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सन 2030 तक गोल्ड 2 लाख से भी ज्यादा ऊपर जाने की संभावना

Aabhushan Times

और बढ़ेगी गोल्ड की चमक







राकेश लोढ़ा

गोल्ड अपनी चमक बढ़ा रहा है, बढ़ाता ही जा रहा है और आने वाले कुछ साल तक इस चमक के फीकी पडऩे की कोई संभावना भी नहीं दिखती। गोल्ड में पिछले साल भर में जो तेजी देखने को मिली है, उसे ऐतिहासिक तेजी कहा जा सकता है क्योंकि रेट 60 हजार के स्तर से ऊपर उठकर से 80 हजार का आसमान छूने के स्तर पर पहुंच गए हैं। विशेषज्ञों को उम्मीद है कि इंटरनेशनल मार्केट में गोल्ड अगले साल 2025 में 3000 डॉलर के स्तर को छू लेगा, जो कि अभी 2684 का आंकड़ा तो छू चुका है और अक्टूबर के पहले सप्ताह के अंत तक 2654 पर क्लोज हुआ। इससे साफ लगता है कि अगले साल गोल्ड इंटरनेशनल मार्केट में लगभग 350 पॉइंट की तेजी पकड़ेगा, तो भारत में लगभग 15 हजार से 20 हजार रुपए के बीच गोल्ड के रेट बढ़ेंगे। मतलब, साफ है कि 2025 के अंत तक भारत में गोल्ड के 1 लाख के आसपास पहुंचने के संकेत मिल रहे हैं, जो कि दिख भी रहे हैं। ऐसे में यह कहना उचित होगा कि ज्वेलरी मार्केट में खरीदी में तेजी आ सकती है क्योंकि जैसे जैसे गोल्ड के भाव बढऩे की बात लोगों तक पहुंचती है, तभी वे महंगा होने से पहल  खरीदने के लिए बाजार की ओर भागते हैं कि कहीं बाद में रेट बढ़ न जाएं, उससे पहले ही खरीदी करके मुनाफा कमाया ला जाए। इस हिसाब से ज्वेलरी मार्केट के लिए सकारात्मक संकेत है। गोल्ड का गहन अध्ययन करने वाले बताते हैं कि दुनिया भर के देशों के जो आर्थिक - सामरिक हालात होते जा रहे हैं, उनके बीच इंटरनेशनल मार्केट में लॉगटर्म पूर्वानुमान के मुताबिक, सन 2026 में गोल्ड के रेट्स 3500 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकते है, तो सन2027 में गोल्ड के रेट्स 4000 डॉलर से भी ऊपर जा सकते हैं। इसी तेजी से बढ़त बनाते हुए गोल्ड 2029 में 4800 डॉलर और 2030 तक 5000 डॉलर से ज़्यादा ऊपर जा सकता है। इसका मतलब साफ है कि भारत में गोल्ड अगले 6 साल में 2 लाख रुपए प्रति 10 ग्राम से आगे भी जा सकता है। 


