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ज्वेलरी इंडस्ट्री का चुनौतीकाल बढ़ता गोल्ड, चमकती चांदी और सिमटते ग्राहक

  • Aabhushan Times
  • Jun 13
  • 7 min read

भारत की ज्वेलरी इंडस्ट्री जितनी पुरानी और बेहतर है, उतनी ही मजबूत, समृद्ध तथा ताकतवर भी है। अत: भरोसा रकिए कि कुछ ही दिनों, हफ्तों या महीनों में वक्त फिर से आएगा और ज्वेलरी इंडस्ट्री फिर से न केवल खिल उठेगी, बल्कि पहले से अधिक मजबूती और भव्यता के साथ खड़ी होगी।


इंडियन ज्वेलरी इंडस्ट्री का यह संकटकाल है। बाजार में बने रहने की चुनौतियां बहुत बड़ी है, उन चुनौतियों की राह पर चलते रहना उससे भी ज्यादा मुश्किल और ज्वेलर्स की परेशानी यह है कि ऐसे मुश्किल भरे दौर में, वह करे तो क्या करे, यह उसकी समझ से परे है। परेशानी का सबसे अहम कारण यह है कि ज्वेलर्स इन दिनों गोल्ड व सिल्वर के रेट बढऩे से बेहद परेशान है, क्योंकि ऐसे माहौल में कस्टमर बाजार में बेहद कम आ रहे हैं। इसके साथ ही डायमंड के प्रति विश्वास कम हो जाने से ग्राहकी कम और खर्च ज्यादा के संकट से जूझ रहे हैं। दरअसल, यह संकट केवल ज्वेलर्स का ही नहीं है, वर्तमान समय में पूरी ज्वेलरी इंडस्ट्री एक गहरे संकट से जूझ रही है। परंपरागत खरीदारों की कमी, महंगाई का बढ़ता बोझ और गोल्ड व सिल्वर की आसमान छूती कीमतों ने ग्राहकी पर सीधा असर डाला है। ज्वेलरी प्रोडक्शन यूनिट्स में काम धीमा पड़ गया है, ज्वेलरी डिजाइनर्स एलं कारीगर खाली बैठे हैं, बड़े बड़े शो रूमस भी खाली खाली से हैं, और बुलियन डीलर्स भी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। ऐसे में, देश भर के छोटे ज्वेलर्स का परेशान होना तो बेहद स्वाभाविक ही हैं। देश भर के हर शहर, कस्बे व गांवों तक के ज्वेलरी मार्केट्स तथा ज्वेलर्स के यहां, कभी फेस्टिवल और वेडिंग के सीजन में बहुत बड़ी रौनक होती थी, आज वहां सन्नाटा पसरा हुआ है। ज्वेलरी इंडस्ट्री के लिए यह चुनौतीकाल है। गोल्ड की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि ने आम ग्राहक को निवेश से पीछे हटा दिया है। 1 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम का रेट कम नहीं होता, सामान्य घर परिवार के लोग तो इस रेट में खरीदी का हौसला भी नहीं कर सकते। सिल्वर की कीमतों में भी तेजी ने उसे सस्ता विकल्प नहीं रहने दिया। वहीं डायमंड ज्वेलरी को लेकर ग्राहकों के बीच उसकी प्रामाणिकता को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं, जिससे असमंजस की स्थिति बनी हुई है। वल्र्ड गोल्ड काउंसिल, आल इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (इब्जा), जेम एंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउमसिल (जीजेईपीसी), ऑल इंडिया जेम एंड ज्वेलरी डोमेस्टिक काउंसिल (जीजेसी) सहित विभिन्न प्रमुख संस्थाओं के विशेषज्ञों की मानें तो यह संकट स्थायी नहीं है। वैश्विक स्तर पर आर्थिक परिस्थितियां धीरे-धीरे स्थिर हो रही हैं। देश के भीतर भी फेस्टिवल सीजन और आगामी वेडिंग सीडजन में खरीदी में सुधार की उम्मीद की जा रही है। जैसे-जैसे बाजार में स्थिरता का भरोसा लौटेगा, ग्राहक भी फिर से जुड़ेंगे। इसलिए, यह समय है आत्मविश्वास बनाए रखने का। थोड़े धैर्य और समझदारी के साथ इस दौर से निकला जा सकता है। संकट के बादल जरूर हैं, पर आगे रोशनी का उम्मीद भी है, और वही रोशनी भविष्य की दिशा तय करेगी।


