ग्राहकी थमी, बाजार में असमंजस गोल्ड और सिल्वर ज्वेलरी की बिक्री ठहरी हुई है, लेकिन उम्मीद बाकी है
- Aabhushan Times
- Nov 19
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गोल्ड और सिल्वर ज्वेलरी के मामले में, त्योहारों के मौसम में भी बिक्री की रौनक थम गई है और ज्वेलर्स की चिंता बढ़ी हुई है कि ग्राहकी कब फिर से खुलेगी। देश भर में छोटे ज्वेलर्स तो ग्राहकी कम हो जाने से परेशान हैं ही, बुलियन विक्रेता भी सेल कम होने से हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं।
भारत में ही नहीं, दुनिया के विभिन्न देशों में भी गोल्ड व सिल्वर ज्वेलरी में बिक्री लगभग ठहर सी गई है। भारत में विवाह के सीजन की खरीदी और त्यौहारी दिनों में गोल्ड व सिल्वर की खरीदी का चलन है। लेकिन इसके बावजूद ज्वेलर्स का चमकता - धमकता धंधा थम सा गया। ज्वेलर्स बेहद परेशान है। सवाल यह है कि आने वाले कितने दिनों या महीनों में, यह परेशानी दूर होगी, यह कोई नहीं जानता। भारत जैसे देश में जहां गोल्ड और सिल्वर सिर्फ धातु नहीं, बल्कि परंपरा, निवेश और आस्था का प्रतीक हैं, वहां दीपावली और विवाह सीजन में भी ज्वेलरी मार्केट की मंदी किसी को भी चौंका सकती है। आमतौर पर इन दिनों में ज्वेलर्स के शोरूम ग्राहकों से खचाखच भरे रहते हैं, पर इस साल तस्वीर बिल्कुल उलट है।
देश में ज्वेवरी की बड़ी सेल वाले लगभग हर राज्य गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल आदि से लेकर दिल्ली तक गोल्ड और सिल्वर की ज्वेलरी की बिक्री में ठहराव आया है। ज्वेलर्स के अनुसार - दीपावली के बाद इस बार न तो विवाह की ज्वेलरी के खरीदार हैं और न ही निवेशक। लोग देखने आते हैं, नए नए डिजाइंस पसंद भी करते हैं, लेकिन खरीदते नहीं, कुछ दिन बाद खरीदने की बात करते चले जाते हैं। इस बार की दीपावली और पिछले साल की दीपावली के दिनों की ज्वेलरी की सेल की तुलना करें, तो पिछले साल तक दीपावली से पहले बुकिंग और एडवांस ऑर्डर लेने की होड़ लगी थी, लेकिन इस बार कई प्रतिष्ठित ज्वेलर्स के शो रूम्स में बिक्री में 40 से 60 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई है। छोटे ज्वेलर्स के लिए यह स्थिति बेहद चिंताजनक है। ज्वेलरी बाजार में खरीदी के मामले में पहले जोश दिखा और, अब सन्नाटा सा पसरा हुआ है। और सभी की चर्चा का विषय केवल यही है कि गोल्ड व सिल्वर की कीमतों की गिरावट के बावजूद खरीदी क्यों नहीं हो रही? इसके बारे में हम बात करें, तो सिर्फ कुछ ही हफ्ते पहले, जब गोल्ड की कीमत 1 लाख 33 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंची थी, तब देश भर के बाजारों में ग्राहकों की भारी भीड़ उमड़ रही थी। यही हाल सिल्वर का था। सिल्वर में भी 1 लाख 80 हजार रुपये प्रति किलो के भाव पर भी ग्राहक 20,000 रुपये का प्रीमियम देकर खरीदने को तैयार थे। लेकिन अब जब गोल्ड करीब 12,000 रुपये और सिल्वर करीब 35,000 रुपये सस्ता हो चुका है, तो भी खरीदार गायब हो गए हैं। इस उलटफेर के पीछे कई कारण हैं, जिनमें, वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता, अमेरिकी फेडरल ब्याज रेट्स, मध्यपूर्व तनाव और डॉलर की मजबूती ने निवेशकों को भ्रमित कर दिया है। भारतीय निवेशक का मनोविज्ञान कहता है कि आमतौर पर जब कीमतें गिरती हैं, तो लोग सोचते हैं कि मार्केट और नीचे आएगा, तब खरीदेंगे। यह वेट एंड वॉच मानसिकता है, जो हर दिमाग में चलती रहती है, तथा इसी ने ज्वेलरी की मांग को रोक दिया है। रियल एस्टेट और स्टॉक मार्केट में आकर्षण बढ़ाना भी एक कारण माना जा रहा है। कई निवेशक अब ज्वेलरी के बजाय शेयर, म्यूचुअल फंड और रियल एस्टेट में पैसा डाल रहे हैं। फिर, कैश फ्लो की कमी भी एक बड़ा कारण बना है। छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में नकदी की तंगी ने उपभोक्ता खर्च को सीमित कर दिया है।
ज्वेलरी की सेल कम होने के मामले में देश के छोटे कस्बों से लेकर महानगरों तक एक जैसा संकट देखा जा रहा है। चाहे महाराष्ट्र का मुंबई शहर हो या पुणे व नागपुर, गुजरात का अहमदाबाद हो या सूरत व राजकोट, केरल में त्रिवेंद्रम हो या कन्याकुमारी, कर्नाटक में बैंगलोर हो या मैंगलोर, राजस्थान का जयपुर हो या जोधपुर और बीकानेर, इसी तरह से उत्तर भारत में दिल्ली, चंडीगढ़, लुधियाना और कानपुर हों, देश में हर जगह ज्वेलरी दुकानदार एक ही शिकायत कर रहे हैं कि ग्राहक ज्वेलरी देखने आते हैं, पर खरीदते नहीं। महानगरों में भी हाल बेहतर नहीं हैं। दिल्ली के करोल बाग और चांदनी चौक, चेन्नई के टी. नगर, हैदराबाद के एबिड्स बाजार, और अहमदाबाद के सीजी रोड़ में बड़े बड़े ज्वेलरी शो रूम्स हैं, लेकिन वहां भी बिक्री में ठहराव दिख रहा है। यही नहीं, दुनिया भर में भी यही रुझान देखने को मिल रहा है। दुबई, हांगकांग, सिंगापुर, और लंदन जैसे ज्वेलरी हब में भी खरीदारी का जोश कम हुआ है। इसकी वजह वैश्विक महंगाई, अमेरिकी डॉलर की मजबूती और उपभोक्ताओं के बदले प्राथमिकताएं हैं। अब युवा पीढ़ी ज्वेलरी को इन्वेस्टमेंट नहीं बल्कि लक्जऱी आइटम के रूप में देखने लगी है, और उनका रुझान इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स, ट्रैवल और डिजिटल प्रोडक्ट्स की ओर अधिक बढ़ रहा है। इस कराण भी ज्वेलरी की ग्राहकी थम सी गई है।
