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संपादकीय.....गोल्ड के रेट बढ़े, तो सेल घटी, नई चुनौतियां झेल रहे हैं ज्वेलर

  • Aabhushan Times
  • May 17
  • 4 min read

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- सिद्धराज लोढ़ा


हाल के वर्षों में गोल्ड केरेट में लगातार वृद्धि ने भारतीय बाजारों, विशेष रूप से ज्वेलरी उद्योग, पर गहरा प्रभाव डाला है। भले ही हमारे भारत देश में गोल्ड न केवल एक निवेश का साधन है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व भी रखता है। फिर भी विवाह, त्योहारों और विशेष अवसरों पर गोल्ड ज्वेलरी की खरीदारी एक परंपरा रही है। लेकिन जब गोल्ड के रेट आसमान छू रहे हों, तो उपभोक्ताओं की खरीदारी की आदतों पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है, यह हम आजकल देख रहे हैं। 'आभूषण टाइम्स' ने बाजार के हालात जानने के लिए कई ज्वेलर्स से चर्चा जी, जानकारों से बातचीत की, तथा हमारे प्रतिनिधियों ने बाजार में हर रोज बढ़ते घटते बाजार पर नजर रखी, तो पाया कि रेट हाई होने के कारण वाकई ज्वेलरी की बिक्री को कम हो रही हैं, तथा बाजार में ज्यादातर ज्वेलर्स परेशानी महसूस कर रहे हैं?


'आभूषण टाइम्स' सदा से आपको सतर्क करता रहा है कि सावधान रहिए, तथा अभी भी हमारा तो यही कहना है कि घबराइए मत, क्योंकि गोल्ड के रेट कम नहीं होंगे, तथा आने वाले कुछ समय तक इन्हीं अनिश्चितता के हालात में आपको रहना है। हम बताते रहे हैं कि गोल्ड केरेट में बढ़ोतरी के पीछे कई वैश्विक और घरेलू कारक जिम्मेदार हैं, जिनके कम होने का आसार कुछ साल तक तो कतई नहीं है। वैश्विक स्तर पर, आर्थिक अनिश्चितता, मुद्रास्फीति, और भू-राजनीतिक तनाव गोल्ड को एक सेफ हेवन के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। बाजार अस्थिर है और मुद्रा का अवमूल्यन होता जा रहा है, तो गोल्ड की मांग और रेट बढ़ रहे है। हम हर साल देखते रहे हैं कि अक्षय तृतीया पर तथा त्योहारों और वेडिंग सीजन में गोल्ड ज्वेलरी की मांग बढ़ती है, जिससे रेट में और उछाल आता है। लेकिन यह मांग अब पहले जैसी नहीं रही। बढ़ते रेट ने मध्यम वर्ग और निम्न-मध्यम वर्ग के उपभोक्ताओं को अपनी खरीदारी की योजनाओं पर सोचने करने के लिए मजबूर किया है। 'आभूषण टाइम्स' के प्रतिनिधियों ने बाजार में जो हालात हैं, उनके बारे में जाना, तो साफ साफ दिखा कि गोल्ड की रेट में वृद्धि का सबसे स्पष्ट प्रभाव ज्वेलरी की बिक्री में कमी के रूप में सामने है। लोग कम वजन की ज्वेलरी खरीद रहे हैं या फिर गोल्ड के बजाय सिल्वर, प्लेटिनम, या इमीटेशन ज्वेलरी की ओर रुख कर रहे हैं। विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में, जहां फैशन और ट्रेंड का प्रभाव अधिक है, वहां लोग डिजाइनर या इमीटेशन ज्वेलरी को प्राथमिकता देने लगे हैं, जो सस्ती और स्टाइलिश हैं। इससे ज्वेलरी की खुदरा बिक्री पर असर पड़ा है। पहले जहां लोग अक्षय तृतीया पर बिना ज्यादा सोचे गोल्ड खरीद लेते थे, अब वे रेट की तुलना करते हैं, ऑफर तलाशते हैं, और कई बार खरीदारी को टाल देते हैं। इसके अलावा, अन्य निवेश विकल्पों ने भी उपभोक्ताओं का ध्यान खींचा है। ये विकल्प न केवल सस्ते हैं, बल्कि भौतिक गोल्ड को रखने की परेशानी से भी बचाते हैं। युवा पीढ़ी, जो पहले से ही वित्तीय अनिश्चितता और महंगाई का सामना कर रही है, गोल्ड को निवेश के बजाय फैशन स्टेटमेंट के रूप में देख रही है। वे हल्के, न्यूनतम डिजाइन वाले ज्वेलरी पसंद कर रहे हैं, जो अधिक किफायती होते हैं। ज्वेलरी उद्योग भी इस बदलाव को समझ रहा है और नई रणनीतियों के साथ बाजार में टिका हुआ है। देश में सैकड़ों ज्वेलर्स ने किश्तों में भुगतान, डिस्काउंट ऑफर, और एक्सचेंज स्कीम जैसी योजनाएं शुरू की हैं। इसके अलावा, वे हल्के वजन वाले और किफायती डिजाइनों पर ध्यान दे रहे हैं, जो मध्यम वर्ग के लिए आकर्षक हों। ऑनलाइन ज्वेलरी बिक्री भी बढ़ी है, क्योंकि उपभोक्ता घर बैठे रेट की तुलना कर सकते हैं और बेहतर सौदे पा सकते हैं। हालांकि, छोटे और स्थानीय ज्वेलर्स के लिए यह स्थिति चुनौतीपूर्ण है। उनके पास बड़े ब्रांड्स की तरह संसाधन या मार्केटिंग बजट नहीं है, जिसके कारण वे प्रतिस्पर्धा में पिछड़ रहे हैं।


