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अभी और महंगा होगा गोल्ड!अमेरिकी डॉलर से मुकाबला और ट्रंप के टैरिफ का डर

  • Aabhushan Times
  • Jul 21
  • 7 min read
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गोल्ड की चाल अब और तेज होने वाली है। दुनिया के कुछ विशेष देशों के बीच जो तनाव का वातावरण बन रहा है, विकासशील देशों में सुधार की गति धीमी होती जा रही है और जिस प्रकार का आर्थिक माहौल बनता जा रहा है, उसे देख कर साफ लग रहा है कि अगले 6 महीनो में, अर्थात इसी साल के अंत तक गोल्ड अपने अब तक के सबसे ऊंचते शिखर पर स्थापित हो सकता है। यह तय नहीं कहा जा सकता कि गोल्ड ऊपर की तरफ सवा लाख पर होगा, या 1 लाख 5 या 7 हजार, लेकिन वर्तमान हालात से यह स्पष्ट है कि गोल्ड की चाल तेज ही रहेगी और यह एक निश्चित आंकड़े पर फिक्स हो सकता है, जहां से नीचे आना संभव नहीं होगा। गोल्ड वल्र्ड के जानकारों की राय में जो गोल्ड ज्वेलरी के बिजनेसमेन गोल्ड़ के नीचे आने का इंतजार कर रहे हैं, उनको सावधान हो जाना चाहिए तथा अपने बाजार के प्रति लगातार अपडेट रहना चाहिए और यह मान लेना चाहिए कि 1 लाख का गोल्ड के भाव अब लगभग फिक्स है तथा इससे थोड़ा बहुत नीचे आकर फिर से तेजी कपडऩा ही संभव है। दुनिया भर से सभी देश अमेरीकी डॉलर की दादागिरी को टक्कर देने की फिराक में हैं। गोल्ड खरीदी के लिए लगभग सेभी देशों के सेंट्रल बैंक दुनिया के बाजार पर नजर टिकाए हुए हैं। 

भारत लगातार गोल्ड खरीदता जा रहा है, अमेरिका ने दुनिया के हर देश पर टैरिफ बढ़ाने की कमर कस ली है तथा तेल पैदा करने वाले देशों के बीच जंग जारी है। रूस और यूक्रेन का युद्ध बंद होने का नाम नहीं ले रहा, और पाकिस्तान जैसे कई देश लगातार कंगाल होते जा रहे है। गोल्ड को सबसे बड़ा सहारा चीन से है, क्योंकि चीन गोल्ड को भविष्य का फाइनेंशियल हथियार मान रहा है। ऐसे में गोल्ड ही आखरी हथियार है, जिसके जरिए दुनिया के लगभग सभी देश अपनी अर्थव्यवस्था को सहारा दे सकते हैं। अमेरिका दुनिया के हर देश पर टैरिफ बढ़ाता जा रहा है, ऐसे में उसे सामान बेचने वाले तथा उससे खरीदने वाले देशों में भी मुद्रास्फीति बढ़ेगी, तो महंगाई भी बढ़ेगी। ऐसे में अपनी अर्थव्य़वस्था को मजबूत बनाए रखने के लिए, दुनिया भर के देश गोल्ड इसलिए भी खरीदते जा रहे हैं। यह खरीदी इसलिए हो रही है, क्योंकि इसके जरिए अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की दादागिरी को चक्कर देने की तैयारी के लिए खुद को हर वक्त लैस रखा जा सके।  

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दुनिया भर के विभिन्न देश लगातार बड़ी मात्रा में गोल्ड खरीद रहे हैं ताकि वे अपने विदेशी मुद्रा भंडार के जरिए अर्थव्यवस्था में संतुलन ला सकें और वैश्विक वित्तीय व्यवस्था में डॉलर पर अपनी निर्भरता कम कर सकें। यह स्थिति गोल्ड में तेजी को महत्वपूर्ण बना रही है। गोल्ड के मामले में विभिन्न प्रमुख की रिपोर्टस भी इसकी पुष्टि करती है।  


