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गोल्ड फिर चमकने लगा2026 में डेढ़ लाख के पार और 2027 में 2 लाख

  • Aabhushan Times
  • 5 days ago
  • 7 min read
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इंटरनेशनल मार्केट में गोल्ड का पूर्वानुमान करने वाले सभी बड़े संस्थान मान रहे हैं कि गोल्ड में तेजी बरकरार रहेगी। 2026 की पहली तिमाही अर्थात मार्च 2026 तक गोल्ड 1 लाख 40 हजार तक जा सकता है और 2026 के अंत तक हर हाल में गोल्ड भीरत में डेढ़ लाख का आंकड़ा पार करेगा।  



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राकेश लोढ़ा



गोल्ड में नवंबर 2025 के बीच के दिनों में बहुत तेज बढ़त के बाद आई अचानक गिरावट से बाजार सहमा ही था कि दिसंबर के शुरूआत में ही, गोल्ड फिर से चमकने लगा। देखा जाए, तो गोल्ड ने मानव इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है क्योंकि इसका व्यापक रूप से अर्थव्य़वस्था को बैलेंस करने और संपत्ति के एक्सचेंज के माध्यम के रूप में उपयोग किया जाता रहा है। वर्तमान में, गोल्ड की चमक बढ़ रही है, जिसे ज्वेलरी में उपयोग तथा अर्थव्यवस्था के संतुलन के लिए उपयोग के अलावा, वैश्विक अस्थिरता, दो देशों के बीच के तनाव और केंद्रीय बैंकों की गोल्ड खरीदी इस कीमती धातु को व्यापक रूप से एक सुरक्षित संपत्ति के रूप में पेश करती जा रही है, जिसका अर्थ है कि इसे किसी भी समय के दौरान एक अच्छा निवेश माना जाता है। 


गोल्ड को व्यापक रूप से हर देश में, मुद्रास्फीति और गिरावट रोकने को संतुलित करने वाली धातु के रूप में भी देखा जाता है क्योंकि इसके रेट्स किसी विशिष्ट जारीकर्ता या सरकार पर निर्भर नहीं करता है। वर्तमान में दुनिया भर में हालात सही नहीं है, डॉलर टूट रहा है तथा दुनिया भर के देशों के रिजर्व बैंक गोल्ड की लगातार खरीदी कर रहे हैं, इसीलिए माना जा रहा है कि गोल्ड़ के रेट आने वाले दिनों में और तेजी से बढ़ेंगे। इस साल के अंत तक गोल्ड के रेट 1,33,000 के आसपास हैं, तो मान जा रहा है कि अगले साल, अर्तात 2026 के अंत तक गोल्ड 1,50,००० रुपए के पार तो पक्का पहुंच ही जाएगा, तथा साल 2027 के अंत तक इसके रेट लगभग 2 लाख तक पहुंच सकते है। वक्त का रुख साफ है कि गोल्ड की तेजी अभी समाप्त नहीं होने वाली।


