top of page

सिल्वर सदा फायदे का सौदाडिमांड बढ़ती रहेगी, 3 साल में 2 लाख पर होगा सिल्वर

  • Aabhushan Times
  • Mar 13
  • 7 min read

ree

भारतीय समाज में ज्वेलरी के मामले में गोल्ड को भले ही पहली पसंद माना जाता है, लेकिन सिल्वर भी बड़े पैमाने पर पसंद किया जाता रहा है। सिल्वर के रेट्स फरवरी महीने के अंत में अब 1 लाख रुपए प्रति किलोग्राम के पास पहुंच रहे थे कि आखरी सप्ताह में ब्रेक लग गया और मार्च महीने के शुरू होते होते सिल्वर थोड़ा सा नीचे आ गया। हालांकि पिछले साल की तुलना में इसकी मांग दोगुना हो चुकी है और सिल्वर में भी गोल्ड की ही तरह रेट कोई ज्यादा गिरने की संभावना कम ही है। वैसे सिल्वर गोल्ड से आगे निकलने को बेताब है और कहा जा रहा है कि आने वाले तीन साल में ही यह 2 लाख के आस पास भी पहुंच सकता है। क्योंकि गोल्ड की 2 वैल्यू हैं, एक तो असेट वैल्यू और दूसरी ज्वेलरी वैल्यू। मगर इन दोनों के मुकाबले सिल्वर की 3 वैल्यू है, क्योंकि सिल्वर तो ज्वेलरी और असेट के साथ साथ इंडस्ट्रीयल सेक्टर में भी बड़े पैमाने पर उपयोग होने लगा है। फिर खपत बढ़ती ही जा रही है, और खनन कम हो रहा है। मतलब, सिल्वर की ज्वेलरी, असेट और इंडस्ट्रीयल वैल्यू होने के साथ साथ खनन की कमी से भी इसके रेट बढ़ रहे हैं। लेकिन इस विषय को विस्तार से समझने की जरूरत है कि सिल्वर की डिमांड आखिर क्यों बढ़ रही है? हालांकि, बढऩे के कारण समझने से ज्यादा जरूरी है कि सिल्वर फायदे का सौदा है, तथा इसकी बढ़ती डिमांड और रेट सिल्वर को एक स्थिर निवेश विकल्प के रूप में स्थापित कर रहे हैं।


सिल्वर का भविष्य उज्जवल है। यह भविष्य का सबसे महत्वपूर्ण खनिज है। इसकी तेजी से बढ़ती मांग इस बात की गवाह है कि इसका भविष्य सिल्वर की तरह ही शाइनिंग वाला है, अर्थात चांदी की तरह ही चमकदार। फिलहाल देखें, तो सिल्वर की कीमतें अब 1 लाख रुपए प्रति किलोग्राम के पार पहुंच रही हैं, और ज्वेलरी सहित इंडस्ट्रीयल सेक्टर में भी बड़े पैमाने पर इसका उपयोग होने से पिछले साल की तुलना में इसकी डिमांड भी डबल हो चुकी है। ज्वेलरी के लिहाज से दखें, तो गोल्ड जैसे जैसे महंगा होता जा रहा है, सिल्वर ज्वेलरी की डिमांड तेजी से बढ़ रही है। आने वाले वक्त में सिल्वर ज्वेलरी का बाजार तेजी से बढ़ेगी क्योंकि गोल्ड के मुकाबले यही एक मात्र वेल्यूएबल वैकल्पिक ज्वेलरी मानी जाती रही है, जो कि पहले भी थी और आगे भी रहेगी। वैसे भी भारत में सिल्वर ज्वेलरी का कारोबार निरंतर बढ़ रहा है और निर्यात के क्षेत्र में भी यह अपनी मजबूत पहचान बना रहा है। पारंपरिक हस्तकला, आधुनिक डिज़ाइन और सरकार की सहायक नीतियों के कारण यह उद्योग आने वाले समय में और अधिक विस्तार की ओर अग्रसर है। ज्वेलरी उद्योग में तो सिल्वर सदा से ही एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है, जो पारंपरिक और आधुनिक दोनों तरह की डिज़ाइनों में उपलब्ध है। सिल्वर ज्वेलरी का आकर्षण इसकी किफायती कीमत, सुंदरता और बहुउद्देश्यीय उपयोगिता के कारण भी बढ़ा है। युवा वर्ग में गोल्ड के बजाय सिल्वर ज्वेलरी की पसंदगी बढ़ी है।


