सिल्वर ज्वेलरी की चमकभारत सहित वैश्विक स्तर पर विकसित होती सिल्वर की सेल
- Aabhushan Times
- Jun 13
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सिल्वर ज्वेलरी उद्योग भारत और वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ रहा है। गोल्ड की बढ़ती कीमतों ने सिल्वर को एक किफायती और स्टाइलिश विकल्प बनाया है। सिल्वर ज्वेलरी उद्योग का वर्तमान परिदृश्य प्रगति की तरफ जा रहा है तथा इसका तेज विकास हो रहा है। हालांकि हर विजनेस की तरह इसमें भी कुछ चुनौतियों के बावजूद भविष्य की संभावनाएं उज्जवल हैं।
सिल्वर ज्वेलरी उद्योग का परिदृश्य तेजी से बदल रहा है। भारत में सिल्वर ज्वेलरी का कारोबार बढऩे के आसार हैं तथा इसी कारण देश के ज्यादातर बड़े ज्वेलर्स सहित हर स्तर के ज्वेलर्स अपने स्टॉक में सिल्वर ज्वेलरी बढ़ाने की तरफ बढ़ रहे हैं। भारत और वैश्विक स्तर पर गोल्ड की कीमतों में निरंतर वृद्धि के साथ, सिल्वर और सिल्वर-गोल्ड फ्यूजन ज्वेलरी ने उपभोक्ताओं के बीच अपनी जगह बनाई है। सिल्वर की किफायती कीमत, इसकी चमक, और डिजाइनों के आकर्षण ने इसे फैशन और परंपरा दोनों के लिए एक लोकप्रिय विकल्प बना दिया है। सिल्वर बिजनेस और सिल्वर ज्वेलरी उद्योग के वर्तमान परिदृश्य में हालांकि चुनौतियों का अंबार भी है, लेकिन सभी को भविष्य में उज्जवल संभावनाओं के आसार दिख रहे हैं। भारत में सिल्वर ज्वेलरी की मांग विशेष रूप से मजबूत है, क्योंकि यह सांस्कृतिक और सामाजिक परंपराओं का हिस्सा है। भारत में सिल्वर की कीमतें हाल ही में 1 लाख रुपए के पार रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंची, फिर भी गोल्ड की तुलना में कहीं अधिक किफायती है। इस किफायती कीमत ने सिल्वर को मध्यम और निम्न-आय वर्ग के उपभोक्ताओं के लिए एक आकर्षक विकल्प बना दिया है। इसी वजह से भारत में सिल्वर की मांग सदा से अच्छी रही है।
भारत में सिल्वर ज्वेलरी की मांग का पारंपरिक व सांस्कृतिक महत्व भी है। सिल्वर को भारतीय संस्कृति में शुभ माना जाता है। अब तक यह अपनी ज्वेलरी फॉर्मेट में विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत लोकप्रिय रहा है, जहां इसे विवाह, धार्मिक समारोहों, और अन्य अवसरों पर पहना जाता है। लेकिन अब युवा पीढ़ी तथा धनी लोगों में में भी इसे ज्वेलरी के रूप में बड़े पैमाने पर आपनाया जाना लगा है। हालांकि दुनिया के काफी प्रगतिशील देशों में तो सिल्वर ज्वेलरी के रूप में पहले ही व्यापाक पैमाने पर चलन में है। सटीक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन अनुमानों के अनुसार, भारत में सिल्वर ज्वेलरी का सालाना कारोबार लगभग 20 से 25 हजार करोड़ रुपये का है। यह आंकड़ा ज्वेलरी उद्योग के कुल बाजार का एक हिस्सा है, जिसका भारत की जीडीपी में 6-7 फीसदी का योगदान है। भारत में सिल्वर की मांग मुख्य रूप से ज्वेलरी, इन्वेस्टमेंट, और इंडस्ट्रील उपयोग में है, जिसमें ज्वेलरी की हिस्सेदारी करीब 50 फीसदी है। इंटरनेशनल