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फिर आया ज्वेलरी की सेल का सीजनफेस्टिव सीजन अक्टूबर से फरवरी तक, देश भर में जमकर होगी ग्राहकी












ज्वेलरी की तगड़ी सेल का सीजन आ गया है। हमारे भारत देश में कुछ मुख्य त्यौहारों और विशेष मौकों के साथ साथ विवाह के सीजन में खास तौर पर ज्वेलरी की सेल का सीजन भी आता है, जिसमें हर स्तर के लोग आमतौर पर ज्वेलरी की खरीदारी करते हैं। ये वे लोग है, जो नौकरीपेशा हो या किसान, व्यापारी हो या उद्योगपति, सभी लोग ज्वेलरी खरीदते हैं, क्योंकि उत्सवों पर ज्वेलरी खरीदना शुभ माना जाता है, तो विवाह तो ज्वेलरी के बिना पूरे ही नहीं होते। इसी कारण ज्वेलरी के सीजन से पहले ही ज्वेलर्स अपने आप को नए डिजाइंस, नई ज्वेलरी तथा अभिनव उत्पादों के साथ कमर कस कर तैयार कर लेते हैं। अभी जैसे गणोशोत्सव के जाने के बाद नवरात्री में ज्वेलरी की खरीददारी होती है, फिर धनतेरस, दीपावली, भाई दूज, कार्तिक पूर्णिमा, क्रिसमस, नया साल और इसके साथ ही इन दिनों विवाह भी बड़े पैमाने पर होते हैं, तो उसके लिए भी लोग ज्वेलरी खरीदते हैं। इस तरह से कहा जा सकता है कि हमारे भारत देश में ज्वेलरी का सीजन आ गया है।


हमारे देश में विवाहों तथा त्योहारों के समय, ज्वेलरी की मांग बढ़ जाती है, और इसके कारण बाजार में ज्वेलरी सेल की सीजन भी चमक उठती है, जिसके परिणामस्वरूप कई ज्वेलर्स विशेष छूट और ऑफर्स भी प्रदान करते हैं ताकि लोग अपनी पसंदीदा गहनों को खरीद सकें। खासकर मे कहीं में छूट के नाम पर खूब ग्राहकी बटेरी जाती है। मुंबई में तो ऐसा फिर भी कम होता है, लेकिन देश के मझोले शहरों में ग्राहकों को लुभाने के लिए कई स्कीम और ऑफर्स दिये जाते हैं, ताकि ग्राहकी बढ़े और त्योहारी सीजन व विवाह के मौसम में ज्वेलरी बेचकर मुनाफा कमाया जा सके। भारतीय समाज में ज्वेलरी का महत्व अत्यधिक है। यह न केवल आभूषण होता है, बल्कि यह समाज में स्त्री की स्थिति को भी प्रकट करता है। विशेषकर, शादियों और महिलाओं के त्योहारों में ज्वेलरी का महत्व बढ़ जाता है। ज्वेलरी को एक परम्परागत रूप में आगे से आगे पास किया जाता है और यह दो पीढिय़ों के बीच की आपसी बंधन को भी प्रकट करता है। जैसे सास ने बहू को अपनी ज्वेलरी दी, तो जब वह बहू बाद में सास बनी, तब उस अपनी बहू या बेटी को अपनी ज्वेलरी दी।


माना जाता है कि ज्वेलरी भारतीय समाज के लिए सदा सदा से महत्वपूर्ण हिस्सा रही है, न केवल एक सुंदरता के प्रतीक के रूप में, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक संदर्भों में भी इसका काफी बड़ा महत्व रहा है। हम भारतीयों के लिए माना जाता है कि ज्वेलरी न केवल एक आभूषण होती है, बल्कि यह एक महिला की आत्मसमर्पण और आत्म-प्रतिष्ठा का प्रतीक भी है। भारत में ज्वेलरी की बिक्री का एक महत्वाकांक्षी सीजन होता है, खासकर रक्षाबंधन व गणेशोत्सव से लेकर नए साल तक यह सीजन खास माना जाता है, जिसमें लोग बड़ी संख्या में ज्वेलरी खरीदते हैं। आज यहा पर भारत में ज्वेलरी बिक्री सीजन की महत्वपूर्ण तिथियां, और इसके पीछे की कहानी के बारे में विस्तार से चर्चा करने का खास मकसद यही है कि ज्वेलरी का हर व्यक्ति के जीवन में शो पीस, संपत्ति, निवेश, और संकट के समय के साथी के रूप में बहुत अधिक महत्व रहा है।


