डायमंड ज्वेलरी का बदलता स्वरूप
नेचुरल से लैब ग्रोन डायमंड की तरफ कदम बढ़ाते ज्वेलरी बिजनेस
दुनिया भर में डायमंड की डिमांड बढऩे से इंडियन डायमंड इंडस्ट्री की चमक में एक बार फिर से निखार आ रहा है, तो भारत सहित दुनिया भर के देशों में नई तरह के डायमंड भी मार्केट में अपनी जगह पहले से ज्यादा मजबूत कर रहे हैं। इन डायमंड को नई साइंटिफिक तकनीक के जरिए लैबोरेटरी में निर्मित किया जाता है, अत: इनको लैब ग्रोन डायमंड कहा जाता है। हम जानते हैं कि भारत ने कई दशकों से डायमंड इंडस्ट्री में एक महत्वपूर्ण निभाई है, जिसका तथ्य यह है कि भारत सदा से ही डायमंड के मामले में दुनिया के सिरमौर देश के रूप में जाना जाता है। पूरी दुनिया के विभिन्न देशों में आज जो भी डायमंड उपलब्ध हैं, उनमें से 90 प्रतिशत डायमंड सूरत में पॉलिश किए होते हैं, इसका सीधा सा अर्थ यह है कि हर दस डायमंड में नौ डायमंड भारत से दुनिया में सप्लाई होते हैं। भारत में, लैब ग्रोन डायमंड का बाज़ार तेज़ी से बढ़ रहा है तथा सरकारी प्रोत्साहन के कारण भारत में लैब ग्रोन डायमंड तथा उससे बनी ज्वेलरी की सेल बढ़ रही है। भारत में डायमंड हब कहे जाने वाले सूरत में भी लैब ग्रोन डायमंड के प्रति सकारात्मकर प्रतिक्रिया देखी जा रही है तथा भारतीय ज्वेलरी निर्माताओं में भी विश्व स्तरीय नामी ज्वेलरी निर्माता कंपनी पेंडोरा की करह ही लैब गोन डायमंड की ज्वेलरी ही निर्मित करने का मन बन रहा है, तथा उसी से कमाई निकालने की तैयारी की जी रही है। वैसे, डायमंड ज्वेलरी का उपभोक्ता भी अब खदानों से निकले डायमंड की चमक में खोना नहीं चाहता तथा वह भी लैब ग्रोन डायमंड को पसंद करने लगा है।
अब खदानों से निकले डायमंड का बाजार तेजी से सिमटता जा रहा है तथा भारत सरकार भी चाहती है कि लैब में डायमंड विकसित करने के कारोबार में भी भारत नेचुरल डायमंड के सिरमौर की तरह ही दुनिया एक सबसे बड़ा और मुख्य खिलाड़ी बने। भारत सरकार की इस मामले में हर संभव सहयोग करने की तैयारी है तथा वैश्विक स्तर की कई बड़ी कंपनियों ने परंपरागत पत्थर की खदानों से निकलने वाले डायमंड को बेचना बंद कर दिया है। हाल ही में विश्व की सबसे बड़ी ज्वेलरी निर्माता कंपनी, पेंडोरा ने भी घोषणा करते हुए कहा है कि वह अब खदान से निकले डायमंड नहीं बेचेगी, बल्कि केवल लैब ग्रोन डायमंड की ज्वेलरी का ही निर्माण करेगी तथा वही बेचेगी। खास तौर से भारत की कंपनियों पर इस घोषणा का काफी असर देखा जा रहा है। भारत की बड़ी बड़ी ज्वेलरी निर्माता कंपनिया भी वैश्विक स्तर की नामी ज्वेलरी निर्माता कंपनी पेंडोरा की तर्ज पर केवल लैब गोन डायमंड की ज्वेलरी ही निर्मित करने को कमर कस रही है। क्योंकि ने भी कह दिया है कि प्रयोगशाला में निर्मित अर्थात लैब ग्रोन डायमंड कोई समाधान नहीं हैं। दुनिया भर में डायमंड उद्योग का प्रतिनिधित्व वर्ल्ड डायमंड काउंसिल करती है, जब उसी ने कह दिया कि खदानों से निकले डायमंड के आकर्षण को लैब ग्रोन डायमंड रोक सकता है तथा पिछले कुछ सालों से व्यापारिक विकास के लिए संघर्षरत डायमंड बिजनेस को नई गति देने में लैब ग्रोन डायमंड की अहम भूमिका होगी, तो बात खत्म ही मानी जा रही है।
