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आईआईजेएस-2023 की सफलता के जरिए अपना गौरवशाली इतिहास लिखा जीजेईपीसी ने

आईआईजेएस की आयोजक संस्था जेम एंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी) का जेम एंड ज्वेलरी सेक्टर को नई उंचाइयां प्रदान करने का एक गौरवशाली इतिहास रहा है। लेकिन इस बार के आईआईजेएस की सफलता ने देश ही नहीं दुनिया में जीजेईपीसी की प्रतिष्ठा को पहले से ज्यादा मजबूत किया है। 70 हजार करोड़ का कारोबार होना वैसे तो ज्वेलरी मार्केट को लिए कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन केवल 5 दिन में ही इतने बड़े आंकड़े को छू लेना वास्तव में किसी सपने से कम नहीं हो सकता। लेकिन जीजेईपीसी ने यह सपना साकार करके आईआईजेएस में आए अपने 50 हजार प्रतिनिधियों के लिए एक नया इतिहास लिख दिया है। पिछले कुछ सालों का इतहास देखा जाए, तो जीजेईपीसी न केवल जेम एंड ज्वेलरी निर्यात के बाजार को ऊपर उठाने के लिए मददगार साबित हुई है, बल्कि अपने देश में ही छोटे छोटे कस्बों व शहरों के ज्वेलर्स के बिजनेस को बढ़ाने में भी सार्थक पहल करती रही है। भारत के 1100 शहरों से आए ज्लेरस् की जुबान पर इसीलिए आईआईजेएस का नाम बड़ी प्रतिष्ठा से लिया जाता है। आभूषण टाइम्स सदा से ही व्यापार के विकास की हर पहल का समर्थन करता रहा है। जीजेईपीसी ने आईआईजेएस के जरिए जेम एंड ज्वेलरी बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए जो प्रयास किए हैं, वे सराहनीय तो हैं ही, अभिनंदनीय भी हैं।


हमारा मानना है कि देश-दुनिया के आईआईजेएस ने हर छोटे बड़े ज्वेलर को अपनी ओर आकर्षित किया है, नहीं तो 50 हजार ज्वेलर्स का एक साथ मुंबई में आकर एक सो में पहुंचना आसान नहीं है। इसे देखकर कहा जा सकता है कि आईआईजेएस ने देश के ज्वेलर्स की व्यापारिक विकास की आशाओं को मजबूत किया है। जीजेईपीसी के इतिहास में जाएं, तो स्वतंत्रता के बाद भारत की अर्थव्यवस्था ने अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में प्रवेश करना शुरू किया तो सन 1966 में भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय द्वारा स्थापित रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद की स्थापना की गई, जिसे अंग्रेजी में, जेम एंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी) के नाम से जाना जाता है। देश के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा शुरू की गई कई निर्यात संवर्धन परिषदों, ईपीसी संस्थाओं में से जीजेईपीसी भी एक संस्था है। सन 1998 में जीजेईपीसी को स्वायत्त दर्जा दिया गया है। जीजेईपीसी भारत में रत्न एवं आभूषण उद्योग का शीर्ष संस्थान है और आज इस क्षेत्र में 9000 सदस्यों का प्रतिनिधित्व करता है। अपने नई दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई, सूरत और जयपुर में क्षेत्रीय कार्यालय के अलावा जीजेईपीसा का मुंबई में मुख्यालय हैं, जो ज्वेलरी उद्योग का प्रमुख केंद्र हैं। इस प्रकार देश भर में इस संस्था की एक व्यापक पहुंच है और यह सदस्यों को सीधे और अधिक सार्थक तरीके से सेवा प्रदान करने के लिए उनके साथ घनिष्ठ संबंधों को लगातार मजबूत करने में सक्षम है। आईआईजेएस की इस बार की सफलता को भी इसी तरह से व्यापार को आगे बढ़ाने की सुनिश्चितता करने की जीजेईपीसी की कोशिश के रूप में देखा जा सकता है।


पिछले कई वर्षों से आभूषण टाइम्स आईआईजेएस जैसे विशाल आयोजनों की सफलता का गवाह रहा है, लेकिन इस बार के आयोजन की सफलता को उसी कड़ी में देखा जा सकता है। हम देख रहे हैं कि आईआईजेएस जैसे आयोजनों के जरिए पिछले कुछ दशकों में, जीजेईपीसी सबसे सक्रिय संस्थानों में अग्रणी संस्थान के रूप में तेजी से उभरा है और इसने अपनी गतिविधियों के जरिए सफलता के साथ जेम एंड ज्वेलरी सेक्टर के हर व्यापारिक क्षेत्र में अपनी मजबूत पहुंच बनाई है। आभूषण टाइम्स इस बात का गवाह है कि जीजेईपीसी ने अपनी मजबूत साख का लगातार विस्तार करने के साथ-साथ आईआईजेएस जैसे आयोजनों को लगातार सफल करते हुए जेम एंड ज्वेलरी सेक्टर के अपने सदस्यों के लिए अपनी सेवाओं को व्यापक बनाने और बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास किया है। आईआईजेएस 2023 की ऐतिहासिक सफलता के लिए जीजेईपीसी ने कई सालों की साधना की है, तथा हर संभव प्रयास करके आईआईजेएस को ज्वेलरी सेक्टर के एक ऐसे मंच के रूप में तैयार किया है, जिस पर देश के हर ज्वेलर को गर्व है। जीजेईपीसी की शानदार सफलता, आईआईजेएस द्वारा जेम एंड ज्वेलरी सेक्टर को बढावा देने तथा छोटे छोटे शहरों के हजारों जेव्लर्स की मुश्किलों को आसान करने के अलावा जेम एंड ज्वेलरी के विकास के बारे में सरकारी नीतियों का निर्माण करने में भी जीजेईपीसी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, जिसे आभूषण टाइम्स वे बहुत नजदीकी से देखा है। जीजेईपीसी की जेम एंड ज्वेलरी सेक्ट्र के विकास में सफलता का सबसे बड़ा सबूत इस बार का आइआइजेएस 2023 है, जिस की सफलता की जितनी प्रशंसा की जाए, उतनी कम है। इस सफल एसवं ऐतिहासिक गौरवशाली आयोजन के लिए जीजेईपीसी को हार्दिक बधाई एवं आनेवाले वर्षों में इससे भी शानदार सफल आयोजन करने के लिए आभूषण टाइम्स की ओर से शुभकामनाएं।









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