सिल्वर 1 लाख के पार जाना तयकुछ ही दिन में सिल्वर सवा लाख पर भी संभव

सिल्वर की शाइनिंग एक लाख के आसपास को छूने लगी है। वैश्विक बाजारों में मजबूती के चलते सिल्वर के रेट अपने ऑल टाइम हाई पर हैं। ज्वेलरी क्षेत्र में सिल्वर की डिमांड तो बढ़ी ही है, औद्योगिक मांग के कारण भी सिल्वर की कीमत 95 हजार रुपये प्रति किलो से आगे पहुंचने को बेताब हैं। यह साफ दिख रहा है कि आने वाले कुछ ही समय में सिल्वर 1 लाख को पार करके आगे भी चला जाएगा, तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए। पश्चिमी देशों के प्रमुख केंद्रीय बैंकों की तेजी से वर्तमान समय को अनुरूप ढलती आर्थिक नीतियों और रूस - युक्रेन के बीच जारी जंग के साथ साथ मिडल ईस्ट देशों में बढ़ते युद्ध संकट को लेकर दुनिया भर के देशों में बढ़ती चिंताओं के कारण जितनी तेजी से गोल्ड का रंग और निखरा है, तो सिल्वर में भी हाल में इन्हीं सारे कारणों से अचानक तेजी देखने को मिली है। हर प्रकार की धातुओं के रेट बढ़ रहे हैं, तो बहुमूल्य धातुओं की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में भी तेजी के चलते सिल्वर की कीमतें एक बार फिर अपने ही सर्वकालिक उच्च स्तर को तोड़ते हुए लगातार आगे बढ़ती जा रही है। देश के विभिन्न बाजारों में सिल्वर की कीमतें एक्टूबर महीने के पहले सप्ताह में प्रति किलोग्राम 95000 रुपये प्रति किलोग्राम के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई और आने वाले दिनों में यहीं रुकेगी कि नहीं कोई नहीं जानता। हालांकि, इंटरनेशनल लेवल पर जो हालत हैं, उसके मुताबिक सिल्वर के जानकार मान रहे हैं कि इसके रेट वर्तमान में काफी कम है और ये लगभग सवा लाख रुपए के आस पास होने चाहिए थे। इसी वजह से भारतीय सिल्वर बाजार के जानकार मानते हैं कि आने वाले कुछ ही दिनों में सिल्वर 1 लाख के रेट पर दिखेगा।
बुलियन बाजार के भविष्य के आंकड़ों का अध्ययन करें, तो सिल्वर करीब 12 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। सिल्वर के घटते - बढ़ते बाजार पर नजर रखने वाले जान रहे हैं कि अमरीकी फेडरल बैंक द्वारा लगातार ब्याज दरों में कटौती और चीन के खरीदी प्रोत्साहन के साथ साथ दुनिया के लगभग सभी देशों में इसकी तेजी से बढ़ती इंडस्ट्रीयल जरूरतों को पूरा करने की वजह से आई इस तेजी के कारण दिसंबर - 2024 तक तो सिव्लर में तेजी जारी रहेगी। सिल्वर पर हाल ही में आई एक इंटरनेशनल रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि इसकी कीमतों में तेजी के लिए मुख्य उत्प्रेरकों में से एक गोल्ड हमेशा से साथ रहा है, क्योंकि दोनों के बीच मजबूत संबंध है। एक बढ़ता है, तो दूसरा भी साथ बढ़ता है। इस रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक सिल्वर मार्केट में इसी साल पिछले दो महीने में ही सिल्वर लगभग 20 फीसदी बढ़त दर्ज कर सकता है और दिसंबर 2024 के अंत तक समभवतया यह बढ़त 30 फीसदी भी हो सकती है। सिल्वर के निरंतर बढ़ते उपयोग और धीरे धीरे कम होते उत्पादन के कारण सिल्वर मार्केट में निरंतर और बढ़ोतरी हुई है। यह बढ़ोतरी न केवल ज्वेलरी के कारण बल्कि बर्तन व उपभोक्ता सामान सहित गिफ्ट आइटम और अन्य सजावटी सामग्री के रूप में भी इसकी खपत लगातार बढ़ रही है।
सिल्वर के रेट्स में लगातार तेज होती बढ़त के वैसे तो कई कारण हैं। फिर भी, सिल्वर के बर्तन, ज्वेलरी और केमिकल्स में इसके उपयोग की भारी मात्रा के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक्स में बढ़ते उपयोग ने हमेशा सिल्वर के बाजार में इसके उत्पादन को काफी प्रोत्साहित किया है। सिल्वर मार्केट सोलर पॉवर उपकरणों के साथ साथ फोटोवोल्टिक और विद्युत उपकरणों से भी जुड़ा हुआ है, जो कुछ तरीकों से विद्युत संचालन और इन्सुलेशन के लिए सिल्वर के उपयोग पर निर्भर है। सिल्वर के घटकों के साथ ऑक्साइड बैटरी के बढ़ते उपयोग ने भी सिल्वर के बाजार के विकास को बढ़ावा देने में मदद की है। हालांकि, सिल्वर के कुछ मूलभूत तत्व बाजार में इसकी वृद्धि को रोक सकते हैं। औद्योगिक जरूरतों में सिल्वर की बढ़ती और घटती जरूरतें तथा खपत सिल्वर की कीमतों के लिए कभी कभार मुश्किलें खड़ी करती हैं। लेकिन सोलर पॉवर और इलेक्ट्रॉनिक उद्योगों में बढ़ती मांग के कारण सिल्वर का बाजार मूल्य ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंच गया है, जिससे यह महंगी धातुओं के बीच एक चमकता सितारा बन गया है। सन 2023 में, भारत में सिल्वर की औसत कीमत एक किलोग्राम के लिए 61 के आस पास थी, जो उसके पिछले वर्ष से 14000 रुपये से अधिक कम थी। लेकिन आज के दौर में सिल्वर 95 हजार के आस पास ट्रेंड कर रहा है।