ज्वेलरी बिजनेस में जो लोग पिछले 50 साल से हैं, उन परंपरागत एवं पीढ़ी दर पीढ़ी व्यापार सम्हालने वाले ज्वेलर्स के लिए यह तेजी किसी चमत्कार से कम नहीं है। क्योंकि गोल्ड में ऐसी तेजी कभी नहीं देखी, वह बहुत तेजी से बढ रहा है। लेकिन नई पीढ़ी पीढ़ी के जो लोग पढ़ लिख कर दुनिया जहान की जानकारी जुटाकर गोल्ड, सिल्वर या ज्वेलरी के बिजनेस में आए हैं, उनको यह तेजी सामान्य लग रही है क्योंकि उनका मानना है कि सारी दुनिया आगे बढ़ रही है, तो गोल्ड की शाइनिंग भी बढ़ रही है। लेकिन भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 2024 में अब तक 87.6 बिलियन डॉलर तक बढ़ चुकाहै, जो कि पिछले पूरे साल की 62 बिलियन डॉलर की वृद्धि से बहुत ज्यादा है। अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड में गिरावट, रुपए के मुकाबले भले ही थोड़ा सा ही सही, लेकिन अपेक्षाकृत कमजोर होता डॉलर और पूरे विश्व में बढ़ती की कीमतों में वृद्धि के कारण भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी हुई। हमारे देश में विदेशी मुद्रा भंडार ही गोल्ड की कीमतों को सपोर्ट करता है, इसी कारण ज्वेलर्स को या बुलियन विक्रेताओं को घबराने की जरूरत नहीं है कि गोल्ड तेजी से बहुत ज्यादा ही आगे बढ़ रहा है, तो फिर गिरेगा भी तेजी से। आभूषण टाइम्स की आपको सलाह है कि निश्चित रूप से गोल्ड गिरेगा, लेकिन धड़ाम से नहीं गिरेगा। 80 हजार का स्तर छुकर वह थोड़ा सा नीचे आ गया तो भी कोई आसमान फटेगा नहीं। और 75 हजार पर भी आ गया, तो यकीन मानिये कि वह ज्य़ादा दिन नहीं ठहरेगा, वह फिर से दो छलांग ऊपर उठकर सीधे 85 हजार का आंकड़ा पार करता हुए सीधा 90 हजार तक पहुंचेगा। वैश्व्क स्तर पर गोल्ड के जानकार मान रहे हैं कि साल 2024 के अंत तक ही गोल्ड 1 लाख का स्तर छूता दिख सकता है, लेकिन कुछ लोग 1 लाख का आंकड़ा कुछ ज्यादा मानते हुए बताते हैं कि गोल्ड इसी साल हर हाल में 85 हजार का आंकड़ा तो पार कर ही सकता है। 


गोल्ड में चढ़त-बढ़त हर पल देखी जाती है, इस कारण पिछले बीते महीने सितंबर 2024 की बात करें, तो गोल्ड केवल 3 सप्ताह में ही 70 हजार से 78 हजार पर पहुंच गया। उससे पहले जुलाई महीने में महीने भर की मजबूत बढ़ोतरी के बाद के बाद, अगस्त में गोल्ड ने एक और शानदार लाभ दर्ज किया और 3.6त्न बढक़र इंटरनेशनल लेवल पर कॉमेक्स 2513 पर बंद हुआ। और उसी महीने के तीसरे सप्ताह के अंत में बहुत मामूली गिरावट से पहले 20 अगस्त को यह अपने एक नए आल टाइम हाई लेवल स्तर पर पहुंच गया। इस तरह से हम अगर हमारे गोल्ड रिटर्न एट्रिब्यूशन मॉडल का अध्ययन करते हैं, तो अमेरिकी डॉलर में गिरावट और कुछ हद तक 10 साल के ट्रेजरी यील्ड में कमी के कारण गोल्ड की कीमतों में ताजा उछाल आया, क्योंकि अमरीकी फेडरल बैंक ने वहां पर ब्याज की दरों में कटौती का समय आ जाने के संकेत दे दिए थे। अगस्त व सितंबर में यह भी खास बात रही कि जुलाई के अंत में भारत में गोल्ड पर इंपोर्ट ड्यूटी में 9 फीसदी की उल्लेखनीय कटौती की गई, जिससे देश में गोल्ड की डिमांड को बहुत तेजी से बढ़ावा मिला। कुछ जानकार बताते हैं किगोल्ड पर इंपोर्ट ड्यूटी में 9 फीसदी कटौती के बाद ज्वेलरी के रिटेल सेलर्स के साथ-साथ उपभोक्ताओं की ओर से भी मजबूत खरीदारी की गई।


