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सिल्वर के सस्ता होने के आसार नहींवैश्विक बाजार में सिल्वर 3 साल की तगड़ी ऊंचाई पर











बीते चार महीने और हाल ही के कुछ दिन सिल्वर के बाजार में जबरदस्त तेजी देखने को मिली है और हालात यही रहे, तो यह तोजी लगातार बढ़ती रहेगी साथ ही निवेशकों के लिए यह दौर बेहद खुशी के मूड वाला रहा है। आज सिल्वर भारत में 82 हजार के आसपास भाव है। देखने में आ रहा है कि भारत में सिल्वर के भाव पिछले कुछ समय से तूफानी तेजी लिए हुए है। पिछले महीने यानी मार्च 2024 में भारतीय बुलियन मार्केट में सिल्वर की कीमतों में भी गोल्ड की तरह से ही जोरदार तेजी देखने को मिली। सिल्वर के भाव में 5 हजार रुपये प्रति किलोग्राम की मजबूती आई है, जो कि हर किसी को चौंका रही है। सिल्वर में अप्रैल महीने के दूसरे सप्ताह की शुरूआत में, यानी 8 अप्रेल को अचानक बहुत बड़ा उछाल दिखा, जब एमसीएक्स पर सिल्वर फ्यूचर्स में 1.33 फीसदी यानी 1,075 रुपये के उछाल के साथ 81,861 रुपये प्रति किलोग्राम पहुंच गई। यह तेजी बेहद चौंकानेवाली थी भारत में सिल्वर की कीमतें इससे पहले इस ऊंचाई तक कभी नहीं गई थी, यह एक चॉप हाई था। हालांकि वैश्विक बाजार में सिल्वर का भाव 3 साल की ऊंचाई पर है। 8 मार्च को इसका भाव करीब 28 डॉलर प्रति औंस चल रहा था।


पिछले साल के अंतिम दिनों की बात की जाए, तो 4 दिसंबर 2023 को सिल्वर की कीमतों में केवल हफ्ते भर के दौरान ही 6 हजार रुपए से भी ज्यादा की गिरावट देखने को मिली थी, लेकिन साल भर की बात की जाए, तो  सिल्वर ने डबल डिजिट में यानी 10 प्रतिशत से भी ज्यादा कमाई दी। मगर, इस बार की तूफानी तेजी ने तो रिकॉर्ड तोड़ दिए। अभी मार्च के बाद केवल महीने भर में ही सिल्वर आसमान पर चढ़ बैठा है तथा भाव नीचे आने का नाम ही नहीं ले रहे। वैसे सिल्वर की कीमतों में इजाफे के कई अहम कारण हैं, जिसमें पहला अहम कारण इंडस्ट्रीय़ल सेक्टर की ओर से लगातार होने वाली खरीदारी तथा दूसरा कारण, वैश्वीक सेतर पर अस्थिरता और अर्थव्य़वस्था में बीरी उथल पुथल, जो  कि अभी भी लगातार जारी हैं और आने वाले दिनों में उसके थमने का कोई कारण नहीं दिख रहा। खास बात ये भी है कि सिल्वर पर मिलने वाला रिटर्न सेंसेक्स और निफ्टी के रिटर्न से ज्यादा है। बुलियन मार्केट के ज्यादातर जानकारों का कहना है कि अनिश्चित वैश्विक आर्थिक स्थितियाँ और सिव्लर के महंगा होने की प्रमुख वजह है। गोल्ड की तरह ही सिल्वर पर भी पर अमेरिकी फेडरल रिजर्व का सीधा असर पड़ रहा है। वहां की द्वारा ब्याज दरों में फिलहाल कटौती की संभावना को भी बहुत से लोग चांदी की बढी हुई डिमांड से जोड़ रहे हैं। बाजार के कई रिसर्च एनलिस्ट तथा वित्त विशेषज्ञों का कहना है डॉलर के मजबूत होने से भी सिल्वर की रफ्तार रुकी नहीं है, जो कारण सिल्वर के रेट बढने के जिम्मेदार बनाए जा रहे हैं, वो लंबे समय से मौजूद है, क्योंकि भारत में इंडस्ट्रीयल खपत तेजी से बढ रही लेकिन, मार्च 2024 के बाद सिल्वर ने जिस गति से अपनी रफ्तार बहुत तेज कर दी है, उसका कारण कुछ और क्या हो सकता है, बाजार का जानकार भी उसके असली कारण तलाश रहे हैं। सिल्वर को मजबूत होने में औद्योगिक मांग से बड़ा फायदा हुआ है, खासकर इलेक्ट्रॉनिक्स, सौर ऊर्जा और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में। वैश्विक आर्थिक सुधार, नवीकरणीय ऊर्जा बुनियादी ढांचे में निवेश में वृद्धि के साथ, विभिन्न औद्योगिक अनुप्रयोगों में चांदी की मांग बढ़ी। इसके अलावा, प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में विनिर्माण गतिविधि के पुनरुत्थान ने ऑटोमोटिव और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में चांदी की अधिक खपत में योगदान दिया। इस बीच, इंटरनेशनल सिल्वर इंस्टीट्यूट का अनुमान है कि 2023 में फोटोवोल्टिक्स (पीवी) में इस्तेमाल होने वाली सिल्वर की मांग लगभग 161 मिलियन औंस होगी, जो 2022 में 140 मिलियन औंस से अधिक है, और कुल वैश्विक स्तर पर सिल्वर की मांग का लगभग 13 प्रतिशत है। विश्व स्तर पर नवीकरणीय ऊर्जा के मुख्य स्रोतों में से एक के रूप में सौर प्रतिष्ठानों की वृद्धि को प्रतिबिंबित करने के लिए इस मांग में वृद्धि जारी रहने की उम्मीद है। सन 2028 तक, अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी का अनुमान है कि सौर फोटोवोल्टेइक कुल वैश्विक बिजली क्षमता का लगभग 13 प्रतिशत होगा, जो क्षमता का लगभग 5 प्रतिशत है। हाल ही में भारत में प्रधानमंत्री नरेंदेर मोदी द्वारा एक करोड़ घरों को सैर उर्जा से लैस करने की प्रतिबद्धता के कारण भी सिल्वर का महंगा होते रहने जारी रहेगा। सिल्वर की बढ़ोतरी के लिए खास तौर पर यह महत्वपूर्ण है कि अगले पांच वर्षों और उसके बाद सौर फोटोवोल्टेइक की बढ़ती मांग आपूर्ति में वृद्धि से मेल खाने की संभावना नहीं है।