इतिहास गवाह है कि भारत की ज्वेलरी इंडस्ट्री, सदियों से परंपरा, संस्कृति और निवेश का प्रतीक रही है। चाहे फेस्टिवल हों या विवाह, जन्म हो या कोई विशेष अवसर - ज्वेलरी भारतीय जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा हैं। लेकिन वर्तमान दोर में यह समृद्ध उद्योग अभूतपूर्व चुनौतियों से गुजर रहा है। बदलते आर्थिक परिवेश, महंगाई, उपभोक्ता व्यवहार में परिवर्तन और वैश्विक अनिश्चितताओं ने ज्वेलरी बाजार की नींव को झकझोर कर रख दिया है।


हाल के वर्षों में ज्वेलरी सेक्टर में जिस प्रकार की गिरावट दर्ज की गई है, उसने कई छोटे व मध्यम स्तर के ज्वेलर्स को अस्तित्व की लड़ाई में झोंक दिया है। बड़े शहरों से लेकर कस्बों और ग्रामीण बाजारों तक, ज्वेलरी शोरूमों में ग्राहकों की कमी साफ तौर पर देखी जा सकती है। जहां पहले फोस्टिवल और वेडिंग सीजन में शो-रूम्स ग्राहकों से भरे रहते थे, आज वहीं सेल्स स्टाफ उदास दिखाई दे रहा हैं। महंगाई, बेरोजगारी और आर्थिक अनिश्चितता ने उपभोक्ता की खरीदी के प़वर को कम कर दिया है। ज्वेलरी लग्जरी आइटम मानी जाती है, जो कि जिंजदगी की जरूरतों में मूल प्राथमिकता नहीं है। सो, ग्राहकी कम है, ऐसे में ज्वेलर्स को व्यापार चलाना, स्टाफ का खर्च उठाना और स्टॉक लगातार भरते रहना एक गंभीर चुनौती बन गया है।


गोल्ड के लगातार बढ़ते रेट सबसे बड़ी वजह के रूप में देखे जा रहे हैं। ग्राहकी कम होने का सबसे बड़ा कारण भी यही है। ज्वेलरी बाजार में मंदी का सबसे बड़ा कारण है दुनिया भर में समान है। कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी ऐसी कभी नहीं देखी गई। पिछले कुछ वर्षों में इंटरनेशनल मार्केट में आर्थिक अस्थिरता, डॉलर की मजबूती, देशों के बीच के राजनीतिक तनाव, युद्ध के हालात, और निवेशकों का गोल्ड की ओर झुकाव इन सभी ने गोल्ड की कीमतों को आसमान पर पहुँचा दिया है। भारत में गोल्ड की कीमतें 1 लाख रुपए प्रति 10 ग्राम के पार जाकर फिर से थोड़ी सी नीचे आ चुकी है, जो एक आम उपभोक्ता के लिए खरीदी में सबसे बड़ी है। पारंपरिक रूप से गोल्ड निवेश और सामाजिक प्रतिष्ठा का भी प्रतीक रहा है, लेकिन अब लोग इसकी जगह म्यूचुअल फंड, डिजिटल गोल्ड, रियल एस्टेट जैसे निवेश विकल्पों को प्राथमिकता देने लगे हैं। इससे गोल्ड की वास्तविक खरीद में भारी गिरावट आई है।


