सिल्वर सस्ता नहीं!2026 के अंत तक सिल्वर 2.5 लाख के पार भी संभव
- Aabhushan Times
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सिल्वर के खनन की कमी वैश्विक स्तर पर प्रभावित कर रही है, तो भारत में भी कमी दिखाई दे रही है। वैश्विक स्तर पर सिल्वर की सालाना डिमांड 35 हजार 700 टन से अधिक है, जबकि इसकी आपूर्ति सालाना लगभग 31 हजार टन के आसपास है। मतलब साफ है कि सिल्वर की सप्लाई में 4 हजार 700टन की कमी हो रही है। यह सिल्वर मार्केट में लगातार पांचवें वर्ष की संरचनात्मक कमी है। तो हालात साफ है कि सिल्वर सस्ता तो कतई नहीं होने वाला।
सिल्वर में तेज उतार चढ़ाव के बावजूद भारत सहित दुनिया भर में रेट आखिरकार ऊपर ही रहेंगे। सिल्वर के इंडरनेशनल मार्केट के विश्लेषकों की राय में तथा 2026 के अंत तक भारत में सिल्वर के रेट कहां तक जाएंगे, इसका अनुमान आसान नहीं है, मगर सिल्वर का भारतीय तथा वैश्विक संदर्भों में पूरा विश्लेषण करें, तो कहा जा सकता है कि उतार-चढ़ाव के बावजूद सिल्वर के रेट ऊपर की ओर ही रहेंगे। भारतीय और वैश्विक परिदृश्य में सिल्वर की कीमतें 2024-2025 में भारी चढ़ाव और बाद में तेज़ छलांग से गुजऱी हैं और यही अस्थिरता बहुतों को भ्रमित करने वाले संकेत देती है इसलिए यह समझने की जरूर है कि आखिर क्यों इतनी अस्थिरता के बीच आखिर रुझान ऊपर ही क्यों रहेगा? अगर, वैश्विक तथा भारतीय संदर्भों में सिल्वर में तेजी के प्रमुख तत्व, उनका प्रभाव और 2026 के अंत तक रेट के परिदृश्य पर विचार करें, तो तथ्यों और हाल के विश्लेषणों के आधार पर यही काह जा सकता है कि 2026 के अंत तक भारत में सिल्वर के रेट्स 2.50 लाख रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच सकते हैं, जो वैश्विक आपूर्ति में कमी और प्रौद्योगिकी में सिल्वर की बढ़ती मांग के कारण से होगी हैं। कुछ इंटरनेशनल जानकर 2026 में भारत में सिल्वर के रेट्स 3 लाख रुपये प्रति किलोग्राम के पार जाने का अनुमान लगाते हैं। अभी हम 2025 के अंत में चल रहे हैं और ये साल का आखरी महीना है, तो इस साल के दूसरे हिस्से में सिल्वर ने जबरदस्त तेज़ी की रैली दिखाई। इस तेजी के वैश्विक कारणों में प्रमुख थे इटीएफ व निवेश की डिमांड में तेजी, गोल्ड की तुलना में सिल्वर की बेहतर परफॉर्मेंस, और सप्लाई व डिमांड का असंतुलन, खासकर खनन उत्पादन में रुकावट और इंडस्ट्रियल डिमांड की मजबूत होती लंबी कतार। हम देखें, तो इलेक्ट्रॉनिक्स, व्हीकल्स, सोलार एनर्जी, मोबाइल फोन, तथा फोटो वोल्टाइक व इलेक्ट्रॉनिक जैसे हाइब्रिड इंडस्ट्रीयल सेक्टर। कुछ बैंक विश्लेषकों और निवेश हाउस ने भी सिल्वर में 2026 के लिए ऊंचे लक्ष्य दिए हैं। निवेशकों के जोखिम-मन फेडरल रिजर्व की दर-नीति और डॉलर-सूचकांक ने भी सूक्ष्म परते बनायीं जब अपेक्षा रहती है कि अमेरिका ब्याजें घटाएगा तो कीमती धातुओं की अपील बढ़ती है; मगर उल्टा होने पर कीमतों पर दबाव बढ़ता। यही कारण है कि सिल्वर में तेज़ उतार-चढ़ाव दिखाई देता है।