सही मायने में देखें, तो ज्वेलर भले ही सिल्वर को ज्वेलरी तथा सामाजिक दृष्टिकोण के नजरिये से देखता है, क्योंकि उनका व्यापार उसी पर टिका है, लेकिन बुलियन विक्रेता सिल्वर को अलग तथा बेहद व्यापाक नजरिये से देखते हैं। अत: सिल्वर के गणित को समझने के लिए बुलियन बिजनेस की की गहन दृष्टि जरूरी है। बुलियन विक्रेता के नजरिये से सिल्वर को देखा जाए, तो सिल्वर यह महज पारंपरिक ज्वेलरी के उपयोग की जरूरत ही नहीं रहा, बल्कि इंडस्ट्रीयल सेक्टर में सिल्वर का व्यापक पैमाने पर उपयोग होने लगा है। पूरी दुनिया में बिजली के मुकाबले सोलर एनर्जी का उपयोग बढ़ रहा है। डीजल और पेट्रोलियम से संचालित होने वाले वाहनों के मुकाबले इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की डिमांड भी लगातार बहुत तेजी से बढ़ती जा रही है।आज दुनिया के हर देश में हर व्यक्ति के हाथ में मोबाइल फोन है और हर घर के हर कमरे में टीवी, हर पढ़े लिखे के पास कंप्यूटर और लैपटॉप है, तो हर शरीर कोई न कोई बीमारी के लिए दवा ले रहा है। ऐसे में दुनिया भर में सोलर पैनल्स, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों तथा एडवांस हेल्थकेयर जैसे सेक्टर भी बहुत तेजी से पनपते जा रहे हैं औरउनमें बढ़ती सिल्वर की इंडस्ट्रीयल डिमांड भी इसकी कीमतों में तेजी से इजाफा कर रही है। सिल्वर का ज्वेलरी से लेकर सोलर, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स तथा हेल्थ केयर जैसे विभिन्न क्षेत्रों में खपत का यह अनूठा संयोजन ही इसे न केवल कीमती बल्कि औद्योगिक तौर पर अत्यधिक उपयोगी बनाता है, तथा इसके रेट तेजी से भी बढझ़ा रहा है। यही वजह है कि सिल्वर निवेशकों को भी अपनी ओर उतना ही तेजी से आकर्षित कर रहा है, जितना कि इसकी चमक लुभाती है। बाजार का सिद्धांत है कि किसी भी वस्तु की जब जब डिमांड बढ़ती है और उसके मुकाबले सप्लाई शॉर्ट होती है, तो उसके रेट बढ़ते हैं। सिल्वर के बारे में भी यही एक खास बात है कि सिल्वर की सप्लाई और डिमांड के बीच का अंतर भी लगातार बढ़ता जा रहा है, जिससे इसके रेट में और बढ़ोतरी होती डजा रही है तथा आने वाले सालों में भी डिमांड और बढेगी, सप्लाई कम ही रहेगी, तो ऐसे में निश्चित तौर पर सिल्वर के रेट बढ़ते रहने की की संभावना बनी हुई है। ऐसे में सिल्वर जैसे जैसे महेगा होता जा रहा है, इसकी ज्वेलरी सेक्टर में डिमांड भी लगातार बढ़ रही है। गोल्ड की बढ़ती कीमतों के बीच सिल्वर एक अपेक्षाकृत कम खर्चीला और आकर्षक विकल्प बन गया है। लोग अब सिल्वर की ज्वेलरी को न केवल फैशन बल्कि निवेश के रूप में भी देख रहे हैं।चांदी की ज्वेलरी में पारंपरिक, आधुनिक और फ्यूजन डिज़ाइन की विविधता देखने को मिलती है। कुंदन, ऑक्सीडाइज़्ड, टेम्पल और ट्राइबल डिज़ाइन युवाओं को आकर्षित कर रहे हैं।ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के माध्यम से सिल्वर ज्वेलरी की बिक्री में इज़ाफा हुआ है। डिजिटल प्लेटफॉर्म्स ने छोटे कारीगरों को भी अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचने का अवसर प्रदान किया है। आजकल लाइटवेट और स्टेटमेंट पीसेज की मांग अधिक है, जिसे सिल्वर ज्वेलरी पूरी करती है। इसे ऑफिस वियर, कैजुअल वियर और पार्टी वियर के रूप में आसानी से अपनाया जाता है। एक्सपोर्ट के सिल्वर को मामले में देखें, तो भारत सिल्वर ज्वेलरी का एक प्रमुख निर्यातक बन चुका है। राजकोट, जयपुर, सूरत, अहमदाबाद, कोलकाता और मुंबई जैसे शहर सिल्वर ज्वेलरी उद्योग के प्रमुख केंद्र हैं। भारतीय हस्तकला और डिज़ाइन की विविधता ने वैश्विक बाजार में विशेष पहचान बनाई है।हाल के वर्षों में अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और मध्य पूर्व में भारतीय सिल्वर ज्वेलरी की मांग बढ़ी है। भारतीय ज्वेलरी में प्राचीन कला और आधुनिक डिज़ाइन का अनूठा संयोजन इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय बनाता है। फिर, सरकार ने जेम्स एंड ज्वेलरी सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए कई नीतियां लागू की हैं। निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए शुल्क में कटौती, प्रोत्साहन योजनाएं और जीएसटी में राहत दी गई है।भारत के पारंपरिक कारीगर सिल्वर ज्वेलरी को विशिष्टता प्रदान करते हैं। उनके द्वारा तैयार किए गए जटिल डिज़ाइन और हस्तनिर्मित आभूषण अंतरराष्ट्रीय बाजारों में विशेष मांग में हैं।आधुनिक तकनीकों जैसे सीएडी और 3डी प्रिंटिंग का उपयोग करके नई और आकर्षक डिज़ाइनों का निर्माण किया जा रहा है। इससे दूसरे देशों के मुकाबले सिल्वर केवेलरी के निर्यात में भारत को प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिल रहा है।


