...तो सिल्वर होगा सवा लाख के पार!इसी साल चांदी की चमक में 20 फीसदी बढ़ोतरी संभव
- Aabhushan Times
- Apr 16
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नया फाइनेंशियल ईयर है और सिल्वर के बाजार में यह सबसे बड़ा सवाल है कि सिल्वर के रेट इस वित्तीय वर्ष में और कहां तक आगे जा सकते हैं? यह सवाल इसलिए जरूरी होता जा रहा है क्योंकि भारत में सिल्वर के रेट वर्तमान में, मार्च 2025 तक, एक लाख रुपये प्रति किलोग्राम को पार कर चुके हैं, जो एक महत्वपूर्ण वृद्धि को दर्शाता है। आने वाले दिनों में सिल्वर के रेट लगभग 10 से 20 फीसदी तक और बढ़ सकते हैं, मतलब सवा लाख के आस पास पहुंच सकते हैं। यह जानकारी हम आपको बहुत ही जिम्मेदारी के साथ दे रहे हैं, जो हमको विभिन्न ट्रेड फोरम्स और बाजार के रुझानों के आधार पर सही प्रतीत होती है। वैसे, सिल्वर के बढ़ते रेट्स के बीच, भारत में ही नहीं दुनिया भर में सिल्वर ज्वेलरी की खपत में पहले भी ज्यादा तेजी से लगातार वृद्धि हो रही है और इसे दुनिया भर में तेजी से पसंद किया जा रहा है। इसके पीछे कई सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और व्यावहारिक कारण हैं, जो इसे आधुनिक समय में एक लोकप्रिय विकल्प बना रहे हैं।
वैश्विक स्तर के सिल्वर मार्केट के रिसर्चर्स तथा विशेषज्ञों के अनुमानों और बाजार की पिछले कुछ सालों की विश्लेषणात्मक जानकारी के आधार पर, सिल्वर की कीमतों में आने वाले समय में काफी चमकदार संभावनाएं दिख रही हैं। अल्पकालिक संभावना अर्थात इसी साल, 2025 के अंत तक देखें, तो कई विश्लेषकों का मानना है कि सिल्वर 1.10 लाख से 1.20 लाख रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच सकती है। यह अनुमान औद्योगिक मांग और निवेश में बढ़ोतरी को ध्यान में रखकर लगाया गया है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि अगर वैश्विक बाजार में तेजी रही, तो यह भारत में 1.25 लाख रुपये के पार भी तक भी जा सकती है। इस अवधि के आगे की बात करें, अर्थात मध्यम अवधि 2026-27 में देखें, तो सिल्वर के मामले में अगर मौजूदा तेजी के रुझान जारी रहे और सौर ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में सिल्वर की मांग लगातार बढ़ती रही, तो इसकी कीमतें 1.30 लाख से 1.50 लाख रुपये प्रति किलोग्राम तक भी जा सकती हैं। मॉर्गन स्टेनली और गोल्डमैन सैक्स जैसे कुछ अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों ने सिल्वर की कीमत को वैश्विक स्तर पर 40 से 45 यूएस डॉलर प्रति औंस तक पहुंचने की भविष्यवाणी की है, जो विनिमय दर और टैक्स के आधार पर भारतीय रुपये में 1.60 लाख से 1.70 लाख प्रति किलोग्राम के बराबर हो सकता है। लेकिन दीर्घकालिक दौर में झांकें, तो सन 2030 तक सिल्वर 2 लाख के पार जाएगा, यह तय माना जा रहा है। दीर्घकालिक अनुमान में, सिल्वर की कीमतें 2 से 2.25 लाख रुपये प्रति किलोग्राम तक भी पहुंचने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। लेकिन खास तौर से देखें, तो अगर सिल्वर की आपूर्ति में कमी रही और मांग में भारी वृद्धि हुई, तब तो इसके 2.50 लाख से भी ऊपर जाने की संभावना है, क्योंकि सिल्वर की खपत तो लगातार बढ़ती जा रही है मगर आपूर्ति में कमी आने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। हालांकि, यह परिदृश्य कई अनिश्चितताओं पर निर्भर करता है, लेकिन सिल्वर के महंगा होने की संभावना बरकरार है।
सिल्वर के मौजूदा स्तर (1 लाख रुपये से अधिक) से देखें तो अगले 6-12 महीनों में 10-20 फीसदी की वृद्धि सबसे संभावित परिदृश्य है, जो इसे 1.10 लाख से 1.20 लाख रुपये तक ले जा सकता है। अगले 2-3 साल में, अगर वैश्विक और स्थानीय कारक अनुकूल रहे, तो 30 से 50 फीसदी वृद्धि होगी, अर्थात सिल्वर के रेट में 1.30 लाख से 1.50 लाख रुपये तक की बढ़ोतरी संभव है। लेकिन जल्दी ही कोई बड़ा वैश्विक संकट पैदा हो जाए, जैसे युद्ध या आर्थिक मंदी हो, तो सिल्वर में 50 फीसदी से अधिक तेजी भी संभव है। लेकिन 2030 से पहले सिल्वर तभी 2 लाख को पार कर सकता है, जब इसके खनन में कमी आए। बाजार के जानकार मान रहे हैं कि सिल्वर के रेट आने वाले समय में निश्चित तौर से ऊपर जाने की प्रबल संभावना है, लेकिन यह कितना महंगा होगा, यह वैश्विक आर्थिक स्थिति, औद्योगिक मांग और आपूर्ति पर निर्भर करेगा। वैसे, अल्पकालिक तौर पर 1.20 लाख रुपये और मध्यम अवधि में 1.50 लाख रुपये तक की वृद्धि एक यथार्थवादी अनुमान है। सिल्वर ज्वेलरी में बड़े पैमाने पर निवेश करने वाले ज्वेलर्स के लिए यह समय सिल्वर में निवेश पर विचार करने का हो सकता है, लेकिन बाजार के उतार-चढ़ाव पर नजर रखना जरूरी है। जो ज्वेलर्स सिल्वर में निवेश करने की सोच रहे हैं, उनके लिए यही बेहतर वक्त है, क्योंकि वर्तमान खरीदीउनको भविष्य की व्यावसायिक ताकत बनाने में सिल्वर खरीदी से बड़ी मदद मिलेगी।
