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गोल्ड ही अर्थव्यवस्था की मजबूती का मूल आघारज्वेलरी बिजनेस लगातार प्रगित के पथ पर










देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होती जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है कि वैश्विक स्तर पर भारत की अर्थव्यवस्था ज्यादा मजबूत हो। भारत सरकार के इस दृष्टिकोण से माना जा रहा है कि आने वाले कुछ वर्षों में देश की अर्थव्यवस्था फाइव ट्रिलियन डॉलर होने की संभावना है। यदि ऐसा होता है, तो ज्वेलर्स के लिए बेहद खुशी की बात है कि भारत में ज्वेलरी बिजनेस में 3 से 4 गुना की ग्रोथ होने ही वाली है, मतलब कि ज्वेलरी का व्यापार आज से चार गुना तक बढ़ सकता है। ज्वेलरी ट्रेड में इस तेजी की संभावना के कारण देश भर के ज्वेलर्स तथा बुलियन व्यापारियों के बीच गोल्ड व सिल्वर बिजनेस को लेकर सकारात्मक रुख देखा जा रहा है।


विकासशील भारत में हमें देखने में आ रहा है कि हमारी अर्थव्यवस्था का मूल आधार गोल्ड है एवं कोरोनाकाल के बाद भी भारत का ज्वेलरी बिजनेस हिला तक नहीं और अपनी जगह अटल रहा। ऐसे में भले ही दुनिया के विभिन्न देशों में आर्थिक आंधी और तेजी का तूफान जोरों पर है, लेकिन दुनिया के किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को उसका गोल्ड का हिस्सा उसकी मजबूती का आधार है, तथा भारत का गोल्ड भंडार लगातार समृद्ध होता जा रहा है, ऐसे में भारत की अर्थव्यवस्था पर कोई खास नकारात्मक असर नहीं दिख रहा है और भविष्य में भी प्रतिकूल असर होने की संभावना नहीं है। इन ताजा संकेतों से समझा जा सकता है कि भोरत में गोल्ड, सिल्वर व डायमंड ज्वेलरी का बिजनेस लगातार प्रगित के पथ पर अग्रसर रहनेवाला है।


गोल्ड ज्वेलरी बिजनेस की सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें किसी भी प्रकार को नुकसान नहीं है तथा विभिन्न तरीकों से यह रोजगार का भी बड़ा माध्यम है। ज्वेलरी इंडस्ट्री में किसी को प्रत्यक्ष रूप से जॉब मिलते है, तो किसी को अप्रत्यक्ष रूप से देते हैं। देखा जाए तो ज्वेलर जब एक ज्वेलरी बेचता है, तो उसे तो कमाई होती ही है, चार अन्य लोगों को भी अप्रत्यक्ष रूप से जॉब मिलता है। भारत में अभी लगभग 10 लाख ज्वेलरी यूनिट्स हैं, यानी ज्वेलरी शॉप्स हैं, जिनसे पूरे देश में प्रत्यक्ष रूप से करीब 43 लाख लोग जुड़े हुए हैं। इस तरह से देखा जाए, तो भारत के कुल लेबर  सेक्टर में ज्वेलरी इंडस्ट्री का योगदान प्रत्यक्ष तौर पर 2.5 से 2.8 प्रतिशत का है। वैसे, तो यह बहुत कम आंकड़ा है, मगर वित्तीय आंकड़ों में देखा जाए, तो ज्वेलरी सेक्टर बहुत बड़ा है। जेम एंड ज्वेलरी का जबरदस्त एक्सपोर्ट है, तथा इसके लिए भारत सरकार द्वारा बाकायदा एक काउंसिल भी बनाई गई है, जो ज्वेलरी के प्रमोशन के काम में लगी हुई है। आज के दौर में, 45.7 बिलियन डॉलर के ज्वेलरी के एक्सपोर्ट का टारेगट हासिल करने के लिए भारत में बी और सी श्रेणी के शहरों के ज्वेलर्स का अच्छा प्रदर्शन करने की शुरूआत शानदार कोशिश है।