प्रयोगशाला में बने डायमंड को लेकर हाल ही में विश्व की सबसे बड़ी ज्वेलरी निर्माता कंपनी पेंडोरा ने घोषणा की है कि खदान से निकले डायमंड नहीं बेचने तथा उसके बदले में केवल लैब ग्रोन डायमंड की ज्वेलरी का ही निर्माण करने का यह परिवर्तन कंपनी के व्यापक स्थिरता अभियान का हिस्सा है। पेंडोरा ने कहा है कि कंपनी इस पर इसलिए काम कर रही है क्योंकि यह सही काम है तथा वक्त की भी यही डिमांड है। इसी बीच सबसे खास बात यह है कि फ्रांसीसी कंपनी डायम-कॉन्सेप्ट द्वारा लैब ग्रोन डायमंड की लोकप्रियता काफी बढ़ रही हैं। सन 2020 की बात करें, तो दुनिया भर में लैब ग्रोनडायमंड जिसे सामान्य बोलचाल की भाषा में लैब ग्रोन डायमंड कहा जाता है, उसका उत्पादन 6 से 7 मिलियन कैरेट के बीच बढ़ गया। दरअसल लैब ग्रोन डायमंड भी मूलत: वैसी ही चमक - दमक देते हैं जो प्रकृति से उत्पन्न खदानों से निकले डजायमंड देते है। लेकिन लैब ग्रोन डायमंड बहुत ही कम कीमत पर उपलब्ध हैं। लैब ग्रोन डायमंड जमीन से खोदकर निकाले गए पथ्थर से बने डायमंड की कीमत के वन थर्ड कीमत से भी कम कीमत पर बनाए जा सकते हैं। खास बात यह भी है कि दुनिया भर में पनप रही पर्यावरण के प्रचति चिंता, खनन उद्योग के खतरे और परेशानी भरी कार्य-पद्धतियों से संबंधित चिंताओं के कारण खदानों से प्राप्त डायमंड लगातार बेतहाशा महंगे होते जा रहे थे, ऐसे में उसका कारोबार भी लगातार नीचे आ रहा था। इसी कारण डायमंड के विकल्प की मांग बढ़ रही थी, तो खदान से प्राप्त डायमंड की जगह लैब ग्रोन डायमंड लेता जा रहा है। लैब ग्रोन डायमंड के सबसे बड़े अमेरिकी उत्पादक, डायमंड फाउंड्री का कहना है डायमंड भले ही लैब ग्रोन अर्थात कैमिकल से बने हुए हो या नेचुरल रूप से खदान से निकाले गए डायमंड हों, दोनों एक समान ही अपनी चमक बिखेरते हैं।
हालांकि कुछ प्रमुख ज्वेलरी कम्पनियां अभी भी खनन से प्राप्त डायमंड की बेहतर आपूर्ति कर रही हैं, और उसी से बनी ज्वेलरी में ट्रेड कर रही है, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से उनकी सेल में जबरदस्त कमी आई है। दिनायी बड़ी ज्वेलरी निर्माता कंपनी पेंडोरा डायमंड ज्वेलरी में दुनिया की सबसे बड़ी सेलिंग कंपनी रही है, फिर भी बाजार में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाली इस कंपनी ने परंपरागत खदान से निकले डायमंड की सेल बंद करके केवल लैब ग्रोन अर्थात कैमिकल से बने हुए डायमंड की बिक्री करनी शुरू कर दी है, तो इसी को देखते हुए जायमंड ज्वेलरी की दुनिया की कुछ बेहतरीन कंपनियां भी नई जिम्मेदारी छटाते हुए, इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाने को तैयार हैं। हालंकि भारत में डायमंड ज्वेलरी अधिकांश कम्पनियां अभी भी परंपरागत डायमंड ज्वेलरी की सेल में ही जमी हुई है तथा लैब ग्रोन डायमंड की तरफ कदम बढ़ाने से हिचक रही है, क्योंकि वे उपभोक्ताओं को यह आश्वासन नहीं दे सकतीं कि उनकी ज्वेलरी में जड़े हुए डायमंड नकली नहीं बल्कि लैब ग्रोन है। मगर, जैसे जैसे वर्ल्ड डायमंड काउंसिल पहले की तरह 'हीरा है सदा के लिए' जैसे स्लोगन के साथ लैब ग्रोन डायमंड को भी दुनिया