सिल्वर भी गोल्ड की तरह भाग रहा है क्योंकि हर सेक्टर में बढ़ती खपत देखी जा रही है। जहां पहले सिल्वर को आम आदमी का गोल्ड माना जाता था, वहीं अब इसकी कीमतें भी बड़ी तेजी से बढ़ रही हैं, तो यह आम आदमी की पहुंच से भी बाहर हो गया। औद्योगिक उपयोग में भारी वृद्धि, इलेक्ट्रिक वाहन, सोलर पैनल, मेडिकल उपकरण जैसे क्षेत्रों में सिल्वर की खपत बढऩे से इसकी कीमतों में भी उछाल आया है। पिछले एक वर्ष में ही सिल्वर की दरों में लगभग 20-30 फीसदी तक बढ़ोतरी हुई है। इसका सीधा असर पारंपरिक सिल्वर ज्वेलरी मार्केट पर पड़ा है, सिल्वर के गिफ्ट्स भी बिकने कम हो रहे हैं। ग्रामीण व कस्बाई क्षेत्रों में सिल्वर ज्वेलरी की मांग घट गई है। पहले जो ग्राहक गोल्ड नहीं खरीद पाते थे, वे सिल्वर की ओर रुख करते थे, लेकिन अब वहां भी कीमतों ने उन्हें पीछे हटा दिया है। ज्वेलर्स के लिए यह एक दोहरा संकट बन गया है, न गोल्ड बिक रहा है और न सिल्वर की सेल।


ज्वेलरी मार्केट में पहले से ही बड़े संकट से जूझ रहे डायमंड की विश्वसनीयता खतरे में पड़ जाने से वर्तमान स्थिति और भविष्य दोनों पर चिंता बढ़ रही है। डायमंड ज्वेलरी सेक्टर समाज के जिस एक विशेष वर्ग को आकर्षित करता है, वह है उच्च आय वर्ग, जो ब्रांडेड और प्रीमियम प्रोडक्ट्स को प्राथमिकता देता है। परंतु हाल के वर्षों में लैब ग्रान डायमंड की बढ़ती खेप ने इस क्षेत्र में भ्रम और अविश्वास की स्थिति पैदा कर दी है। ग्राहक अब यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि उन्हें जो डायमंड बेचा जा रहा है वह नेचुरल है या सिंथेटिक। साथ ही, दोनों के बीच मूल्य का अंतर समझ पाना भी एक बड़ी चुनौती है। तो, कई ग्राहक डायमंड खरीदने से बच रहे हैं या बहुत सोच-समझकर खरीदी कर रहे हैं। इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय ब्रांड्स की घुसपैठ ने स्थानीय डायमंड डीलर्स और कारीगरों को भी मुश्किल में डाल दिया है।


इस सारे परिदृश्य के बावजूद बाजार में ग्राहकी के सुधरने की उम्मीद है, यह माना जा रहा है। वर्ल्ड गोल्ड काउमसिल की कुछ रिपोर्ट्स कहती है कि इंटरनेशनल लेवल पर वर्तमान में ज्वेलरी बाजार में ग्राहकी की स्थिति भले ही कमजोर है, लेकिन इसके सुधरने की संभावना पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। भारत में पारंपरिक रूप से त्योहारों, खासकर धनतेरस, दीवाली, अक्षय तृतीया, और शादी-ब्याह के मौसम में आभूषणों की मांग अचानक बढ़ जाती है। वल्र्ड गोल्ड काउंसिल का मानना है कि यदि आर्थिक स्थितियां थोड़ी भी स्थिर होती हैं और उपभोक्ताओं को थोड़ा भरोसा मिलता है, तो बाजार में फिर से हलचल देखी जा सकती है। जीजेईपीसी के चेयरमेन किरीट भंसाली का कहना है कि मौजूदा हालात से उबरने के लिए सिर्फ कीमतों पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं होगा। ज्वेलरी इंडस्ट्री को नई सोच, तकनीक और प्रस्तुति - तीनों स्तरों पर अभिनव कार्य करने की जरूरत है, जिसके बारे में जीजेईपीसी बहुत कुछ सोच रही है। इस सोच का परिणाम आगामी आईआईजेएस में स्पष्ट तोर पर दिख सकता है।