ज्वेलरी बिक्री में कमी का असर केवल रिटेल क्षेत्र तक सीमित नहीं है। यह होलसेल तथा गोल्ड के इंपोर्ट, कारीगरों की आजीविका, और संबंधित उद्योगों पर भी पड़ा है। भीतर के पन्नों पर हमने जिक्र किया है कि भारत में ज्वेलरी उद्योग लाखों लोगों को रोजगार देता है, और बिक्री में कमी से कारीगरों और छोटे व्यापारियों की आय प्रभावित हो रही है। इसके अलावा, गोल्ड की खरीदारी में कमी से उपभोक्ता विश्वास और आर्थिक गतिविधियों पर भी असर पड़ सकता है।सामाजिक स्तर पर, गोल्ड की रेट में वृद्धि ने विवाह जैसे अवसरों पर भी खरीदी को प्रभावित किया है। विवाह में जहां पहले गोल्ड के ज्वेलरी एक प्रमुख हिस्सा हुआ करते थे, अब लोग कम वजनी और किफायती ज्वेलरी के विकल्प तलाश रहे हैं। यह बदलाव सकारात्मक हो सकता है, लेकिन सेल कम हो रही है, ज्वेलर के लिए ये बड़ी परेशानी है, क्योंकि कमाई घटी है और खर्चे बढ़ते जा रहे हैं। 'आभूषण टाइम्स' की नजर देश भर के ज्वेलर्स पर सदा रहती है, यह आप भी जानते ही हैं। अत: हमारा कहना है कि ज्वेलरी सेक्टर के लिए तथा खास तौर पर देश भर के विभिन्न बाजारों में बैठे छोटे ज्वेलर्स के लिए ये हालात बहुत बड़ी चुनौती है, तथा इससे चुनौती से मिपचना भले ही आसान नहीं है, लेकिन मुश्किल भी नहीं है।क्योंकि गोल्ड के रेट जैसे ही स्थिर होंगे, सेल फिर से बढ़ेगी।

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