ज्वेलरी बिक्री सीजन को वास्तव में उत्सव कहा जा सकता है क्योंकि ज्वेलरी बिक्री का यह सीजन भारत में बहुत ही धूमधाम से सभी लोगों द्वारा मनाया जाता है, भले ही कोई छोटा हो या कोई बड़ा हो, सभी लोग ज्वेलरी खरीदते ही है। इस सीजन के दौरान, जगह-जगह पर ज्वेलरी की खास मार्केटिंग की जाती है ताकि लोग अपनी पसंदीदा ज्वेलरी खरीद सकें। यह सीजन विभिन्न तिथियों पर मनाया जाता है, लेकिन सबसे अधिक इसकी चमक दीपावाली के आसपास रहती है। इसके साथ ही विवाह सीजन भी भारत में ज्वेलरी की बिक्री का मौसम माना जाता है। विवाह सीजन आमतौर पर अक्टूबर से फऱवरी के बीच होता है, जो कि फिलहाल शुरू हो चुका है, तथा अगले पांच महीने तक लगातार चलता रहेगा। भारत में ज्यादातर मामलों में इसी दौर में बहुतायत में विवाह आयोजित होते हैं। यह सीजन ज्वेलरी की सेल के लिए ज्वेलर्स के लिए बहुत ही आदर्श होता है, और लोग आमतौर पर गोल्ड, सिल्वर, डायमंड व प्लेटिनम सहित प्रिसीयस स्टोन्स की ज्वेलरी खरीदने के लिए बाजारों में पहुंचते हैं, बाजार में बैठे ज्वेलर भी ग्राहकों का दिल खोलकर स्वागत करते हैं। इसी सीजन मं ज्वेलर के हर शो रूम पर विशेष साज सज्जा देखने को मिलती है, तथा कई प्रकार के ऑफर्स भी दिये जाते हैं। खास तौर पर मेकिंग में छूट तो हर कहीं आम बात है, देखा जाए, तो सेन्को, टीबीजेड़, मलबार, रिलायंस जैसे नामी ज्वेलर्स भी खरीदी पर मेकिंग के मामले में ग्राहकों को छूट देते हैं।


नवरात्रि भारत का बहुत ही धूमधाम वाला हिन्दू त्यौहार है, जिसके दौरान महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ तथा पश्चिम बंगाल में खास तोर पर ज्वेलरी की ज्यादा बिक्री होती है, जिसके लिए इस बार भी ज्यादातर ज्वेलर्स पूरी तरह से तैयार हैं। मुंबई के ज्वेलर्स को खास तौर से यह पता है कि इसी दौरान बड़ी तादाद में ग्राहकों द्वारा खरीदी जाती है, खासकर नवरात्रि के आखिरी दिन, तो उसके लिए हर साल ज्वेलर्स पहले से ही तैयारी करके रखते हैं। धनतेरस को भी गोल्ड व सिल्वर की सेल का बहुत बड़ा दिन माना जाता है। हिन्दू धर्म के अनुसार धन और धन की आगमन के पर्व के रूप में धनतेरस को मनाया जाता है, और इस दिन लोग चांदी और सोने की खरीदारी करते हैं। यह गोल्ड व सिल्वर बार, सिक्के तथा उनसे बनी ज्वेलरी की खरीदी का सबसे शानदार समय माना जाता है, इसके साथ ही लोग अपने संचित धन की रक्षा करने उसे गोल्ड या सिल्वर में तब्दील करते हैं तथा नए निवेश के लिए ज्वेलरी खरीदने का का सुगम रास्ता अख्तियार करते हैं। ज्वेलर भी इसके लिए नए नए डिजाइंस तथा विशेष रूप से बने गहनों की लंबी रैंज तैयार रखते हैं। जिसके लिए रक्षाबंधन से पहले से ही ज्वेलर्स अपने कारीगरों को ऑर्डर दे देते हैं। धन तेरस को दीपावली के अंग के रूप में ही माना जाता है तथा इसी कारण से दीपावली को भारत में ज्वेलरी बिक्री का सबसे महत्वपूर्ण समय कहा है। लोग दीपावली पर खुद को, परिवार को तथा अपनी आर्थिक शक्ति को खास बनाने के लिए ज्वेलरी खरीदने के लिए उत्सुक दिखते हैं, तथा बाजार का हर व्यापारी इसे बखूबी समझता है, इसी वजह से दीपावली से बहुत पहले ही बाजार ज्वेलरी से सजने लगते हैं।


