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गोल्ड में फिर तेजी पक्की मार्च 2026 में फिर 1 लाख 35 हजार के पार की संभावना

  • Aabhushan Times
  • Nov 19
  • 7 min read
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गोल्ड पर पूरी दुनिया की निगाह है, तथा दुनिया में कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं होगा, जिसने इन दिनों गोल्ड की बात नहीं की होगी। इसका सबसे अहम कारण केवल यही है कि अक्टूबर 2025 में गोल्ड ने तीन ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल की। गोल्ड ने अपने रेट्स का सबसे ऊंचा स्तर अर्जित किया, गोल्ड बुलियन और ज्वेलरी दोनों की दुनिया भर में बंपर बिक्री रही और इसी महीने गोल्ड में सबसे बड़ी, जिसे ऐतिहासिक कहा जा सकता है वह बड़ी गिरावट भी देखी। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड का कारोबार वर्तमान में अस्थिरता के दौर में देखा जा रहा है, लेकिन कुल मिलाकर गोल्ड के रुझान मजबूती की ओर इशारा करते हैं। भविष्य में गोल्ड की कीमतों में वृद्धि जारी रहने की उम्मीद है, मुख्य रूप से वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और केंद्रीय बैंकों की मजबूत मांग के कारण। मगर, इंटरनेशनल हालात, गोल्ड मार्केट के जानकार, विभिन्न रिसर्च तथा हर तरह की संभावनाओं का साफ इशारा है कि आने वाले दिनों में गोल्ड एक बार फिर से रफ्तार पकड़ कर मार्च 2026 तक 4400 यूएस डॉलर प्रति औंस की राह पकड़ेगा। ऐसे में, भारतीय बाजार में गोल्ड फिर से 1 लाख 35 हजार के आसपास पहुंचता दिखता है।  


हाल ही में आई तेजी और उसके बाद गिरावट की बात करें, तो अमेरिका, यूरोप और पश्चिम एशिया में बढ़ रहे जियोपॉलिटिकल तनाव, चीन-अमेरिका व्यापार टेंशन, और क्रुड ऑयल में जोरदार उतार-चढ़ाव के कारण, दुनिया भर के देशों की सरकारों सहित हर देश में निवेशक निवेश के सुरक्षित साधन की तलाश में गोल्ड की तरफ झुके। इससे अक्टूबर के पहले सप्ताह में ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में गोल्ड ने 4381.58 यूएस डॉलर प्रति औंस का ऑल-टाइम हाई बनाया। वहीं, अचानक डॉलर की मजबूती, ग्लोबल मार्केट में लिक्विडिटी क्रंच और शॉर्ट-टर्म प्रॉफिट बुकिंग के चलते महीने के अंत में 8 प्रतिशत तक गिरावट आई। गोल्ड मार्केट के वैश्विक एक्सपर्ट्स के अनुसार, गोल्ड में यह गिरावट विशेष रूप से बबल-करेक्शन कही जा रही है। इसके साथ ही थोड़ा बहुत असर इकॉनॉमिक पॉलिसी का भी रहा, और अचानक बढ़ी वैश्विक खरीदी का भी असर हुआ। इसी कारण सन 2020 के बाद गोल्ड में इतना उतार - चढ़ाव पहली बार दिखा है। लेकिन बाजार के जानकार कहते हैं कि गोल्ड आने वाले दिनों में फिर से तेजी पकड़ेगा, क्योंकि इसके नीचे जाने के आसार बेहद कम ही हैं। अधिकांश विश्लेषकों का अनुमान है कि गोल्ड की कीमतें आने वाले वर्षों में, सन 2030 तक, लगातार बढ़ती रहेंगी। 2025 के अंत तक गोल्ड कीमतें 4000 यूएस डॉलर प्रति औंस और 2026 तक 4500 से 5000 यूएस डॉलर प्रति औंस तक पहुंचने के अनुमान है। अक्टूबर महीने के अंत तक गोल्ड की कीमतें अपने शिखर से  भले ही 12700 रुपए तक नीचे गिर गई है, क्योंकि अमेरिका-चीन व्यापार वार्ता पर आशावाद और फेडरल रिजर्व के रेट निर्णय की प्रत्याशा बुलियन की कीमतों पर दबाव डाल रही है। लेकिन लंबी अवधि में इन हालातों के बदलने के साथ ही गोल्ड के फिर बड़ी छलांग लगाने के आसार भी साफ हैं। 