ज्वेलरी के बिजनेस की खास बात यह है कि आजकल इसमें भी ब्रांडिंग का माहौल बहुत बढ़ गया है। किसी भी ज्वेलरी की बाजार की ताकत में उसकी ब्रांड पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, लेकिन यह सिर्फ ब्रांडिंग से ही संभव नहीं है, बल्कि उस ब्रांड को लंबे समय तक लगातार बाजार में टिके रहना भी जरूरी है। ज्वेलरी की ब्रांडिंग के लिए बहुत सारे अलग-अलग दृष्टिकोण हैं, और एक खास आकर्णक लोगो सहित खिंचाव वाला रंग भी ज्वेलरी के हिसाब से जरूरी है, तभी आज कोई भी ज्वेलर अपने ब्रांड को चमकाने के लिए आगे बढ़ सकता हैं। ज्वेलरी की ब्रांडिंग किसी भी ज्वेलरी की कंपनी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि ब्रांडिंग ही तय करती है कि ग्राहक उस ज्वेलरी के नाम, उत्पाद और मार्केटिंग को किस प्रकार देखती है। ब्रांड आपके प्रोडक्ट को अन्य कंपनियों से अलग खड़ा करता है, यह स्पष्ट करता है कि आप एक अच्छा विकल्प क्यों हैं। आज के बाजार में औरों से अलग दिखना बेहद मुश्किल है, मगर, ब्रांड हर प्रकार की तकनीक से सोशल मीडिया, वेबसाइट और ऑनलाइन द्वारा आपकी ज्वेलरी की ताकत को ब्रांडिंग के जरिए पहुंच बढ़ाता हैं।


ज्वेलरी इंडस्ट्री के बढ़ते आयामों के बीच हम देखते हैं कि मलबार गोल्ड, टीबीजेड़, जॉयअलुक्कास, संगम चेन्स, रॉयल चेन्स, डीडी ज्वेल्स, मुक्ति, एडीएन, शिंगवी ज्वेलर्स, राजेंद्र ज्वेलरी, एस.के. ज्वेलर्स, स्वर्ण शिल्प चेन्स, चेन एन चेन, नक्षत्र, ब्रह्मांड, यश गोल्ड, मेहता एंपोरियम, नाकोड़ा ज्वेल्स, सिल्वर एंपोरियम, श्रृंगार, युनिक चेन्स, विएसएल, उत्सव, स्काय गोल्ड जैसे अनेक ब्रांड आज बाजार में तेजी से स्थापित हो रहे हैं।  मुंबई के ज्वेलरी मार्केट में अंसा,  पीसी ज्वेलर्स, कल्याण, तनिष्क, सेंको, ऑरा, आदि कई ज्वेलरी ब्रांड्स हैं, जिनकी देश भर में  बहुत बड़ी साख है।  इनके ग्राहक स्थानीय दुकानों तक ही सीमित नहीं हैं, उनकी वैश्विक बाजार तक त्वरित पहुंच लगातार बढ़ती जा रही है, जिससे बाजार में प्रतिस्पर्धा भयंकर हो गई है। तो जनता किसी भी कंपनी के ज्वेलरी उत्पाद को दूसरे ज्वेलरी उत्पाद के मुकाबले तभी चुनेगी, जब उसकी ब्रांडिंग मजबूत होगी। भले ही कीमत ज्यादा लगे, लेकिन व्यक्ति खरीदेगा वहीं जिस ब्रांड पर उसे भरोसा होगा।  बस, यहीं पर ब्रांडिंग आती है। दरअसल, जब लोग कोई भी प्रोडक्ट खरीदते हैं, तो वे उस ब्रांड के साथ साथ उस ब्रांड की खासियत से भरी जीवनशैली को खरीद रहे होते हैं जिनका वह कंपनी प्रतिनिधित्व करती है। तो, ऐसे में ज्वेलरी में ब्रांड का महत्व बढ़ता जा रहा है क्योंकि ज्वेलरी का मार्केट भी वैश्विक हालात में लगातार विकसित हो रहा  है। तो बात विकास से शुरू हुई थी, अत: कहा जा सकता है कि ज्वेलरी बिजनेस आने वाले दौर में और बढ़ेगा ही, क्योंकि मामला अंतत: अर्थ व्यवस्ता से जुड़ा है एवं गोल्ड, सिल्वर एवं डायमंड भले ही सजावटी ज्वेलरी के सामान है, मगर अंतत: तो वे महंगे हैं और आर्थिक चुनौतियों से जूझने के समय में बड़े मददगार साबित होते हैं।