दुनिया के ज्यादातर देश गोल्ड खरीद रहे हैं, तो चीन ने गोल्ड को भविष्य का वित्तीय सहारा मान कर अपने लोगों से गोल्ड खरीदने की अपील करना शुरू कर दिया है। चीन वैसे तो लगातार गोल्ड खरीदता रहा है, लेकिन हाल ही में एक बार फिर से चीन ने अपनी सभी सरकारी व्यावसायिक एजेंसियों को भी गोल्ड खरीदी के निर्देश दिए हैं। अमेरिका के साथ ट्रेड डील और बढ़ती महंगाई के बीच चीन ने गोल्ड खरीदने का एक नया रास्ता चुना है। इसे इमेरीकी डॉलर की जगह गोल्ड और अपनी करेंसी युआन को ताकतवर बनाने के एक बड़ा गेम माना जा रहा है। गोल्ड मार्केट के इंटरनेशनल एक्सपर्ट्स मान रहे हैं कि दुनिया में गोल्ड अब सिर्फ शादी-ब्याह पर देने तथा ज्वेलरी के रूप में पहनने की चीज नहीं रहा। दुनिया भर के लगभग सभी देशों में इसे अगली सदी का फाइनेंशियल कवच माना जा रहा है। वैसे देखा जाए, तो किसी भी व्यक्तिगत परिवार से लेकर देशों तक की अर्थव्य़वस्था को सम्हालने में गोल्ड ही एक आधारभूत सहारा बना रहा है। दुनिया भर के देशों के बीच जो वर्तमान हालात दिखाई दे रहे हैं, अगर यही हालात आने वाले कुछ और वर्षों तक बनते- बिगड़ते रहे, तो गोल्ड की चमक और भी उस स्तर तक तेज हो सकती है, जिसके बारे में अनुमान लगाना भी संभव नहीं होगा। वैश्विक स्तर पर गोल्ड मार्केट्स की स्टड़ी करने वालों की एक तथ्यात्मक रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले दिनों में गोल्ड अपनी चमक को और निखारेगा तथा गोल्ड में निवेश करने वाले देशों की ही भविष्य उज्ज्वल माना जा रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए चीन अब अपने नागरिकों को गोल्ड रखने के लिए प्रेरित कर रहा है, युद्ध के हालात झेलने के बावजूद रूस गोल्ड खरीदता जा रहा है, तो यूक्रेन की सरकार भी गोल्ड का अपना भंडार सजेह कर रख रही हैं। भारत सरकार भी लगातार गोल्ड की तरफ ध्यान दे रही है तथा लगभग सभी देश मान रहे हैं कि गोल्ड का भविष्य उज्ज्वल है, इसी कारण थाइलैंड, पाकिस्तान, बांग्लेदेश, नेपाल, बर्मा, सिंगापोर, तुर्की, जैसे छोटे छोटे देशों के साथ साथ यूरोप के लगभग सभी देश गोल्ड की खरीदी पर निकले हुए हैं। चीन की तो सरकार ही खुद लोगों को कह रही है कि वे गोल्ड खरीदें। भारत भी गोल्ड खरीदी की राह पर है। ट्रंप की ट्रेड पॉलिसी से पैदा होने वाले संभावित खतरे से दुनिया भर के देश केवल गोल्ड को ही बचाव का हथियार मान रहे हैं। 