दिसंबर के शुरूआती चार दिनों की भीतर ही, एक बार फिर से गोल्ड 1,31,000 का आंकड़ा पार कर गया। मतलब, बेहद अस्थायी गिरावट के बाद, गोल्ड इंटरनेशनल मार्केट में 4,200 डॉलर से ऊपर हरे रंग में वापस आ गया, क्योंकि गोल्ड के खरीदार अमेरिकी रोजगार के आंकड़ों और अमेरिकी डेटा जारी होने से पहले हार नहीं मान रहे हैं। रुपए के मुकाबले डॉलर भले ही आगे हैं, लेकिन इंटरनेशनल मार्केट में अमेरिकी डॉलर लगातार टूट रहा है। आने वाले दिनों में गोल्ड एक बार फिर से नया हाई लेवल छूने को बेताब है, क्योंकि उसकी तेज रफ्तार के जल्दी थमने का कोई कारण नहीं दिख रहा। अधर, अगले साल में गोल्ड की चाल की बात करें, तो इंटरनेशनल मार्केट में गोल्ड फिर चमकता रहेगा, यही माना जा रहा है। गोल्ड दिसंबर के शुरूआती दिनों में इंटरनेशनल मार्केट में 4,200 डॉलर प्रति ट्रॉय औंस के आसपास चल रहा था, तो भारत में 999.9 कैरेट गोल्ड के रेट जीएसटी के साथ 1,32,800 प्रति 10 ग्राम के थे। साल 2026 के लिए गोल्ड के पूर्वानुमान के मामले में, गोल्डमैनसैक्सका गोल्ड का लक्ष्य 2026 की पहली तिमाही में 4,640 डॉलर है, जो साल 2027 की चौथी तिमाही में बढक़र 5,055 डॉलर हो जाएगा। जेपीमॉर्गन का अनुमान है कि 2026 के अंत तक गोल्ड की कीमतें इंटरनेशनल औसतन 5,055 डॉलर प्रति औंस हो जाएंगी। इंटरनेशनल मार्केट में 4,200 डॉलर प्रति ट्रॉय औंस पर भारत में 1,33,000 के रेट हैं, तो डॉलर के घटते रेट के बीच साल 2027 केअंत तक मतलब, 2 साल बाद 5,055 डॉलर होने पर भारत में इसके रेट लगभग 2 लाख तक पहुंचने का अंदाज लगाया जा रहा है। जेपीमॉर्गन, गोल्डमैनसैक्स, रॉयटर्स, मॉर्गनस्टेनली, बैंक ऑफ अमेरिका, वल्र्ड गोल्ड काउंसिल, जैसी संस्थाएं गोल्ड पर गहरी नजर रखती हैं और उनकी मान्यता किसी भी हाल में गलत साबित नहीं होती। गोल्डमैन सैक्स का गोल्ड का लक्ष्य 2026 की पहली तिमाही में 4,640 डॉलरप्रति ट्रॉय औंस है, जो साल 2027 की चौथी तिमाही में बढक़र 5,055 डॉलर प्रति ट्रॉय औंस हो जाएगा। जेपीमॉर्गन गोल्ड की तेज़ी के लिए वॉलस्ट्रीट का पूर्वानुमान भी अत्यधिक आशावादी है। रॉयटर्स के अनुसार भी विश्लेषक इसी साल, पहली बार 4,500 डॉलर प्रति ट्रॉय औंस से ऊपर की वार्षिक औसत कीमत का अनुमान लगा रहे हैं। मॉर्गन स्टेनली का अनुमान है कि 2026 के मध्य तक गोल्ड की कीमतें 4,500 डॉलर प्रति ट्रॉय औंस तक पहुंच जाएंगी। बैंक ऑफ अमेरिकाने 2026 तक अपने गोल्ड के पूर्वानुमान को बढ़ाकर 5,000 डॉलर प्रति ट्रॉय औंस कर दिया है। इस प्रकार, जब गोल्ड के रेट्स बढ़ रहे हैं, तो बड़ी अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं और बैंक इस उछाल को सिर्फ अस्थायी नहीं समझती, बल्कि उन्हें गोल्ड के लिए एक दीर्घकालीन, तेजी के संकेत मान रही हैं। चाहे वह केंद्रीय बैंक की खरीद हो, निवेशकों की भागीदारी हो, ईटीएफ में इन्वेस्टमेंट हो या डॉलर व ब्याज दरों की स्थिति, कई कारक मिलकर गोल्ड में भविष्य की तेजी को अभी भी और ज्यादा आकर्षक बना रहे हैं।


