- Aabhushan Times
तेजी से बढ़ रहा है गोल्ड व डायमंड ज्वेलरी का निर्यातदुनिया भर की नजर हमारी ज्वेलरी परराजस्थानी जैनों का इंटरनेशन मार्केट में भी दबदबा बढऩे की संभावना मजबूत
भारत का ज्वेलरी निर्यात बिजनेस लगातार बढ़ता जा रहा है। खास तौर से विश्व स्तर पर भारतीय ज्वेलरी निर्यात व्यवसाय एक महत्वपूर्ण और तेजी से बढ़ता हुआ क्षेत्र बनता जा रहा है। यह न केवल देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है, बल्कि भारत को वैश्विक ज्वेलरी बाजार में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में भी स्थापित करता है। भारत का जेम्स एंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट पिछले वित्तीय वर्ष अर्थात 2023-24 में 2 लाख 65 हजार 187 करोड़ रुपए रहा। जिसमें गोल्ड ज्वेलरी के कुल निर्यात में 20.57 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। हालांकि, वैश्विक स्तर पर भारत की गोल्ड व डायमंड ज्वेलरी सप्लाई करने के इस तेजी से बढ़ते व्यापार के क्षेत्र में हमारे राजस्थानी जैन ज्वेलर लगभग ना के बराबर है। लेकिन भविष्य में उनके इस क्षेत्र में भी छा जाने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता।
ज्वेलरी निर्यात व्यवसाय के इस बढ़ते महत्व के पीछे कई कारण और कारक हैं, जो इस उद्योग को समृद्ध और विस्तारित करने में सहायता कर रहे हैं। वैसे देखा जाए, तो दुनिया भर के देशों के मुकाबले भारत अभी तक गोल्ड के चार बड़े खरीदारों में से एक है। हमारी सरकार भी चाहती है कि यहां से गोल्ड के आभूषणों का निर्यात भी खूब हो, ताकि हमारे ज्वेलर्स विकसित हों, लेकिन अंदर की बात करें, तो भारत में विश्व स्तरीय ज्वेलरी के डिजाइनर्स की कमी खलने लगी है, जिसके लिए सरकार व ज्वेलरी इंडस्ट्री की संस्थाएं लगातार प्रयासरत हैं। भारत अमेरिका, हांगकांग, यूएई, बेल्जियम, सिंगापुर, इजरायल, थाईलैंड, यूके, स्विट्जरलैंड और नीदरलैंड आदि को ज्वेलरी निर्यात करता है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में ज्वेलरी का कुल सकल निर्यात 37.46 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा। भारत के ज्वेलरी निर्यात दुनिया के कुल निर्यात का लगभग 4.3त्न है, जो इसे दुनिया में छठा सबसे बड़ा निर्यातक बनाता है। आने वाले वर्षों में ज्वेलरी के निर्यात का लक्ष्य 75 बिलियन अमेरिकी डॉलर रखा है। बेल्जियम, सिंगापुर, स्विटजरलैंड और नीदरलैंड जैसे कुछ प्रमुख देशों ने कोविड महामारी से पहले की तुलना में भारत से ज्वेलरी आयात में भारी वृद्धि दिखा रहे हैं। हाल ही में मुंबई में संपन्न आइआइजेएस प्रीमियर - 2024 में दुनिया के लगभग 60 से ज्यादा देशों के ज्वेलरी इंपोर्टर्स ने एग्जिबिशन की विजिट करके भारतीय ज्वेलरी की जबरदस्त सराहना की, जिसे देखकर कहा जा सकता है कि आने वाले दिनों में उन देशों में भीरतीय ज्वेलरी की खरीददारी जबरदस्त लेवल पर बढ़ेगी। मारवाड़ी जैन ज्वेलर्स की युवा पीढ़ी की नजरें उस पर हैं।
राजस्थानी जैनों का आज के दौर में भारत भर में गोल्ड ज्वेलरी निर्माता कंपनियों के रूप में में बड़ा रुतबा है। हालांकि डायमंड ज्वेलरी में भले ही गुजरातियों का प्रभुत्व है, लेकिन राजस्थानी जैनों का गोल्ड ज्वेलरी उत्पादन ज्यादातर भारत में ही खप जाता है। फिर, फिलहाल गोल्ड ज्वेलरी का यह बाजार जिन राजस्थानी जैन व्यापारिक लोगों के हाथों में हैं, वे अपने गोल्ड ज्वेलरी के वर्तमान धंधे से संतुष्ट नजर आते हैं। लेकिन जैसे जैसे इंटरनेशनल लेवल पर भारतीय गोल्ड ज्वेलरी की डिमांड और बढ़ेगी, राजस्थानी जैनों का रुख निश्चित तौर