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महज 735 दिन में सोने का शिखर

  • Aabhushan Times
  • Oct 17
  • 2 min read
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स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूजीसी) ने कहा है कि 4,000 डॉलर प्रति औंस तक की सोने में तेजी को महज 735 दिन लगे हैं। पीली धातु की कीमतों ने 9 अक्टूबर को 4,000 डॉलर प्रति औंस का शिखर छुआ था। डब्ल्यूजीसी ने अपने ताजा नोट क़हा कि हालांकि सोने को रिकॉर्ड 4,200 डॉलर प्रति औंस का स्तर पार करने में केवल सात दिन और लगे। लेकिन 3500 डॉलर प्रति औंस से 4,000 डॉलर प्रति औंस तक यानी इसमें 500 डॉलर की बढ़ोतरी का सुनहरा सफर इस धातु के इतिहास में सबसे तेज गति से हुआ है। डब्ल्यूजीसी ने कहा कि इसमें बीच-बीच में गिरावट आ सकती है मगर कीमतों में और बढ़ोतरी की गुंजाइश है।


सोने की वृद्धि की रफ्तार आश्चर्यजनक है। कीमतें केवल 36 दिनों में 3,500 डॉलर प्रति औंस से बढक़र 4,000 डॉलर पर पहुंच गईं। 500 डॉलर प्रति औंस की ऐसी ही वृद्धि हासिल करने में इससे पहले औसतन 1,036 दिन लगे थे। ताजा उछाल उस औसत से कहीं अधिक तेज है। परिषद ने कहा कि सोने की हालिया बढ़ोतरी, तेजी की पिछली औसत अवधि और मात्रा से कम है। आंकड़ों से पता चलता है कि अगस्त 1976 और जनवरी 1980 बीच इस पीली धातु को अपने चरम स्तर तक पहुंचने में 856 दिन लगे। दिसंबर 2015 और अगस्त 2020 के बीच 1,162 दिन, और जनवरी 2007 और सितंबर 2011 के बीच 1,168 दिन लगे। डब्ल्यूजीसी ने कहा कि इस वर्ष की तेजी पश्चिमी देशों की अगुआई में बढ़ी हुई निवेश मांग के कारण आई है, क्योंकि निवेशक भू- राजनीतिक तनाव, डॉलर की कमजोरी, फेड दरों में कटौती की उम्मीदों और इक्विटी बाजार में गिरावट की आशंका के बीच निवेश का सुरक्षित विकल्प तलाश कर रहे हैं। उन्होने कहा कि केंद्रीय बैंकों की लगातार खरीद से भी मदद मिली है और इससे न केवल भौतिक खरीद बढ़ी है बल्कि इसके प्रति सकारात्मक धारणा भी मजबूत हुई है।


सोने की कीमतों में और बढ़ोतरी की कितनी गुंजाइश ?

 डब्ल्यूजीसी का मानना है कि कीमतों में हालिया तेजी से सोने का आवंटन प्रमुख निवेशकों के बीच पोर्टफोलियो पुनर्संतुलन को बढ़ावा दे सकता है। तकनीकी संकेतक भी बताते हैं कि सोने की कीमतों में थोड़ी राहत मिल सकती है। रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (आरएसआई) 90 से ऊपर होने और कीमतें अपने 200- दिवसीय औसत से 20 प्रतिशत से ज्यादा होने से संकेत मिलता है कि बाजार ओवरबॉट जोन में है। इस कराण अल्पावधि निवेशक अपनी पोजीशन बदल सकते हैं।


कड़ी ऋण शर्तों से भी सोने जैसी उच्च-प्रदर्शन वाली परिसंपत्तियों की बिक्री को रफ्तार मिल सकती है, खासतौर पर उन निवेशकों के मामले में जो नकदी चाहते हैं। डब्ल्यूजीसी का मानना है कि सोने की कीमतों में तेज उछाल से उपभोक्ता मांग कमजोर पड़ सकती है जबकि यह सीजन मजबूत मांग वाला है। अल्पावधि अस्थिरता के बावजूद सोने का रणनीतिक आधार मजबूत बना हुआ है। निवेशक आधआर में विविधता होने, व्यापक आर्थिक बदलाव से इसकी दीर्घावधि मांग को बढावा मिल सकता है।


 
 
 

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