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तेजी से बढ़ती कीमतें और दुनिया भर में खरीदीगोल्ड में गजब का दम है

Aabhushan Times










वैश्विक स्तर पर गोल्ड मार्केट ने हाल ही में हर किसी का जबरदस्त ध्यान आकर्षित किया है। फिलहाल गोल्ड ऑल टाइन हाई चल रहा है, जो किसी ने भी शायद ही सोचा होगा। कुछ महीने पहले जब गोल्ड नअपने उतार पर था और 55 हजार पर आ गया था, तो लोग और नीचे का ट्रेंड देख रहे थे, मगर फिलहाल गोल्ड जब 62500 के ऊपर चल रहा है, तो लोग दांतो तले उमंगली दबाकर देख रहे हैं और हैरत से कह भी रहे हैं कि 75 हजार तक के लेवल पर जल्दी छलांग मार सकता है। वैसे देखा जाए, तो गोल्ड की कीमतें अपने ऐतिहासिक रुझान से अपेक्षाकृत तेज व सबसे अधिक है। खनन कंपनियों के लिए गोल्ड की कीमत में उतार-चढ़ाव, दुनिया भर को विभिन्न युद्ध जोखिम और आर्थिक अनिश्चितता को कम करने के अलावा हेजिंग, भविष्य के निवेश, मूल्यांकन निर्णय तथा भविष्य के मूल्य रुझानों के पूर्वानुमान पर निर्भर करना है।


गोल्ड का व्यापार हर रोज 24 घंटे चलता रहता है और यह कई सहस्राब्दियों से हर किसी के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण कीमती धातु रहा है। गोल्ड की खास बात यह है कि अब तक खनन किया गया लगभग सारा गोल्ड किसी न किसी रूप में दुनिया में अभी भी अपने वास्तविक अस्तित्व में है, इसी कारण दुनिया भर में लोग अमीर होते जा रहे हैं, क्योंकि खान से निकला गोल्ड लोगों को पास सुरक्षित है व लगातार निकलता भी जा रहा है। द गोल्ड उपभोक्ताओं की ओर से ज्वेलरी व निवेश के रूप में गोल्ड की डिमांड लगातार चलती रहती है। गोल्ड भारत में ही नहीं दुनिया के लगभग सभी देशों में ज्वेलरी उद्योग से सबसे अधिक महंगी व भाव के मामले में बेहद लचीली धातुओं में से एक है, जो केंद्रीय बैंकों के भंडार, उपभोक्ताओं में ज्वेलरी के रूप में और  निवेशकों के निवेश के रूप में सुरक्षित है।


दुनिया के सभी देशों में गोल्ड एक सबसे महत्वपूर्ण और असामान्य संपत्ति है और गोल्ड का बाजार इसी वजह से हर देश में बेहद महत्वपूर्ण है। गोल्ड मार्केट में भाव के घटने बढऩे पर हालांकि व्यापारियों के स्तर पर कोई बहुत कास शोध नहीं हुआ है, क्योंकि ट्रेडर्स को केवल भाव के उतार चड़ाव में अपनी कमाई से मतलब होता है। इसी वजह से ज्वेलर केवल बीच के भाव में अपनी छोटी सी कमाई करतेक निलक जाते हैं, मगर जो लोग गोल्ड के गणित को जानते हैं, वे बड़ी कमाई करते रहते हैं। कई नई नई सांख्यिकीय प्रक्रियाओं का उपयोग करते हुए, कुछ ज्वेलर्स भी गोल्ड में हैजिंग करके बड़ी कमाई करने लगे हैं। उनके लिए यह फर्क नहीं पड़ता कि गोल्ड सस्ता है या महंगा, वे तो हर हाल में कमाई निकाल ही लेते हैं।


