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लेकिन गोल्ड के हालात बताते हैं कि बहारें फिर से आएंगी ट्रंप के आते ही गोल्ड धड़ाम

Aabhushan Times









राकेश लोढ़ा


बाजार देख रहा है कि गोल्ड गिर रहा है, लेकिन बाजार के जानकार कहते हैं कि ये गिरावट स्थायी नहीं है। अभी तो डोनाल्ड ट्रंप आए हैं और उनके आने और नीतियों की घोषणा से गिरावट सहज है, लेकिन इस गिरावट से अमेरिका का बढ़ता राजकोषीय घाटा, बेहद हाई लोन रेट, इंटरनेशनल लेवल पर विभिन्न देशों के बीच का राजनीतिक तनाव, अमेरिकी मुद्रा डॉलर के विरुद्ध अपने देशों की मुद्रा को मजबूती देने की कोशिश में केंद्रीय बैंकों द्वारा गोल्ड की खरीद से आने वाले कुछ ही महीनों की अवधि में गोल्ड की कीमतों में उछाल की पक्की संभावना है। वैसे भी गोल्ड इस साल भर में ही 33 फीसदी से ज्यादा बढ़ा है, तो करेक्शन तो आना ही है क्योंकि इसे फिर से आगे बढ़ते हुए 2025 के अंत तक 1 लाख का आंकड़ा छूना संभव है।


अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद दुनिया भर के बाजारों में गोल्ड के रेट्स में भारी गिरावट आई है। फिर भी, गोल्ड के लिए खरीदी की को फायदे के दृष्टिकोण का सहयोग मिलने से बिकवाली का मामला सकारात्मक बना हुआ है। लोगों को लग रहा है कि गोल्ड में गिरावट टेंपरेरी है, और आने वाले कुछ महीनों में इसके संभावित उछाल से लाभ उठाने के लिए गोल्ड खरीदने के लिए सबसे अच्छा अवसर मानकर गोरिवट में भी लोग गोल्ड खरीदे जा रहे हैं। गोल्ड के फ्यूचर्स की चालों के विश्लेषण से संकेत मिलते हैं कि इसमें और भी थोड़ी गिरावट जारी रह सकती है। क्योंकि गोल्ड बुल्स को लगता है कि निवेश के लिए इस मेटल को इतने ऊंचे स्तर पर रखना डरावना है। लेकिन गोल्ड के अब तक के इतिहास को देखते हुए माना जा रहा है कि गोल्ड मार्केट के जानकार कहते हैं कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि अमेरिकी फेडरल बैंक द्वारा ब्याज दरों में कटौती की व्यापक रूप से उम्मीद के बाद से 30 अक्टूबर, 2024 को गोल्ड इंटरनेशनल मार्केट में 2801.80 यूएस टॉलर के अपने सबसे उच्च स्तर को छूने के बाद गोल्ड फ्यूचर्स में तेज गिरावट देखी गई है, जो आखिरकार निचले स्तर पर 2550 से भी नीचे आने की भविष्यवाणी सच साबित हुई, जिसने गोल्ड में इस बिकवाली को बढ़ावा दिया। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में डोनाल्ड ट्रम्प की जीत ने भी गोल्ड की कीमतों में इस गिरावट के मामले में आग में घी डोलने का काम किया है, क्योंकि इंटरनेशनल मार्केट में निवेशकों द्वारा अपना पैसा गोल्ड से निकालकर क्रिप्टो करेंसी में स्थानांतरित करने की संभावना है। हालांकि भारत में क्रिप्टो करेंसी की खरीदी व बिक्री पर रोक है और इसे अवैध रखा गया है, लेकिन भारतीय कई निवेशकों ने, जो गोल्ड के बड़े बिजनेसमैन हैं, उन्होंने दूसरे देशों में अपने अधिकारिक व्यापारिक खातों के जरिए क्रिप्टो करेंसी में ट्रेडिंग करके करोड़ों रुपए कमाए हैं। नवंबर महीने के पहले हफ्ते में अमेरिका में हुए राष्ट्रपति चुनाव के बाद से ही बिट्कॉइन लगातार नए ऑलटाइम हाई बना रहा है। ट्रंप की जीत के बिट्कॉइन में जोरदार तेजी देखने को मिली और पहली बार बिट्कॉइन 90000 डॉलर के पार चला गया और भविष्यवाणी की जा रही है कि इसके जल्द 1 लाख डॉलर के पार जाने की संभावना है। ऐसे में गोल्ड की क्रिप्टो करेंसी से हैजिंग करने वाले हर रोज करोड़ों कमा रहे हैं।