भारत में सिल्वर की बढ़ती मांग के मद्देनजर देखें, तो खनन प्रक्रिया में पहले सिल्वर का उत्पादन बड़ा ही मुश्किल होता था, लेकिन तेजी से ताकतवर हुई तकनीक और वैश्व्क स्तर के प्रोफेशनल इंजीनियर्स की कोशिशों से भारत अब दुनिया के सबसे बड़े सिल्वर प्रोड्यूसर देशों में से एक है। माना जा रहा है कि सरकार की नीतियां जिस तरह से सिल्वर प्रोडक्शन को सहायता कर रही है, उससे भारत सिल्वर प्रोडक्शन में वैश्विक स्तर पर पहले पायदान पर पहुंच सकता है, और अपना संपूर्ण उत्पादित सिल्वर अगर सरकार भारत में ही बेचने की नीति भी बनाती है, तो सरकार का यह कदम सिल्वर की भारत में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा तो दोगा ही, सिल्वर की कीमतों को भी कुछ हद तक कम करने में मदद करेगा।


लेकिन इंटरनेशनल लेवल पर देखा जाए, तो खास बात यह है कि उसकी इंडस्ट्रीयल खपत के लगातार बढऩे से सिल्वर में वैल्यू एडिशन होता जा रहा हा तथा इसकी कीमतों के कम होने की संभावना बहुत ही कम है, क्योंकि भारत के औद्योगिक विकास में ही देश का आर्थिक विकास निहित है। ऐसे में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत अब दुनिया भर में सोलर पैनल्स, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों तथा एडवांस हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स के निर्यात का केंद्र भी बनता जा रहा है, दुनिया के कई देश भारत से ये सारे सामान मंगवा रहे हैं, तो बहुत तेजी से पनपते जा रहे इस सेक्टर में बढ़ती सिल्वर की इंडस्ट्रीयल डिमांड भी इसकी कीमतों में तेजी से इजाफा करती रहेगी, इसलिए सिल्वर सस्ता होगा, यह धारणा ही गलत है। सिल्वर बुलियन का अध्ययन करनेवाले जानकार कहते हैं आनेवाले कुछ ही सालों में सिल्वर दोगुना भी हो सकता है, अर्थात फिलहाल 1 लाख रुपए प्रति किलोग्राम है, तो अगले 3 साल में ही 2 लाख रूपए तक भी सिल्वर जा सकता है।


ree

हमारे देश में लोगों में सिल्वर पर भी इस परगोल्ड जितना ही भरोसा है, बल्कि कुछ मामलों में तो सिल्वर गोल्ड से भी ज्यादा कमाई देने वाला साबित हुआ है। सरकार ने भी हर घर सोलार का प्लान तैयार किया है, तो इसकी खपत बढग़ी ही, इसी कारण जानकारों की नजर में सिल्वर बहुत तेजी पकड़ता हुआ आने वाले ढाई – तीन साल में ही 2 लाख की रफ्तार पकड़ सकता है।



ree

जयंत जैन- जीएम मॉड्यूलर-मुंबई


भारत में सिल्वर की डिमांड लगातार बढ़ रही है, वह कभी कम नहीं होगी, तो फिर इसके रेट कम कैसे हो सकते हैं। मेरे हिसाब से सिल्वर का भविष्य बहुत उज्जवल है और निकट भविष्य में भी रेट तो कम नहीं होंगे।






ree

विकास जैन - सिल्वेरियो अर्टेसा प्रा. लि.


सिल्वर की औद्योगिक डिमांड बढ़ रही है, ज्वेलरी में तो सिल्वर की डिमांड सदा से ही रही है,  सामान्य घरेलू उपयोग में भी सिल्वर की पहले से ज्यादा उपयोग में आ रहा है, तो सिल्वर के रेट भी कमाई दे रहे हैं।






ree

चिंतन राठौड - ओ सी ऑर्नामेन्ट्स


सिल्वर के लगातार चमकते रहने का एक बड़ा कारण, इसका लगातार बढ़ा जा रहा उपयोग है। हालांकि, सिल्वर कभी भी नेगेटिव ट्रेंड में नहीं रहा। इसीलिए आने वाले कुछ ही साल में इसके रेट दुगने हो सकते हैं।






ree

विनय शोभावत - आनंद दर्शन सिल्वर्स


सिल्वर के रेट लंबे वक्त के लिए कम तो कभी नहीं हुए, लेकिन गोल्ड के मुकाबले सिल्वर ज्यादा कमाई देता रहा हैं। इसीलिए गोल्ड की तरह सिल्वर पर भी निवेशकों व ज्वेलरी खरीददारों का भरोसा मजबूत बना हुआ है।

Comentarios


Top Stories

Bring Jewellery news straight to your inbox. Sign up for our daily Updates.

Thanks for subscribing!

  • Instagram
  • Facebook

© 2035 by Aabhushan Times. Powered and secured by Mayra Enterprise

bottom of page