माना जा रहा है कि बदलने व्यापारिक माहौल और सुदृढ़ होती अर्थ व्यवस्था के इस दौर में  ज्वेलरी व्यापारियों को अपना पूरा कारोबार पारदर्शक तरीके से व एक नंबर में करना चाहिए। ताजा दौर में जो तथ्य सामने आ हैं उनमें देश के महानगरों, मुंबई, दिल्ली, चैन्नई, कोलकाता, अहमदाबाद, बैंगलुरू, हैदराबाद  आदि के अलावा मझोले व छोटे शहरों के ज्वेलर्स एवं बुलियन व्यापारी कड़ी मेहनत, जबरदस्त कॉन्फिडेंस और शानदार काम के जरिए अपना बिजनेस बढ़ाने में किसी भी बड़े शहर के ज्वेलर से एक प्रतिशत भी पीछे नहीं हैं। पुणे, औरंगाबाद, नागपुर, राजकोट, बड़ोदा, सूरत, जयपुर, जोधपुर,  उदयपुर, तिरुवनंतपुरम, पणजी, जैसे बी व सी क्लास सिटी में भी ज्वेलरी बिजनेस में नए ट्रेंडेस देखने को मिल रहे हैं। इसी नजह से ज्वेलरी सेक्टर में तेजी के आसार पक्के हैं क्योंकि गोल्ड व सिल्वर सदा से ही सहेजने वाली कीमतकी धातु रही है और दिनों दिन इसकी मूल्य वृद्धि में भी तेजी देखने को मिलती है, जिससे इसमें कमाई अच्छी होती है, तो निश्चित तौर से अर्थव्यवस्था को भी मजबूत आधार मिलता है। हमारा भारत देश अभी तक गोल्ड के बड़े खरीदारों में से एक है तथा देश में भारत सरकार चाहती है कि यहां से गोल्ड की ज्वेलरी का निर्यात भी विभिन्न देशों में खूब हो। हालांकि, इसके लिए भारत में ही विश्व स्तर के ज्वेलरी डिजाइनरों की जरूरत है। लेकिन इंटरनेशनल लेवल पर भारत को अपनी धाक जमानी है, तो यह तो करना ही होगा।


वैश्विक स्तर पर जो देश गोल्ड के सबसे बड़े खरीदार हैं, उनमें भारत भी एक महत्वपूर्ण खरीददार देश है, जो भारत की मजबूत अर्थ शक्ति का प्रदर्शन कर रहा है। भारतीय अर्थव्यवस्था आने वाले दिनों में संभावित रूप से गोल्ड की कीमतों और उपलब्धता को सुव्यवस्थित करने को प्रभावित कर सकती है। अर्थव्यवस्था के मामले में भारत में गोल्ड की प्राइवेट डिमांड का फ्रेगमेंटेड नेचर बहुत स्पष्ट है। हमारे देश में नए जमाने में नए दौर में अनेक ऐसे छोटे ज्वेलरी विक्रेता भी हैं जो महज कुछ ग्राम की ज्वेलरी बेचकर अपनी कमाई निकालते हुए देश की अर्थव्यवस्था में अपना सार्थक योगदान दे रहे हैं। वहीं कुछ बड़े ज्वेलर्स भी हैं जो कि किलो और टन के हिसाब से गोल्ड खरीदते -  बेचते हैं। माना जा रहा है कि सरकार अब गोल्ड जैसे इस बेशकीमती मेटल से बनी ज्वेलरी के एक्सपोर्ट को सुव्यवस्थित करने और भारत में ही छोटे छेटो ज्वेलर्स द्वारा बेची जीने वाली ज्वेलरी को पूरी तरह से एक नंबर का बिजनेस बनाने की कोशिश में है, ताकी ज्वेलरी का व्यापार पारदर्शी हो, ग्राहक का ज्वेलर पर भरोसा बढ़े और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में ज्वेलरी सेक्टर का योगदान तत्काल प्रदर्शित हो। ज्वेलर्स की नजरिये से भी इस क्षेत्र में अर्थव्यवस्था को मजबूती देने में अपार संभावनाएं हैं। भारत में इनोवेटिव और क्रिएटिव डिजाइन को बढ़ावा देना सबसे अच्छी पहल साबित हो सकता है ताकि हमारे देश में इंटरनेशनल लेवल को मात देने वाली ज्वेलरी का निर्माण किया जा सके। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों कहा था कि भारत को ज्वेलरी के मामले में दुनिया में नंबर वन होना है, ताकि यहां का ज्वेलरी सेक्टर भी वैश्विक स्तर पर लगातार विकसित होकर देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सके।










भारत का ज्वेलरी उद्योग सन 2027 तक 100 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। ज्वेलरी उद्योग में सरकार द्वारा हाल में किए गए सकारात्मक विकास से ज्वेलरी बिजनेस को काफी समर्थन मिलने की उम्मीद है।

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ज्वेलरी बिजनेस भारत के सबसे बड़े व्यवसायों में से एक है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। देश की जीडीपी में 7 फीसदी योगदान देनेवाले ज्वेलरी सेक्टर को  पारदर्शी बनाने की जरूरत है।

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माना कि भारत की अर्थव्यवस्था का मूल आधार गोल्ड के भंडार है, लेकिन इससे बनी ज्वेलरी के बिजनेस को बढ़ावा देने तथा भारतीय ज्वेलरी व्यापार और उसके एक्सपोर्ट की बढ़ोतरी के लिए कुछ अच्छी नीतियां बनाने की जरूरत है।

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तेजी से बढ़ते ज्वेलरी सेक्टर के विकास में सबसे बड़ी जरूरत वैश्विक स्तर पर ज्वेलरी सेक्टर को अग्रणी पहचान मिलने के साथ ही अच्छी कमाई के लिए साथ सरकारी नीति – नियमों में सहुलियत देने की आवश्यकता है।



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