वल्र्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में वैश्विक गोल्ड की मांग रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। इसमें केंद्रीय बैंकों और निवेश मांग की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। विश्व के विभिन्न देशों के कुल केंद्रीय बैंकों की खरीद का आंकड़ा देखा जाए, तो 2024 में बीते पांच महीनो में केंद्रीय बैंकों ने लगातार तीसरे वर्ष 1,000 टन से अधिक सोना खरीदा, इस साल कुल 1,045 टन खरीदी पहुंच गई है। जिसमें, प्रमुख खरीददार देशों की बात की जाए, तो  पोलैंड का नेशनल बैंक ऑफ पोलैंड 2024 में गोल्ड का सबसे बड़ा खरीदार रहा, जिसने 89.54 टन गोल्ड खरीदा, जिससे इसका कुल भंडार 448.2 टन हो गया। तुर्की के सेंट्रल बैंक ऑफ तुर्की ने 2024 में 74.79 टन सोना खरीदा, जिससे इसका कुल भंडार 595.4 टन हो गया। भारतीय रिजर्व बैंक ने 2024 में 72.6 टन सोना खरीदा, जिससे इसका कुल भंडार 876.2 टन तक पहुंच गया। चीन ने 2024 में 44.17 टन सोना खरीदा, जिससे इसका सार्वजनिक रूप से घोषित कुल भंडार 2,279.56 टन हो गया। हालांकि, चीन पहले सबसे बड़ा खरीदार हुआ करता था, लेकिन 2024 में इसकी खरीदी थोड़ी धीमी रही, मगर अब इस धीमी खरीदी को बढ़ाने की तैयारी में है। अन्य प्रमुख खरीदार अजरबैजान, चेक और इराक ने भी 20 टन या उससे अधिक सोना खरीदा। गोल्ड की बिक्री भी हो रही है, इसी क्रम में, कजाकिस्तान के नाम 10.18 टन, सिंगापुर के हिस्से में 10.08 टन और थाईलैंड के खाते 9.64 टन गोल्ड गिना जा रहा है। हालांकि, इस साल के शुरूआती दौर में अमेरिका, जर्मनी, इटली और फ्रांस ने 2024 में अपने गोल्ड के भंडार में कोई बहुत बड़ा बदलाव दर्ज नहीं किया है, किन छिटपुट खरीदी जारी है। माना जा रहा है कि चीन की तरह ही हर साल ये देश भी साल के दूसरे भाग में गोल्ड़ खरीदते रहे हैं, सो बचे हुए छह महीनों में इन देशों की भी खरीदी खुलेगी। निवेश और ज्वेलरी की डिमांड के मामले में गोल्ड को देखें, तो इसकी वैश्विक निवेश मांग 2024 में बढ़ी है। वैश्विक गोल्ड में निवेश मांग 25 प्रतिशत बढक़र 1,180 टन हो गई, जो पिछले चार साल का उच्चतम स्तर है। इसमें गोल्ड ईटीएफ की मांग में जेत बदलाव देखा गया है। भारत में सोने में निवेश 2024 में मूल्य के हिसाब से 60 प्रतिशत बढक़र लगभग गोल्ड लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। भारत में वजन के तौर पर गोल्ड के निवेश में देखें, तो कुल निवेश मांग 239 टन रही। जबकि न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में, ज्वेलरी के तौर पर गोल्ड की डिमांड में ऑल टाइम हाई रेट्स के कारण थोड़ी कमी आई, वैश्विक स्तर पर यह 11 प्रतिशत घटकर 1,877 टन हो गई। चीन में भी गोल्ड ज्वेलरी की मांग में 24 प्रतिशत की कमी देखी गई, जबकि भारत में यह केवल 12 प्रतिशत कम हुई। गोल्ड बार और गोल्ड कॉइन की मांग 2023 के स्तर पर ही रही, जो 1,186 टन थी। गोल्ड  बार और कॉइन के शीर्ष 10 बाजारों में मुख्य चीन (336.2 टन), भारत (239.4 टन) और तुर्की (112.2 टन) शामिल थे। प्रौद्योगिकी क्षेत्र में गोल्ड की डिमांड में 7 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो 326 टन तक पहुंच गई, मुख्य रूप से एआई और इलेक्ट्रॉनिक्स में उपयोग किए जाने वाले गोल्ड की खरीदी की मात्रा में वृद्धि के कारण।