भारत के विशेष परिप्रेक्ष्य में सिल्वर के मामले में घरेलू कारण ज्यादा प्रभावी रहे हैं। भारत में सिल्वर की कीमतें अंतरराष्ट्रीय कीमतों के साथ साथ यूएस डॉलर के रुपए में एक्सचेंज रेट्स और स्थानीय प्रीमियम व टैक्स से बनकर आती हैं। घरेलू बाजार में सिल्वर की 1000 ग्राम की दरें हाल के महीनों में बढ़ती रहीं उदाहरण के लिए, 1 से 3 दिसंबर 2025 के आसपास 10 ग्राम की दर करीब 1,60,000 रुपए प्रति किलो से सीधे 1 लाख 74 हजार के स्तर पर दर्ज हुईं। यह अंतरराष्ट्रीय रुझान और रुपये की कमजोरी का प्रत्यक्ष नतीजा है। भारत में सिल्वर की स्थानीय कीमतें यूएस डॉलर तथा रुपएके रेट्स के प्रभाव से बहुत सशक्त रूप से प्रभावित होती हैं। दिसंबर 2025 की शुरुआत में रुपया 89-90 प्रति डॉलर के आस-पास चल रहा था, यानी डॉलर की मजबूती ने घरेलू सिल्वर रेट्स को ऊपर धकेला। रुपये की कमजोरियां, यदि जारी रहीं, तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में सिल्वर के छोटे-से उछाल का असर भी भारत में अपेक्षाकृत बहुत बड़ा होगा। सिल्वर के सन 2026 के साल का पूर्वानुमालृन के तार पर विश्लेषण करें, तो 2026 के अंत तक संभाव्य परिदृश्य तेजी का ही है। हालांकि, कई बड़े बैंकों और इंटरनेशनल मार्केट्स के सिल्वर विश्लेषकों के अनुमान थोड़े से अलग अलग हैं। कुछ अपेक्षाकृत रियायती रेट्स में खेल रहे हैं, तो कुछ विश्लेषकों की राय. मेंतो सिल्वर कुछ ज्यादा ही बुलिश रहेगी। रिपोर्ट्स और बाजार-टिप्स के आधार पर तीन परिदृश्यों में पूर्वानुमान रख सकते हैं।
इंटरनेसनल मार्केट में सिल्वर अगर 40 यूएस डॉलर प्रति ट्रॉय औंस पर उतरता है, तो भारती रुपए में उसके रेटेस 1 लाख 15 हजार रुपए प्रति किलो तक उतरेंगे। लेकिन ये ही रेट्स 60 यूएस डॉलर प्रति ट्रॉय औंस पर जाते हैं तो भारत में सिल्वर 1लाख 80 हजार रुपए पर स्थिर हो सकता है। यदि वैश्विक बाजार में निवेश और इंडस्ट्रियल डिमांड मध्यम रूप से मजबूत बनी रहती है और फेड धीरे-धीरे दरें घटाने की ओर संकेत देता है, तो सिल्वर के रेट्स इसी दायरे में रहेंगे। इस रेंज का भारतीय प्रति किलो 1 लाख 16 हजार से लेकर1 लाख 74 हजार के बीच रह सकता है। यह रेंज वर्तमान ट्रेंड के अनुरूप डॉलर के रेट को 90 रुपए के हिसाब से आंकी जा रही है, लेकिन अगर ड़लर के रेट बढ़ते हैं, तो सिल्वर और तेजी हासिल करने के योग्य नजऱ आती है। लेकिन, यदि भारत में सिल्वर की इंडस्ट्रियल डिमांड अचानक तेज़ हो जाए और निवेेश भी तेज़ी से बढ़े और सप्लाई शॉर्टे रही तो सिल्वर 60 से लेकर 90 यूएस डॉलर प्रति ट्रॉय औंस परजाना भी संभव है। तो फिर भारतीय बाजार में सिल्वर के र्टेस 1 लाख 