अमेरिका में ट्रम्प के चुनाव के प्रति गोल्ड की मंदी की प्रतिक्रिया उनके आर्थिक कार्यक्रम द्वारा समझाई गई है, जिसे मुद्रास्फीतिकारी माना जाता है, जिसमें सभी आयातों पर टैरिफ लगाने की इच्छा भी शामिल है। अर्थशास्त्रियों को डर है कि इससे फेडरल बैंक अपनी ब्याद दरों में कटौती को धीमा कर देगा, जिसे गोल्ज के लिए नकारात्मक मनाना जाता है। खास बात यह है कि ट्रम्प के चुनाव ने डॉलर को भी उछाल दिया है, जो डॉलर के संदर्भ में गोल्ड के प्रति औंस के मूल्य पर सीधे ताकतवर रूप से बोझ डालता है। हालांकि, गोल्ड की गिरावट के बावजूद, यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि डोनाल्ड ट्रम्प की आर्थिक नीतियों से बजट घाटे में वृद्धि और राजकोषीय संतुलन में कमी आने की भी पक्की संभावना है, जो आने वाले दिनों में गोल्ड के लिए काफी सकारात्मक संकेत है। इसके अलावा, दुनिया भर में गोल्ड की तेजी के कुछ खास तत्व भी पूरी ताकत से अपना असर बनाए हुए हैं। अन्य तेजी वाले कारक जो गोल्ड को अपने हाल के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर ले गए, वे प्रासंगिक बने हुए हैं, जैसे कि भू-राजनीतिक तनाव लगातार बढ़ रहे हैं और केंद्रीय बैंकों द्वारा भारी खरीद भी लगातार जारी रहने की संभावना है। दरअसल, कई देशों के केंद्रीय बैंक अपने देश के आर्थिक संतुलन को मजबूत बनाए रखने की कोशिश में अपने विदेशी मुद्रा भंडार को डॉलर से हटाकर गोल्ड में बदल रहे हैं, क्योंकि यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में रूस के खिलाफ प्रतिबंधों ने डी-डॉलराइजेशन आंदोलन को स्पीड दी है। इसलिए डोनाल्ड ट्रम्प के चुनाव के मद्देनजर गोल्ड की कमजोरी को खरीदारी के अवसर के रूप में देखा जा सकता है। गोल्ड से लाभ कमाकर अपनी आर्थिक हालत को मजबूत करने की कोशिश के रूप में दुनिया के कई देशों में गोल्ड स्टॉक रखतने की परंपरा है। यह गोल्ड के कभी कमजोर ना होने का सबसे प्रमुख पैमाना है। इसलिए, गोल्ड में खरीदी के सबसे अच्छे अवसरों के रूप में गोल्ड में गिरावट में खरीदी को देखा जाता है। गोल्ड के जानकार मानते हैं कि डोनाल्ड टं्रर्प की जात के बाद से गोल्ड में आई वर्तमान कमजोरी केवल अस्थायी है, और यह फिर तेजी से अपने सर्वकालिक उच्च स्तर को जारी रखेगी।


