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बजट ने व्यापार का बजट न तो सुधारा, न बिगाड़ाजीएसटी में छूट या इंपोर्ट ड्यूटी में राहत मिलती तो अच्छा होता










वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बार के बजट में गोल्ड या सिल्वर की ज्वेलरी या बुलियान पर जीएसटी या इंपोर्ट ड्यूटी के बारे में कोई राहत नहीं दी। जैसा है, वैसा ही चलता रहेगा। ज्यादातर ज्वेलर मानते है कि सरकार ने कुछ सोचा होता, तो गोल्ड मार्केट पर सकारात्मक असर होता और व्यापार में बढ़ोतरी होती। 


बजट और व्यापार का बहुत गहरा नाता है तथा व्यापार और जीवन का उससे भी गहरा नाता है। कहते हैं कि व्यापार चलता है, तो जीवन चलता है, तथा बजट अच्छा होता है, तो व्यापार भी बहुत अच्छा चलता है। व्यावसायिक बजट हमको अपने खर्च और आय की स्पष्ट तस्वीर देता है। इसी वजह से व्यापारिक, सामाजिक तथा आर्थिक दृष्टि से हर साल हम देखते हैं कि बजट से सबको बहुत उम्मीद होती है। बजट का दिन सभी के लिए आशाओं और उम्मीदों से भरा होता है। इस मगर, इस बार के बजट ने आशा को निराशा में बदल दिया तथा उम्मीदों पर पानी फेर दिया। इस बार का बजट कुछ भी अलग नहीं था, आम आदमी को इन्कम टैक्स में राहत की कुछ उम्मीद थी, परंतु ऐसा तो कुछ भी नहीं हुआ। हालांकि, ऐसा होना चाहिए था, क्योंकि सामान्य लोगों के खर्चे बढ़ रहे हैं, कमाई कम हो रही है। मगर, जिनकी कमाई बढ़ रही है, उनके भी खर्चे बढ़ रहे हैं। अत: इन्कम टैक्स में राहत की उम्मीद कुछ हद तक भी पूरी हो जाती, तो लोग खुश होते तथा व्यापारिक समाज के लिए खरीदी के नए द्वार खुलते। गोल्ड पर जीएसटी यानी गुड्स एंड सर्विस टैक्स कुछ कम कर दिया जाता, इंपोर्ट ड्यूटी कम कर दी जाती या इन्कम टैक्स स्लैब बढ़ा दिया जाता, तो बुलियन के व्यापारिक समाज के साथ साथ सामान्य खरीददार को भी बहुत बड़ा लाभ होता, क्योंकि इससे लोग ज्वेलरी खरीदने के लिए खुले हाथ से खर्च करते तथा मार्केट को भी लाभ होता। बजट हमको कमाई करने, खर्च नियंत्रित करने, लागत कम करने, लोगों को रोजगार देने, नए उपकरण खरीदने और अन्य तरीकों से व्यापारिक स्थिति में सुधार जैसे महत्वपूर्ण निर्णय लेने में मदद करता है। बजट किसी भी व्यापार, कंपनी या परिवार के वित्तीय उद्देश्यों को भी स्पष्ट करता है। इस प्रकार, बजट को एक ऐसी प्लान अथवा कार्य योजना माना जा सकता है, जो धन, साधन तथा संसाधन के बीच तालमेल बिठाता है तथा बजट हमारी आर्थिक योजनाओं के निर्माण में सहायता करता है। इसलिए हर किसी के जीवन में, चाहे कोई व्यापारी हो, उद्योगपति हो, नौकरीपेशा हो, घर - परिवार हो या सामान्य व्यक्ति, बजट का हर किसी के जीवन में बहुत बड़ा महत्व है। मगर, इस बार के बजट ने व्यापार का बजट न तो सुधारा है, न ही बिगाड़ा है। जबकि चुनावी साल में तो हम कई वर्षों से देखते हं कि सरकार बजट में कई तरह के फायदे देती है, मगर इस बार के बजट ने व्यापारियों, तथा खासकर ज्वेलर्स को निराश किया है।  गोल्ड ज्वेलरी पर जीएसटी कम किए जाने की ज्वेलर्स की मांग बहुत पुरानी है। सीजीएसटी अधिनियम की धारा 8 के अनुसार, आम जनता को गोल्ड ज्वेलरी या अन्य तरह की ज्वेलरी या को बेचना वस्तु और सेवा की संयुक्त आपूर्ति है। अत: इस पर वस्तु व सेवा कर अर्था गुड्स एंड सरिव्स टैक्स यानी जीएसटी लगना अनिवार्य है। ज्वेलरी के इस पूरे बिजनेस में, प्राथमिक जरूरत गोल्ड की बिक्री है, इसलिए सरकार का नियम है कि ज्वेलरी के समग्र मूल्य पर 3 प्रतिशत जीएसटी दर लगाया जाता है। बाजार की पूरी कॉम्प्रिहेंसिव गाइड गोल्ड पर जीएसटी के हिसाब - किताब के माध्यम से चलती है, तथा सरकार को कमाई होती है, तो जनता को उससे देश के विकास में सहयोगी होने का लाभ मिलता है। लेकिन एक व्यावहारिक उदाहरण के तौर पर गोल्ड की डिमांड, उसकी कीमत और कुल मार्केट लैंडस्केप पर जीएसटी के तुरंत परिणाम व्य़ापारिक समाज पर अच्छे नहीं पड़ रहे हैं। गोल्ड, सिल्वर, प्लैटिनम के साथ साथ डायमंड व प्रीशियस स्टोन्स का मार्केट लगातार ज्वेलरी पर ही निर्भर है। मगर इस बार के बजट में कुछ भी नहीं सोचा गया।


