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गोल्ड के रेट हाई, सिल्वर भी तेजी मेंफिर भी हर साल,ज्वेलरी इंडस्ट्री की तेज चाल

  • Aabhushan Times
  • Aug 19
  • 7 min read
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गोल्ड व सिल्वर की बढ़ती कीमतों के बावजूद, ज्वेलरी की सेल में कमी नहीं बल्कि वृद्धि होगी, ऐसा माना जा रहा है। इसके कई खास कारण हैं। हमारे देश में ज्वेलरी का केवल सांस्कृतिक और भावनात्मक महत्व ही नहीं है। यह केवल पहनने का किसी एक वस्तु से कहीं ज़्यादा है। लोग गहनों को निवेश, परंपरा, और अपनी पहचान का प्रतीक मानते हैं।

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अगस्त 2025 में भारत में गोल्ड और सिल्वर की कीमतें और पिछले तीन महीनों का आकलन देखें, तो भारत में अगस्त 2025 के पहले सप्ताह में 24 कैरेट गोल्ड की कीमत 1 लाख 3 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम को पार कर चुकी है, जबकि सिल्वर 1 लाख 15 हजार रुपये प्रति किलोग्राम के आसपास ट्रेंड कर रहा है। यह वृद्धि वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं, मुद्रास्फीति, और भारतीय रुपये के कमजोर होने के कारण हुई है। पिछले तीन महीनों, मई से जुलाई 2025 की बाच में गोल्ड और सिल्वर की कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई। मई 2025 में 24 कैरेट गोल्ड की कीमत लगभग 99 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम थी, जो जून में 1लाख 630 रुपये और जुलाई में 1 लाख 1 हजार 159 रुपये तक पहुंची। सिल्वर की कीमतें भी मई में 94 हजार 600 रुपये प्रति किलोग्राम से शुरू होकर जुलाई में 1 लाख 17 हजार 100 रुपये तक पहुंच गईं। गोल्ड व सिल्वर के रेट्स में वैश्विक स्तर पर यह वृद्धि इन दोनों मेटल की लगातार बढ़ती वैश्विक मांग, दुनिया के लगभग सभी केंद्रीय बैंकों की गोल्ड की खरीदारी, रूस-यूक्रेन और इजराइल-हमास युद्धों सहित विभिन्न देशों के बीच राजनीतिक तनावों और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कई देशों पर लगाए टैरिफ के कारण हुई है। भारत में एक कारण  यह भी माना जा रहा है कि त्यौहारों जैसे अक्षय तृतीया और शादी के सीजन ने गोल्ड की मांग को और बढ़ाया, जिससे इसकी कीमतों में कुछ तेजी आई। हालांकि, जुलाई के अंत में कुछ इंटरनेशनल मार्केट विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया कि गोल्ड की कीमतों में 25 प्रतिशत तक की गिरावट संभव है, लेकिन जानकारों की यह भविष्यवाणी सटीक नहीं रही। हालंकि इंटरनेशनल मार्केट विशेषज्ञों का सिल्वर में 13 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान सही साबित हुआ, क्योंकि औद्योगिक मांग और निवेशकों की रुचि बढ़ी। इन तीन महीनों में कीमतों का उतार-चढ़ाव लोकल टैक्स, मेकिंग चार्ज, और वैश्विक बाजार की अस्थिरता पर निर्भर रहा। भारत में गोल्ड और सिल्वर की कीमतें लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन के बेंचमार्क और भारतीय रुपये में परिवर्तन के आधार पर तय होती हैं।

