सिल्वर में बहारअभी तो बहुत बढ़ेगी चांदी की चमक
- Aabhushan Times
- Oct 8
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सिल्वर के वर्तमान वैश्विक परिदृश्य मजबूती की तरफ बढ़ रहा है। सिल्वर के ये बढ़ते रेट्स, जो हम बेतहाशा बढ़ते देख रहे है, वे अभी तो आने वाले दिनों में और बढ़ेंगे, इसके संकेत भी साफ है। वेश्विक स्तर पर सिल्वर के लगातार महंगा होते रहने के कारण हर तरफ मौजूद हैं, तथा सिल्वर के आने वाले दिनों मे 1.50 लाख रुपए प्रति किलो से भी ऊपर के स्तर पर पहुंचने के संकेत है। इसके बारे में किसी को भ्रम भले ही हो, मगर एक विस्तृत नजरिये से देखें, तो साफ लगता है कि आने वाले वक्त में सिल्वर 1.50 लाख तो बहुत ही जल्दी पहुंच जाएगा और कोई कह नहीं सकता कि साल के अंत तक यह इस आंकड़े से भी आगे नहीं पहुंचेगा। क्योंकि सिल्वर का वैश्विक परिदृश्य वर्तमान समय में ऐतिहासिक रूप से बहुत मजबूत नजर आ रहा है। सन, 2025 में सिल्वर ने निवेश के मामले में और तेजी के मामले में भी, गोल्ड और शेयर बाजार को बहुत पीछे छोड़ दिया है, और इसकी कीमतें लगातार नए उच्चतम स्तर पर पहुंच रही हैं। दिसंबर महीने के अंत तक सिल्वर के रेट्स में तेज बढ़ोतरी, उसकी ग्लोबल सप्लाई में लगातार कमी, औद्योगिक मांग का बेतहाशा बढ़ जाना, और निवेशकों का इसकी तरफ बढ़ता रुझान, ये सब कारण ही सिल्वर को एक आकर्षक संपत्ति बना रहे हैं। माना जा रहा है कि आने वाले दौर में वैश्विक अर्थव्यवस्था में सिल्वर की भूमिका केवल बहुमूल्य मेटल तक ही सीमित नहीं रहेगी, बल्कि सिल्वर की ऊर्जा, तकनीकी विकास, सामाजिक संरचना और वित्तीय सुरक्षा के हर आयाम में एक केंद्रीय भूमिका रहेगी। वैश्विक स्तर पर सिल्वर के वर्तमान परिदृश्य की बता की जाए, तो सन 2025 में सितंबर महीने के अंत तक सिल्वर के रेट्स में लगभग 25 फिसदी से 49 फीसदी तक की सालाना बढ़त देखी गई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सिल्वर की कीमत 35 से 43 डॉलर प्रति औंस के भी पार पहुंच चुकी है, जो पिछले एक दशक का सबसे उच्च स्तर है। भारत में भी सिल्वर 1 लाख 33 हजार रुपए प्रति किलोग्राम पर ट्रेंड कर रही है, जिसमें पिछले एक वर्ष में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज हुई। वित्तीय क्षेत्र के जानकारों की राय में, दुनिया भर के प्रमुख स्टॉक मार्केट्स के इंडेक्स या गोल्ड की तुलना में सिल्वर ने बहुत बेहतर रिटर्न दिया है। गोल्ड जहां 43 फीसदी तक बढ़ा है, वहीं सिल्वर 49 फीसदी की छलांग लगा चुका है। इससे ज्यादा बढ़ोतरी बीते कई सालों में कभी नहीं देखी गई। वैश्विक स्तर पर सिल्वर के रेट्स में निरंतर बढ़ोतरी के कारणों को तलाशें, तो इसकी खपत बढऩा सबसे अहम कारण है। औद्योगिक मांग में, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, सोलर पॉवर, मेडिकल उपकरण, ग्रीन टेक्नोलॉजी व अन्य उच्च तकनीकी क्षेत्रों में सिल्वर की खपत जबरदस्त तरीके से बढ़ी है। सन 2025 में सिल्वर की 50 फीसदी से ज्यादा डिमांड इंडस्ट्री से आ रही है। इसके साथ ही सबसे बड़ा कारण यह भी है कि इसकी सप्लाई में गिरावट देखी जा रही है। सिल्वर इंस्टीट्यूट के अनुसार, यह लगातार पांचवां साल है जब विश्व स्तर पर सिल्वर सप्लाई में कमी दर्ज की जा रही है। सिल्वर में, अनुमानत: लगभग 150 मिलियन औंस की कमी दर्ज की गई है। इसके इअलावा, वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता जैसे युद्ध, आर्थिक संकट, मुद्रा अस्थिरता के समय निवेशक गोल्ड व सिल्वर दोनों को प्राथमिकता देते हैं, यह भी एक महत्वपूर्ण कारण सिल्वर के रेट्स बढऩे में रहा है। दूसरी तरफ, अमेरिकी डॉलर का कमजोर होना भी सिल्वर के रेट्स में तेजी का कारण रहा है। जानकार बताते हैं कि डॉलर में नरमी या ब्याज दरों में कटौती का सिल्वर प्राइस पर सकारात्मक असर रहता है। सिल्वर के लगातार महंगा होने की प्रवृत्ति का अध्ययन करने से साफ पता चलता है कि सन 2025 में सिल्वर की कीमतें हर बार रिकॉर्ड नई ऊंचाई को छू गई है। कॉमेक्स मार्केट में यह सितंबर के अंतिम दिनों से कुछ पहले तक 43 डॉलर प्रति औंस के स्तर का पोर कर गई थी। जबकि भारतीय मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज में सिल्वर ने 1 लाख 34,800 से ऊपर ट्रेंड किया है। भारतीय बाजार में त्यौहारी सीजन के अलावा रुपये की कमजोरी और ग्लोबल बेंचमार्क का प्रभाव भी सिल्वर की कीमतों में बढ़ोतरी का मुख्य कारण है।