मुंबई के ज्वेलरी बाजारों की हालत देखें, तो शोरूम बड़े - बड़े हैं, पर ग्राहक गायब हैं। देश की वित्तीय राजधानी मुंबई हमेशा से ज्वेलरी व्यापार का केंद्र रही है। जवेरी बाजार, ऑपेरा हाउस, दादर, बांद्रा, सांताक्रुज, जुहू, अंधेरी, बोरीवली, घाटकोपर, और मुलुंड जैसे ज्वेलरी की हाई सेल वाले इन इलाकों में देश के सबसे प्रतिष्ठित ज्वेलर्स के शोरूम हैं। लेकिन इस दीपावली के बाद से इस बार यहां का माहौल भी सुस्त पड़ा हुआ है। गोल्ड व सिल्वर के रेट हाई थे, तब ग्राहकों की भीड़ लगी पड़ी थी, लेकिन इन दिनों ज्वेलर हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। जवेरी बाजार के एक प्रसिद्ध ज्वेलर बताते हैं, पहले दीपावली के बाद भी दुकानों पर भीड़ लग जाती थी। अब लोग सिर्फ डिजाइन देखने आते हैं। खरीदने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे। हाल ही में मुंबई में संपन्न झवेरी बाजार गोल्ड फेस्टीवल भी पूरी तरह से असफल रहने की खबर है। छोटे ज्वेलर्स की स्थिति तो और भी कठिन है किराया, स्टाफ सैलरी, और स्टॉक का दबाव बढ़ता जा रहा है। बुलियन डीलर्स, जो गोल्ड - सिल्वर के कच्चे माल में ट्रेड करते हैं, उनके पास भी ग्राहकी लगभग कम हो गई हैं। ज्वेलरी मार्केट के सेल के आंकडों के अनुसार, अक्टूबर से नवंबर तक गोल्ड के सौदों में लगभग 55 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है। गुजरात, तमिलनाडु, और उत्तर भारत के बाजारों में भी यही हाल है। कई ज्वेलर्स अब पुराने स्टॉक को बेचने या एक्सचेंज ऑफऱ के ज़रिए ग्राहकों को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं, पर असर सीमित है। दुनिया भर में केवल पंद्रह दिनों में ही ज्वेलरी की मांग क्यों घटी, इस सवाल का जवाब तलाशें, तो इसके रेट में गिरावट ही सबसे बड़ा कारण है। गोल्ड व सिल्वर के रेट घटते ही ज्वेलरी के मामले में भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में इसकी मांग कमजोर पड़ी है। वल्र्ड गोल्ड काउंसिल की ताज़ा रिपोर्ट बताती है कि 2024 की चौथी तिमाही में ग्लोबल गोल्ड ज्वेलरी डिमांड में 14 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। इसके पीछे कुछ प्रमुख कारण हैं कि गोल्ड के अपने टॉप लेवल से फिसलने के बाद निवेशक बैंक और बॉन्ड में पैसा लगा रहे हैं, क्योंकि गोल्ड से मिलने वाला रिटर्न 'भले ही ज्यादा हो सकता है, लेकिन लोग इअभी रेट के और गिरने का इंतजार कर रेह हैं। डिजिटल गोल्ड और ईटीएक तीकी तरफ रुझान बढ़ रहा है। फिजिकल ज्वेलरी की बजाय अब लोग डिजिटल माध्यमों में निवेश करना पसंद कर रहे हैं। युवाओं की प्राथमिकताएं बदल रही हैं। नई पीढ़ी अब ज्वेलरी पर खर्च करने से ज्यादा अनुभवों ट्रैवल, लाइफस्टाइल, फैशन जैसी चीजों पर ध्यान दे रही है। चीन और अमेरिका की आर्थिक सुस्ती का असर भी साफ है। इन दोनों देशों का गोल्ड और सिल्वर बाजार विश्व की मांग का बड़ा हिस्सा हैं, जो हाल ही में ठंडा पड़ा है। अब सवाल यह है कि भारत में ज्वेलरी की साल का का सुनहरा दौर कब लौटेगा। बाजार के जानकारों का मानना है कि यह ठहराव अस्थायी है। ज्वेलरी भारतीय संस्कृति का हिस्सा है, इसे लंबे समय तक दबाया नहीं जा सकता कहते हैं। मुंबई के बुलियन विक्रेता के अनुसार, जनवरी 2026 से फिर से खरीदी का दौर शुरू हो सकता है, क्योंकि शादी का बड़ा सीजन फरवरी मार्च में है, जिससे मांग बढ़ेगी। ज्वेलरी निर्माता कहते हैं कि कीमतें स्थिर होने पर निवेशकों का भरोसा लौटेगा। वे कहते हैं कि बाजार में तेजी के वक्त भले ही ग्राहकी बढ़ती है, लेकिन रेट नीचे आने पर लोग और नीचे का इंतजार करते हैं। ऐसे में रेट में स्थिरता ही ग्राहकी के बढऩे का एक मात्र सहारा है। कुछ गोल्ड ट्रेडर्स का मानना है कि सरकार की नीतियां और आयात शुल्क में संभावित कमी बाजार को सहारा दे सकती है। इसके अलावा, डिजिटल और ईकॉमर्स ज्वेलरी प्लेटफॉर्म भी नई पीढ़ी को ज्वेलरी के साल बढ़ाने के मामले पर आकर्षित करने में मदद कर रहे हैं।