हमारे देश में देखा जाए, तो स्वास्थ्य के बाद गोल्ड को ही वास्तविक धन माना जाता है। फिर यह हमारी संस्कृति से भी जुड़ा है। इतिहास गवाह है कि हमारी भारतीय संस्कृति में गोल्ड केंद्रीय भूमिका में सदा से रहा है। इसे दुनिया की किसी भी वस्तु के मूल्य के आंकलन का पैमाना कहा जाता है तथाधन और प्रतिष्ठा के प्रतीक सहित विवाह, जन्म, पूजा आदि कई अनुष्ठानों का एक मूलभूत हिस्सा माना जाता है। देश की ग्रामीण आबादी में, गोल्ड के प्रति गहरा लगाव इसको सहेज कर रखने के साथ साथ मुश्किल दिनों का मुकाबला करने के हथियार के रूप में भी देखा जता है, इसीलिए इसके निवेश के रूप में ज्वेलरी की पोर्टेबिलिटी और आर्थिक सुरक्षा के व्यावहारिक सिद्दांत के साथ गोल्ड का माना जाता है। गोल्ड व्यक्तिगत जीवन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है। गोल्ड ज्वेलरी गिफ्ट करना हमारे समाज में विवाह केविभिन्न रीति रिवाजों में एक गहरा हिस्सा माना जाता है, उसी कारण है भारत में वार्षिक गोल्ड की डिमांड का लगभग 50 प्रतिशत गोल्ड ज्वेलरी सेक्टर में खपता है। वैसे देखा जाए, तो जैन व हिंदू संस्कृतियों में गोल्ड को विशेष रूप से बहुत ही शुभ माना जाता है। तो इसीलिए गोल्ड ज्वेलरी वैश्विक स्तर पर भी खरीदी के क्षेत्र में अपनी धाक जमा रही है। गोल्ड की वैश्विक डिमांड में भारत अकेला देश है जहां 50 फीसदी गोल्ड ज्वेलरी में खपता है। पूरी दुनिया के सभी देशों में गोल्ड की सालाना डिमांड का प्रमुख बड़ा स्रोत विदेशी मुद्दा भंडारण है, लेकिन भारत में इसके अलावा ज्वेलरी सेक्टर भी बड़ा कारण है, क्य़ोंकि भारतीय़ समाज में हर उत्सव, पर्व, त्योंहार व महत्वपूर्ण अवसर पर गोल्ड ज्वेलरी व दान करने की पहनने की परंपरा है। भारत की अर्थ व्यवस्था में आई मजबूती के साथ ही हाल के दशकों में इसमें और तेजी आई है, लेकिन अभी भी कुल गोल्ड डिमांड का लगभग 50त्न हिस्सा ज्वेलरी सेक्टर का है। क्योंकि भारत में ज्वेलरी सबसे ज्यादा बिकती है। इसके पीछे सामाजिक व सांस्कृतिक परंपरा ही सबसे बड़े कारण हैं। जैन व हिंदू विश्व के किसी भी कोने में रहे, विधि-परंपरा के अनुसार दोनों की संस्कृतियों के लोगों में विवाह सहित सभी महत्वपूर्ण समारोहों, उत्सवों, पर्वों, और धार्मिक अवसरों पर गोल्ड ज्वेलरी पहनने के रिवाज का पालन दोनों ही धर्मों में परंपरा के तहत किया जाता है। भारतीय कैलेंडर की सबसे महत्वपूर्ण तिथियों में से दीपावली के अलावा, देश भर में क्षेत्रीय त्यौहार भी गोल्ड के साथ मनाए जाते हैं। महावीर जयंती की शोभा यात्राओं सहित दीपावली, धन तेरस आदि में घरों में पूजा के दौरान भी गोल्ड धारण करने की परंपरा रही है। हिंदू संस्कृति में अक्षय तृतीया, पोंगल, ओणम और उगादि,दुर्गा पूजा, गुड़ीपड़वा, बैसाखी, करवा चौथ जैसे धार्मिक अवसरों पर भी गोल्ड ज्वेलरी पहनी जाती है। भारत की तरह चीन भी दुनिय में अब तक के सबसे बड़े आभूषण बाज़ार हैं, जिनकी कुल वैश्विक बिक्री में 50 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी है। वैश्विक स्तर पर विभिन्न देखशों के सैंट्रल बैंक अपने देश की अर्थ व्यवस्था को नियंत्रित करने के लिए रखे गए विदेश मुद्दा व गोल्ड भंडार में गोल्ड एक महत्वपूर्ण भूमिका मानते है, और सारे ही सेंट्रल बैंकगोल्ड के महत्वपूर्ण भंडारक हैं। भारत में जब सन 2008 का वित्तीय संकट आया, तो गोल्डही हमारे देश की वित्तीय हालत सुधारने का आधार बना। इसी वजह से फिलहाल एक बार फिर से दुनिया में अर्थव्यवस्ता के मामले में उभरते देशों के केंद्रीय बैंकों ने अपनी गोल्ड की खरीद बढ़ा दी है, जबकि यूरोपीय बैंकों ने गोल्ड की सेल बंद कर दी है, इसी कारण गोल्ड के रेट तेजी से बढने लगे हैं। भारत में ज्वेलरी में खपने, निवेश के रूप में सहेजे जाने तथा सेंट्रल बैंक की खरीदी के बाद गोल्ड का सबसे ज्यादा औद्योगिक धातु के रूप में कई तरह के अनुप्रयोगों में भी गोल्ड का उपयोग किया जाता है, इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र और प्रौद्योगिकी में उपयोग किए जाने वाले गोल्ड का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा है।


