संपादकीय...
- Aabhushan Times
- Nov 19
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सिद्धराज लोढ़ा
गोल्ड व सिल्वर के उतार - चढ़ाव में बदलती ज्वेलरी बाजार की नब्ज़!
गोल्ड व सिल्वर के मामले में, अक्टूबर-नवंबर 2025 का वक्त इतिहास में असाधारण रहा। 'आभूषण टाइम्स' ने अपने 25 साल के इतिहास में इतना उतार चढ़ाव कभी नहीं देखा। एक ओर सिल्वर ने रिकॉर्ड तोड़ रफ्तार पकडक़र 54 यूएस डॉलर प्रति औंस का नया शिखर छुआ, वहीं गोल्ड भी 4400 यूएस डॉलर प्रति औंस से ऊपर जाकर फिर नीचे फिसला। घरेलू बाजार में दोनों धातुओं के भावों ने निवेशकों और ज्वेलर्स को सांसें थमाने पर मजबूर कर दिया। अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों, अमेरिकी डॉलर की चाल, कच्चे तेल और मुद्रास्फीति के दबाव के बीच भारत में कीमती धातुओं का व्यापार अब केवल भावनाओं से नहीं, बल्कि वैश्विक वित्तीय नीतियों से भी प्रभावित हो रहा है। आप जानते हैं कि 'आभूषण टाइम्स' बाजार की धडक़नों और आपके हालात पर सदा ही नजर रखता है। अत: हमारा कहना है कि ज्वेलरी उद्योग के लिए यह समय न केवल परीक्षण का है, बल्कि रणनीतिक सोच और दीर्घकालिक दृष्टिकोण का भी है, क्योंकि बाजार की हर तेजी और गिरावट ग्राहक की खरीदारी मनोवृत्ति को सीधे प्रभावित कर रही है। मगर 'आभूषण टाइम्स' विभिन्न अध्ययनों पर आधार रखता है, अत: यह कहना उचित होगा कि गोल्ड और सिल्वर की चमक भले ही दामों के साथ घटे - बढ़े, पर भारतीय बाजार की चमक कभी फीकी नहीं पड़ती।
गोल्ड को 'आभूषण टाइम्स' बाजार की ताकत और व्यापार की धडक़न मानता रहा है। लेकिन सन 2025 में गोल्ड की यात्रा तेज उतार - चढ़ाव से भरी रही। इस साल की शुरुआत में डॉलर की कमजोरी और वैश्विक अस्थिरता के कारण गोल्ड में मजबूती आई, किंतु साल के बीच में अमेरिकी ब्याज दरों और कच्चे तेल के दबाव से गोल्ट के रेट्स ने करवट ली। अगस्त से अक्टूबर 2025 के दौरान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड अचानक से तेजी पकड़ता हुआ अपने ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया, लेकिन फेडरल रिज़र्व की कड़ी मौद्रिक नीति और डॉलर इंडेक्स की मजबूती के चलते नवंबर तक यह फिर से लगभग 12 हजार रुपए नीचे आ गया। नवरात्रि से पहले गोल्ड ने बढ़त लेनी शुरू की और 1 लाख 32 हजार के पार पहुंच गया, मगर दीपावली के आते आते फिसल गया और कार्ति पूर्णिमा के आसपास गोल्ड 1 लाख 20 हजार के आसपास ट्रेंड करने लगा। फिर भी भारतीय उपभोक्ताओं में गोल्ड पर भरोसा कायम है। ज्वेलर्स के लिए यह स्थिरता का स्तंभ है, क्योंकि हर गिरावट पर खरीदी बढ़ती है। इसीलिए ज्वेलरी मार्केट के विशेषज्ञों सहित 'आभूषण टाइम्स' का भी मानना है कि 2026 में भी गोल्ड औसतन 1.30 लाख के आसपास के दायरे में मजबूती बनाए रख सकता है।
सिल्वर में रिकॉर्ड ऊंचाई से तेज़ गिरावट तक का सफऱनामा भी जबरदस्त राह। सदा से ही गोल्ड की छाया में रहने वाले सिल्वर ने इस वर्ष सबका ध्यान अपनी ओर खींचा। औद्योगिक मांग, सौर ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहनों में उपयोग बढऩे के कारण सिल्वर ने जबरदस्त रफ्तार पकड़ी और अक्टूबर 2025 में ऑलटाइम हाई पर पहुंच गया। बाजार में वास्तविक रेट पर 20 हजार तक का प्रीमियम वसूला जा रहा था, जो आश्चर्यजनक था। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सिल्वर की कीमतें 54 प्रति औंस तक पहुंची और भारत में 2 लाख रूपए प्रति किलो के आंकड़ा पर पहुंचा। लेकिन कुछ ही सप्ताह में कीमतें 25 फीसदी तक गिर गईं। इस गिरावट के पीछे डॉलर की मजबूती और सप्लाई में अस्थायी सुधार जैसे कारण रहे। परंतु दीर्घकालिक दृष्टि से देखा जाए तो सिल्वर की मांग आने वाले वर्षों में और बढऩे की संभावना है। आगले साल 2026-27 तक यह फिर से 2 लाख से लेकर 2.5 लाख प्रति किलो के स्तर को छू सकता है। 'आभूषण टाइम्स' सदा से ही कहता रहा है कि भारतीय बाजार में सिल्वर अब केवल ज्वेलरी नहीं, बल्कि एक उभरता हुआ औद्योगिक मेटल भी बन चुका है, और यही इसे सबसे अस्थिर बनाने के बावजूद सबसे आकर्षक भी बनाता है।
तेज उतार चढ़ाव के बीच ज्वेलरी बाजार और बुलियन ट्रेडर्स की स्थिति का आंकलन करें, तो वे इस अनिश्चितता के बीच भी उम्मीदों से भरे हैं। हालांकि, लगातार बदलते भावों ने ज्वेलरी बाजार को दो हिस्सों में बांट दिया है। 'आभूषण टाइम्स' हमेशा से आपके प्रतिनिधि के रूप मे आपके साथ खड़ा रहा है। अत: हम कह सकते हैं कि एक ओर खुदरा ग्राहकों की असमंजसता हैं कि कब खरीदारी करें, तो दूसरी ओर ज्वेलर्स और बुलियन विक्रेता लगातार बदलते दामों से तालमेल बैठाने में जुटे हैं। त्योहारी सीजन में गोल्ड व सिल्वर की बिक्री में हल्की गिरावट दर्ज हुई, क्योंकि ग्राहक 'रेट करेक्शन' की प्रतीक्षा में रहे। लेकिन फिर भी बाजार में निराशा का जरूरत नहीं है। 'आभूषण टाइम्स' का मानना है कि आने वाले महीनों में रिटेल खरीदारी में सुधार होगा, क्योंकि रेट का स्थिरीकरण ग्राहकों को दोबारा आकर्षित करेगा और 2026 के पहले तिमाही में गोल्ड व सिल्वर की फिजिकल डिमांड फिर रफ्तार पकड़ेगी।










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