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  • Aabhushan Times

सिल्वर सवा लाख...!कोई आश्चर्य नहीं कि 2025 में यह भाव देखने को मिले


सोना और चांदी लगातार निवेशकों की पहली पसंद बने हुए हैं, और चांदी के रेट मई के आखरी सप्ताह में अपने ऑल टाइम हाई 97100 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गए थे। तमाम भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं, स्थिर मुद्रास्फीति और फेडरल ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों के कारण इस साल कीमती धातुओं में खास तौर से चांदी में उछाल आया है। घरेलू बाजारों में चांदी की कीमतें 20 प्रतिशत बढक़र 97000 हजार रुपए प्रति किलोग्राम पर पहुंच गईं और 10 फीसदी के उपर - नीचे के उतार चढ़ाव पर तैर रही रही हैं, जबकि सोने की कीमतें 16 प्रतिशत बढक़र 73000 प्रति 10 ग्राम के करीब चल रही हैं। देश में सिल्वर की खपत लगातार बढऩे से उसी अनुपात में उसके रेट्स भी बढऩे से माना जा रहा है कि सिव्लर के रेट्स में इसी साल लगभग 15 फीसदी का और इजाफा हो सकता है। इंटरनेशनल लेवल पर सिल्वर ट्रेड के जानकारों का कहना है कि सन 2025 तक सिल्वर सवा लाख तक भी पहुंच सकता है और किसी भी हाल में, 1 लाख 15 हजार का आंकड़ा छूना तो सिल्वर के लिए कोई मुश्किल बात नहीं लगती। इस हिसाब से तो कहा जा सकता है कि सिल्वर की महंगाई की रफ्तार पर रोक लगना कोई आसान खेल नहीं है।

ज्वेलरी के मामले में भी सिल्वर काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है, तो इंडस्ट्रीयल यूज के लगातार बढ़ते रहने के कारण भी सिल्वर की बढ़त में रफ्तार बनी हुई है। इसी वजह से ज्यादातर लोगों की नजर सिल्वर की बढ़ती कीमतों पर बनी रहती है। खास बात ये है कि सिल्वर ने रिटर्न देने के मामले में गोल्ड को भी पीछे छोड़ दिया है। इलेक्ट्रिक वेहिकल, हाइब्रिड कार और सोलर पैनल में इसका इस्तेमाल होने की वजह से सिल्वर की डिमांड में अच्छा उछाल आ रहा है। ज्वेलरी यूज को पछाडक़र सिल्वर खास तौर से अब एक इंडस्ट्रियल मेटल की तरह डेवलप हो चुकी है। इसकी कीमतें 97 हजार रुपये प्रति किलो तक पहुंचने की वजह यही है कि इसका इंटस्ट्रियल यूज लगातार बढ़ता जा रहा है। सबसे बड़ी बात ये है कि सिल्वर ने मई महीने में न सिर्फ गोल्ड बल्कि शेयर बाजार से मिलने वाले रिटर्न को भी कमाई के मामले में पीछे छोड़ दिया है।


इस साल चांदी में लगभग 30 फीसदी का उछाल देखने को मिल रहा है, और उसी रफ्तार से सिल्वर की चमक बढ़ती रही, तो इसमें लगभग 50 फीसदी का उठछाल आने वाले कुछ ही महीनों में देखनो के मिल सकता है। साफ दिख रहा है कि इस हिसाब से तो सिल्वर के रेट 1 लाख 15 हजार से लेकर सवा लाख के बीच तेजी से पहुंच सकते हैं। बाजार के जानकार बताते हैं कि सिल्वर ने इस साल निवेशकों को अच्छे रिटर्न दिए हैं। साल 2024 में कॉमेक्स  पर सिल्वर के रेट लगभग 30 फीसदी उछाल मार चुके हैं। एमसीएक्स पर भी सिल्वर अपने ऑल टाइम हाई रेट पर ट्रेंड करके फिर से उसी के आसपास पहुंच चुकी है। सरकारी रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर के विभिन्न औद्योगिक देशों में ईवी और हाइब्रिड कारों की बहुत तेजी से लगातार बढ़ती डिमांड और बिजली के समस्त स्रोतों के तेजी से सूखते संकट के कारण सोलर एनर्जी पर बढ़ते फोकस से भी सिल्वर को बड़ा सहारा मिला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार भी सोलर एनर्जी पर लगातार फोकस बढ़ाती जा रही है। देश के विभिन्न औद्योगिक संस्थानों, सार्वजनिक स्थलों और घरेलू सोसायटियों में भी इसी के चलते सोलर पैनल की डिमांड में जबरदस्त तेजी आ रही है। अनुमान जताया जा रहा है कि सिल्वर की इंडस्ट्रियल डिमांड इस साल 10 फीसदी और बढ़ सकती है। अगर ऐसा हुआ, तो सिल्वर के रेट 1 लाख 10 हजार के पार भी 2025 तक पहुंच सकते हैं। 