भारत में मुंबई, कोलकाता, दिल्ली, जयपुर, चेन्नई, बैंगलुरू, हैदराबाद, कोच्चि, तिरुवनंतपुरम जैसे कई शहर ऐसे हैं, जहां के वेलर्स वैसे तो साल भर जबरदस्त बिक्री करते हैं, लेकिन अक्टूबर से फरवरी तक का यह सीजन ज्वेलरी बिक्री सीजन के रूप में उनके लिए एक महत्वपूर्ण समय लिए होता है, ज्वेलर्स अपने नए नए डिजाइंस के गहने प्रस्तुत करते हैं, तो लोग अपने आभूषणों की खरीदारी करने के लिए कमर कस कर तैयार रहते हैं और साथ ही अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक पारंपरिकता को भी निभाते हैं। माना कि इस सीजन के दौरान, ज्वेलरी व्यवसाय भी बड़े लाभ के रूप में फायदा उठाता है और लोगों को नए और अद्वितीय आभूषणों का अवसर प्रदान करता है। लेकिन खास बात यह है कि ज्वेलरी सदियों से लोगों के आकर्षण का केंद्र रही है, तथा खासकर महिलाओं के लिए तो यह बहुत ही लुभावना अलंकरण रही है। इसी वजह से सीजन के दिनों में महिलीओं तथा घर परिवार के लोगों से बाजार पटे पड़े रहते हैं। अक्टूबर चल रहा है, और हम देख ही रहे हैं कि शहर - शहर, गांव - गांव ज्वेलरी के शो रूम्स में खरीददारों की भीड़ बढ़ती ही जा रही है तो साथ ही ज्वेलर्स के चैहरों पर भी रौनक बढ़ रही है।








बिजनेस के हिसाब से अक्टूबर से लेकर फरवरी तक की ज्वेलरी बिक्री के सीजन की यह कहानी भारतीय ज्वेलरी उद्योग के विकास का भी अहम हिस्सा है। त्यौहारों तथा विवाह से संबद्ध ज्वेलरी की सेल के इस सीजन को साल से निकाल दिया जाए, तो पीछे कुछ भी नहीं बचता।







वर्तमान में देखा जाए, तो अभी अभी शुरू हुआ बिक्री का यह सीजन न केवल सामान्य लोगों को बाजारों की तरफ आकर्षित करता है, बल्कि यह ज्वेलरी व्यवसायियों के लिए भी सबसे बड़ा मुनाफाकारक साबित होता है, क्योंकि साल भर की खरीदी ज्यादातर इसी वक्त में होती है।






जब जब बिक्री होती है, तो व्यापार बढ़ता है, लेकिन खास तौर से ज्वेलरी डिज़ाइन और मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों के लिए यह सीजन नए ग्राहकों जोडऩे तथा कस्टमेर बेस बढ़ाने का एक अच्छा मौका होता है। जो ग्राहक एक बार जुड़ जाता है, वो आसानी से कहीं और नहीं जाता।



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