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गोल्ड व सिल्वर का उतार चढ़ावदूसरे देशों की अस्थिरता के असर से रेट्स के इंडेक्स पर सबकी नजर









राकेश लोढ़ा


गोल्ड व सिल्वर पर सबकी नजर है, वे सितंबर महीने के आखरी सप्ताह में इन दोनों बेस मेटल्स के रेट्स थोड़े से नीचे उतरे, तो बाजार ठंडे पड़ गए ज्वेलरी के शो रूम्स में पहले सी रौनक ठप पड़ गई तथा ज्वेलर्स के चेहरों की रौनक ने स्थिरता का रूख कर लिया। कारण था कि ज्वेलरी के सामान्य खरीददारों ने खरीदी बंद कर दी, वे इंतजार करने लगे कि रेट्स और गिरेंगे, तथा जब कम हो जाएंगे, तब खरीदी करेंगे। गोल्ड व सिल्वर के सामान्य खरीददारों को लगने लगा था कि पिछले कुछ दिनों से नीचे गिरते जा रहे दोनों बेस मेटल्स के रेट्स थोड़े और नीचे उतरेंगे तब खरीदी करेंगे, इस कारण श्राद्ध पक्ष से पहले गणेशोत्सव के आसपास ज्वेलरी की खरीदी का मौसम चलता है, तभी अचानक से माहौल शांत हो गया। ऐसे में ज्वेलर्स की सांसे सूखने लगी, लेकिन श्राद्ध पक्ष में तो वैसे भी खरीदी नहीं होती, तथा इसी दोर में रेट्स गिरे, तो बाजार ने राहत की सांस ली, तथा अक्टूबर के दूसरे सप्ताह की शुरूआत में अजराइल पर हमले के कारण दोनों बेस मेटल्स के रेट्स ने जब फिर से तेजी पकड़ी तो चेहरे खिलने लगे। हालांकि पिछले अनेक सालों का इतिहास खंगालें, तो सभी जानते हैं कि आकर्षक ज्वेलरी के निर्माण में देश की सबसे ज्यादा लगने वाले गोल्ड व ज्वेलरी के साथ साथ विभिन्न उपय़ोगों में आने वाले सिल्वर के रेट्स कभी स्थिर नहीं रहते। दोनों के रेट्स दिन में कई कई बार घटते बढ़ते रहते हैं, तथा इतिहास देखें, तो इन दोनों के मामले में ऐसा होता रहा है कि कभी कुछ दिन के लिए घटने के बाद फिर से बढ़ जाते हैं। वर्तमान में भी ऐसा ही हो रहा है। सभी जानते हैं कि दोनों बेस मेटल्स के रेट्स कुछ वक्त के लिए स्थिर भी रहते हैं, तभी ग्राहकी ज्यादा चलती है। देश भर के बाजारों में वर्तमान में भी यही सब देखने को मिल रहा है, क्योंकि इंटरनेशनल लेवल पर अस्थिरता बढ़ रही है। हालांकि दुनिया के कई देशों की अर्थव्यवस्था भले ही सुधर रही है, लेकिन रूस - यूक्रेन तथा इजराइल - हम्मास के युद्ध के कारण कई देश अचानक सतर्क और सावधान हो रहे हैं। गोल्ड व सिल्वर इसी कारण पंद्रह दिन की नरमी के बाद फिर से सुधार की तरफ बढ़ रहे हैं।


गोल्ड 62 हजार से भी उपर के टॉप लेवल पर पहुंचने के बाद पिछले दो महीने में नीचे उतरना शुरू हुआ तो धीरे धीरे थोड़ा थोड़ा सा उतरता ही गया और 58 हजार तक उतर गया। बुलियन बाजार के जानकारों को गोल्ड के इससे नीचे उतरने की गुजाइश कम ही लग रही थी, क्योंकि दुनिया भर के कई देशों की अर्थव्यवस्था के स्थिर हो जाने तथा बैंक की ब्याज दरों तथा मुद्रास्फीति के इंडेक्स के हिसाब से गोल्ड के रेट्स का यही बेस लग रहा था। सभी मान कर चल रहे थे कि यहीं से गोल्ड फिर से आगे बढ़ेगा, भले ही कुछ दिनों के लिए यह स्थिर रह सकता है। लेकिन अंतत: तेजी ही पडऩा इसकी नियती है। इस बीच अक्टूबर की शुरूआत में ही इजरायल और हमास के बीच शुरू हुए युद्ध का असर सीधे तौर पर गोल्ड की कीमतों पर दिखना शुरू हुआ तथा पहले सप्ताह के दूसरे कारोबारी दिन के शुरुआती दौर में ही गोल्ड के रेट्स में बढ़त दर्ज की गई, तो ज्वेलर्स के चेहरे फिर से खिल उठे। अंतरराष्ट्रीय बाजार में गोल्ड के रेट्स के उतार चढ़ाव की बात करें तो इस दिन एक हफ्ते के सबसे ऊपरी स्तर तक गोल्ड पहुंच गया और उस दिन 0.2 फीसदी की बढ़त के साथ 1,864.39 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रहा था।