सिल्वर के आगामी स्तर और संभावनाएं की बात की जाए, तो विशेषज्ञों के अनुसार, निवेशकों के लिए खुश खबरी है कि आने वाले महीनों में सिल्वर में और मजबूती बने रहने की संभावना है, इसलिए उन्हें वर्तमान में जिस रेट मे सिल्वर मिल रहा है, उस रेट में हाथ डालना चाहिए। सिटी ग्रुप, जेपी मॉर्गन, सैक्सो बैंक जैसी वैश्विक फर्मों ने 2025 के अंत तक सिल्वर के 54 से 47 डॉलर प्रति औंस तक पहुंचने के अनुमान जताए। इसके हिसाब से देखें, तो सिल्वर जल्दी ही 1 लाख 50 हजार से भी ऊपर तक ट्रेंड करता दिखे, तो कोई खास बात नहीं होगी। कहते हं कि औद्योगिक क्षेत्र में सिल्वर की बढ़ती मांग, हेजिंग, और वैश्विक अनिश्चितता जैसे महत्वपूर्ण कारण, सिल्वर को और तेज होने में सपोर्ट कर रहे हैं, जिससे आने वाली कुछ ही अवधि में सिल्वर की कीमतें और बढ़ सकती हैं, जो हाल में 1 लाख 35 हजार के पार ट्रेडिंग कर रही हैं। सिल्वर में निवेश के लिहाज से, गिरावट का इंतजार कर रहे लोगों के लिए सिल्वर के वर्तमान आसार, हतोत्साहित करने वाले हो सकते हैं, क्योंकि सिल्वर के हाई लेवल पर होने से थोड़ा सा उतार-चढ़ाव भले ही रहे, लेकिन अंतत: इसके आने वाले कुछ ही दिनों में 1 लाख 60 हजार रुपए प्रति किलो पर पहुंचने के पक्के आसार है। आगामी वर्षों में ग्रीन एनर्जी, ईवी ट्रेड, सौर पैनल तेज ग्रोथ की वजह से डिमांड बनी रहेगी और सिल्वर की कीमतें रिकॉर्ड स्तर छू सकती हैं।
इंटरनेशनल मार्केट के जानकारों की राय में, सन 2025 का साल सिल्वर के लिए ऐतिहासिक रहा है। सिल्वर के रेट्स अपना लगातार नया हाई बनाने के उच्चतम स्तर पर चल रहे हैं। इसकी मांग औद्योगिक क्षेत्र से सबसे ज्यादा चल रही है। इसके सामने सिल्वर की सप्लाई लगातार कम होती जा रही है। वर्तमान संकेतों के आधार पर इंटरनेशनल मार्केट के जानकारों को पूरी विश्वास है कि सिल्वर भविष्य में भी आकर्षक निवेश विकल्प बना रहेगा। उनका मानना है कि सिल्वर की कीमतों में मजबूती और तेज बढ़ोतरी के पूरे आसार हैं। हालांकि निवेशकों को सिल्वर बीच - बीच में थोड़ा सा झटका देता रहेगा, क्योंकि यह आम तौर पर काफी उतार-चढ़ाव वाली संपत्ति मानी जाती है। ग्लोबल आर्थिक अनिश्चितता, सप्लाई गिरावट, डॉलर में कमजोरी, और गोल्ड की तेजी जैसे महत्वपूर्ण कारक, सिल्वर के रेट्स को सपोर्ट देने वाले तो हैं ही, इसको और रफ्तार देने वाले मूल कारण बन रहे हैं। वैश्विक स्तर पर सिल्वर के उत्पादन और इसकी हर तरफ खपत के बढ़ते आंकड़ों पर एक नजर डालना भी बेहद महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि सिल्वर के हर सेग्मेंट्स इसके निवेश, औद्योगिक डिमांड और राष्ट्रीय स्तर की आर्थिक स्थिरता को प्रभावित करते हैं। दम देख रहे हैं कि सन 2024 में वैश्विक स्तर पर सिल्वर खनन उत्पादन लगभग 25 हजार मीट्रिक टन दर्ज हुआ था, जो सन 2023 के मुकाबले 0.9 फीसदी की वृद्धि माना जा रहा था। लेकिन खपत के आंकड़ेे देखें, तो सिल्वर की खपत 2023 के मुकाबले 2024 में 24 फीसदी बढ़ी। इसका मतलब साफ है कि खपत के मुकाबले सिल्वर में 23 फीसदी की कमी रही, क्योंकि उत्पादन में बढ़ोतरी तो 1 फीसदी से भी कम ही रही। मैक्सिको पूरे विश्व में सबसे बड़ा उत्पादक है। साल 2023 में वहां लगभग 6 हजार 200 टन सिल्वर का उत्पादन हुआ, जो विश्व के कुल उत्पादन का 20 फीसदी से भी अधिक है। जबकि भारत में 2024 में सिल् वर का उत्पादन करीब 700-750 मीट्रिक टन रहा। हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड भारत की सबसे बड़ी सिल्वर उत्पादक कंपनी है, जो देश का लगभग 95 फीसदी सिल्वर उत्पादन करती है। हमारे देश में राजस्थान को भारत का सबसे बड़ा सिल्वर उत्पादक राज्य माना जाता है, जहां 2024 में 43 टन, मतलब, भारतीय सिल्वर के कुल उत्पादन का 56.6 फीसदी उत्पादन रहा। उसके बाद आंध्र प्रदेश 11.5 टन, तेलंगाना 6 टन, तथा गुजरात व मध्य प्रदेश आदि में भी सिल्वर का उत्पादन होता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक अगले 2 वर्षों में भारत की सबसे बड़ी सिल्वर उत्पादक कंपनी हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड की प्रति वर्ष 1000 टन सिल्वर उत्पादन की योजना है। वैसे तो सिल्वर के उत्पादक देशों में, चीन, पेरू, चिली, रूस, ऑस्ट्रेलिया, पोलैंड, और अमेरिका आदि देश भी हैं। लेकिन इन देशों में में चीन का औद्योगिक उपयोग बहुत ऊंचा है। और खपत की बात करें, तो सिल्वर की खपत में भारत, चीन, अमेरिका जैसे देश अग्रणी हैं। भारत में सिल्वर की खपत दुनिया भर में सबसे अधिक है, लेकिन सिल्वर उत्पादन के मामले में हमारा देश वैश्विक स्तर से काफी पीछे है। हमारा देश ज्यादातर सिल्वर इंपोर्ट के जरिए अपनी जरूरतें पूरी करता है। भारत में तेजी से औद्योगिक विस्तार हो रहा है। खासकर इलेक्ट्रॉनिक्स, फोटोवोल्टिक, सोलार एनर्जी, मेडिकल,
ज्वेलरी, निवेश, और ग्रीन टेक्नोलॉजी में सिल्वर की मांग सबसे ऊंची है। एसे में सिल्वर के रेट्स घटने की तो कोई संभावना ही नहीं है।