वैश्विक स्तर पर सिल्वर की कीमतें वर्तमान में 3 साल के उच्चतम स्तर पर हैं। भारत में सिल्वर की कीमतें अब 95 हजार के आसपास घूम रही हैं। चांदी की कीमतों में सप्ताह दर सप्ताह अब तक 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। बाजार के जनकार कहते हैं कि सिल्वर की वैश्विक बिक्री के रेट्स अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये की मुद्रा चाल पर भी निर्भर करती है। अगर डॉलर के मुकाबले रुपया गिरता है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी कीमतें स्थिर रहती हैं, तो भारत में सिल्वर और महंगा हो जाएगा। भारत में सिल्वर की कीमतें अंतरराष्ट्रीय कीमतों से निर्धारित होती है। इसी कारण ये हर दिन बदलती रहती हैं। निवेश के लिहाज से देखा जाए, तो कमाई देने के मामले में सिल्वर को गुड रिटर्न मेटल कहा जाता है, तथा सोने के मुकाबले सिल्वर बेहतर प्रदर्शन करती है। निवेशकों का इसी वजह से हमेशा सिल्वर पर अधिक फोकस होता है, क्योंकि यही मेटल ज्यादा रिटर्न दे सकता है। हालांकि, सिल्वर का वास्तविक मूल्य एक हेज और सुरक्षित आश्रय परिसंपत्ति के रूप में है और सिल्वर रखने का प्राथमिक कारण संपत्ति सहेजने के बारे में नहीं है, बल्कि अनिश्चित आर्थिक हालात में संपत्ति की सुरक्षा तो एक कारण है ही, मुद्रास्फीति की वजह से बढ़ती जीवन की जरूरत की चीजों की ज्यादा होती कीमतों के जोखिम से बचाव का साधन भी सिल्वर में निवेश होता रहा है।
वैश्विक स्तर पर अनुमान है कि 2030 तक सिल्वर का औसत मूल्य 1.50 लाख से ऊपर भी जा सकता है। यह पूर्वानुमान आने वाले वर्षों में सिल्वर के मूल्य में उल्लेखनीय वृद्धि का संकेत देता है, जो इस बहुमूल्य धातु में आने वाली संभावित तेजी के दृष्टिकोण को दर्शाता है। 1 सितंबर 2024 को दिल्ली में एक किलो सिल्वर की कीमत 85100 रुपये थी। मुंबई और कोलकाता में भी यही कीमत रही। वहीं, चेन्नई में एक किलो सिल्वर की कीमत 85,270 रुपये थी। यह इन शहरों में कीमतों में मामूली अंतर को दर्शाता है। लेकिन केवल 1 महीने में ही सिव्लर सीधे 95 हजार के आंकड़े पर पहुंच गया। ऐतिहासिक रूप से सिल्वर की इस बढ़त ने सभी को चौंकाया है। हालांकि, सिल्वर को दुनिया भर में गोल्ड के मुकाबले कम लोकप्रिय माना जाता है, लेकिन इसके बावजूद, सिल्वर भारत में ज्वेलरी बाजार का एक महत्वपूर्ण पहलू है। सन 2023 में सिल्वर की मांग 2.6 हजार मीट्रिक टन से अधिक थी। यह हालांकि वर्ष 2022 की तुलना में 25 प्रतिशत कम थी। लेकिन इसी दौरान 2023 में भारत में सिल्वर के बर्तनों की मांग 1167 टन से अधिक हो गई, जो पिछले वर्ष 2022के मुकाबले और ज्यादा थी। इसी क्रम में देखा जाए, तो सन 2024 में अब तक के आंकड़े देखें, तो सिल्वर की खपत बर्तनों में 1100 टन के ऊपर पहुंच चुकी है और अभी तो पूरे तीन महीने बाकी है। इससे साफ है कि इस साल सिल्वर की खपत बर्तनों में अधिक होगी।
वैश्विक स्तर देखा जा रहा है कि 2008 के वित्तीय संकट के बीते दिन वापसी पर हैं। सन 2008 के संकट के मद्देनजर बड़े पैमाने पर दुनिया के विभिन्न देशों के बैंक करेंसी छापने के साथ साथ केंद्रीय बेकाबू मुद्रास्फीति को रोकने के लिए मौद्रिक आपूर्ति को कसने का प्रयास कर रहे हैं। बाजार में मुद्रा की आसान उपलब्धि की वजह से भी सिल्वर 95 हजार की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है, और कीमतों में महत्वपूर्ण सुधार अब आसान नहीं लगते। क्योंकि, सिल्वर के इंटरनेशनल जानकार बताते हैं कि सिल्वर की वर्तमान कीमतें कई मापदंडों के हिसाब से ऐतिहासिक रूप से बढऩे के बावजूद काफी कम है। उनका मानना है कि जिस तरह से बाकी चीजों का भाव बढते हैं, शेयर मार्केट में तेजी देखने में आई है, तथा जीवन की जरूरत की चीजें महंगी हुई है, उन सामान्य हालातों में भी सिल्वर को वर्तमान हालात में डेढ़ लाख रूपए प्रति किलो के आस पास होना चाहिए था, जबकी यह अभी भी केवल 1 लाख के भीतर ही चल रहा है। ऐसे में आने वाले दिनों में सिल्वर में ऐतिहासिक तेजी देखने को मिल सकती है। वैसे भी औद्योगिक उत्पादन बढ़ता जा रहा है, खनन कम हो रहा है और रूस - युक्रेन, चीन - अमेरिका, भारत - पाकिस्तान, इराक - इजराइल जैसे देशों के बीच युद्ध व राजनीतिक तनाव के वजह से कमजोर आर्थिक संकेतों के मुकाबले सिल्वर के रेट बहुत कम है। निवेशकों के लिए मध्यम और लंबी अवधि में अच्छा मुनाफा कमाने और अपनी संपत्ति की सुरक्षा करने के लिए अभी भी सिल्वर खरीदना एक शानदार अवसर है माना जा रहा है। ऐसे हालात में तय है कि आने वाले दिनों में सिल्वर के रेट और तेजी से बढ़ेंगे।