गोल्ड के रेट्स पूरी दुनिया में समाव रूप से अपना व्यवहार बदलते हैं। हालांकि कहीं कम तो कहीं रेट कुछ ज्यादा हो सकते हं, वह कारण केवल टैक्स के कम ज्यादा होने का है, मगर पूरी दुनिया में गोल्ड समान रूप से पसंदीदा होने के कारण खरीदा व बेचा जाता है। इसी कारण न केवल निवेश के उद्देश्यों और ज्वेलरी बनाने के लिए बल्कि कुछ इलेक्ट्रॉनिक और चिकित्सा उपकरणों के निर्माण में भी उपयोग के लिए काम आने के कारण साल दर साल गोल्ड की मांग अत्यधिक बढ़ती जा रही है। गोल्ड की कीमतें अप्रैल में 62 हजार थीं, जो नीचे उतरने के बाद दिसंबर के आते आते फिर से 62800 रूपए तक पहुंच गईं। यदि हम अप्रैल, 2018 की अक्षय तृतीया की बात करें, तो उस दौर में गोल्ड 32,550 रुपए प्रति दस ग्राम था, जबकि अभी यह सीधे दोगुना हो गया है। केवल 5 साल में डबल होना हर किसी के लिए आश्चर्य की बात है। हालांकि अप्रेल 2023 में गोल्ड 63000 रुपए प्रति दस ग्राम का आंकड़ा भी छू चुका था, मगर फिर कम हुआ और दिसंबर तक वापस 63 हजार पर पहुंच रहा है। कारण केवल ये ही है कि मौजूदा दौर में निवेशक इक्विटी बाजार या प्रॉपर्टी से ज्यादा गोल्ड की खरीदी को तवज्जो दे रहे हैं। वर्ल्ड गोल्ड कौंसिल के मुताबिक भारत में हर साल करीब 600 टन गोल्ड ज्वेलरी की सेल होती हैं, जिसमें सबसे ज्यादा सेल मुंबई में 160 टन से ज्यादा ज्वेलरी सेल होती है। क्योंकि मुंबई शहर गोल्ड ज्वेलरी निर्माण का सबसे बड़ा सेंटर होने व ज्यादातर शहरों की सप्लाई का केंद्र भी है।


गोल्ड के बढ़ते रेट्स तो ठीक है, मगर इसकी सेल को बढ़ाने के कौन से कारण समय के साथ बढ़ते रहे हैं, यह जानना जरूरी हैं? हम मानते हं कि भारत सहित दुनिया के सभी देशों में निवेशक लंबे समय से गोल्ड के प्रति आकर्षित रहे हैं और पिछले 50 वर्षों में इस धातु की कीमत में काफी वृद्धि हुई है। गोल्ड न केवल अतिरिक्त मूल्य बरकरार रखता है, बल्कि गोल्ड की कीमतों पर डिमांड व सरप्लाई का भी भारी प्रभाव पड़ता है। सरकारी तिजोरी और केंद्रीय बैंक गोल्ड की मांग का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं। गोल्ड कभी-कभी अमेरिकी डॉलर के विपरीत भी चलता है क्योंकि यह धातु डॉलर-मूल्यवर्ग में है, जिससे यह मुद्रास्फीति के खिलाफ बचाव के साधन के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है।