कहते हैं कि ज्वेलरी या गोल्ड - सिल्वर में ही नहीं मगर, प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में सबसे ज्यादा व्यावसायिक बजट का महत्व है, तथा ज्वेलरी मार्केट के लिए तो बजट और भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि लोगों के जीवन में ज्वेलरी बहुत महंगी और खर्चीली खरीददारी होती है। वैसे, देखा जाए, तो हमारे जीवन में सबसे ज्यादा खर्चीली खरीदी घर की होती है, जिसमें हमारा सबसे ज्यादा धन निवेश होता है, लेकिन वह जीवन में आम तौर पर केवल एक बार ही होता है। अगर दूसरी बार होता भी है, तो पुराने घर को बेचकर नया निवेश होता है। लेकिन ज्वेलरी में तो हर साल निवेश होता रहता है। तो, इसके लिए हर साल बजट बनाना जरूरी हो जाता है। इसीलिए बजट को समझने तथा बजट के महत्व को जानने के लिए हम हर साल वित्त मंत्री के संसद में पेश किए जाने वाले बजट का इंतजार करते हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में इस साल का बजट पेश किया, तो सभी व्यापारिक समाज के लोगों की नजरें उस पर टिकी थी, लेकिन इस बार के बजट ने सभी को निराश किया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में साफ साप कहा कि मौजूदा कर व्यवस्था - प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों में कोई बदलाव नहीं होगा। संसद में अपना छठा बजट भाषण देते हुए उन्होंने कहा था कि - मैं इंपोर्ट ड्यूटी सहित सभी तरह के डायरेक्ट व इंडायरेक्ट टैक्स के लिए समान टैक्स रेट्स को बनाए रखने का प्रस्ताव करती हूं। इसका साफ तौर पर अर्थ है कि जो टैक्स व डेयूटी के रेट्स चल रहे हैं, वे ही जारी रहेंगे।

जीएसटी भारत में गोल्ड मार्केट में बिजनेस तथा कमाई को कैसे प्रभावित करती है, यह व्यारपार से जुड़े लोग ज्यादा सही तरीके से जानते हैं। जीएसटी की दरों में सरकार अगर छूट देती या फिर इंपोर्ट ड्य़ूटी को कम करती, तो इसने गोल्ड की कीमतों को थामने पर असरकारी प्रभाव पड़ता और ज्वेलरी सेक्टर में मुनाफे के साथ व्यापार भी बढ़ता। हम देख रहे हैं कि जबसे गोल्ड पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ी है, तथा जीएसटी थोपी गई है, देश में ज्वेलरी का मार्केट पहले के मुकाबले कम मुनाफे वाला हुआ है, क्योंकि अब पहले जितनी ज्वेलरी बिकने के रास्ते संकरे हो गए हैं। जीएसटी का सीधा असर देश में गोल्ड की कीमत पर भी पड़ा। जीएसटी से पहले, गोल्ड की कीमतें विभिन्न प्रकार के टैक्स के अधीन थी, जिससे गोल्ड के रेट्स में भी भिन्नता होती थी, तो लोग इस शहर में या उस शहर में जाकर खरीदते थे, तोकि उनको कीमत कम चुकानी पड़ती थी। लेकिन सरकारी हिसाब - किताब में अब गोल्ड पर जीएसटी के साथ, एक ही कर रेट है, जो गोल्ट की कीमत को और अधिक सुसंगत बनाती है। हालाँकि, अंतर्राष्ट्रीय मार्केट में गोल्ड की कीमतें अभी भी घरेलू गोल्ड की कीमतों को सीधे प्रभावित करती है। इस बार के बजट में जीएसटी या इंपोर्ट ड्यूटी पर सरकार ने कुछ सोचा होता, तो गोल्ड के अंतर्राष्ट्रीय मार्केट में गोल्ड की कीमतें घरेलू गोल्ड की कीमतों को शायद सीधे प्रभावित नहीं करती, या फिर कोई और रास्ता निकलता। लेकिन सरकार ने गोल्ड ज्वेलरी मार्केट के बारे में इस बार के बजट में कुछ भी नहीं सोचा। हालांकि, यह बजट भारत सरकार का अंतरिम बजट था, यानी कि पूर्ण बजट न होकर केवल प्रतिकात्मक बजट था, अत: लोगों इस बजट के प्रवाधानों में रखे गए प्रस्तावों का कोई संसद में न तो विपक्ष ने कोई विरोध किया और न ही सडकों पर सामान्य जनता ने। हालांकि, विपक्ष की संसद में विरोध करने की क्षमता लगभग शून्य हो गई है, क्योंकि मोदी सरकार के सामने विपक्ष का उत्साह चरमराया हुआ है। किसी ने भी किसी भी तरह का कोई खास विरोध नहीं किया, न बयानों से न ही प्रदर्शन से। इसी वजह से, जब गोल्ड पर जीएसटी लगाया गया था, तब भी उसका किसी ने कोई खास विरोध नहीं किया था, तथा उसी वजह से गोल्ड व उससे बनने वाली ज्वेलरी पर पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार के प्रभाव पड़ता रहा। सकारात्मक पक्ष पर यह हुआ कि, जीएसटी की वजह से टैक्स प्रणाली का सरलीकरण हुआ तथा सबको सीधे सीधे सब कुछ समझ में आने लगा, इसके अलावा पिछली टैक्स प्रणाली की जटिलताओं में हमने पाया कि वे सारी की सारी दूर हो गई हैं। किंतु नकारात्मक पक्ष देखें, तो जीएसटी ने ज्वेलरी इंडस्ट्री में व्यापारियों की चिंताएं बढ़ा दीं तथा हर छोटा मोटा ज्वेलर भी टैक्स डिपार्टमेंट की हद में आ गया है तथा उसे टैक्स का हिसाब किताब मेंटेन करना मुश्किल लग रहा है।