जून के अंत से अक्टूबर के अंत तक देखें, तो गोल्ड में 9 प्रमुख हाई रिकॉर्ड हुए, जिनमें हर बार नया ऑल-टाइम हाई तय किया गया। इस दौरान लगातार तेजी के बाद अचानक गिरावट देखने को मिली, जिससे बाजार में बेचैनी साफ दिखी। ऐसा पहली बार हुआ जब चौथी तिमाही में गोल्ड अंतरराष्ट्रीय लेवल पर 60 प्रतिशत से ज्यादा रिटर्न दे गया। एक साल में ऐसी तेजी पिछले 30 साल में कभी नहीं नहीं रही। बावजूद इसके, बाजार दोबारा तेजी पकड़ता दिखा क्योंकि हर गिरावट के बाद निवेशकों ने नए सिरे से एंट्री की। गोल्ड को सदा से ही एक बेहद प्रभावी संपत्ति तथा मुद्रा संस्करण के हथियार के के रूप में देखा जाता है। आर्थिक अनिश्चितता के समय में अक्सर इसे ही हर देश द्वारा चुना जाता है और यही कारण है कि गोल्ड किसी भी अन्य परिसंपत्ति के मुकाबले ज्यादा ज़रूरी है। गोल्ड का इस्तेमाल वैश्विक अनिश्चितता के समय में बचाव के तौर पर किया जाता है क्योंकि युद्ध जैसे संकट के समय यह ज़्यादा स्थिर मूल्य प्रदान करता है। अंतर्राष्ट्रीय तनाव वित्तीय बाज़ारों पर दबाव भी बढ़ाते हैं, लेकिन गोल्ड की डिमांड और रेट्स अर्थव्यवस्था को बचाने में मदद करते हैं। डॉलर गोल्ड से बहुत गहरा जुड़ा हुआ है क्योंकि इसका मुख्य रूप से डॉलर के बदले में ही आदान-प्रदान होता है। लेकिन जब डॉलर का मूल्य गिरता है, तो गोल्ड की कीमतें अक्सर बढ़ जाती है। एक और महत्वपूर्ण बात यह भी है कि गोल्ड की आपूर्ति अनिश्चित है, तथा इसका अधिकांशत: रिसाइकलिंग भी किया जाता है, इसलिए जब वैश्विक मांग बढ़ती है, तो आपूर्ति को पूरा करना कठिन हो जाता है, इसलिए मांग के कारण गोल्ड कीमत में भारी वृद्धि हो जाती है।


गोल्ड में जबरदस्त तेजी के वक्त ग्राहकी में उत्साह था। भारतीय बाजारों में गोल्ड जब 1 लाख 32 हजार रुपए प्रति 10 ग्राम के भी पार पहुंच गया तो भी ज्वेलर्स के यहां लंबी-लंबी कतारें और स्टॉक आउट की स्थिति बन गई थी। लेकिन जैसे ही धनतेरस व दीपावली और भाई दूज तथा लाभ पंचमी जैसे त्योहारों के आसपास रेट गिरा, तो कई ज्वेलरी दुकानों पर ग्राहकी अचानक थम गई। भारतीय बाजार में ग्राहकी इसी साल पहली बार इस लेवल तक बढ़ी, लेकिन ऊंचे रेट पर लोग निवेश के मकसद से ज्यादा खरीदते दिखे, वहीं सामान्य ज्वेलरी ग्राहकी कम हुई। बाजार एक्सपर्ट्स मानते हैं कि रेट स्थिर हुए, तो ही बार - बार आने वाली नई खरीद खुल सकती है। लगातार उतार - चढ़ाव से आम ग्राहक डरता है और प्रतीक्षा करने की रणनीति अपनाता है।