से उस तरफ भी बढ़ता ही जाएगा। एक और खास बात यह भी है कि मुंबई के ज्वेलरी मार्केट में जो गोल्ड ज्वेलरी कंपनियां राजस्थानी जैनों की हैं, उनमें फिलहाल तो पहली या दूसरी पीढ़ी के ज्वेलर्स ही ज्यादा हैं, जो अपनी मेहनत और हिम्मत से इस कारोबार में स्थापित हुए हैं। फिर, उनमें से ज्यादातर ज्वेलर्स के पास इंटरनेशनल गोल्ड मार्केट व ट्रेड की समझ भी कम ही है, क्योंकि उनका फोकस केवल लोकल पर ही है। लेकिन राजस्थानी जैन ज्वेलर्स की आने वाली पीढ़ी बहुत ही तेज और व्यापक सोच के साथ बिजनेस को बढ़ाने वाली मानी जा रही है। कई राजस्थानी जैन ज्वेलर्स को देखते हैं, तो उनके ट्रेडिशनल गोल्ड ज्वेलरी बिजनेस को नई पीढ़ी ने कई गुना ऊंचे मुकाम ऊपर पहुंचा दिया है। ऐसे में यह साफ तौर पर कहा जा सकता है कि पांच - छह दशक पहले तक मुंबई के ज्वेलरी बिजनेस में राजस्थानी बेहद कम थे और ज्यादातर गुजराती ज्वेलर्स का ही दबदबा हुआ करता था, लेकिन आज हकीकत बदल चुकी है। आज राजस्थानी जैन ज्वेलर्स सबसे ज्यादा हैं। उसी तरह से आने वाले कुछ सालों में ही भारत के गोल्ड ज्वेलरी निर्यात बिजनेस के लगातार बढ़ते जा रहे परिदृश्य में राजस्थानी जैन ज्वेलर्स का भी दबदबा देखने को जरूर मिलेगी, इस संभावना से कतई इंकार नहीं किया जा सकता। आज भारत के ज्वेलरी उद्योग की वैश्विक पहचान काफी समृद्ध मानी जा रही है। इसकी एक सबसे बड़ी वजह यह है कि भारत पारंपरिक रूप से गोल्ड व डायमंड ज्वेलरी का एक प्रमुख उत्पादक रहा है। भारत की कुशल कारीगरी और अद्वितीय डिजाइन ने उसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक अलग पहचान दिलाई है। विशेष रूप से, मुंबई, सूरत, राजकोट, जयपुर और कोलकाता जैसे शहर ज्वेलरी निर्माण और निर्यात के प्रमुख केंद्र बने हुए हैं। इनमें से सूरत विशेष रूप से डायमंड कटिंग और पॉलिशिंग के वैश्विक केंद्र के रूप में बहुत तेजी से स्थापित होता जा रहा है।
भारतीय ज्वेलरी की उच्च गुणवत्ता और विशिष्टता दुनिया में अव्वल मानी जाती है। हमारे यहां के राजे - रजवाड़ों की पुरातन ज्वेलरी, जिसे भारतीय बाजार में एंटिक ज्वेलरी के नाम से जाना जाता है, वह दुनिया भर के देशों को बहुत लुभा रही है। साथ ही जयपुर की स्टोन ज्वेलरी की तो दुनिया भर में दीवानगी जबरदस्त पैमाने पर है। भारतीय ज्वेलरी की गुणवत्ता और डिजाइन की विविधता ने इसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में अत्यधिक डिमांड वाली ज्वेलरी बना दिया है। गोल्ड, सिल्वर और डायमंड सहित अन्य कीमती स्टोन्स से बनी भारतीय ज्वेलरी की अनूठी कला और कारीगरी ने इसे विश्व स्तर पर लोकप्रिय बनाया है। वैसे देखा जाए, तो भारत सरकार की नीतियां और प्रोत्साहन भी भारतीय ज्वेलरी के निर्यात में बहुत सहयोगी साबित रही हैं। खास बात यह भी है कि भारत सरकार ने ज्वेलरी निर्यात को बढ़ावा देने के लिए समय समय पर कई नीतिगत सुधार भी किए हैं। जैसे विशेष आर्थिक क्षेत्र अर्थात एसईजेड और निर्यात के लिए टैक्स में छूट और पोर्ट ड्यूटी में राहत आदि देने से भी ज्वेलरी निर्यात के बिजनेस का तो बढ़ावा मिला ही है, इससे ज्वेलरी निर्यातकों को अधिक सुविधाएं भी मिल रही हैं। भारतीय ज्वेलरी व्यवसाय के विकास में ज्वेलरी जगत की शीर्ष संस्था जेम एंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोसन काउंसिल (जीजेईपीसी) और भारत सरकार की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। ये दोनों मिलकर ज्वेलरी उद्योग को बढ़ावा देने, वैश्विक बाजारों में भारतीय ज्वेलरी की उपस्थिति बढ़ाने और निर्यातकों को समर्थन प्रदान करने