2028 तक सौर फोटोवोल्टेइक क्षमता दोगुनी से अधिक होने पर सिल्वर की पीवी मांग दोगुनी से अधिक हो जानी चाहिए। चांदी की वार्षिक वैश्विक आपूर्ति पिछले 10 वर्षों में अपेक्षाकृत अपरिवर्तित रही है, क्योंकि प्राथमिक सिव्लर भंडार खोजना मुश्किल है। ऑटोमोटिव उद्योग में, इलेक्ट्रॉनिक घटकों के अधिक उपयोग और बैटरी चार्जिंग बुनियादी ढांचे में निवेश से सिल्वर के उठाव को समर्थन मिलता रहेगा। चीन से धीमी औद्योगिक मांग के कारण कुछ हद तक सिल्वर में गिरावट के आसार है, लेकिन उन्हें चीनी अर्थव्यवस्था में तेजी आने के संकेत दिख रहे हैं उसकी वजह से इसमें सुधार की उम्मीद से साथ ही भाव 1 लाख के पार जाने की संभावना स्पष्ट दिख रही है।


 सामान्य तोर पर माना जा रहा है कि सिल्वर और गोल्ड के बीच का संबंध एक महत्वपूर्ण कारक है। गोल्ड की कीमतों में वृद्धि होने पर, लोग सिल्वर की ओर मुख्य रूप से ध्यान नहीं देते हैं और इससे सिल्वर की कीमतें बढ़ सकती हैं। सिल्वर का उपयोग औद्योगिक क्षेत्रों में व्यापक है, जैसे कि इलेक्ट्रॉनिक्स, धातुओं, ज्वेलरी, और अन्य उत्पादों में। यदि इन क्षेत्रों में मांग बढ़ती है और आपूर्ति कम होती है, तो सिल्वर की कीमतों में वृद्धि हो सकती है। आर्थिक संकट के समय में, लोग धन निवेश के साधन के रूप में सिल्वर को देखते हैं, जिससे इसकी मांग बढ़ती है और कीमतें बढ़ सकती हैं। कई बार, राष्ट्रीय रिज़र्व बैंकें सिल्वर की आपूर्ति को नियंत्रित करने के लिए निर्धारित नीतियों को अपनाते हैं, जिससे सिल्वर की कीमतें प्रभावित होती हैं। अनिश्चितता और भविष्य की अज्ञातता के समय में, लोग सिल्वर को एक सुरक्षित निवेश के रूप में देखते हैं, जिससे इसकी मांग बढ़ती है और कीमतें बढ़ सकती हैं। इन कारणों के कारण, सिल्वर की कीमतों में वृद्धि हो सकती है।