जानकारों का मानना है कि यूक्रेन युद्ध और मिडिल ईस्ट के देशों में तनाव के कारण साल 2025 में गोल्ड और प्रीमियम होकर उभरेगा। इसके अलावा, भारत में मुद्रास्फीति अभी भी एक सबसे बड़ी चिंता का विषय है, बढ़ती कीमतों को जनसंख्या की आय के हिसाब से संतुलित करना भी गोल्ड के ही जिम्मे है। क्योंकि गोल्ड का मुद्रास्फीति से सीधा संबंध है, इसलिए गोल्ड की कीमत अधिक होनी चाहिए। माना जा रहा है कि अमेरिका गोल्ड के प्रीमियम को बढ़ाता रहेंगा, और 2025 में क़मेक्स पर गोल्ड 2800 से लेकर 3000 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकता है, जो कि अभी अक्टूबर की शुरूआत में 2684 तक तो पहुंच ही गया था। इसके अलावा, दुनिया भङर के देशों के विभिन्न सेंट्रल बैंक भी लगातार गोल्ड का खरीदना जारी रख रहे हैं। ऐसे में गोल्ड में लगातार तेज सकारात्मक वृद्धि होने की संभावना है।






 सुरेश जैन - रॉयल चेन्स

मेरा अनुमान है कि गोल्ड में तेजी जारी रहेगी। अगले 4 महीनों मेंगोल्ड के रेट82000 रुपये पहुंच सकतेहैं। इसी तर्ज पर गोल्ड को लॉगटर्म की तेजी देखें, तो सन 2030 तक भारत में गोल्ड 2 लाख रुपए प्रति 10 ग्राम पर पर भी पहुंच सकता है।






मदन कोठारी - मास्टर चेन्स

गोल्ड हर रोज नए रिकॉर्ड बना रहा है। भारत में गोल्ड की 10 ग्राम 24 कैरेट सोने कीकीमत 31 मार्च 2024 को 67420 रुपए हो गई थी। लेकिन केवल 6 महीने बाद ही वर्तमान में 77500 पर बिक रहा है, तो भी इसके और आगे जाने की संभावना है






मनोज जैन - शांती गोल्ड इंटरनेशन लि.

गोल्ड महंगा होता जा रहा है, लेकिन जब भी किसी चीज की डिमांड बढ़ती है तो उसकी कीमत भी बढ़ जाती है,यह मौलिकसिद्धांत है। इंटरनेशनल हालातों के कारण गोल्ड की डिमांड बढ़ी है, तो उसी हिसाब से उसकी कीमतें भी बढऩा वाजिब  है।






दिनेश सेमलानी - जैनम बुलियन

गोल्ड की कीमतों में लगातार उछाल देखने को मिल रहा है। गोल्ड हर रोज ऑल टाइम हाई पर पहुंच कर अगला रिकॉर्ड बनाता जा रहा है। पीछे मुडक़र देखने का तो नाम ही नहीं है। ऐसे में आने वाले कुछ महीनों में गोल्ड में तेजी साफ दिख रही है।


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