सोना 2,900 डॉलर पर पहुंचा, 2025 में अब तक 11 फीसदी की बढ़त

सोने की कीमतों ने 2024 के शानदार प्रदर्शन को 2025 में भी जारी रखा है। इस साल अब तक सोने की कीमतों में लगभग 11 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है यह अंतरराष्ट्रीय बाजार में 2,900 डॉलर के स्तर पर पहुंच गया। घरेलू बाजार में भी एमसीएक्स पर सोने की हाजिर कीमत 1 प्रतिशत से अधिक बढक़र 85,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर को पार पहुंच गया।
विशेषज्ञों का कहना है कि 2024 में सोने की कीमतों में तेजी का कारण वैश्विक केंद्रीय बैंकों की खरीदारी और निवेश मांग थी। लेकिन 2025 में आई हालिया तेजी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ धमकियों के कारण आई है, जिसने निवेशकों को शेयर बाजार से हटकर सुरक्षित संपत्तियों की ओर आकर्षित किया है। इक्विनॉमिक्स रिसर्च के संस्थापक और रिसर्च प्रमुख जी. चोक्कलिंगम का कहना है कि अगर अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में कटौती करता है, तो इससे डिफ्लेशन (मुद्रास्फीति में कमी) की स्थिति उत्पन्न हो सकती है, जो अप्रत्यक्ष रूप से सोने के लिए फायदेमंद होगी। हालांकि, फिलहाल केंद्रीय बैंक ने दरों में कटौती को रोका हुआ है, लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि यह स्थिति कब तक बनी रहती है।
उन्होंने कहा, व्यापार युद्ध, फेडरल रिजर्व की ब्याज दर नीतियां और वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति को लेकर बहुत अधिक अनिश्चितता है। इससे दुनियाभर के शेयर बाजार निवेशक चिंतित हैं और वे सोने को सुरक्षित निवेश के रूप में अपना रहे हैं। साथ ही, केंद्रीय बैंकों द्वारा जारी सोने की खरीद भी इसकी कीमतों को समर्थन दे रही है। विश्लेषकों का कहना है कि ट्रंप की यह व्यापार नीति 2018 में शुरू हुए अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध से काफी अलग है, क्योंकि इस बार यह केवल चीन तक सीमित नहीं है, बल्कि अमेरिका के प्रमुख व्यापारिक साझेदार देशों को भी प्रभावित कर रही है। इनमें यूरोपीय संघ, जापान, दक्षिण कोरिया और वियतनाम और मलेशिया जैसे निर्यात-निर्भर एशियाई देश शामिल हैं।
वल्र्ड गोल्ड काउंसिल के अनुसार, 2024 में भी केंद्रीय बैंकों ने सोने की खरीदारी जारी रखी और लगातार दूसरे साल 1,000 टन से अधिक की खरीद की। अक्टूबर-दिसंबर 2024 की तिमाही में यह खरीदारी बढक़र 333 टन तक पहुंच गई, जिससे वार्षिक कुल खरीद 1,045 टन रही।
वल्र्ड गोल्ड काउंसिल के अनुसार, वैश्विक निवेश मांग 2024 में 25 प्रतिशत बढक़र 1,180 टन तक पहुंच गई, जो चार साल का उच्चतम स्तर है। यह मुख्य रूप से वर्ष की दूसरी छमाही में गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स में आई मांग के कारण हुआ। 2024 की चौथी तिमाही में वैश्विक गोल्ड ईटीएफ में 19 टन की शुद्ध खरीदारी हुई, जिससे लगातार दो तिमाहियों तक इसमें बढ़ोतरी देखने को मिली। वहीं, सोने के बार और सिक्कों की मांग 1,186 टन पर स्थिर बनी रही। डब्ल्यूजीसी की वरिष्ठ बाजार विश्लेषक लुईस स्ट्रीट ने कहा, हमें उम्मीद है कि 2025 में भी केंद्रीय बैंक सोने की खरीद में अग्रणी रहेंगे, और अगर ब्याज दरें कम होती हैं, तो गोल्ड ईटीएफ निवेशक भी इसमें शामिल होंगे। दूसरी ओर, ज्वेलरी की मांग कमजोर रह सकती है, क्योंकि उच्च कीमतें और आर्थिक मंदी उपभोक्ता खर्च को प्रभावित कर सकती हैं। भू-राजनीतिक और आर्थिक अनिश्चितताएं इस साल भी बनी रहेंगी, जिससे सोने की सुरक्षित संपत्ति के रूप में मांग बढ़ सकती है।
एलकेपी सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट और कमोडिटी रिसर्च एनालिस्ट जतिन त्रिवेदी के अनुसार, ट्रंप द्वारा धातु उत्पादों पर नए टैरिफ लगाने की धमकी से सोने की कीमतों में तेजी आई, जिससे सोमवार को एमसीएक्स पर सोना 85,800 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गया।
उन्होंने कहा, चूंकि यह स्पष्ट नहीं है कि किन देशों पर ये नए टैरिफ लागू होंगे, इस अनिश्चितता ने वैश्विक व्यापार पर असर डाला है और इससे सोने की भारी खरीदारी हुई है। इसके अलावा, रुपये की कमजोरी (87.94 के निचले स्तर) ने भी घरेलू बाजार में सोने की कीमतों को समर्थन दिया। मौजूदा जोखिम भरी स्थिति को देखते हुए, सोना सकारात्मक रुझान बनाए रख सकता है और इसकी कीमतें 84,000 रुपये से 86,500 रुपये प्रति 10 ग्राम के दायरे में रह सकती हैं।
- पुनीत वाधवा
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