हर तरफ तेजी से बढ़ती महंगाई के दौर में, सिल्वर जहां हर रोज नया हाई लेवल बना रहा है, तो साथ ही यह नई संभावनाओं के दरवाजे भी खोल रहा हैं। कभी कभार अचानक नीचे उतरने की संभावनाओं के बीच सिल्वर की तेज बढ़ती कीमतों ने यह भी साबित किया है कि यह गोल्ड से भी ज्यादा रिटर्न देने वाले निवेश साबित हुआ है।

सिल्वर की कीमतें सितंबर के अंत तक भले ही 1 लाख ४० हजार के पार की अब तक की सबसे टॉप की ऊंचाई पर हों, लेकिन इसके बावजूद आने वाले दिनों में इससे ऊपर जाने की संभावनाएं साफ हैं, इसी कारण सिल्वर के खरीदारों का उत्साह कम नहीं हो रहा है। सिल्वर में बढ़ोतरी के बावजूद खरीददारी की गूंज अंतरराष्ट्रीय बाजार तक सुनाई दे रही है।

दुनिया के विभिन्न देशों द्वारा गोल्ड के साथ साथ सिल्वर की खरीदी से यह साफ है कि बाजार में सिल्वर की विश्वसनीयता और आकर्षण लगातार बढ़ रहा है। बढ़ती कीमतों के बीच भी ग्राहको का यह उत्साह सिल्वर के भविष्य की मजबूती का संकेत देता है। माना जा रहा है कि आने वाले साल 2026 के अंत तक, सिल्वर 2 लाख तक भी जा सकता है।

सिल्वर के रेट्स में पिछले एक वर्ष में अप्रत्याशित बढ़ोतरी दर्ज हुई है। सिल्वर की लगातार बढ़ती खपत के के मुकाबले कम होते खनन के कारण ने सिल्वर की शाइनिंग लगातार निखर रही है। गोल्ड के मुकाबले निवेशकों को भी सिल्वर ज्यादा सही लग रहा है। क्योंकि इस साल सिल्वर ने कमाई देने के मामले में, गोल्ड से भी पीछे छोड़ दिया है।










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