हालंकि कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि इंटरनेशनल मार्केट में गोल्ड के दाम नवंबर महीने के पहले सप्ताह में ही 5 फीसदी तक टूट चुके थे और गोल्ड मार्केट के जानकारों का अनुमान है कि डॉलर इस साल के अंत तक 107 का लेवल छू सकता है। मतलब रुपया लगातार टूटेगा और इसका साफ मतलब यह है कि इंटरनेशनल मार्केट में गोल्ड की कीमतों में और ज्यादा दबाव देखने को मिलेगा। इन जानकारं का तो यहां तक कहना है कि इंटरनेशनल मार्केट में गोल्ड 2300 डॉलर तक पर देखने को मिल सकता है। यही वजह से इस साल के अंत तक गोल्ड की कीमतें 70 हजार रुपए के लेवल पर दिखाई दे सकती हैं। लेकिन ये ही जानकार गोल्ड के सन 2025 के अंत तक लगभग एक लाख रुपए के पार जाने की संभावना भी व्यक्त करते हैं, क्योंकि इनका मानना है कि डोनाल्ड ट्रंप की बिटकॉइन को बढ़ावा देने की आर्थिक नीतियों से अमेरिका में जो वहां की अर्थव्यवस्था को जो नुकसान होगा उसकी भरपाई गोल्ड से ही संभव होगी।


ऐसे में गोल्ड को सस्ता करना संभव ही नहीं है। बाजार के जानकार कहते हैं कि गोल्ड मं गिरावट जारी भी रहती है, तो इसके किसी भी हाल में 70 हजार से नीचे जाने की तो फिलहाल कोई संभावना ही नहीं है। इंटरनेशनल मार्केट में गोल्ड के दाम 2400 से 2300 डॉलर पर प्रति औंस जाते हैं, तो भारत में एमसीएक्स सहित फिजीकल मार्केट में गोल्ड की कीमत 70 हजार रुपए तक लेवल पर भी नीचे उतर सकती । लेकिन ये ही जानकार यह भी कहते हैं कि फिर, 70 हजार से गोल्ड जो उछाल मारेगा, उसकी तेजी देखने लायक होगी, क्योंकि आने वाले साल के अंत तक हर हाल में इसे 1 लाख तक तो पहुंचना ही है, तभी अमेरिका सहित दुनिया के कई देशों की आर्थिक हालत का संतुलन बरकरार रहेगा। वैसे भी गोल्ड डॉलर की बढ़ती कीमतों को गोल्ड की कीमतों का सबसे बड़ा दुश्मन माना जा सकता है।




प्रमोद मेहता - शाईन शिल्पी




जैसा कि माना जा रहा था कि डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद डॉलर को मजबूती मिलती हुई दिखाई देगी। वास्तव में  ऐसा ही हुआ है। लेकिन ट्रंप की जीत के लिए भारत में जो सपने देखे जा रहे थे, वे गोल्ड की कीमतें गिरने के मामले में इतनी गिरेगी, ऐसा किसी ने नहीं सोचा था।



जयंतिलाल सोलंकी - संगम चेन्स एन ज्वेल्स





डॉलर लगातार तेजी के साथ बढ़ रहा है और आने वाले दिनों में इसे और भी ज्यादा मजबूती मिलती हुई दिखाई दे सकती है। ऐसे में गोल्ड में गिरावट तो आनी ही है, लेकिन कुछ समय के बाद दुनिया के बाकी देशों की मुद्रा सुधारने के लिए गोल्ड के रेट तो बढ़ेंगे, यह भी निश्चित है। 





अमीत सोनी - एम एल कन्हैयालाल ज्वेल्स




इस वित्तीय वर्ष के अंत तक डॉलर इंडेक्स 107 के लेवल पर पहुंच सकता है, और गोल्ड 2025 के अंत तक 1 लाख पर पहुंचेगा। मतलब साफ है कि रुपया भी और टूटेगा और गोल्ड भी बड़ी मजबूती से बढ़ेगा। क्योंकि डॉलर के महंगा होने से हर चीज महंगी होगी, तो गोल्ड कैसे सस्ता होगा।





अश्विन शाह - अंसा ज्वेलर्स प्रा. लि.





गोल्ड के गिरने से बाजार में कोई खास चिंता नहीं है, बल्कि रेट गिरने से सीजन की ग्राहकी के साथ साथ भविष्य में रेट फिर से ऊपर हो जाने की आशा में सेल मजबूत हुई है। गोल्ड में जल्द ही फिर से तेजी की संभावना पक्की है, क्योंकि यूएस डॉलर में और तेजी आने की संभावना है।

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