इस साल अब तक चांदी की कीमतों ने बढ़ोतरी से मामले में गोल्ड को पीछे छोड़ दिया है। घरेलू हाजिर बाजारों में, इस साल अब तक चांदी में करीब 20 फीसदी की तेजी आई है और यह 97000 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर कारोबार करने तक पहुंच गई थी, लेकिन फिर से एक स्लोप आया और थोड़ी नीचे आने के बाद एक बार फिर से तेजी पकडऩे की राह पर है। दूसरी ओर, इस साल अब तक सोने की हाजिर कीमतों में करीब 16 फीसदी की तेजी आई है और गोल्ड अधिकतम 76000 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर कारोबार करके थोड़ा सा नीचे उतरा है। देखा जाए, तो  20 मई को अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में गोल्ड की कीमतें आधे प्रतिशत से अधिक बढक़र रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गईं, जबकि चांदी की कीमतों में एक प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई, क्योंकि पिछले सप्ताह के अमेरिकी डेटा से यह उम्मीद जगी थी कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व इस वर्ष दो बार ब्याज दरों में कटौती कर सकता है।


वैसे देखा जाए, तो गोल्ड व सिल्वर की कीमतें मोटे तौर पर एक समान चलती है और व्यापक आर्थिक अनिश्चितता, दुनिया के देशों के बीच के राजनीतिक संबंधों,  मुद्रास्फीति और ब्याज दरों में कटौती के बीच इनमें बढ़ोतरी होती है। हालाँकि, सिल्वर का एक अतिरिक्त लाभ यह भी है कि यह एक औद्योगिक धातु है। और औद्योगिक मांग में लगातार हो रही तेज वृद्धि भी सिल्वर की मांग को बढ़ाने वाला एक अन्य सबसे महत्वपूर्ण कारण है। सिल्वर का उपयोग कई उद्योगों में किया जाता है, जिसमें सौर पैनल और इलेक्ट्रिक वाहन शामिल हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, वैश्विक स्तर पर उत्पादित चांदी का लगभग 50 प्रतिशत औद्योगिक क्षेत्रों में उपयोग किया जाता है। जानकार कहते हैं कि सिल्वर का अनूठा आकर्षण एक कीमती और औद्योगिक धातु के रूप में इसकी दोहरी भूमिका में निहित है। खास बात ये है कि तेजी से बढ़ते सौर ऊर्जा उद्योग में इसकी मांग एक महत्वपूर्ण कारण है, क्योंकि फोटोवोल्टिक पैनलों के निर्माण के लिए सिल्वर बहुत ही आवश्यक तत्व है। सन 2024 में सिल्वर की वैश्विक मांग 1.2 बिलियन औंस तक पहुंचने की उम्मीद है, जो संभवत: अब तक का दूसरा सबसे ऊंचा स्तर होगा। तो इसी से साफ है कि सिल्वर की डिमांड में बढ़ोतरी होगी तो रेट्स भी बढ़ेंगे ही।


अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, सोलर पीवी पैनल निर्माताओं की ओर से सिल्वर की मांग 2030 तक लगभग 170 प्रतिशत बढऩे का अनुमान है, जो वर्तमान रुझानों के आधार पर लगभग 273 मिलियन औंस या कुल सिल्वर की मांग के लगभग पांचवें हिस्से तक पहुंच जाएगी। सोलर पीवी विनिर्माण में वैश्विक निवेश पिछले वर्ष दोगुना से अधिक होकर लगभग 80 बिलियन डॉलर हो गया, जो स्वच्छ प्रौद्योगिकी विनिर्माण में वैश्विक निवेश का लगभग 40 प्रतिशत है। चीन ने, विशेष रूप से, 2022 और 2023 के बीच सौर पीवी विनिर्माण में अपने निवेश को दोगुना से अधिक कर दिया है। इसके अलावा, सिल्वर जिसे अक्सर 'गरीब का गोल्डÓ कहा जाता है, इसकी पहुंच और सामर्थ्य इसे निम्न आय वर्ग के लोगों के लिए विशेष रूप से ज्वेलरी के रूप में पसंदीदा विकल्प बनाते हैं।


