ग्राहकी कम, चुनौतियां ज्यादाअगले कुछ महीनों तक यही रहेगा बाजार का हाल
- Aabhushan Times
- May 17
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देश में ज्वेलरी के बड़े-बड़े शो रूम खाली हैं, छोटे से बड़े हर वर्ग के ज्वेलर्स तथा यहां तक कि सुनार भी ग्राहकी न न होने का रोना रो रहे है। भारत में गोल्ड, सिल्वर और डायमंड ज्वेलरी का बिजनेस एक प्रमुख आर्थिक क्षेत्र है। जेम एंड ज्वेलरी सेक्टर भारतीय अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण आधार भी है। इस सेक्टर का देश की कुल जिसका जीडीपी में लगभग 7 फीसदी का योगदान माना जाता है। इसके साथ ही जेम एंड ज्वेलरी सेक्टर की देश के कुल व्यापारिक एक्सपोर्ट में 10-12 फीसदी हिस्सेदारी है और जॉब क्रिएशन के मामले में भी यह सेक्टर देश के अग्रणी क्षेत्रों में से एक है, जो सालाना 50 लाख कुशल और अर्ध-कुशल लोगों को रोजगार प्रदान करता है, जिनमें बड़ी ज्वेलरी कंपनी के मालिकों व एक्सपोर्टरों से लेकर बुलियान व्यवसायी और ज्वेलरी डिजाइनर व कारीगर से लेकर ज्वेलरी शो रूम मे सेल्समेन तक शामिल है। इसके अलावा ज्वेलरी सेक्टर के सहयोगी बिजनेस की बात करें, तो रोजगार पाने वालों का आंकड़ा लगभग 65 लाख के आसपास पहुंचता है। उस सेक्टर में ग्राहकी न होने की चुनौतियों को झेल रहा है। हालांकि, यह कुछ वक्त का ही माहौल है, लेकिन फिर भी लोगों की परेशानी वाजिब है।
भले ही चुनौतियों से जूझ रहा हो, लेकिन फिर भी भारतीय ज्वेलरी मार्केट वैश्विक स्तर पर सबसे बड़े बाजारों में से एक है, लेकिन 2025 में यह उद्योग कई चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिसमें गोल्ड व सिल्वर की बढ़ती कीमतें और डायमंड के प्रति लोगों का घटता आकर्षण ज्वेलरी की सेल को डाउन करने में सहायक रहा है। गोल्ड व सिल्वर की उच्च कीमतों, ज्वेलरी के मामले में बदलती उपभोक्ता की प्राथमिकताओं और वैश्विक स्तर पर आर्थिक अनिश्चितताओं के कारण ग्राहकी में कमी ने ज्वेलर्स के लिए परेशानियां बढ़ा दी हैं। ज्वेलर्स परेशान हैं कि ज्वेलरी की खरीदी कम होने के बाद आगे क्या होगा, गोल्ड के रेट स्थिर कब होंगे, तथा डायमंड के प्रति फिर से नया रुझान कैसे बढ़ेगा। आभूषण टाइम्स हमेशा से भारतीय ज्वेलरी मार्केट के वर्तमान हालात और ज्वेलर्स की समस्याओं पर प्रकाश डालता है। इस बार भी हम इस पर व्यापाक रिपोर्ट पेश करने जा रहे हैं कि बाजार के वर्तमान हालात में आखिर कैसे ज्वेलर्स अपने आप को स्टेंड रख सके।
ज्वेलरी मार्केट की वर्तमान परेशानियों से जूझने का वर्तमान परिदृश्य देखें, तो पिछले साल के मुकाबले इस साल गोल्ड की खरीदी कम रही है। हालांकि, 2025 की पहली तिमाही (जनवरी-मार्च) में ज्वेलरी की सेल25 प्रतिशत घट गई, जो 2020 के बाद सबसे कम है। क्योंकि गोल्ड की कीमतें 1 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर को पार कर चुकी हैं, जिसने सीधे खरीदार के सामथ्र्य को प्रभावित किया है। सिल्वर की कीमतें भी 95 हजार से 1 लाख 7 हजार रुपये प्रति किलोग्राम के बीच उतार-चढ़ाव कर रही हैं, जो विभिन्न शहरों में अलग-अलग हैं। डायमंड के बाजार में लैब-निर्मित डायमंड की बढ़ती मांग ने प्राकृतिक डायमंड की बिक्री पर असर डाला है। उपभोक्ता अब किफायती और पर्यावरण-अनुकूल विकल्पों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। मतलब साफ है कि बढ़ती कीमतों के बावजूद ज्वेलरी का आकर्षण तो है, लेकिन बढ़ती कीमतों के कारण भारी वजन वाली ज्वेलरी के बजाय लाइट वेट ज्वेलरी की तरफ लोग आकर्षित हो रहे हैं।
ज्वेलरी सेक्टर में ग्राहकी में कमी के कारण सबको समझ में आ रहे हैं। लेकिन परेशानी से जूझना सबको सता रहा है। सभी जानते हैं कि बाजार में बिकने वाली हर चीज की ऊंची कीमतें हर बाजार को सीधे प्रभावित करती है। गोल्ड की कीमतों में भी साल भर में ही एकदम से आई 25 प्रतिशत की वृद्धि ने मध्यम वर्ग के उपभोक्ताओं की खरीदारी शक्ति को कम किया है। वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएँ, जैसे अमेरिका-चीन व्यापार तनाव, ने कीमतों को और बढ़ाया है। गोल्डमैन सैक्स की रिपोर्ट के अनुसार, 2025 के अंत तक गोल्ड 3700 से 3800 डॉलर प्रति औंस अर्थात लगभग 1.10 से 1.20 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम के रेट तक पहुँच