स्नेह जैन- रॉयल चेन्स
ये बिल्कुल सही बात है कि दीपावली के दिनों से ही भारत भर में ही नहीं, बल्कि दुनिया के विभिन्न देशों के ज्वेलरी शो रूम्स में गोल्ड व सिल्वर की ज्वेलरी में बिक्री एक झटके में लगभग ठहर सी गई है। इस हालात में, ज्वेलर्स को एक बार फिर से विवाह के सीजन की ग्राहकी शुरू होने का इंतजार करना स्वाभाविक है।

अंकित बागरेचा - जी बेंगल्स
यह कोई नई बात नहीं है कि रेट के घटने पर ज्वेलरी की खरीदी थम गई है। विवाह की खरीदी का सीजन और दीपावली के दिनों में भी गोल्ड व सिल्वर की खरीदी का चलन है। लेकिन दीपावली ठंडी गई और विवाह का सीजन होने के बावजूद ज्वेलर्स का चमकता - धमकता धंधा थम सा गया। चिंता यह है कि ज्वेलर्स की यह परेशानी कैसे दूर होगी?

धु्रव साकरिया - साकरिया ज्वेलर्स
हम देख रहे हैं कि मार्केट में जब 1 लाख 33 हजार था, तो लोग खरीद रहे थे। सिल्वर भी जब 1 लाख 80 हजार पर पहुंचा, तो लोग प्रीमियम देने को तैयार थे। लेकिन गोल्ड में 12 हजार और सिल्वर में 30-35 हजार की गिरावट के बावजूद लोग खरीदी नहीं कर रहे हैं, इसका कारण है कि लोग रेट और गिरने का राह देख रहे हैं।

निखिल जैन - समृद्धि ज्वेल क्राफ्ट
देश भर में कुछ दिन पहले तक गोल्ड व सिल्वर की बिक्री बहुत तेजी पर थी, जो कि थम सी गई है। भारतीय जनमानस रेट के दबाव में जीता है। वह तेजी में उसके पीछे भागता है, या फिर स्थिरता में उसके साथ चलता है व रेट के गिरने पर वह बाहर हो जाता है। मगर, रेट में ठहराव आते ही फिर से ग्राहकी खुल सकती है।










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