीच आर्थिक मंदी के दौरान डॉलर तेज हो गया था लेकिन अन्य करेंसी गिर गई थी। डॉलर और गोल्ड के बारे में माना जाता है कि ये कभी नहीं गिरेंगे। गोल्ड के एक्सपर्ट कहते हैं कि ड़ॉलर के सामने रुपये में गिरावट बढ़ती ही रहेगी, तो लोग डॉलर और गोल्ड की तरफ बढ़ेंगे। डॉलर इंडेक्स में भी तेज़ी है और हाल ही में ये 109 के मार्क को भी पार कर गया है। यानी डॉलर का भाव गोल्ड समेत पूरे कमोडिटी बाज़ार पर असर डाल रहा है। भारतीय रुपए की खास बात यह है कि रुपया अन्य देशों की मुद्रा के मुकाबले नहीं, बल्कि डॉलर के मुकाबले ही गिरा है। पाउंड और अन्य दूसरी करेंसी के मुकाबले रुपये बिल्कुल नहीं गिरा है। ऐसे में गोल्ड भंडारण बढ़ाने से भारत अपने रुपए में डॉलर के रेट का नुकसान बचा रहा है।


वर्तमान में गोल्ड के जो रेट भारतीय मार्केट में बढ़ रहे हैं, उसका एक सहायक कारण यह भी है कि भारत में लोग बड़ी तादाद में गोल्ड खऱीद रहे हैं। क्योंकि एक तो बैंकों में रुपया जमा कराने पर ब्याज़ बेहद कम मिलता है, फिक्स डिपोजिट में भी 6.5 फीसदी से ज्यादा ब्याज नहीं मिलता। उस पर भी इन्कम टैक्स कट जाता है। दूसरा एक और भी कारण है कि हाल ही में बैंकों के दिवालिया हो जाने की घटनाओं ने भी बहुत से लोगों को गोल्ड में निवेश को प्रेरित कियाहैं। भारतीय मार्केट में इस वजह से भी गोल्ड की डिमांड बढ़ रही है। अंतरराष्ट्रीय वित्तीय कंपनियों के विभिन्न अनुमानों के अनुसार आने वाले वक्त में गोल्ड के रेट्स अभी और बढ़ सकते हैं। फिर, अमेरिका में फ़ेडरल रिज़र्व के ब्याज़ दर को लेकर भी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फ़ैसले का इंतज़ार है। अमेरिकी मुद्रा की वजह से वैश्विकस्तर पर होने वाले भूराजनैतिक बदलावों का गोल्ड के रेट पर सीधा असर होगा, और वहां फिर महंगाई दर बढ़ी तो गोल्ड के रेट और भी तेजी से बढ़ेंगे। माना जा रहा है कि इस साल 2025 में लगभग हर महीने गोल्ड के दाम और बढ़ते रहेंगे और थोड़ा बहुत नीचे उतर कर फिर से ऊपर ही जाएंगे और साल के अंत तक ही ये 1 लाख रुपए प्रति 10 ग्राम का आंकड़ा छू सकते हैं, क्योंकि वैश्विक स्तर पर गोल्ड के दान गिरने की कोई स्थिति बन ही नहीं रही है।


डॉ चेतन मेहता - लक्ष्मी डायमंड-बैंगलुरू

इंटरनेशनल मार्केट में अमेरिकी डॉलर की तुलना में भारतीय रुपये की क़ीमत गिर रही है। फिर गोल्ड लिए भारत गी नहीं पूरी दुनिया के ज्यादातर देश पूरी तरह से आयात पर निर्भर है, और जाहिर है कि जब डॉलर की क़ीमत बढ़ती है तो गोल्ड के दाम भी बढऩे लगते हैं, क्योंकि डॉलर की कीमत ज्यादा रुपए में चुकानी पड़ती हैं।





पोपटलाल संघवी - पायल गोल्ड


मोदी सरकार की ओर से गोल्ड पर से इंपोर्ट ड्यूटी 15 फीसदी में से 9 फीसदी कम की गई है, तो गोल्ड थोड़ा सस्ता है, वरना तो गोल्ड के आज के रेट में आज के भाव के मुकाबले 8 हजार रुपए और ज्यादा महंगा होता, मतलब 96 हजार रुपए तो हो गया होता।







रमण सोलंकी - संगम हाऊस ऑफ गोल्ड

दुनिया के विभिन्न देश अपनी अर्थव्यवस्था को ताकत देने के लिए गोल्ड खरीद रहे हैं। अर्थव्यवस्था पैसों का प्रवाह बढ़ रहा है। लोगों के पास ज्यादा धन आ रहा है। नतीजा यह है कि गोल्ड को सुरक्षित व फायदेमंद मानकर उसे ही खरीदा जा रहा है, तो कीमत भी बढ़ेगी ही।







रमेश राणावत - एस एस जेम्स

इंटरनेशनल लेवल पर डॉलर की तुलना में रुपये की कीमत गिर रही है। भारत गोल्ड के मामले में पूरी तरह ड़लर में खरीदी पर निर्भर है। डॉलर महंगा होने से हमें गोल्ड की खरीदी के लिए ज्यादा रुपयों का भुगतान करना पड़ रहा है। इसके कारण भी गोल्ड महंगा हो रहा है।

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