के दिलों में बसाने के लिए, प्रोत्साहित करती जी रही है, वैसे वैसे धीरे धीरे ये हिचक कम होती जा रही है, तथा भारतीय डायमंड ज्वेलरी निर्माता भी लैब ग्रौन डायमंड के प्रयोग की तरफ बढ़ रहे हैं। भारत सरकार इन प्रयोगशाला में विकसित डायमंड के बिजेनेस को प्रोत्साहित करने की द्शा में नए नए कदम बढ़ा रही है। पिछले बजट भाषण के दौरान, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लैब में तैयार होने वाले डायमंड के विकास के लिए एक नई घोषणा की थी, कि लैब ग्रोन डायमंड्स के विकास में उपयोग होने वाले बीज पर सीमा शुल्क कम किया जाएगा। केंद्रीय बजट 23-24 में लैब ग्रोन डायमंड की मशीनरी, बीज और नुस्खे के स्वदेशी उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए आईआईटी के लिए पांच साल का अनुसंधान अनुदान भी घोषित किया गया था। इसके साथ ही जेम एंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल और डायमंड इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों की एक कमेटी द्वारा इसकी क्षमताओं को विकसित करने तथा व्यापारिक विकास के निर्धारण भारत सरकार लगभग 250 करोड़ रुपए की लागत से एक विशेष केंद्र भी स्थापित करने ती तैयारी में है। भारत सरकार के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल कुछ महीनों पूर्व मुंबई में संपन्न देश के सबसे बड़े ज्वेलरी शो आइआइजेएस प्रीमियर में जेम एंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल और डायमंड इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों के बीच घोषणा की थी कि लैब ग्रोन डायमंड के विकास के लिए सरकार हरस संभव मदद देगी तथा अगले पांच वर्षों के दौरान बजट में विशेष सहायता प्रदान की जाएगी।
दरअसल, जेम एंड ज्वेलरी इंडस्ट्री भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जो भारत के कुल व्यापारिक निर्यात में लगभग 9 प्रतिशत का योगदान देती है। पिछले एक दशक में, जेम एंड ज्वेलरी क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर कई सकारात्मक विकास हुए हैं, जिसमें लैब ग्रन डायमंड भी प्रमुख उत्पाद हैं। ज्वेलरी उद्योग के अलावा, प्रयोगशाला में उगाए गए डायमंड का उपयोग कंप्यूटर चिप्स, उपग्रहों, 5 जी नेटवर्क में किया जाता है क्योंकि सिलिकॉन-आधारित चिप्स की तुलना में कम बिजली का उपयोग करते हुए उच्च गति पर काम करने की उनकी क्षमता के कारण उन्हें चरम वातावरण में इस्तेमाल किया जा सकता है। वैश्विक स्तर पर, लैब ग्रोन डायमंड का कारोबार सन 2020 में बाजार 1 बिलियन डॉलर का था, लेकिन सन 2025 तक तेजी से बढक़र इसके 5 बिलियन डॉलर और 2035 तक 15 बिलियन डॉलर से अधिक होने की उम्मीद की जा रही है। इसी तथ्य से समझा जा सकता है कि भारत सहित दुनिया भर के देशों में लैब ग्रोन डायमंड का कारोबार तेजी से पनपता जा रहा है तथा भारतीय ज्वेलरी इंडस्ट्री को भी ऐने वाले वक्त में लैब ग्रोन डायमंड ज्वेलरी में ही हम सबसे आगे देखेंगे।
Recent Posts
See Allजीजेईपीसी के अध्यक्ष श्री विपुल शाह ने रत्न एवं आभूषण निर्यात को बढ़ाने के लिए की अनेक नए उपायों की घोषणा प्राकृतिक हीरे के कारोबार को...
Comments