गोल्ड और सिल्वर की बढ़ती कीमतों के ज्वेलरी मार्केट पर प्रभाव को देखें, तो गोल्ड और सिल्वर की तेजी से बढ़ती कीमतों ने भारतीय ज्वेलरी मार्केट पर कुछ वक्त पहले से बेहद नकारात्मक प्रभाव डालना शुरू किया है। सभी जानते हैं कि इन दोनों की उच्च कीमतों के कारण ग्राहकों की खरीदारी की क्षमता कम हुई है, जिससे ज्वेलरी की बिक्री में कमी आई। छोटे और मझोले ज्वेलर्स को विशेष रूप से नुकसान हुआ, क्योंकि ग्राहक महंगी ज्वेलरी की जगह सस्ती और कम वजन वाली ज्वेलरी के विकल्प तलाश रहे हैं। ज्वेलरी शोरूम्स में ग्राहकों की घटती संख्या ने ज्वेलर्स के मुनाफे को प्रभावित किया है, और कई छोटे व्यवसायों को कैंश क्रंच की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। इस स्थिति से निपटने के लिए ज्वेलर्स लाइटवेट ज्वेलरी पर ध्यान दे रहे हैं, जिसमें कम मेटल का उपयोग हो और किफायती भी हो। 22 कैरेट गोल्ड की जगह अब 18 कैरेट गोल्ड और 925 स्टर्लिंग सिल्वर से बनी हल्की डिजाइनें, जैसे पेंडेंट, चेन, और मिनिमलिस्ट ज्वेलरी, ग्राहकों को आकर्षित कर रही हैं। इसके अलावा, ज्वेलर्स डिजिटल मार्केटिंग और ई-कॉमर्स के माध्यम से भी ग्राहकों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। देश के कुछ मझोले शहरों में कुछ ज्वेलर्स ने किश्तों में भुगतान और डिस्काउंट ऑफर भी शुरू किए हैं, ताकि ग्राहकों को गोल्ड व सिल्वर ज्वेलरी की खरीदारी के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। हालांकि, जीएसटी और अन्य टैक्स ने ज्वेलरी की लागत को और बढ़ाया है, जिससे ग्राहकों का रुझान कम हुआ है।

वैश्विक स्तर पर गोल्ड की कीमतों में वृद्धि के कारण और 2026 तक गोल्ड की रेट में बढ़ोतरी के अनुमान की बात करें, तो वैश्विक स्तर पर गोल्ड की कीमतों में वृद्धि के कई कारण हैं। 2026 के अंत तक, विशेषज्ञों का अनुमान है कि गोल्ड 3550 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकता है, जो भारत में लगभग 1 लाख 15 से 1 लाख 25 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम के बराबर पहुंच सकता है। यह अनुमान वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता, मुद्रास्फीति, और मांग-आपूर्ति के असंतुलन पर आधारित है। हालांकि, कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यदि वैश्विक अर्थव्यवस्था स्थिर होती है, तो कीमतें 3200 डॉलर से नीचे भी गिर सकती हैं। भारत में त्योहारों और शादी के मौसम के कारण मांग बनी रहेगी, जिससे कीमतों में और वृद्धि हो सकती है। वर्तमान में गोल्ड बढ़ते रेट का एक कारण तो है, राजनीतिक तनाव, जैसे रूस-यूक्रेन और इजराइल-हमास युद्ध  ने दुनिया भर के निवेशकों को गोल्ड को सुरक्षित संपत्ति के रूप में गोल्ड की ओर आकर्षित किया है। दूसरा, अमेरिकी डॉलर और उच्च मुद्रास्फीति ने गोल्ड को मुद्रा अवमूल्यन के खिलाफ बचाव का विकल्प बनाया है। तीसरा, दुनिया के कई देशों के केंद्रीय बैंकों, द्वारा गोल्ड की खरीदारी और विशेष रूप से चीन और पोलैंड की बहुत ज्यादा खरीददारी ने मांग को बढ़ाया है। उदाहरण के लिए, चीन ने 2025 में 13 टन सोना खरीदा, जिससे उसका भंडार 2,292 टन हो गया। इसके अलावा गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स अर्थात गोल्ड ईटीएफ की मांग ने भी इसकी कीमतों को ऊपर की ओर तेजी से धकेला है।