सिल्वर के ज्वेलरी में खपत बढऩे के पीछे पहला और सबसे प्रमुख कारण है सिल्वर की किफायती कीमत। गोल्ड की तुलना में सिल्वर काफी सस्ता होता है, जिसके कारण मध्यम वर्ग और युवा पीढ़ी इसे आसानी से खरीद सकती है। पिछले कुछ वर्षों में गोल्ड की कीमतों में भारी उछाल आया है, जिससे लोग सिल्वर ज्वेलरी को एक आकर्षक और बजट-अनुकूल विकल्प के रूप में देख रहे हैं। यह न केवल आभूषणों के लिए, बल्कि निवेश के छोटे साधन के रूप में भी पसंद की जा रही है। भारत जैसे देशों में, जहां ज्वेलरी खरीदना एक सांस्कृतिक परंपरा है, सिल्वर ने गोल्ड के तेजी से बहुत महंगा होने के बाद उस कमी को भरने का काम किया है।दूसरा कारण है सिल्वर ज्वेलरी का स्टाइलिश और बहुमुखी डिज़ाइन। आज के डिज़ाइनर सिल्वर को आधुनिक और पारंपरिक दोनों तरह के पैटर्न में ढाल रहे हैं, जो हर उम्र और पसंद के लोगों को आकर्षित करता है। सिल्वर की चमक और उसकी मॉडर्न अपील इसे वेस्टर्न और इंडियन दोनों तरह के परिधानों के साथ आसानी से मेल खाने वाला बनाती है। इसके अलावा, इसमें जेमस्टोन्स, ऑक्सीडाइड फिनिश और मिनिमलिस्ट डिज़ाइन जैसे प्रयोगों ने इसे फैशन स्टेटमेंट बना दिया है। युवा पीढ़ी, जो हल्के और ट्रेंडी ज्वेलरी पसंद करती है, सिल्वर को अपनी पहली पसंद बना रही है। तीसरा कारण है सिल्वर का सांस्कृतिक और भावनात्मक महत्व। भारत में सिल्वर को शुभ माना जाता है और इसे धार्मिक आयोजनों, जैसे पूजा या शादी के उपहारों में इस्तेमाल किया जाता है। सिल्वर के सिक्के, बर्तन और ज्वेलरी उपहार के रूप में लोकप्रिय हैं। इसके अलावा, यह त्वचा के लिए सुरक्षित और हाइ पोएलर्जेनिक मानी जाती है, जिससे लोग इसे रोज़मर्रा के इस्तेमाल के लिए चुनते हैं। गोल्ड की भारी ज्वेलरी की तुलना में सिल्वर हल्की और आरामदायक होती है, जो इसे हर दिन पहनने के लिए उपयुक्त बनाती है।चौथा, वैश्विक स्तर पर सिल्वर ज्वेलरी की मांग में पर्यावरणीय जागरूकता भी एक बड़ा कारण है। लोग अब टिकाऊ और नैतिक रूप से उत्पादित आभूषणों की ओर ध्यान दे रहे हैं। सिल्वर का पुनर्चक्रण आसान होता है और इसके उत्पादन में गोल्ड की तुलना में कम पर्यावरणीय नुकसान होता है। इससे पर्यावरण के प्रति जागरूक उपभोक्ता सिल्वर को प्राथमिकता दे रहे हैं। साथ ही, छोटे कारीगरों और स्थानीय ब्रांडों द्वारा हस्त निर्मित सिल्वर ज्वेलरी की उपलब्धता ने भी इसकी लोकप्रियता बढ़ाई है। पांचवां कारण देखा जाए, तो बदलती जीवनशैली और फैशन ट्रेंड्स ने सिल्वर को बढ़ावा दिया है।
अंत में, सिल्वर की बढ़ती औद्योगिक मांग और निवेश मूल्य ने भी इसे आकर्षक बनाया है। लोग इसे केवल ज्वेलरी के रूप में नहीं, बल्कि संपत्ति के रूप में भी देख रहे हैं। इन सभी कारणों से सिल्वर ज्वेलरी की खपत बढ़ रही है और यह वैश्विक स्तर पर पसंद की जा रही है। यह ट्रेंड भविष्य में भी जारी रहने की संभावना है। इसी कारण सिल्वर में तेजी बरकरार रहेगी, भले ही जानकार कह रहे हैं कि 2030 तक सिल्वर दो लाख के पार जा सकता है, लेकिन वे साथ में यह भी तो कह रहे हैं कि वैश्व्क स्तर पर कोई संकट पैदा हो जाए या आर्थिक मंदी आ जाए तो सिल्वर में वर्तमान रेट 1 लाख के मुकाबले 50 फीसदी से अधिक तेजी भी संभव है। लेकिन सिल्वर के खनन में अगर कमी आ गई, तो 2030 से भी बहुत पहले ही सिल्वर 2 लाख रुपए के रेट को भी आसाना से पार कर सकता है, क्योंकि आपूर्ति और मांग का असंतुलन बढ़ेगा, औद्योगिक मांग में वृद्धि में कमी संभव नहीं है, मुद्रास्फीति और आर्थिक अनिश्चितता का बने रहना लगातार आशंकित है, भू-राजनीतिक तनाव और कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव भी जारी है, तथा बाजार में अस्थिरता की आशंका भी बनी हुई है।
इन सबके ऊपर भारत में, अमेरिकी डॉलर का मूल्य लगातार बढ़ता जा रहा है। तो, सिल्वर के रेट कम होने की संभावना कतई नहीं है। ऐसे ही कई सारे कारणों से न केवल भारत बल्कि दुनिया भर के बाजारों में सिल्वर के रेट के साथ साथ सिल्वर ज्वेलरी का बिजनेस भी तेजी से बढ़ता जा रहा है।