80 हजार से लेकर 2 लाख 60 हजार तक भी जा सकते हैं। खासकर यदि रुपये और भी कमजोर रहे, तब तो सिल्वर के रेट और ऊपर जाना तय है। कुछ संस्थागत अनुमान अगले सालों में उच्च लक्ष्य प्रस्तुत कर रहे हैंजट बैंक जैसे दुनिया के प्रमुख सिल्वर विश्लेषक साल 2026 के अंत तक सिल्वर के किसी भी हालत में 60 यूएस डॉलर प्रति ट्रॉय औंस से नीचे न रहने का अनुमान दे चुके हैं, जो कि तेजी का संकेत है।
दूसरे हालात में देखें, तो सिल्वर में बहुत तेजी के जो संकेत मिल रहे हैं, उनके मुताबिक,एक्स्ट्रीम-बुलिश सिल्वर में गेम-चेंज भी साबित हो सकता है। कुछ विश्लेषकों की राय में 2026 के अंत तक सिल्वर इंटरनेशनल मार्केट में 100 यूएस डॉलर प्रति ट्रॉय औंस पर भी पहुंच सकता है, जो कि दिसंबर 2025 की शुरूआत में 58 यूएस डॉलर प्रति ट्रॉय औंस पर पर चल रहे हैं। यदि इंटरनेशनल मार्केट में सिल्वर 100 यूएस डॉलर प्रति ट्रॉय औंस पर जाता है, तो भारत में यह 2 लाख 90 हजार से लेकर 3 लाख रुपए प्रति किलो भी जा सकता है। यह परिदृश्य तब संभव है जब गोल्ड व सिल्वर दोनों में एक व्यापक सुरक्षित तेजी हो, तथा आर्थिक संकट या डॉलर में भारी गिरावट रहे, साथ ही सिल्वर के ईटीएफ तथा निवेश में बड़ा प्रवाह आए। यह कम संभावना वाला परन्तु उच्च प्रभाव वाला परिदृश्य है, और इस स्थिति में भारत में सिल्वर की कमतें 2028 के अंत तक 3 लाख रुपए प्रति किलो से भी ऊपर जा सकती है। यदि वैश्विक अर्थव्यवस्था बहुत मजबूत रिटर्न दिखाए, ब्याज दरें लंबे समय तक ऊंची रहें, या बड़े देशों में वित्तीय नीति के स्तर पर आधाररभूत बदलाव हों तो सिल्वर नीचे भी आ सकता है, जैसे सकती कट-प्राइस 30 से 35 यूएस डॉलर प्रति ट्रॉय औंस परजाना भी संभव है, जो भारत में 90 हजार से 1 लाख 10 हजार रुपए प्रति किलो के लेव पर उतर सकते हैं। मगर इसकी संभावना बेहद कम या न के बराबर कही जा सकती है।
हालांकि, ज्यादातर जानकारों की राय में, सिल्वर के वैश्विक परिदृश्यों में उतार चढ़ाव का तालमेल दिखता है। वैश्विक स्तर पर सिल्वर में निवेश का मोह और इंडस्ट्रियल उपयोग सिल्वर के पक्ष में हैं; साथ ही सप्लाई में कमी की रिस्क, और अगर फेड ने 2026 में ब्याज के रेट्स कट्स किए तो, गोल्ड और सिल्वर दोनों ही कीमती धातुओं का ट्रेंण्ड और मजबूत होगा। इसलिए 2026 के अंत तक भारत में सिल्वर की प्रति किलोग्राम की औसत दर लगभग 1.70 हजार और 2 लाख रुपए के दायरे में रहने की अधिक संभावना है, बशर्ते अंतरराष्ट्रीय डॉलर रेट्स और रुपये की स्थिति और न बिगड़े। लेकिन अगर डॉलर और रुपये का संयोजन बिगड़ा, तो सिल्वर के रेट्स ऊपर बताई गई बुलिश रेंज भी जल्दी पहुंच सकती है। मतलब सीधे 2 लाख रुपए प्रति किलो के पार भी जा सकते हैं। वैसे देखा जाए, तो सालों का इतिहास यही कहता है कि सिल्वर में तेज उतार चढ़ाव आते रहते हैं।
