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संपादकीय...ज्वेलरी इंडस्ट्री का चुनौतीपूर्ण वक्त किंतु उम्मीद का उजाला भी बाकी है

  • Aabhushan Times
  • Jun 13
  • 3 min read
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- सिद्धराज लोढ़ा


भारतीय ज्वेलरी इंटस्ट्री इस समय एक जटिल दौर से गुजर रही है। एक ओर परंपरागत उत्सवों व विवाहों के मौसम के बावजूद ग्राहकी में गिरावट देखी जा रही है, तो दूसरी ओर गोल्ड - सिल्वर की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी ने आम ग्राहक को सोचने पर मजबूर कर दिया है। इस स्थिति ने देश भर के ज्वेलर्स को एक असहज परिस्थिति में ला खड़ा किया है, जहां उन्हें व्यापारिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, तो इसके साथ ही ज्वेलरी के खरीददीरों को भी अपनी अपेक्षाओं के मुकाबले संतुलित खरीदी करने को मजबूर होना पड़ रहा है। ज्वेलरी इंडस्ट्री में पिछले कुछ वक्त से आई ग्राहकी में कमी के पीछे कई कारण सामने आ रहे हैं। महंगाई की मार से जूझ रही आम जनता की खरीदी करते की शक्ति पर विपरीत असर पड़ा है। ऊपर से वैश्विक आर्थिक अस्थिरता और घरेलू बाजार में बढ़ती असुरक्षा की भावना ने भी उपभोक्ताओं को बड़े निवेशों से दूर किया है। पारंपरिक तौर पर ज्वेलरी खरीदने वाला मध्यम वर्गीय समाज अब अपनी प्राथमिकताओं पर नए सिरे से विचार कर रहा हैं।


ज्वेलरी मार्केट में ग्राहकी के संकट की जड़ में प्रमुख रूप से गोल्ड और सिल्वर की लगातार बढ़ती कीमतें हैं। जहां कुछ वर्ष पूर्व तक गोल्ड के भाव 30-40 हजार रुपए प्रति 10 ग्राम के आसपास रहते थे, वहीं अब यह आंकड़ा 1 लाख के पार जा पहुंचा है। सिल्वर की कीमतों में भी समान रूप से उछाल देखा गया है, जिससे सिल्वर की पारंपरिक मांग चाहे वह उपहार में दी जाने वाली सिल्वर की वस्तुएं हों या फिर घरेलू उपयोग की, डिमांड कम होती जा रही है। डायमंड की बात करें तो वहां विश्वसनीयता एक बड़ा मुद्दा बनकर उभरा है। लैब ग्रान डायमंड की बढ़ती उपलब्धता और नेचुरल डायमंड के बीच अंतर करने की ग्राहकों की असमर्थता ने डायमंड के प्रति भरोसे को कमजोर किया है। इससे डायमंड ज्वेलरी की मांग में भी अस्थिरता देखी गई है। ग्राहक अब मूल्य से अधिक विश्वसनीयता और प्रमाणिकता को महत्व देने लगे हैं। बाजार की इन परिस्थितियों को भांपते हुए ज्वेलर्स ने अपनी रणनीति में बदलाव किए हैं। भारी आभूषणों की अपेक्षा अब हल्के वजन (लाइट वेट) के डिजाइनों की ओर रुझान बढ़ा है। इससे एक ओर ग्राहकों को कम बजट में आकर्षक डिजाइनों का विकल्प मिलता है, वहीं ज्वेलर्स को स्टॉक और उत्पादन लागत का संतुलन साधने में सुविधा होती है। लाइट वेट ज्वेलरी आज के आधुनिक और व्यस्त जीवनशैली के अनुकूल भी है, जिसमें पहनना आसान है और फैशन का एक स्टाइलिश रूप भी प्रस्तुत करती है। सिल्वर ज्वेलरी की स्थिति थोड़ी अधिक जटिल है। सिल्वर की बढ़ती कीमतों ने जहां पारंपरिक सिल्वर की वस्तुओं की मांग को प्रभावित किया है, वहीं फैशन ज्वेलरी के क्षेत्र में इसके नए प्रयोगों ने आशा की एक नई किरण भी दिखाई है। युवा वर्ग में सिल्वर ऑक्सिडाइजड़ ज्वेलरी और इंडो-वेस्टर्न डिज़ाइनों की मांग बढ़ रही है। यह एक संकेत है कि यदि ज्वेलर्स नवाचार करें और ट्रेंड के साथ चलें, तो सिल्वर का बाजार फिर से गति पकड़ सकता है। इन सबके बीच, यह कहना अनुचित नहीं होगा कि बाजार की स्थिति फिलहाल चुनौतीपूर्ण जरूर है, परन्तु निराशाजनक नहीं। इतिहास गवाह है कि भारतीय ज्वेलरी उद्योग ने समय-समय पर कठिन दौरों का सामना करते हुए स्वयं को पुन: स्थापित किया है। इस उद्योग की नींव सिर्फ धातुओं या पत्थरों पर नहीं, बल्कि उपभोक्ताओं के विश्वास और ज्वेलर्स की निष्ठा पर टिकी है।


'आभूषण टाइम्स' अपने प्रारंभ से ही ज्वेलर्स के हितों की रक्षा करने और उन्हें सही समय पर सटीक जानकारी प्रदान करने का प्रयास करता रहा है। चाहे वह बदलते डिजाइन स्ट्रक्चर की जानकारी हो, मार्केट रुझानों का विश्लेषण हो या फिर बाजार में पारदर्शिता बनाए रखने की बात, आभूषण टाइम्स ने हमेशा अपने पाठकों के विश्वास को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। आज जब बाजार में अनिश्चितता का माहौल है, आभूषण टाइम्स पुन: यह आश्वासन देता है कि हम इस कठिन समय में भी ज्वेलरी उद्योग के प्रत्येक हिस्सेदार के साथ खड़े हैं। हम बाजार की हर हलचल को बारीकी से समझते हुए, ज्वेलर्स और उपभोक्ताओं के बीच एक विश्वसनीय सेतु बने रहने का प्रयास जारी रखेंगे। आशा है कि आने वाले समय में आर्थिक स्थिरता लौटेगी, उपभोक्ता विश्वास में वृद्धि होगी और भारतीय ज्वेलरी इंडस्ट्री एक बार फिर से अपनी पुरानी रफ्तार और रौनक हासिल करेगी। तब तक, यह समय है धैर्य का, आत्मविश्वास को बनाए रखने का और कुछ नया करने का। आभूषण टाइम्स हर कदम पर हमेशा आपके साथ है।

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