इंडियन बुलियन एंड ज्वेलरी एसोसिषशन भी वर्तमान हालात पर चिंतन कर रहा है, तो बाजार अपनी तरह से ढलने लगा है। गोल्ड के बढ़ते रेट को देखते हुए हल्के वजन वाले गहनों की मांग तेजी से बढ़ रही है, जो लाइट वेट ज्वेलरी के नाम से चर्चित है। कस्टमर्स अब यूनिक ज्वेलरी की चाह में ही लाइट वेट ज्वेलरी खरीदते देखे जा रहे हैं, इनमें स्टाइलिश डिज़ाइन, मॉडर्न लुक और बजट फ्रेंडली होने का लाभ है, जिसे काफी पसंद भी किय़ा जा रहा है। लाइट वेट ज्वेलरी के लिए ऑनलाइन शॉपिंग अब बढ़ रहा है। ज्वेलरी इंडस्ट्री को भी इस दिशा में तेज़ी लानी होगी। हर शहर - कस्बे में छोटे बड़े सभी ज्वेलरस् इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप बिजऩेस, फेसबुक, और वेबसाइट के माध्यम से ग्राहकों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे है। ऐसे में कहा जाए, तो ज्वेलरी इंडस्ट्री के सामने आज जो संकट है, वह केवल एक आर्थिक मंदी नहीं, बल्कि एक बदलाव की चेतावनी है।


फतेहचंद रांका - रांका ज्वेलर्स, पुणे


ज्वेलरी इंडस्ट्री में बढ़ते रेट से खपत में घटत हो रही है, तथा ग्राहकी कम होने के कारण सबको पता होने के बावजूद सभी परेशान है। बड़े ज्वेलर्स की अपनी मुश्किलें हैं, तथा छोटे ज्वेलर्स के रेगुलर खर्च निकालने की भी परेशानियां हैं। लेकिन यह दौर भी गुजर जाएगा, क्योंकि समय एक जैसा नहीं रहता।




स्नेहल शाह - शोभा श्रृंगार ज्वेलर्स


पूरी दुनिया की ज्वेलरी इंडस्ट्री एक जैसे हालात से गुजर रही है। लेकिन भारतीय ज्वेलरी इंडस्ट्री को गोल्ड व सिल्वर के रेट लगातार बढऩे का संकट कुछ ज्यादा परेशान कर रहा हैं, क्योंकि हमारे देश में छोटे छोटे ज्वेलर्स बहुत ज्यादा है। चिंता वाजिब है कि आखिर कब तक ग्राहकों का इंतजार बना रहेगा।



करण जैन - पुणे


ज्वेलरी इंडस्ट्री के लिए ग्राहक को केंद्र में रखकर ज्वलेरी निर्माण का वर्तमान समय है। अब डिज़ाइन से लेकर सेल तक, हर पहलू में नई सोच अपनानी होगी। लाइट वेट ज्वेलरी, ऑललाइन सेल, गोल्ड - सिल्वर फ्यूजन ज्वेलरी जैसे प्रयोग इस संकटकालीन दौर आसानी से पार पाने की राह बना सकते हैं।



अमरीश पिपाड़ा - मुंबई


इस कठिन दौर में ज्वेलर्स के लिए सबसे बड़ा सहारा है धैर्य। यह एक ऐसा समय है, जब व्यापारिक सम तथा ग्राहकों के विश्वास को बनाए रखने की कला को परखने का अवसर है। क्योंकि हर इंडस्य्री में एक दौर ऐसा आता है, जब उसके लोगों को खुद को जांचने का वक्त मिलता है।

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