हाल ही में बीते 8 अप्रैल को सिल्वर एक और नई ऊंचाई पर पहुंच गया, जिसका श्रेय आर्थिक डेटा बिंदुओं, वैश्विक स्तर पर राजनीतिक तनाव और बाजार की विशिष्ट गतिशीलता सहित अमेरिका में बढ़ती महंगाई जैसे कारण हैं। बीते साल, यानी 2023 में, सिल्वर की कीमतों में 10 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि गोल्ड में वर्ष के दौरान 13 फीसदी की वृद्धि हुई। साल-दर-साल आधार पर, केवल चार नहीने में ही 8 अप्रैल तक चांदी में 11 फीसदी से अधिक की वृद्धि हुई है। दूसरी ओर, सोने में लगभग 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। माना जा रहा है कि अगले कुछ महीनों में सिल्वर में मजबूती के हालात बने रहेंगे। निवेश सलाहकार सिल्वर में निवेश करने की सलाह दे रहे हैं और मध्यम से लंबी अवधि के लिए नीचे के लेवल पर 75 हजार रुपये की गिरावट के बाद सीधे 92 हजार रुपये के लेवल पर सिल्वर के जाने के आसार हैं। लेकिन माना जा रहा है कि लेवल अगर 92 हजार पर कुछ दिन तक बरकरार रहा, तो अगला लेवल 1 लाख रुपये की बढ़ोतरी पर है। बीते 8 अप्रैल को चांदी 81313 रुपये प्रति किलोग्राम पर कारोबार कर रही थी।


भू-राजनीतिक तनाव ने 2020 के बाद से बाजार में जोखिम प्रीमियम में लगातार वृद्धि की है, किसी न किसी कारण से सिल्वर ने बाजार में धूम मचाई है। सन 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध, पिछले साल इजराइल और हमास के बीच संघर्ष, रूस और यूक्रेन के बीच झगड़े की उम्मीदें सुरक्षित निवेश का समर्थन कर रही हैं। वैश्विक स्तर पर आर्थिक जोखिमों ने भी बाजार में अस्थिरता बढ़ा दी और सुरक्षित निवेश के रूप में सिल्वर की मांग बढ़ गई साथ ही इंडस्ट्रीयल सेक्टर प्रभावित न हो, इसके लिए भी सिल्वर की खरीदी बढ़ रही है। तो फिर कहीं से भी सिल्वर हर हाल में बढ़ता ही रहेगा, इसके सस्ता होने के कोई आसार नहीं है।

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आज सिल्वर के भाव बढ़े हैं, तो गोल्ड भी तो महंगा हुआ है। इस नजरिये से कहा जा सकता है कि जब जब गोल्ड में बढ़ोतरी हुई, तो भारत में सिल्वर की कीमतें भी उसी हिसाब से बढ़ीं। ऐसा लगता है कि गोल्ड और सिल्वर साथ साथ चलते हैं, तथा साथ साथ ही आगे बढ़ते हैं।

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आज भारत में सिल्वर की कीमतों पर घरेलू और वैश्विक दोनों कारकों का बड़ा प्रभाव पडऩे के कई कारण हैं। पिछले पांच वर्षों के हाजिर सिल्वर की रेट काकारण यही है कि जब भी वैश्विक मांग में वृद्धि हुई है, भारत में सिल्वर की दरों में बढ़ोतरी हुई है।

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सिल्वर की कीमतों के लगातार बढऩे ग्राफ से पता चलता है कि पिछले तीन साल में सिल्वर की मांग तेजी से बढ़ी है, तथा इन्हीं तीन सालों में आज सिल्वर सबसे आगे हैं। आने वाले तीन साल में इंडस्ट्रिय़ल डिमांड लगातार बढऩे से सिल्वर के रेट कम होने के आसार कम है।

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इंटरनेशनल लेवल पर लगातार खराब होते हालात तथा युद्ध की स्थिति, अनिश्चित पूंजी बाजार के बीच सिल्वर की औद्योगित मांग बढ़ गई, क्योंकि अमेरिका और रूस प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से संघर्ष में शामिल थे। अत: सिल्वर के रेट आगे बढ़ेगी, कम नहीं होंगे।


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