सिल्वर की बहुत तेजी से बढ़ती कीमतों को भी गहरी नजर से देखना काफी जरूरी है। सन 2026 के अंत तक, सिल्वर की कीमतें 45 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकती है, जो भारत में लगभग 1 लाख 30 हजार से 1 लाख 35 हजार रुपये प्रति किलोग्राम तक की ऊंचाई पर पहुंच सकती है। सोलार एनर्जी और इलेक्ट्रॉनिक्स में सिल्वर का वैश्विक स्तर पर बढ़ता उपयोग भी इसकी कीमतों को और बढ़ाएगा। सिल्वर ज्वेलरी की मांग बढ़ रही है, क्योंकि यह गोल्ड की तुलना में सस्ती है और सिल्वर  के आकर्षक ज्वेलरी डिजाइन भी उपलब्ध हैं। इसके अलावा, सिल्वर कॉइंस और बार तथा सिल्वर की मूर्तियां तथा बर्तन भी निवेश के लिए काफी लोकप्रिय हैं। सिल्वर की कीमतों में बढ़ोतरी के पीछे कई कारक हैं। पहला, औद्योगिक मांग, विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स, सौर ऊर्जा, और चिकित्सा उपकरणों में, ने सिल्वर की मांग को बढ़ाया है। दूसरा, गोल्ड की तुलना में सिल्वर की किफायती कीमतों ने निवेशकों और ज्वेलरी खरीदारों को इसकी ओर आकर्षित किया है। तीसरा, सिल्वर की आपूर्ति की कमी, क्योंकि 2025 में मांग 1.20 अरब औंस होने का अनुमान है, जबकि आपूर्ति केवल 1.05 अरब औंस ही रहने का अनुमान है। चौथा कारण है, वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और कमजोर मुद्रा ने सिल्वर को एक आकर्षक निवेश बनाया है।

खास बात यह है कि बहुत तेजी से बढ़ते गोल्ड और काफी ऊंचाई पर चढ़ते सिल्वर के कारण घटती ग्राहकी के बीच भी ज्वेलरी ज्वेलरी इंडस्ट्री को सम्हालने में ज्वेलर्स की आत्मशक्ति तथा वनवैश्विक स्तर पर भारतीय ज्वेलरी को शिखर पर पहुंचाने में जेम्स एंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी) के योगदान की भी अहम भूमिका है, तो भारत सरकार की निर्यात नीतियों ने भी इस इंडस्ट्री को अपनी जगह टिके रहने में सहारा दिया है। इस वित्तीय वर्ष में भारत की ज्वेलरी इंडस्ट्री में 70 हजार करोड़ रुपये के व्यवसाय का अनुमान है, जिसमें गोल्ड, सिल्वर, और डायमंड ज्वेलरी शामिल हैं। इस वृद्धि में आइआजेएस ज्वेलरी एग्जिबिशन की महत्वपूर्ण भूमिका रही है, जो ज्वेलर्स, डिजाइनरों, और खरीदारों को एक वैश्विक मंच प्रदान करती है। आइआजेएस ज्वेलरी एग्जिबिशन गोल्ड, सिल्वर, और डायमंड ज्वेलरी के नए डिजाइनों, कारीगरी, और बाजार के रुझानों का आईना है, जिससे वैश्विक स्तर पर बारतीय ज्वेलरी इंडस्ट्री को बढ़ावा मिला है। जेम्स एंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी) ने ज्वेलरी इंडस्ट्री को संगठित करने, ज्वेलरी के  एक्सपोर्ट को बढ़ाने, और क्वालिटी स्टेंडर्ड को लागू करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। जीजेईपीसी ने डिजिटल प्लेटफॉर्म और इंडरनेशनल लेवल पर ज्वेलरी एग्जिबिशन के माध्यम से भारतीय ज्वेलरी को वैश्विक बाजार में काफी बढ़ावा दिया है। लाइट वेट और किफायती ज्वेलरी पर ध्यान देते हुए सस्टेनेबल और एथिकल ज्वेलरी की मांग, भी ज्वेलरी इंडस्ट्री को नई दिशा दे रही है। उच्च कीमतों के बावजूद, भारत में गोल्ड व सिल्वर को सहेजने की परंपरागत संस्कृति और इसके निवेश के महत्व के कारण ज्वेलरी की मांग बनी रहेगी। जीजेईपीसी का लक्ष्य 2025-26 में निर्यात को 50 बिलियन डॉलर तक ले जाना है, जो ज्वेलरी इंडस्ट्री के लिए सकारात्मक संकेत है।