गोल्ड में तेजी का असली कारण, अमेरिकी डॉलर की कमंजोरी माना जा रहा है। अमेरिका अपनी सारी कोशिशों करने के बावजूद डॉलर की गिरावट को संभाल नहीं पा रहा। डॉलर की यह कमजोरी एशिया तक फैल गई है, जिससे आने वाले दिनों में गोल्ड में थोड़ी सी और तेजी आने की संभावना है। थोड़ा सा गहराई से देखा जाए, तो अमेरिकी फेडरल रिजर्व (फेड) द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों के कारण अमेरिकी डॉलर को प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे गोल्ड पर तेजी का दबाव बढ़ा है। रूस-यूक्रेन शांति वार्ता के आसपास नए सिरे से उत्पन्न भू-राजनीतिक तनाव और चीन के रेटिंगडॉग सर्विसेज पीएमआई आंकड़ों के उत्साहजनक होने से भी गोल्ड तेजी में जाने की तरफ बढ़ रहा रहा है। क्योंकि,यूक्रेन में युद्ध को समाप्त करने के लिए अमेरिका संभावित शांति समझौता करने में विफल रहा है। आगे की ओर देखें तो, गोल्ड में अगला उछाल आगामी अमेरिकी एडीपी रोजगार परिवर्तन डेटा पर निर्भर करता है, जो दिसंबर की अमेरिकी मुद्रा नीति की बैठक के बाद फेडरल रिजर्व को और नरम कर सकता है। इसे साफ है कि गोल्ड की चमक कम होने वाली नहीं है। गोल्ड के वर्तमान तेजी के हालातों से बदलते बाजार के माहौल के बीच हर किसी के मन में एक ही सवाल है कि आखिर, 2025 का अंत तो गोल्ड में 1,33,000 से हो ही रहा है, लेकिन 2026 के अंत में गोल्ड कहां जाएगा और उसके वैश्विक संकेत, घरेलू दबाव और भारतीय बाज़ार की हकीकत क्या है? दरअसल, गोल्ड के अंतरराष्ट्रीय रेट जब रिकॉर्ड ऊंचाइयों को छू रहे हैं, तब यह सवाल स्वाभाविक है कि 2026 के साल भर में तक भारत में गोल्ड के रेट किस लेवल पर खड़े होंगे। अंतरराष्ट्रीय बैंकों सहित, जेपी मॉर्गन, गोल्डमैन सैक्स, रॉयटर्स, मॉर्गन स्टेनली, बैंक ऑफ अमेरिका, वल्र्ड गोल्ड काउंसिल, जैसी संस्थाएं लगातार यह संकेत दे रही हैं कि वैश्विक तेजी का माहौल अभी खत्म नहीं हुआ है। वल्र्ड गोल्ड काउंसिल के आंकड़े भी बताते हैं कि केंद्रीय बैंकों की खरीद, ईटीएफ निवेश और आर्थिक अनिश्चितता ने गोल्ड को एक बार फिर दुनिया का सबसे भरोसेमंद सुरक्षित निवेश बना दिया है। इसका सीधा असर भारतीय बाज़ार पर तो पडऩा ही था। हम देखते रहे हैं कि भारत में गोल्ड की कीमतें हमेशा तीन बड़े कारकों पर निर्भर करती हैं, जिनमें पहला है अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रति औंस डॉलर की दिशा, दूसरा है डॉलर व भारतीय रुपये की विनिमय दर और तीसरा कारक है इंपोर्ट ड्यूटी और जीएसटी जैसी घरेलू नीतियां। और ये तीनों ही इस समय गोल्ड को लगातार ऊपर के स्तर पर ले जाने वाले माहौल का निर्माण कर रहे हैं। वैश्विक बैंक 2026-27 के लिए 5,000 प्रति ट्रॉय औंस तक के अनुमान दे रहे हैं। यह रेंज मामूली नहीं है—यह बताती है कि बाजार सिर्फ शॉर्ट-टर्म स्पाइक नहीं, बल्कि रणनीतिक तेजी देख रहा है। दूसरी ओर, डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार दबाव में है, जो भारत में हर बढ़त को और महंगा बनाकर दिखाता है। तीसरा, इंपोर्ट ड्यूटी और जीएसटी में सरकार कोई राहत नहीं दे रही। इसका मतलब यह कि अंतरराष्ट्रीय उछाल लगभग पूरी तरह घरेलू कीमतों की बढ़ोतरी में दिख रहा होता है। सन 2024 में भारत सरकार ने गोल्ड पर इंपोर्ट ड्यूटी 15 फीसदी में से घटाकर 9 फीसदी कर दी थी। इसलिए भी भारत में गोल्ड आज थोड़ा सस्ता है। जरा सा अंदाज लगाईये कि अगर सरकार ने गोल्ड पर से वह 9 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी नहीं कम की होती, तो गोल्ड आज कम से कम 12 हजार रुपए और महंगा होता। मतलब कि आज दिसंबर 2025 महीने की शुरूआत में गोल्ड के रेट 1,33,000 के आसपास हैं, तो उस ड्यूटी के कम न होने की स्थिति में 1,45,000 गोल्ड के रेट होते। 