सिल्वर की कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही है। आपूर्ति की कमी, बढ़ती औद्योगिक और निवेश मांग, आर्थिक अनिश्चितताओं और मुद्रा मूल्यों में बदलाव का यह परिणाम है। खनन में भी कमी देखी जा रही है। सो, सिल्वर में तेजी का यह रुझान निकट भविष्य में और तेज हो सकता है। हालात अगर वर्तमान जैसे ही रहे, तो इसी साल सवा लाख और सन 2030 से पहले सिल्वर 2 लाख का आंकड़ा पार कर सकता है।

अंबालाल जैन - शुभम सिल्वर
ज्वेलरी का बिजनेस बाजार की डिमांड का बिजनेस है। भले ही दुनिया भर में सिल्वर की कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही हैं, क्योंकि सिल्वर के तार आर्थिक, औद्योगिक और वैश्विक बाजार से जुड़े हैं। लेकिन बाजार पर जिनकी पकड़ है, उनको किसी भी तरह की कोई चिंता नहीं है।

हेमंत बड़ोला - VSL 925 सिल्वर
सिल्वर की मांग उद्योग, निवेश और ज्वेलरी जैसे क्षेत्रों में स्थिर या बढ़ती जा रही है, जबकि इसकी आपूर्ति सीमित है। हाल के वर्षों में सिल्वर का खनन उत्पादन घटा है, क्योंकि खनन लागत बढ़ गई है और नए भंडारों की खोज कम हो रही है। इससे कीमतों पर दबाव बढ़ता है।

पियुष साकरिया - एच पी सिल्वर
सिल्वर महंगा होता रहेगा क्योंकि वैश्विक अर्थव्यवस्था में तनाव या मंदी का खतरा होता है, तो निवेशक गोल्ड और सिल्वर जैसी सुरक्षित संपत्तियों की ओर रुख करते हैं। सिल्वर की कीमतें अक्सर गोल्ड के साथ सकारात्मक संबंध रखती हैं, और दोनो के रेट साथ साथ बढ़ते दिख रहे हैं।

जयेश राठौड़ - ओसी ऑर्नामेंट्स
भारत में सिल्वर की मांग त्योहारों, शादियों और निवेश के लिए ज्यादा रहती है। इसके अलावा, आयात शुल्क, कर और रुपये की कमजोरी भी कीमतों को बढ़ाने में योगदान देती है। जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें बढ़ती हैं, तो भारत में यह प्रभाव और बढ़ जाता है।
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