कई ज्वेलर्स और इस इंडस्टी के बड़े खिलाडिय़ों को चिंता है कि लगातार जो 3 प्रतिशत जीएसटी दर जारी है, उससे उपभोक्ता की ज्वेलरी डिमांड कम हो जाएगी। उसका खास कारण यह है कि लोग अपनी गाढ़ी कमाई का तीन फिसदी हिस्सा टैक्स में चुका देते हैं। वैसे, जिन लोगों को 100 रुपए के किसी सामान की खरीदी में 18 फीसदी जीएसटी महंगी नहीं लगती, क्योंकि 100 रुपए का अमाउंट बहुत ही छोटा है। लेकिन व्यक्ति जब 10 ग्राम गोल्ड खरीदता है, तो उसे सीधे सीधे लगभग दो हजार से ज्यादा रुपए जीएसटी के तौर पर चुकाने होते हैं, जो बहुत ज्यादा लगते हैं। यहां यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ज्वेलरी इंडस्ट्री का केवल 30 प्रतिशत ही हिस्सा ही ऑर्गनाइज्ड है, जबकि ज्यादातर तो गांवों में सुना रही ज्वेलरी बेचते हैं, जो टैक्स भी लेते है तथा सरकार को भी नहीं भरते। सरकार के लिए यह भी बेहद चिंता की बात है। लेकिन इस बार के बजट में शाय़द इसलिए ऐसा कुछ भी नहीं दिखा, क्योंकि यह अंतरिम बजट था। हो सकता है, पूर्ण बजट में ज्वेलरी इंडस्ट्री को कोई लाभ मिले, य़ह तो उम्मीद की जा सकती है। लेकिन मोदी सरकार का व्यापारियों की उम्मीदों पर पानी फेरने का पुराना ट्रैक रिकॉर्ड रहा है, सो ज्यादा उम्मीद नहीं करनी चाहिए।









इस बार के बजट को लेकर ज्वेलरी इंडस्ट्री को बहुत उम्मीद थी कि केंद्र सरकार जीएसटी में छूट या इंपोर्ट ड्यूटी में राहत दे सकती है, क्योंकि चुनाव आ रहा है तथा चुनाव के मौके पर सरकार लोगों पर मेहरबान होती है। मगर ऐसा तो कुछ भी नहीं हुआ, बजय से निराशा मिली है।

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बजट से लोगों को बहुत उम्मीद रहती है, क्योंकि उसी पर हर व्यापार तथा हर उद्योग धंधे का आधार मिर्भर होता है। ज्वेलरी इंडस्ट्री में जीएसटी या इंपोर्ट ड्यूटी में छूट नहीं तो, कम से कम इन्कम टैक्स के स्लैब में राहत तो सरकार को देनी ही चाहिए थी, जिससे व्यापार विकसित होता।

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सरकार इस बार के बजट में अगर गोल्ड पर जीएसची कम करती, तो लोग खुश होते तथा व्यापारिक जगत के लिए खरीददारी के नए अवसर खुलते। लेकिन शायद छूट न देने की सरकार ने ठान ली थी, क्योंकि यह अंतरिम बजट था, फिर भी जीएसटी में छूट मिलती तो अच्छा होता।

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यह महत्वपूर्ण बात है कि ज्वेलरी इंडस्ट्री का केवल 30 प्रतिशत ही हिस्सा ऑर्गनाइज्ड है। गांवों में सुनार ही ज्वेलरी बेचते हैं, जो टैक्स जितनी रकम वसूलते भी होंगे, तो भी सरकार को नहीं भरते। सरकार को यह पता है, इसी कारण सभी को दायरे में लाने की कोशिश कर रही  है।

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