सकता है। ऐसे में बदलती उपभोक्ता प्राथमिकताएँ बाजार को पेरभावित कर रही हैं। महंगाई के जमाने में युवा उपभोक्ता अब हल्के और दैनिक उपयोग की ज्वेलरी पसंद कर रहे हैं। अमेरिका की तरह हमारे देश में भी 18 कैरेट गोल्ड की मांग में 15-20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि 22 और 24 कैरेट की मांग 10-12 प्रतिशत घटी है। सिल्वर डज्वेलरी में भी लाइट वेट ज्वेलरी की डीमांड बढ़ रही है, तो लैब-निर्मित डायमंड और डिजिटल गोल्ड की ओर रुझान भी बढ़ रहा है। ज्वेलरी की सेल कमजोर होने के पीछे सबसे बड़ा कारण है-आर्थिक अनिश्चितता। वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव, जैसे रूस-यूक्रेन और भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव, अमेरिका के चीन पर टैरिफ आदि ने निवेशकों को जोखिम भरी परिसंपत्तियों से दूर रखा है, लेकिन ज्वेलरी की मांग पर नकारात्मक असर पड़ा है। इसके अलावा, उच्च ब्याज दरों ने उपभोक्ता खर्च को सीमित किया है। खास कर पुराने गोल्ड का आदान-प्रदान भी बढ़ा है। क्योंकि बढ़ती कीमतों के बीच यही सबसे सरल विकल्प है। उच्च कीमतों के कारण उपभोक्ता पुराने गोल्ड को नए ज्वेलरी के लिए आदान-प्रदान कर रहे हैं, जिससे नई बिक्री प्रभावित हुई है।
ज्वेलर्स की परेशानियोँ में बिक्री में आई कमी की वजह से कम हुआ मुनाफा सबसे अहम है। खर्च बढ़ते जा रहे हैं, लेकिन कमाई कम होती जी रही है, तो ज्वेलर्स का परेशान होना स्वाभाविक है। कीमतों में वृद्धि और ग्राहकी में कमी ने ज्वेलर्स के मार्जिन को प्रभावित किया है। छोटे और मध्यम स्तर के ज्वेलर्स, जो स्थानीय बाजारों पर निर्भर हैं, विशेष रूप से प्रभावित हुए हैं। इसके साथ ही गोल्ड की लीजिंग की लागत भी एक बड़ा फेक्टर है। बड़े ज्वेलर्स बैंकों से गोल्ड लीज पर लेते हैं, जिसके लिए ब्याज का भुगतान करना पड़ता है। गोल्ड की कीमतों में वृद्धि के साथ ब्याज दरें भी बढ़ी हैं, जिसने ज्वेलर्स पर वित्तीय दबाव डाला है।बाजार में ज्वेलर्स के बीच प्रतिस्पर्धा का दबाव भी बढ़ा है। लैब-निर्मित डायमंड और डिजिटल गोल्ड जैसे वैकल्पिक निवेश विकल्पों ने पारंपरिक ज्वेलर्स के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ा दी है। गोल्ड ईटीएफ होल्डिंग्स 21 टन से बढक़र 63 टन हो गई हैं, जो डिजिटल निवेश की लोकप्रियता को दर्शाता है।ऐसे हालात में इन्वेंट्री प्रबंधन सबसे अनिवार्य है। क्योंकि उच्च कीमतों के कारण ज्वेलर्स को इन्वेंट्री स्टॉक करने में जोखिम का सामना करना पड़ रहा है। मांग में कमी ने इन्वेंट्री टर्नओवर को धीमा कर दिया है।
बाजार के हालात और उसके समाधान के साथ साथ ज्वेलर्स के व्यापार के भविष्य की संभावनाएं देखें, तो ज्वेलर्स को इन चुनौतियों से निपटने के लिए नवाचार अपनाने की आवश्यकता है। डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से ऑनलाइन बिक्री बढ़ाना, किफायती और हल्के डिज़ाइनों पर ध्यान देना, और ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए ऑफर और छूट देना कुछ प्रभावी कदम हो सकते हैं। इसके अलावा, लैब-निर्मित डायमंड को अपने पोर्टफोलियो में शामिल करना और पर्यावरण-अनुकूल ज्वेलरी को बढ़ावा देना उपभोक्ता रुझानों के साथ तालमेल बनाए रख सकता है। सरकार द्वारा आयात शुल्क में कमी और ज्वेलरी उद्योग के लिए विशेष आर्थिक पैकेज भी राहत प्रदान कर सकते हैं। वल्र्ड गोल्ड काउंसिल के अनुसार, 2025 में गोल्ड की मांग 700-800 टन के बीच रहने की संभावना है, जो स्थिरता की ओर इशारा करता है।
भारतीय ज्वेलरी मार्केट एक गतिशील और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र है, लेकिन वर्तमान में यह उच्च कीमतों और ग्राहकी में कमी के कारण दबाव में है। ज्वेलर्स को उपभोक्ता प्राथमिकताओं के साथ तालमेल बिठाने और नवाचार अपनाने की आवश्यकता है। हाल ही में अक्षय तृतीया पर देश में काफी अच्छी खासी तादाद में गोल्ड की सेल होने के समाचार ने सभी आशंकाओं को दरकिनार कर दिया है। शुभ अवसरों पर गोल्ड ज्वेलरी की मांग में वृद्धि उम्मीद की किरण है, लेकिन दीर्घकालिक स्थिरता के लिए रणनीतिक बदलाव अनिवार्य हैं। गोल्ड और सिल्वर का सांस्कृतिक महत्व भारतीयों के दिलों में बरकरार रहेगा, लेकिन बदलते समय के साथ ज्वेलर्स को भी अपनी रणनीतियों को अनुकूलित करना होगा।