कुछ जानकार यह भी कहते हैं कि गोल्ड के रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने से सिल्वर से बनी ज्वेलरी की मांग में भी बहुत तेज सुधार हुआ है। मुंबई सहित देश भर के ज्वेलर्स सिल्वर ज्वेलरी में कदम बढ़ाते रहे हैं, जो अब और तेज हो रहे हैं। खास तौर से युवा पीढ़ी सिल्वर ज्वेलरी की तरफ दुनिया भर में बहुत तजी से आकर्षित हो रही है। सिल्वर इंस्टीट्यूट के अनुसार, सिल्वर की ज्वेलरी की वैश्विक मांग में 6 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है, जिसका नेतृत्व भारत करेगा। मतलब यह है कि भारत में सिल्वर ज्वेलरी की डिमांड बढ़ेगी और दुनिया भर के देशों की सिल्वर ज्वेलरी की आपूर्ति भी भारत ही करेगा। खास बात यह है कि वैश्विक स्तर पर सिल्वर बाजार में चीन की भूमिका बढ़ रही है। चीन इलेक्ट्रॉनिक्स, सौर ऊर्जा और विनिर्माण सहित विभिन्न उद्योगों में एक प्रमुख उत्पादक देश है, जहां सिल्वर का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। इसलिए, चीन सहित भारत में भी इस क्षेत्र में वृद्धि लंबे समय तक सिल्वर की मांग में योगदान देती रहेगी। कहना यही होगा कि सिल्वर वह कीमती धातु है, जिसकी खरीदी में अल्प से मध्यम अवधि तक का परिदृश्य बेहद उज्ज्वल है। सिव्लर क्षेत्र के जनकार कहते हं कि आने वाले वर्षों में सिल्वर की औद्योगिक मांग में लगातार वृद्धि के कारण यह गोल्ड से भी बेहतर प्रदर्शन करेगी। यदि फेड 2024 में ब्याज दरों में कटौती करना शुरू कर देता है, तो इससे सिल्वर की कीमतों में अतिरिक्त वृद्धि होगी, आर्थिक गतिविधियों में और तेजी आएगी और अंतत:, इससे औद्योगिक धातु चांदी की मांग बढ़ेगी। तो सिल्वर के रेट्स निश्चित तौर से 1 लाख 15 हजार से लेकर सवा लाख तक भी पहुंचते देर नहीं लगेगी।


हम सिल्वर ज्वेलरी मार्केट को  देखते हैं तो ज्यादातर बिजनेसमेन सिल्वर की कीमतों के बारे में सकारात्मक हैं। हमारा अनुमान है कि अगर अर्थव्यवस्था में लंबे समय तक की स्थिरता आती तो अगले कुछ ही महीनों में सिल्वर 1 लाख के स्तर से भी आगे जा सकती है।




ऐतिहासिक रूप से सिल्वर की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है और उतार-चढ़ाव गोल्ड की तरह ही सकारात्मक देखने को मिल रहा है, लेकिन कमाई के मामले में सिल्वर में उच्च रिटर्न देखा जा रही है। ज्वेलरी निर्माताओं के लिए बी भारत में सिल्वर की चमक बढ़ रही है।



बाजार में हम देखते हैं कि सिल्वर की कीमत में गोल्ड की तुलना में अधिक उतार-चढ़ाव होता है।लेकिन जैसे जैसे इसकी खपत बढ़ती जा रही है, उसी के अनुपात में इसके रेट्स भी लगातार बढ़ रहे हैं, को तो जल्दी ही सिलेवर सवा लाख की तरफ कदम बढ़ा सकता है।




सिल्वर केवल ज्वेलरी के रूप में सहेजने या निवेश की धातु नहीं बल्कि औद्योगिक क्षेत्रों में भी इसका यूज बहुत ज्यादा होने के कारण गोल्ड की तुलना में अधिक लाभदायक है। आने वाले 3 महीनों में ही सिल्वर 1 लाख के स्तर को छू सकती है, और आगे भी जा सकती है।

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