वैसे, तो गोल्ड के रेट्स कभी कभी इसकी कम आपूर्ति व मुख्य रूप से खनन उत्पादन में कमी से भी प्रभावित होते हैं। मगर गोल्ड की कीमत को प्रभावित करने वाले कारणों में सेंट्रल बैंक रिजर्व ही सबसे खास कारण है। राष्ट्रीय स्तर पर आर्थिकी की मजबूती को बनाए रखने के लिए केंद्रीय बैंक गोल्ड का स्टक बढ़ाने की कोसिश में गोल्ड खरीदते हैं। सोने की कीमत आम तौर पर बढ़ जाती है। दुनिया के कई देशों की अर्थ व्य़वस्था को संचालित करने में गोल्ड के ऐसे भंडार हैं जो मुख्य रूप से गोल्ड के कारऩण ही समृद्ध हैं। अमेरिका द्वारा 1971 में गोल्ड के मानक को छोडऩे के बाद से वैश्विक केंद्रीय बैंक सबसे अधिक सोना खरीद रहे हैं। सन 2020 में केंद्रीय बैंकों की गोल्ड खरीद में गिरावट के बाद, गति 2021 में फिर से तेजी आई और 2022 में केंद्रीय बैंकों की गोल्ड की खरीद फिर से 50 साल के रिकॉर्ड को पार कर गया। सन 2022 में गोल्ड का सबसे टॉप खरीदार तुर्की का केंद्रीय बैंक था, इसके बाद उज्बेकिस्तान, भारत और कतर थे। गोल्ड की कीमतें आम तौर पर अमेरिकी डॉलर के मूल्य से विपरीत रूप से संबंधित होती है क्योंकि धातु डॉलर-मूल्यवर्ग की होती है। बाकी सब समान होने पर, एक मजबूत अमेरिकी डॉलर गोल्ड की कीमत को कम और अधिक नियंत्रित रखता है, जबकि एक कमजोर अमेरिकी डॉलर बढ़ती मांग के माध्यम से गोल्ड की कीमत को बढ़ाने की संभावना रखता है, क्योंकि डॉलर के कमजोर होने पर अधिक गोल्ड खरीदा जा सकता है। सोने को अक्सर अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति के खिलाफ बचाव के हथियार के रूप में देखा जाता है। मुद्रास्फीति तब होती है जब कीमतें बढ़ती हैं, और उसी तरह, डॉलर का मूल्य गिरने पर कीमतें भी बढ़ती हैं। जैसे - जैसे मुद्रास्फीति बढ़ती है, वैसे - वैसे गोल्ड की कीमत भी बढ़ती है। आज गोल्ड यदि 63 हजार का आंकड़ा छू रहा है, तो साफ मतलब है कि डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर है और मुद्रास्फीति का असर है। गोल्ड की हाल ही में बढ़ रही कीमतों को देखा जाए, तो साफ तौर पर मुद्रास्फीति और डॉलर के मूल्य का प्रभाव है। वल्र्ड गोल्ड काउंसिल के अनुसार, 2022 की पहली छमाही में गोल्ड की मांग में ज्वेलरी की हिस्सेदारी लगभग 44 फीसदी थी, जो 2023 में बढक़र 48 फीसदी हो गई। खरीदी व उपभोग की मात्रा की दृष्टि से भारत, चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका ज्वेलरी के लिए दुनिया में गोल्ड के सबसे बड़े उपभोक्ता हैं। अन्य देशों में गोल्ड की डिमांड प्रौद्योगिकी और औद्योगिक उपयोग के लिए केवल 7.5 प्रतिशत मांग है, जहां गोल्ड का उपयोग स्टेंट जैसे चिकित्सा उपकरणों और जीपीएस इकाइयों जैसे सटीक इलेक्ट्रॉनिक्स के निर्माण में किया जाता है। ज्वेलर्स के लिए खुशी की बात केवल य़ही है कि भारत में गोल्ड ज्यादातर ज्वेलरी में सबसे ज्यादा उपयोग होता है, इसका मतलब है कि गोल्ड ज्वेलरी बिकेगी, तो मांग बढ़ती रहेगी, ऐसे में गोल्ड की कीमतें भी लगातार बढ़ती रह सकती है। इसके अलावा आर्थिक अनिश्चितता के समय में, जैसा कि आर्थिक मंदी के समय में अक्सर देखा गया है, अधिकतर लोग गोल्ड में निवेश करना शुरू कर देते हैं। आर्थिक मंदी और युद्धकाल के दौर में गोल्ड अक्सर निवेशकों के लिए सबसे सुरक्षित ठिकाना माना जाता है। इसी कारण जब बांड, शेयर्स, इक्विटी और रियल एस्टेट पर अपेक्षित या वास्तविक रिटर्न घटता है, तो लोगों की गोल्ड में निवेश में रुचि बढ़ जाती है, इससे भी गोल्ड की कीमत कुछ हद तक बढ़ जाती है। सरकारें देश की अयऱ्व्यवस्था को सम्हालने के लिए मुद्रा अवमूल्यन या मुद्रास्फीति जैसे आर्थिक असर से देश को बचाने के लिए गोल्ड खरीदी को बचाव के रूप में इस्तेमाल करते हैं। दुनिया भर में गोल्ड के खनन में प्रमुख खिलाडिय़ों में चीन, दक्षिण अफ्रीका, संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। वर्चतमान हालात में साफ कहा जा सकता है कि आने वाले दिनों में गोल्ड की कीमते और बढ़ेगी।








जैसे - जैसे महंगाई का आंकड़ा बढ़ता है, वैसे - वैसे गोल्ड की कीमतें भी बढ़ जाती है। वर्तमान में गोल्ड 63 हजार का आंकड़ा छू रहा है, तो स्पष्ट तौर पर कहा जा सकता है कि डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर है और रेट और बढऩे के भी संकेत है।








भारतीय बाजारों में गोल्ड की बिक्री कभी कम नहीं होती, क्योंकि भारतीय समाज में गोल्ड में निवेश का चलन सदा से रहा है, तथा पिछले पांच साल की बात की जाए, तो इन वर्षों के दौरान गोल्ड ने अपने निवेशकों को 100 फीसदी से ज्यादा कमाई दी है।








देश भर में गोल्ड के रेट बढ़ रहे हैं, तो कहा जा सकता है कि मुंबई के गोल्ड मार्केट में बुलियन के साथ साथ ज्वेलरी में भी खरीदी लगातार बने रहने के आसार हैं, क्योंकि भले ही गोल्ड महंगा होता जा रहा है, लेकिन उसके साथ ही उसकी अहमियत भी बढ़ती जा रही है।




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