में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। जीजेईपीसी निर्यातकों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में प्रवेश करने के लिए मार्केटिंग और प्रमोशनल सपोर्ट प्रदान करती है। यह उन्हें बाजार अनुसंधान, व्यापार सलाह और बाजार पहुंच बढ़ाने के लिए कई साधनों से मदद करती है। वह निर्यातकों के हितों की रक्षा करने, सरकारी नीतियों के निर्माण में सहयोग करने और विभिन्न सरकारी और निजी संस्थाओं के साथ समन्वय स्थापित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। तो, भारत सरकार ज्वेलरी निर्यात को बढ़ावा देने के लिए निर्यातकों को कर छूट, बेहतर बुनियादी सुविधाएं, और अन्य समर्थन सेवाएं प्रदान कर रही हैं।
जिस तरह से हर चीज के दो पहलू होते हैं, भारतीय जेम्स एंड ज्वेलरी सेक्टर में गोल्ड व डायमंड ज्वेलरी के तोजी से बढ़ रहे निर्यात को देखें, तो हालांकि भारत का ज्वेलरी निर्यात लगातार बढ़ रहा है, लेकिन इस क्षेत्र में चुनौतियाँ भी हैं। इनमें गोल्ड व सिल्वर के कच्चे माल की बढ़ती कीमतें, अंतरराष्ट्रीय व्यापार में नियमों का पालन, और वैश्विक आर्थिक अस्थिरता शामिल हैं। फिर भी, ज्वेलरी डिजाइन में नवाचार, नई तकनीकों का उपयोग, और वैश्विक बाजार में भारतीय ज्वेलरी की मांग में वृद्धि से इस क्षेत्र में आगे भी तेजी से वृद्धि की संभावना है। सरकार द्वारा दिए जा रहे प्रोत्साहन और उद्योग की निरंतर विकासशीलता इस वृद्धि को बनाए रखने में मदद करेगी। वर्तमान हालात में यह कहना बिल्कुल सही होगा कि भारत का ज्वेलरी निर्यात व्यवसाय न केवल देश के आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक और कारीगरी की विरासत को भी वैश्विक स्तर पर ले जा रहा है। निरंतर डिजाइन्स में निखार लाने, गुणवत्ता बनाए रखना, और अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय ज्वेलरी की उपस्थिति को बढ़ाना इस उद्योग की भविष्य की सफलता के लिए महत्वपूर्ण होगा। हम जनस तेजी से दुनिया भर के देशों के बाजारों में अपनी ज्वेलरी की धाक जृमाते जा रहे हैं, उसे देख कर यह साफ तौर पर कहा जा सकता है कि भारत का ज्वेलरी निर्यात व्यवसाय आने वाले वर्षों में और भी ऊंचाइयों को छूने की क्षमता रखता है।
पंकज जगावत- शांति गोल्ड इंटरनेशनल
भारतीय जेम्स एंड ज्वेलरी सेक्टर का देश के व्यापार में बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान है। हमारे छोटे और मझोले ज्वेलरी निर्माताओं का भी निर्यात को इस कारोबार में महत्वपूर्ण योगदान है, वे खास तोर से हैंडमेड ज्वेलरी निर्माण के लिए जाने जाते हैं।
रमण सोलंकी - संगम चेन्स एन ज्वेल्स
हम देख रहे हैं कि भारतीय ज्वेलरी कारोबार दुनिया भर में तोजी से आगे बढ़ता जा रहा है, साथ ही हमारी ज्वेलरी को दुनिया भर में पसंद भी किया जा रहा है। भारत का ज्वेलरी निर्यात आगामी वर्षों में और भी नई ऊंचाइयों को जरूर छूएगा।
किरण खाटेड - राज ज्वेलर्स
भारतीय ज्वेलरी पश्चिमी देशों में भारतीय आभूषणों की मांग लगातार बढ़ रही है। लेकिन इसे और तेज करने के लिए हमारे यहां इनोवेटिव और क्रिएटिव डिजाइन को बढ़ावा देना होगा। यहीं पर स्विटजरलैंड की टक्कर की ज्वेलरी डिजाइन करनी होगी।
प्रविण कोठारी - मुंबई
ज्वेलरी निर्यात के इस क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं, लेकिन हमारा मारवाड़ी जैन समाज फिलहाल इस क्षेत्र में बहुत ही कम है। मगर, आने वाले दिनों में इसमें भी तेजी से हम आगे बढ़ेंगे, बस जरूरत है विश्व स्तरीय सोच तथा अग्रणी निर्यातक बनने का चांस लेने की।
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