ज्वेलरी रिपोर्ट्स देखें, तो हाल के वर्षों में, सिल्वर ज्वेलरी की सेल में 8 से 10 फीसदी की सालाना वृद्धि हो रही है। इंडिया बुलियन एंड जूलर्स एसोसिएशन (इब्जा) के सूत्रों के अनुसार, भारतीय ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छी पैदावार और बढ़ती आय के कारण सिल्वर की डिमांड बढ़ रही है। इसके अलावा, सिल्वर के रेट्स में गोल्ड की तुलना में अस्थिरता भले ही हो, लेकिन इसकी अपेक्षाकृत लागत इसे मध्यम और निम्न-मध्यम वर्ग के लिए आकर्षक बनाती है। भारत में सिल्वर ज्वेलरी बाजार विशेष रूप से जीवंत है। यहां कुछ प्रमुख रुझान वैडिंग और फैस्टिवल सीजन की मांग पर ज्यादा देखने को मिलते हैं। जून 2025 में शादियों के लिए सिल्वर ज्वेलरी की खरीदारी में वृद्धि देखी जा रही है। वैश्विक स्तर पर, सिल्वर ज्वेलरी का लगभग 22 से 25 अरब डॉलर अर्थात, लगभग 2 लाख करोड़ रुपये का अनुमानित कारोबार है, जिसमें भारत, चीन, और अमेरिका जैसे देश प्रमुख बाजार हैं। सिल्वर की डिमांड वैश्विक स्तर पर ज्वेलरी में लगभग 40 से 45 फीसदी मानी जाती हैं। मेक्सिको, पेरू, और बोलीविया जैसे देश सिलव्वर के प्रमुख उत्पादक हैं। भविष्य में, सिल्वर ज्वेलरी की मांग में वृद्धि की संभावना है। नई तकनीक और डिजाइन्स ने इसकी लोकप्रियता को ज्यादा बढ़ाया है। हालांकि, खदानों से ज्वेलरी निकालने की प्रक्रिया की लागत में वृद्धि और सप्लाई की कमी से इसके रेट्स में अस्थिरता आ सकती है। फिर भी, गोल्ड के मुकाबले सिल्वर का किफायती होना और फैशन ट्रेंड्स के साथ साथ मीडिल क्साल में बढ़ती डिमांड सिल्वर को एक आकर्षक विकल्प बनाए रखेगी।
सिल्वर की कीमतें गोल्ड की तुलना में काफी कम हैं, जिससे यह उपभोक्ताओं के लिए अधिक सुलभ है। सिल्वर का लचीलापन विभिन्न डिजाइनों, जैसे न्यूनतम, बोहेमियन, और पारंपरिक शैलियों, के लिए उपयुक्त बनाती है। 2024 में, सिल्वर ज्वेलरी में हल्के डिजाइन, राशि थीम, और रत्न-जडि़त ज्वेलरी की मांग बढ़ी है। यूके और अमेरिका में विंटेज और बोहेमियन शैली की सिल्वर ज्वेलरी काफी लोकप्रिय हैं, जबकि ऑस्ट्रेलिया में कस्टम-निर्मित सिल्वर ज्वेलरी की मांग बढ़ रही है। ई-कॉमर्स और डिजिटल मार्केटिंग ने भी इसे नये आयाम प्रदान किए हैं। आजकल सिल्वर ज्वेलरी की बिक्री में ऑनलाइन चैनलों की हिस्सेदारी बढ़ी है। उपभोक्ता अब ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स परबीबड़े पैमाने पर सिल्वर ज्वेलरी की खरीदारी कर रहे हैं। सिल्वर की रिसाइक्लिंग 2025 में 200 मिलियन औंस को पार करने की उम्मीद है, जो 2012 के बाद सबसे अधिक है। एक खास बात ये भी है कि सिल्वर के रोगाणुरोधी गुणों के साथ बाजार में पेश किया जा रहा है, बड़े पैमाने पर इसकी मार्केटिंग शीतलता के गुण तत्व के साथ की जा रही है। जिससे इसकी मांग बढ़ रही है। हालांकि सिल्वर ज्वेलरी उद्योग में वृद्धि की संभावनाएं हैं, लेकिन कई चुनौतियां भी हैं। इन चुनौतियों पर कीमतों में स्थिरता आने पर ही पार