कांतिलाल मेहता - सिल्वर एम्पोरियम
मेरा मानना है सिल्वर की खपत हर स्तर पर बढ़ रही है और इसमें निवेश के तौर पर भी अधिक भरोस किया जाने लगा है। क्योंकि सिल्वर एक सेफ निवेश है, जिसकी कीमतें में उतार - चढ़ाव गोल्ड की तुलना में अधिक अस्थिर है, तो सिल्वर में कमाई भी ज्यादा है।

मनोज शोभावत- आनंद दर्शन सिल्वर्स
सिल्वर लगभग 1 लाख के आंकड़े के आसपास है, किसी ने सोचा तक नहीं था कि ये रेट इतने बढ़ जाएंगे। लेकिन वैश्विक हालात जिस तरह से सिकुड़ते जा रहे हैं, सिल्वर की खपत भी बहुत ही तेजी से बढ़ रही है, इसका निष्कर्ष यही है कि सिल्वर का और महंगा होना तय है।

अनिल सिंघवी - अरिहंत ९२५ ज्वेलरी प्रा. लि.
सिल्वर की चमक बढऩे का कारण यह माना जा रहा है कि दुनिया भर में इसकी खपत बढ़ी है। वर्तमान कीमतें कई वैश्विक मापदंडों के हिसाब से ऐतिहासिक रूप से बढऩे के बावजूद काफी कम मानी जा रही है, इसका मतलब साफ है कि आने वाले दिनों में सिल्वर और महंगा होगा।

विकास जैन - सिल्वरिवो अर्टेसा प्रा. लि.
हैं कि प्रीशियस मेटल्स के रेट और तेजी से बढ़ेंगे। हिसाब से तो सिल्वर डेढ़ लाख रूपए प्रति किलो पर होना चाहिए था। जबकि यह अभी 1 लाख के भीतर ही है।
Comments