हाल ही में हमने देखा कि नवंबर 2025 के मध्य में सिल्वर 2 लाख रुपए प्रति किलो तक पहुंच गया था, लेकिन नवंबर के अंत में ही सीधे भारत में सिल्वर के रेट 50 हजार तक टूट गए थे। मगर दिसंबर के शुरू में ही 4 दिसंबर तक फिर से सिल्वर तेजी पकड़ कर 1 लाख 78 हजार रुपए से भी आगे निकल गया। तो तस्वीर साफ है कि सिल्वर की प्रकृति ही दोहरी है, वह तेजी - मंदी के बीच झूलता रहता है, मगर यह भी तयट है कि अंतत: वह ऊपर ही जाता है। क्योंकि उसमें निवेश और इंडस्ट्रियल जरूरत के गुए मौजूद है।
यही गुण दोनों तरफ़ उतार-चढ़ाव ला सकता है, पर मौजूदा संकेत और बैंक-विश्लेषण यह संकेत देते हैं कि 2026 के अंत तक सिल्वर में वैश्विक और भारतीय दरों का ट्रेंड ऊपर की ओर ही रहने की संभावना ज्यादा है, बशर्ते कि इंडस्ट्रियल डिमांड मजबूत रहे और फेड के फैसले की दिशा अनिश्चितताओं के बीच मध्यम-रूप से अनुकूल रहे। ज्यादातर जानकार मानते हैं कि भारत में सिल्वर 1.70 से लेकर 1.90 लाख रूपए प्रति किलो के बीच रह सकता है। मगर, इंडस्ट्रियल डिमांड में बढ़ोतरी, भारतीय मुद्रा के मुकाबले डॉलर के रेट बढऩा तथा खनन में कमी के साथ साथ फेडरल के ब्याज रेट्स जैसे सारे हालात टाइट रहते हैं, तो भारत में कोई आश्चर्य नहीं कि 2026 के अंत तक सिल्वर के रेट्स 2.5 लाख के पार भी जा सकते हैं।

अंबालाल जैन - शुभम सिल्वर
आप देखते रहिए, आने वाले साल में सिल्वर की कीमतें एक ऐसे लेवल पर पहुंचने वाली हैं जिसकी उम्मीद किसी को भी नहीं रही होगी। क्योंकि खनन कम हो रहा है, ज्वेलरी में उपयोग बढ़ रहा है, निवेश भी मजबूत है तथा इसकी इंडस्ट्रीयल उपयोग में अनिवार्यता तो कभी कम नहीं होने वाली।

इन्द्रजीत सुराणा - सुराणा सिल्वर हाऊस
सिल्वर ने 2025 के दिसंबर महीने की शुरूआत में ही कमाल कर दिया और 50 हजार नीचे उतर कर एक बार फिर से तेजी की राह पकड़ी और नए रिकॉर्ड हाई को छुआ। साल 2026 में सिल्वर के रेट्स में 50 फीसदी का इजाफा, अर्थात 2.5 लाख से भी आगे का रुख करने के आसार साफ दिख रहे हैं।

विकास जैन - सिल्वेरियो अर्टेसा प्रा. लि.
सिल्वर और तेजी पकड़ेगा और साल 2026 में सस्ता होने के आसार कम हैं। अमेरिकी डॉलर में नरमी के साथ साथ फेडरल रिजर्व बैंक की हालत और अमेरिकी डेटा में देरी का संकेत है कि ब्याज दरें घट सकती हैं, तो अब अगले साल लगभग तय माना जा रहा है कि सिल्वर में रेट बढ़ जाएगा।

दिनेश कोठारी - विनायक एक्सपोर्ट
सिल्वर के सेंटिमेंट्स को देखते हुए यह बेहद स्पष्ट है कि सिल्वर कीमतों में तेज उतार - चढ़ाव के बावजूद उसके आगे बढऩे की रफ्तार रुकने वाली नहीं है। सिल्वर में थोड़ी सी गिरावट भले ही आ जाए, मगर हर हाल में लंबी गिरावट की संभावना नहीं है क्योंकि तेजी के कारण काफी मजबूत हैं।










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