गोल्ड के मामले में वैश्विक प्रवृत्तियों तथा हर प्रकार से गोल्ड के रेट्स को सीधे प्रभावित करने वाले हालातों को जोडक़र देखें तो 2026 के लिए भारतीय बाजार का अनुमान अब किसी संकीर्ण दायरे में नहीं रहता। यदि वैश्विक बाजार में गोल्ड वर्तमान के 400 यूएस डॉलर प्रति ट्रॉय औंस गिरकर, 3,800 यूएस डॉलर प्रति ट्रॉय औंस के साधारण स्तर पर भी गिर जाए, तो भी, भारत में गोल्ड लगभग 1.20 लाख रुपए प्रति 10 ग्राम के आसपास टिके रहने की संभावना बनती है। और यदि ग्लोबल कीमतें 4,500 यूएस डॉलर प्रति ट्रॉय औंस के मध्य अनुमान को छूती हैं, तो भारतीय बाजार में गोल्ड 1.50,000 रुपए के आसपास प्रति 10 ग्राम की तरफ बढ़ सकता है। तेज़ी के परिदृश्य में जहां बैंक 5,000 यूएस डॉलर प्रति ट्रॉय औंस की बात कर रहे हैं, तो भारत में गोल्ड को 1.60 लाख रुपए प्रति 10 ग्राम के स्तर तक ले जा सकता है। यह अनुमान कोई हवा - हवाई विश्लेषण नहीं, बल्कि वास्तविक गणनाओं पर आधारित हैं। यूएस डॉलर प्रति ट्रॉय औंस को प्रति 10 ग्राम में बदलने से लेकर 6 प्रतिशत आयात शुल्क, 3 प्रतिशत जीएसटी और घरेलू प्रीमियम तक हर कदम भारतीय रेट को ऊपर धकेल रहा है। इसीलिए 2026 के लिए गोल्ड भारत में 1.50 लाख रुपए प्रति 10 रेट्स से आगे की नई ऊंचाइयों का उम्मीदवार बन चुका है।



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डॉ. चेतन मेहता - लक्ष्मी डायमंड

गोल्ड पर सबसे बड़ा प्रभाव होता है डॉलर के रेट्स का, फिर अन्य कई वजहों से भी गोल्ड की दिशा बदल सकती है। दो देशों के बीच तनाव राजनीतिक अस्थिरता या गहरी मंदी की आशंकाएं, निवेश के लिए सुरक्षित साधन की तलाश की स्थिति, गोल्ड की कीमतों में तेज़ी से वृद्धि कर सकती हैं।


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संजय सुराणा - आराधना ज्वेलर्स प्रा. लि.

विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंकों ने अपने गोल्ड भंडार में गोल्ड को जोडऩा लगातार जारी रखा है। यह रिकॉर्ड बनता जा रहा है और चीन, भारत और तुर्की जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के केंद्रीय बैंक अपने स्वर्ण भंडार में तेज़ी से वृद्धि कर रहे हैं। इसका सीधा असर गोल्ड में तेजी के रूप में दिख रहा है।


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महेन्द्र जैन - मुक्ति गोल्ड

मुद्रा की उच्च लागत आमतौर पर गोल्ड पर दबाव डालती है। फिर भी, गोल्ड पर सीधे अमेरिकी डॉलर का प्रभाव हैं क्योंकि गोल्ड की कीमतें डॉलर में ही तय होती है। मज़बूत डॉलर गोल्ड की कीमतों को नियंत्रित रखता है, जबकि कमज़ोर डॉलर गोल्ड को तेजी देता है। आजकल इंटरनेशनल मार्केट में डॉलर के रेट नीचते जा रहे हैं, इसीलिए गोल्ड तेजी पकड़ता जा रहा है।


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अश्विन शाह - अंसा ज्वेलर्स प्रा. लि.

गोल्ड के रेट कम नहीं हो सकते, यह इतिहास है। लेकिन थोड़े से वक्त के लिए गोल्ड के रेट्स स्थिर जरूर हो जाएं, तो ज्वेलरी सेक्टर में ग्राहकी खुले। हमारा भारत देश मध्यम वर्गीय ज्वेलर्स का बाजार है। जहां शोरूम में भले ही कई किलो गोल्ड स्टोर बेचता है, मगर ग्राहकी होगी, तो ही कमाई होगी।



 
 
 

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