इस साल निवेश के मकसद से गोल्ड में जबरदस्त बिकवाली हुई। आंकड़ों के मुताबिक, सन 2025 में भारतीयों ने लगभग 700 टन गोल्ड खरीदा, जिसमें 62 फीसदी हिस्सा निवेश व गोल्ड बॉन्ड्स आदि में गया, जबकि ज्वेलरी की हिस्सेदारी करीब 38 फीसदी रही। वैश्विक खपत में भी 2025 में निवेश हिस्सा 55 फीसदी के ऊपर बना, जो कि पहले यह 43 से 45 फीसदी के बीच था। ज्वेलरी सेल्स खासकर शहरी क्षेत्रों में पिछली दिवाली तुलना में लगभग 22 फीसदी घट गई। इसकी मुख्य वजह ऊंचे रेट और उतार - चढ़ाव बाजार माना गया। ऊंचे रेट पर भी गोल्ड की खरीदारी अक्सर ज्यादा होती दिखी है, जबकि गिरावट पर कम। इसका सीधा गणित है कि मार्केट में लोगों को लगता है कि रेट और ऊपर जाएगा, तो वे डर के मारे खरीददारी कर लेते हैं। जैसे ही गिरावट आई, तो खरीदारी रुक जाती है, क्योंकि आम खरीदार यह मानता है कि रेट और गिरेंगे, इसलिए वेट करना ज्यादा बेहतर है। इस साल इसी फैक्टर और सुरक्षित निवेश के सेंटिमेंट ने गोल्ड को नई ऊंचाई तक पहुंचाया। मगर, खरीदारी पिछले कुछ सालों से विपरीत ट्रेंड फॉलो कर रही है। अब गिरते रेट्स में खरीदी की जगह बढ़ते रेट्स में खरीदी की मानसिकता दिख रही है।


अमेरिका लगातार गोल्ड रिज़र्व मजबूत कर रहा है और अपने डॉलर डिफेंस के लिए गोल्ड को रणनीतिक सपोर्ट मानता है। इस बीच, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नजरिया गोल्ड पर हमेशा आक्रामक रहा है; वह गोल्ड को अमेरिका फर्स्ट रणनीति में शामिल करते रहे हैं, ताकि वित्तीय अस्थिरता के समय डॉलर वैल्यू को बैकअप मिले। अमेरिकी घरेलू पॉलिसी फिलहाल गोल्ड के खरीद समर्थन में दिखती है, साथ ही भारत-चीन जैसे उभरते देशों के मुकाबले अपनी रिजर्व पोजीशन बढ़ाने पर फोकस किया गया है। इसका असर है कि अमेरिका की पॉलिसी से अंतरराष्ट्रीय बाजार में उतार - चढ़ाव और बढ़ जाती है। गोल्ड हाल ही में रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया था, तो अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की धीमी गति जैसे कारण से कीमतों में कुछ अस्थिरता भी देखी गई है, जिससे अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में थोड़ी गिरावट आई।