माना कि गोल्ड व सिल्वर लगातार महंगे होते जा रहे हैं, लेकिन यह भी निश्चित है कि दुनिया भर में इन दोनों की सेल कम नहीं होगी, बल्कि और बढ़ेगी, क्योंकि ज्वेलरी सदा से लोगों की पहली पसंद रही है। समस्त विशेव के रेट देखें, तो गोल्ड व सिल्वर की कीमतों में वृद्धि के बावजूद, इनकी मांग वैश्विक स्तर पर बढ़ रही है। सांस्कृतिक महत्व, निवेश की सुरक्षा और फैशन की अपील इसमें बढ़ोतरी के हालात को सुनिश्चित करती है। दुनिया भर में, खासकर भारत और चीन जैसे विकासशील देशों में लोगों की क्रय शक्ति बढ़ रही है। बढ़ती आय के कारण, लोग अब लग्जरी वस्तुओं पर खर्च करने में सक्षम हैं, और ज्वेलरी भी इनमें से एक हैं। आर्थिक स्थिरता लोगों को महंगी खरीदारी करने का विश्वास देती है, जिससे सोने और चांदी की बढ़ती कीमतों का असर कम होता है। तो आर्थिक अस्थिरता का माहौल भी लोगों को गोल्ड व सिल्वर की खरीदारी करने को प्रेरित करता है क्योंकि ये दोनों ही मेटल आर्थिक कमजोरी के हालात में सबसे बड़ा सहारा बनते हैं। कुल मिलाकर, गोल्ड व सिल्वर तथा इनसे बनी ज्वेलरी केवल मेटल नहीं हैं, बल्कि यह एक भावनात्मक और आर्थिक ताकत रखते हैं। यही कारण है कि गोल्ड व सिल्वर की बढ़ती कीमतों के बावजूद इनकी मांग कम होने की बजाय और बढ़ेगी।

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गोल्ड व सिल्वर की कीमतें बहुत तेजी से बढ़ती जा रही हैं। गोल्ड 1 लाख 3 हजार रुपए प्रति 10 ग्राम के पार तथा सिल्वर 1 लाख 15 हजार रुपए प्रति किलो से भी आगे का लेवल छू गया है। लेकिन इन दोनों, गोल्ड व सिल्वर की मांग में कमी की संभावना बहुत कम है, इनके रेट बढ़ेंगे फिर भी सेल कम नहीं होगी।

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अजीत जैन - माणक ज्वेलर्स प्रा. लि.

गोल्ड व सिल्वर के महंगा होने का वैश्विक स्तर पर ज्वेलरी मार्केट पर कुछ दिनों के लिए नकारात्मक असर जरूर रहा। लेकिन दीर्घकालीन नजरिये से देखें, तो इनके रेट बढऩे का कोई विशेष असर नहीं होगा। दुनिया भर में ज्वेलरी की सेल बढ़ाने के लिए लाइट ज्वेलरी की खरीदी ग्राहकों को लुभाने की सफल कोशिश साबित हो रही है।

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भारत में ज्वेलरी इंडस्ट्री को सम्हालने में आइआइजेएस ज्वेलरी एग्जिबिशन की हमेशा से महत्वपूर्ण भूमिका रही है। गोल्ड, सिल्वर तथा डायमंड ज्वेलरी इंडस्ट्री के लिए यह खुशखबर है कि भारत में ज्वेलरी इंडस्ट्री की प्रतिनिधि संस्था जीजेईपीसी को इस साल 70 हजार करोड़ के ज्वेलरी बिजनेस का अनुमान है। दुनिया भर के लिए भारत ज्वेलरी निर्यात का बड़ा सेंटर है।

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वैश्विक स्तर पर गोल्ड तथा सिल्वर के महंगा होने के कारण बहुत हैं, लेकिन इनकी सेल के लगातार जारी रहने के भी कई खास कारण हैं। आने वाले साल 2026 के अंत तक गोल्ड और भले ही महंगा हो सकता है और सिल्वर के रेट भी बढ़ेंग। लेकिन भारत जैसे देश में, जहां ज्वेलरी की खरीदी को शुभ माना जाता है, इसकी सेल चलती रहेगी।

 
 
 

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