ज्वेलरी बाजार का इतिहास रहा है कि जब जब गोल्ड या सिल्वर में तेजी आती है, तो कुछ वक्त के लिए सेल ठहर सी जाती है। वर्तमान में भी गोल्ड व सिल्वर के रेट बहुत तंजी से ऊपर - नीचे हो रहे हैं, तो ऐसे में ज्वेलरी की साल लगभग ठप सी हो चली है। केवल भारत में ही नहीं, दुनिया भर में यही हाल है। तो, माना जा रहा है कि आने वाले साल भर तक बाजार का हाल यही रहेगा।

प्रफुल राणावत - स्वर्ण शिल्प चेन्स
वर्तमान में गोल्ड व सिल्वर के रेट तेजी से ऊपर नीचे होने से ज्वेलरी की सेल थोड़ी सी कम है, लेकिन मुझे विश्वास है कि यह थोड़े दिन की बात है। गोल्ड व सिल्वर के रेट जैसे ही स्थिर होंगे, सेल फिर से बढ़ेगी, क्योंकि ज्वेलरी हर घर की जरूरत है और फायदे का सौदा भी है।

महेन्द्र चोरडीया - स्वर्ण सरिता
भारतीय ज्वेलरी निर्माताओं के, शानदार डिजाइन और बेहतरीन फिनिशिंग के उच्चतम मानकों के साथ तैयार की गई बहु-उपयोगी ज्वेलरी की डिमांड कभी कम नहीं होगी। बीच बीच में टेंपरेरी फेज आते हैं, जब सेल थोड़ी सी डाउन हो जाती है, लेकिन यह तो हर सेक्टर की सच्चाई है।

महेश बाफना - मुंबई होलसेल गोल्ड एण्ड ज्वेलर्स एसोसिएशन (अध्यक्ष)
भारतीय ज्वेलरी इंडस्ट्री एक व्यापक बदलाव के दौर से गुजर रही है। गोल्ड व सिल्वर के लगातार महंगे होने से ज्वेलरी पसंद करने वाले ग्राहक पारंपरिक ज्वेलरी बिना ब्रांड वाले ज्वेलर्स से खरीद रहे हैं। क्योंकि लोगों मानते हैं कि ब्रांडेड ज्वेलर्स के खर्च और मुनाफा दोनों ज्यादा होते हैं।

अमित मुणोत - मुणोत ऑर्नामेंट्स
भारत में ज्वेलरी की चाल कभी कम नहीं हो सकती, हैं कुछ वक्त के लिए ठंडी जरूर हो सकती है, क्योंकि गोल्ड व सिल्वर के भाव काफी बढ़े हुए हैं। मेरा मानना है कि खरीदी के लिए लोगों को गोल्ड व सिल्वर के रेट में स्थिरता का इंतजार है। जैसे ही रेट स्थिर होंगे, सेल फिर तेजी पकड़ेगी।
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