पाया जा सकता है। वैसे, सिल्वर की कीमतों में 2023-2024 में 15त्न की वृद्धि हुई, जो औसतन 25 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गई। यह औद्योगिक मांग, निवेश रुझान, और राजनीतिक तनावों के कारण है। कीमतों में उतार-चढ़ाव ने सिल्वर में लाभ मार्जिन को प्रभावित किया है, जिससे व्यवसायों के लिए योजना बनाना कठिन हो गया है। फिर डिमांड के मुकाबले सप्लाई में कमी भी एक बड़ा कारण रहा है। वर्तमान में सिल्वर की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला काफी विफरीत असर देखा गया है। जिसके कारण सिल्वर ज्वेलरी के उत्पादन और वितरण में देरी हुई। भारत में, हाल के एक सर्वेक्षण में पता चला कि 66 फीसदी सिल्वर ज्वेलरी में 70 तक मिलावट पाई जाती रही है। यह सर्वे, उपभोक्ता विश्वास को प्रभावित करने में सफल रहा है, अत: ज्वेलर्स को सिल्वर ज्वेलरी की विश्वसनीयता के बारे में भी गहन चिंता करना होगी। इसके साथ ही आर्टिफिशियल ज्वेलरी के साथ ही स्टेनलेस स्टील और टाइटेनियम की ज्वेलरी में बढ़ती स्वीकार्यता भी सिल्वर ज्वेलरी उद्योग के लिए चुनौती बन रही है। सिल्वर ज्वेलरी उद्योग में आने वाली इस चुनौती को रणनीतिक प्रतिक्रिया के तहत जवाब दिया जा सकता है, जैसे मार्केटिंग, नए नए डिजाइंस आदि। ज्वेलर्स सिल्वर की भावनात्मक और सांस्कृतिक अपील को बढ़ावा दे रहे हैं, जिससे इसकी बढ़ती उच्च कीमतों को उचित ठहराया जा सके। फिर लोकल और पर्सनल मार्केटिंग की पहल के तहत कस्टमाइज्ट ज्वेलरी उपभोक्ताओं को आकर्षित कर रही हैं। उत्पाद विविधीकरण के तहत सिल्वर में भी ज्वेलर्स हल्के डिजाइनों, रत्न-जडि़त ज्वेलरी, और ऑक्सीडाइज्ड सिल्वर ज्वेलरी जैसे नए उत्पाद पेश कर रहे हैं। रोजमर्रा के पहनने के लिए हल्के और मिक्स-एंड-मैच गहनों की मांग बढ़ रही है। सिल्वर ज्वेलरी की सेल बढ़ाने के लिए ज्वेलर्स प्रचार कर रहे हैं रेट में छूट दे रहे हैं और माल उधार देने को बी तायारी दिखा रहे हैं। मतलब कि कस्टमर्स को हर प्रकार के विकल्प प्रदान कर रहे हैं ताकि खरीददीर के लिए सिल्वर ज्वेलरी अधिक सुलभ हो। ज्वेलरी मार्केट के ज्यादातर एक्सपर्ट्स का कहना है कि सिल्वर ज्वेलरी उद्योग का भविष्य उज्ज्वल है, लेकिन आने वाले वक्त में कुछ चुनौतियों का सामना भी करना होगा। दुनिया में सिल्वर ज्वेलरी के उभरते बाजार आम तौर पर एशिया-प्रशांत, लैटिन अमेरिका, और अफ्रीकी देश हैं, जहां, बढ़ती डिस्पोजेबल इन्कम सिल्वर ज्वेलरी की मांग को बढ़ाएगी।
डिजाइन और उत्पादन में तकनीकी प्रगति, जैसे थ्री-डी प्रिंटिंग और एआइ आधारित डिजाइन, सिल्वर ज्वेलरी उद्योग को और अधिक ऊंचाऊ प्रदान करने को तत्पर है। एक खास बात यह भी है कि भारत के लिए मिडिल ईस्ट और दक्षिण अमेरिका जैसे बाजारों में सिल्वर ज्वेलरी के निर्यात को बढ़ाने की अपार संभावनाएं हैं। माना जा रहा है कि आने वाला वक्त सिल्वर ज्वेलरी का है तथा अनुकूल मार्केट ट्रेंड्स इस उद्योग की छवि को मजबूत करेगा। वैसे, सिल्वर बिजनेस