इजरायल और हमास के बीच युद्ध शुरू होने के बाद से गोल्ड के रेट्स में 1.6 फीसदी की जबरदस्त बढ़ोतरी दर्ज की गई तथा सबसे ज्यादा ध्यान देने वाली बात यह है कि पिछले 5 महीनों में गोल्ड के रेट्स में यह सबसे बड़ी उछाल रही। अंतरराष्ट्रीय बाजार के इकॉनमी एक्सपर्ट्स का यह मानना है कि मध्य पूर्व में शुरू हुए इस संघर्ष से दुनिया भर के देशों में तेल की सप्लाई सीधे तौर पर प्रभावित हो सकती हैं, साथ ही इस वजह से बढ़ते गोल्ड के रेट्स के कारण भारतीय निवेशक अपनी रकम के सुरक्षित निवेश के रूप में गोल्ड में बड़े पैमाने पर निवेश कर सकते हैं तथा उसके प्रभाव के रूप में पढऩे वाले गोल्ड के रेट्स पर असर के कारण तथा इसके साथ ही ज्यादा डिमांड का असर गोल्ड के रेट्स पर दिख सकता है। इसका मतलब यही है कि आने वाले दिनों में गोल्ड फिर से बढ़ेगा, जैसा कि ज्वेलर्स भी मान कर चल रहे हैं।


सिल्वर के रेट्स भी फिर से बढ़ोतरी का रास्ता अख्तियार कर रहे हैं। इंटरनेशनल मार्केट में सिल्वर के रेट्स की बात करें तो इजरायल पर हमास के मिसाइल हमले से ही सिल्वर के रेट्स में तेजी आई और जैसे ही इसे इजराइल ने युद्ध की घोषणा बताया, तो उसके बाद से गोल्ड के रेट्स के साथ साथ सिल्वर ने भी तेजी पकड़ी और हमले के पहले ही दिन 0.2 फीसदी की तेजी के साथ सिल्वर के रेट्स 21.94 डॉलर प्रति औंस के स्तर पर पहुंच गए। इजरायल और हमास के युद्ध शुरू होने के बाद जब मार्केट खुला तो सिल्वर के रेट्स में थोड़ी सी बढ़ोतरी दर्ज की गई है, लेकिन खास बात यह है कि यह उछाल सिल्वर के भविष्य का संकेत है। कुछ महीनों पहले माना जा रहा था कि इस साल के अंत तक सिल्वर 80 हजार तक भी जा सकता है, लेकिन नीचे उतार की तरफ गिरना शुरू हुआ, तो एक्सपर्ट्स का यह मानना था कि यह गिरावट अस्थायी है। अब दुनिया के कई देशों में औद्योगिक तेजी का माहौल बन रहा है, तथा उत्पादन स्पीड पकडऩे लगा है, तो सिल्वर के रेट्स बढऩे ही है। इस बीच मिडिल ईस्ट देशों में ताजा संघर्ष का असर पूरू दुनिया में तेल की सप्लाई पर भी पडऩा तय माना जा रहा है जिससे कई तेल आधारित देशों की अर्थव्यवस्था पर सीधा असर पडेगा, तथा दुनिया भर के निवेश गुरू उसका केवल एक ही रास्ता बता रहे हैं कि निवेश को बढ़ावा दिया जाए। निवेश गुरू सलाह देने लगे हैं कि इस संकट के हालात से मुक्ति पाने के लिए निवेशक सुरक्षित निवेश के रूप में निवेश करें तो बेहतर रहेगा। हमारे देश में सुरक्षित निवेश केवल गोल्ड व सिल्वर ही माने जाते हैं, अत: ज्यादातर लोग इन्हीं में निवेश करने की शुरूआत कर चुके हैं, इस वजह से भी सिल्वर की डिमांड बढऩे लगी है, तथा इसकी की कीमतों में बढ़ेतरी का रास्ता दिख सकता है।







कुछ दिन भाव नीचे जाने के बाद फिर से सुधार है। इस साल गोल्ड में अच्छी तेजी के संकेत हैं। इस साल 2023 में सोना 65,000 और सिल्वर 75,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक जा सकते हैं। मेरा मानना है कि गोल्ड कभी सस्ता नहीं होता।








अगले साल गोल्ड की चमक और तेज होगी। ब्याज रेट को लेकर अगले साल बहुत ज्यादा हलचल नहीं रहेगी। इससे बुलियन को मजबूती मिलेगी, बैंक ऑफ अमेरिका तो यह कहना है कि मार्च 2024 तक फेडरल रिजर्व एकबार और इंटरेस्ट में बढ़ोतरी करेगा।







कई फैक्टर्स 2024 में गोल्ड व सिल्वर की कीमतों को सपोर्ट करेंगे अगले साल घरेलू बाजार में सोना 68000 रुपए प्रति दस ग्राम के स्तर तक पहुंच सकता है। वर्तमान स्तर के मुकाबले यह 8-10 फीसदी तक की तेजी पर पहुंच सकता है।



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