दुनिया भर के देशों के केंद्रीय बैंक अपने गोल्ड भंडार में विविधता और मजबूती लाने के लिए लगातार गोल्ड की बड़ी मात्रा में खरीदारी कर रहे हैं, जो बाजार में गोल्ड की कीमतों को मजबूत समर्थन प्रदान कर रहा है। 2025 में चीन, भारत, रूस, तुर्की, और स्विट्जरलैंड प्रमुख गोल्ड बायर्स रहे। चीन ने इस साल जनवरी से सितंबर तक लगभग 270 टन, भारत ने 210 टन, रूस ने 140 टन और तुर्की ने 110 टन से ज्यादा गोल्ड खरीदा। इन देशों की यह रणनीति डॉलर और अन्य मुद्रा अस्थिरता के मुकाबले गोल्ड रिजर्व को मजबूत करना था। अक्टूबर की रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब भी चीन और भारत सिलसिलेवार खरीदी जारी रखेंगे, वहीं रूस और मध्य एशिया देश भी अनिश्चितताओं के चलते गोल्ड खरीद में आगे रहेंगे। ऐसे में ग्लोबल खरीदी गोल्ड के रेट को ऊंचा बनाए रख सकती है। गोल्ड के एक्सपर्ट्स मान रहे हैं कि अगले तीन महीने में गोल्ड में दोबारा उतार-चढ़ाव के बाद 3 से 5 फीसदी की तेजी आ सकती है, यानी 4045 से 4360 यूएस डॉलर प्रति औंस तक रेट रहने के आसार ज्यादातर बताए जा रहे हैं। अगर ग्लोबल लेवल पर डॉलर में मजबूती या किसी नई पॉलिसी का असर दिखा तो रेट 3940 से 3970 यूएस डॉलर प्रति औंस तक गिर सकते हैं। कुल मिलाकर, दिसंबर से जनवरी के फेस्टिव सीजन और फिर अगले चाइनीज न्यू ईयर तक गोल्ड में पॉजिटिव ट्रेंड संभावना की ज्यादा है। यह विश्लेषण अक्टूबर 2025 तक के डेटा, बाजार की रिपोर्ट्स, और बाजार ते विशेषज्ञों की राय पर आधारित है, तथा आगे के ट्रेंड की सटीक भविष्यवाणी आर्थिक, राजनीतिक हालातों के अलावा लोकल उतार - चढ़ाव पर भी निर्भर करेगी। लेकिन गोल्ड के बारे में सभी की राय यही है कि मार्च 2026 तक यह फिर से 4400 यूएस लर प्रति औंस का लेवल पकड़ेगा, जिससे भारतीय बाजार में गोल्ड 1 लाख 35 हजार के आसपास पहुंच सकता है।



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नोविल राणावत- स्वर्ण शिल्प चेन्स

गोल्ड के रेट्स में इतनी तेजी कभी देखनो को नहीं मिली और अचानक गिरावट भी एक साथ देखी गई। हालांक, वैश्विक वित्तीय स्थिति सामान्य होने से गोल्ड में करेक्शन है, लेकिन लंबी अवधि में, गोल्ड मुद्रास्फीति के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कवच की तरह बना रहेगा।


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प्रणव राणावत - ब्रह्मांड ज्वेल्स

गोल्ड के रेट जैसे जैसे ऊपर जा रहे थे, तो बाजार में ग्राहकी बढ़ रही थी, ज्वेलर्स के चेहरों पर रौनक आ रही थी। लेकिन जैसे ही रेट 10 हजार तक गिरे, तो ग्राहकी भी ठप हो गई। बाजार परेशान है कि रेट स्थिर रहें, तो ग्राहकी फिर से खुले।

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राज पुनमिया - दिनतारा ज्वेल्स


हमारा परिवार 3 पीढ़ी से गोल्ड के बिजनेस में है, लेकिन गोल्ड का हर दिन नया हाई लेवल बनाना और इसके बावजूद सेल के बढ़ते रहने हालात कभी नहीं देखे। लेकिन गोल्ड के रेट जैसे जैसे कम होते दिखे, तो बाजार में उसी क्रम में ग्राहक भी कम होते गए।


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तनिष वड़ाला - वी चेन्स


वैश्विक वित्तीय बाजार में गोल्ड सदा से एक महत्वपूर्ण संपत्ति है और आगे भी बना रहेगा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड का व्यवसाय वर्तमान में मजबूत निवेश मांग और ऊंची कीमतों के साथ गतिशील स्थिति में है, और भविष्य में भी इसके रेट्स में वृद्धि की संभावना है।



 
 
 

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