और सिल्वर ज्वेलरी उद्योग तेजी से विकसित हो रहा है, जो किफायती कीमतों, फैशन रुझानों, और तकनीकी नवाचारों से प्रेरित है। हालांकि सिल्वर की कीमतों में अस्थिरता और आपूर्ति श्रृंखला की चुनौतियां बनी हुई हैं, सिल्वर ज्वेलरी उद्योग ने खास किस्म की मार्केटिंग, उत्पाद का नवीनीकरण, और डिजिटल परिवर्तन के माध्यम से इनका सामना किया है। भारत में, सिल्वर ज्वेलरी की सांस्कृतिक और आर्थिक प्रासंगिकता इसे एक महत्वपूर्ण बाजार बनाती है, जबकि वैश्विक स्तर पर सिल्वर ज्वेलरी के उभरते बाजार और स्थिरता पर ध्यान इस उद्योग के विकास को बढ़ावा देगा। जैसे-जैसे उपभोक्ता प्राथमिकताएं बदल रही हैं, सिल्वर ज्वेलरी उद्योग न केवल अपनी चमक बरकरार रखेगा, बल्कि वैश्विक और भारतीय अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण योगदान देगा। इसीलिए भारतीय ज्वेलर्स भी गोल्ड ज्वेलरी की कम होती खपत के बीच सिल्वर ज्वेलरी की तरफ बढ़ रहे हैं तथा उसी तरह से खरीददार भी उसी तरफ कदम बढ़ा रहे हैं। अगर यही ट्रेंड जारी रहा, तो आने वाल वक्त में देश में गोल्ड ज्वेलरी के विकल्प के रूप में सिल्वर ज्वेलरी बड़ी तेजी से उसकी जगह ले सकती है।

नितेश जैन - पर्पल ज्वेल्स प्रा. लि.
भारत ही नहीं, दुनिया भर में सिल्वर ज्वेलरी बीते किछ सालों में गोल्ड ज्वेलरी के एक मजबूत किफायती विकल्प के रूप में उभरी है। नई पीढ़ी, विशेष रूप से 20 से 40 वर्ष के आयु वर्ग में सिल्वर आधुनिक डिजाइनों को बेहद पसंद किया जा रहा हैं। इसी कारण ज्वेलर्स के बीच सिल्वर ज्वेलरी का भविष्य उज्जवल माना जा रहा है।

पन्नालाल गुलेच्छा - जीअमी सिल्बर एलएलपी
भारत में सिल्वर ज्वेलरी का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है। यही नहीं, दुनिया भर के विभिन्न देशों में भी सिल्वर ज्वेलरी का कारोबार समान गति से बढ़ रहा है और इसका भविष्य उज्जवल दिखाई दे रहा है, क्योंकि गोल्ड के लगातार महंगा होने तथा मध्यम वर्ग में इसे पसंद किए जाने से सिल्वर ज्वेलरी कारोबार में बढ़ोतरी निश्चित है।

कमलेश जैन - एसएनटी सिल्वर ज्वेलरी
गोल्ड ज्वेलरी के कारोबारी भी तेजी से सिल्वर ज्वेलरी की तरफ बढ़ रहे हैं, क्योंकि गोल्ड के रेर्ट्स बढ़ जाने से गोल्ड ज्वेलरी की सेल धीमी हो गई है। सिल्वर ज्वेलरी के किफायती रेट्स, और ग्रामीण लाकों सहित नई पीढ़ी की पसंद ने भारत सहित वैश्विक स्तर पर इसके उभरते बाजार को तेज किया है, तथा भविष्य में इसमें और मजबूती दिखेगी।

सुरेन्द्र जैन - एलएम लाइफस्टाइल
भारत में सिल्वर ज्वेलरी का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है। वैश्विक स्तर पर भी, सिल्वर ज्वेलरी की मांग में बढ़ती हुई है। गोल्ड की ऊंची कीमतों ने उसे निवेश का मेटल बनाया है, तो खरीददारों के बदलते रुझानों के कारण ज्वेलर्स भी सिल्वर ज्वेलरी की ओर आकर्षित हो रहे हैं। भविष्य में, इस उद्योग के और तेजी से विकसित होने के आसार हैं।
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