दुनिया भर में गोल्ड मार्केट की स्टड़ी करने वाले वित्तीय संस्थानों सहित वल्र्ड गोल्ड काउंसिल और अन्य गोल्ड रिसर्च रिपोर्ट्स के अनुसार, दुनिया के विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंकों द्वारा गोल्ड की खरीद 2025 में भी मजबूत रहने की उम्मीद है। वैश्विक हालात यदि वर्तमान जैसे ही रहे, तो गोल्ड की यह डिमांड संभवत: 1200 टन से भी अधिक तक जा सकती है। आर्थिक अनिश्चितता और भू-राजनीतिक तनाव के कारण गोल्ड को एक बेहद सुरक्षित निवेश के रूप में देखा जा रहा है, जिससे इसकी मांग में वृद्धि जारी रहने की संभावना है, तो निश्चित तौर पर इसके रेट्स भी बढ़ेंगे। हालांकि, कुछ लोग यह भी मान रहे हैं कि गोल्ड के ऑल टाइम हाई रेट्स ज्वेलरी सेक्टर में गोल्ड की डिमांड पर दबाव डाल सकते हैं। लेकिन, 2024 में विभिन्न देशों ने बड़ी मात्रा में गोल्ड खरीदा, खासकर केंद्रीय बैंकों ने अपने आर्थिक भंडार को मजबूत करने के लिए यह कदम उठाया है। तो, 2025 में भी सरकारों की यही प्रवृत्ति जारी रहने की उम्मीद है। ऐसे में गोल्ड के रेट और बढऩा बहुत हद तक तय है, भले ही बढ़ती कीमतें ज्वेलरी सेक्टर में गोल्ड की खपत को प्रभावित कर सकती हैं। मगर, कुल मिलाकर, रेट बढऩा निश्चित है।


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दर्शन चौहान, स्काय गोल्ड एण्ड डायमंड्स


गोल्ड के रेट 1 लाख रूपए के आसपास है, लेकिन यहां से भी बढऩा तय है, क्योंकि दुनिया के सभी देश गोल्ड खरीद रहे है। इसका असर ये है कि साल भर में गोल्ड की खपत भी बहुत बढ़ गई। इसी साल केवल 6 महीनो में ही 1 हजार टन गोल्ड खरीदे जाने से रेट तेज हुए हैं।



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अमीत मुणोत, मुणोत ऑर्नामेंट्स


एक अनुमान है कि भारत में सरकार को छोडक़र सामान्य लोगों के पास करीब 25 हजार टन गोल्ड हैं, लेकिन यह ज्यादातर ज्वेलरी फॉर्मेट में है। फिर भी भारत में सामान्य लोग लगातार गोल्ड खरीदते जा रहे हैं, तो फिर गोल्ड की कीमतों में किसी भी हाल में तेजी तो आना निश्चित है।

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महेन्द्र, राणावत, ब्रह्मांड


ग्लोबल स्तर पर गोल्ड 3450 डॉलर प्रति औंस के आसपास पहुंच गया है, और एक्सपर्ट्स का मानना है कि वैश्विक स्तर पर विभिन्न देशों के बीच युद्ध तथा राजनीतिक हालात अगर ऐसे ही रहे, ड़ॉलर से जंग जारी रही, तो ये 3550 डॉलर प्रति औंस के उच्चतम स्तर तक जा भी सकता है।

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किरण लोढ़ा, वियरा सीझेड ज्वेलरी


गोल्ड में मजबूती साफ दिख रही है, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विभिन्न देशों के आयात पर हाई टैरिफ लगाने और उसके डॉलर की बढ़ती वैश्विक ताकत के खिलाफ विभिन्न देशों में की अर्थव्यवस्था डगमगाने का डर बना हुआ है, जिसे केवल गोल्ड ही कंट्रोल कर सकता है।


 
 
 

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