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गोल्ड में तेजी बरकरारज्वेलरी में ग्राहकी धीमी, मगर बुलियन में तेजी

  • Aabhushan Times
  • Sep 12
  • 8 min read
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राकेश लोढ़ा

गोल्ड के लगातार तेजी पकड़े रहने के वास्तविक कारणों का विश्लेषण करने वालें एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह तेजी बरकरार रहेगी और साल के अंत तक 1 लाख 15 हजार के पार भी पहुंच सकती है। गोल्ड की कीमतों में 2025 की लगातार तेजी के पीछे कई वास्तविक कारण हैं, जो आर्थिक, जियोपॉलिटिकल और मार्केट डायनामिक्स से जुड़े हैं।


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गोल्ड के रेट्स में 2025 में लगातार तेजी देखी जा रही है, जो निवेशकों के लिए खुशी की वजह बनी हुई है, लेकिन सामान्य उपभोक्ताओं और ज्वेलरी खरीदारों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो रही है। अगस्त 2025 के अंत तक अंतरराष्ट्रीय बाजार में गोल्ड की कीमतें 3400 से 3500 प्रति औंस के बीच घूमती रही, जो भारतीय मार्केट में गोल्ड को सीधे 1 लाख 6 हजार के भी पार लेकर आगे बढ़ गईं। इस साल की शुरुआत से अब तक के केवल 8 महीनों में गोल्ड में लगभगग 28 प्रतिशत की बढ़ोतरी दिखा रही है। लेकिन इस सबके बीच हमारे ज्वेलर्स बेहत दबाव हैं। ज्वेलरी में ग्राहकी है नहीं और भले ही आइआइजेएस ज्वेलरी एग्ज्बिशन बहुत ही शानदार रहा, मगर उसके बाद गोल्ड के रेट्स में अचानक बहुत ही तेज बढ़ोतरी आने से बाजार से ज्वेलरी के ग्राहक गायब हैं। लेकिन इसके विपरीत बुलियन में ग्राहकी चल रही है, क्योंकि निवेशकों में उत्साह तथा विश्वास दोनों है क्योंकि गोल्ड में भविष्य की उज्जवल संभावनाओं से निवेशक जरूर आकर्षित हो रहे हैं।


भारतीय समाज में, गोल्ड सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व रखता है। गोल्ड के रेट्स में यह उछाल निवेशकों को आकर्षित कर रहा है, क्योंकि गोल्ड ने अन्य एसेट क्लास जैसे स्टॉक या बॉन्ड्स की तुलना में बहुत ही बेहतर रिटर्न दिए हैं। उदाहरण के लिए, वल्र्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट के अनुसार, 2025 की पहली छमाही में गोल्ड ने अमेरीकी डॉलर की गणनामें 26 प्रतिशत रिटर्न दिया, जो निवेशकों को सुरक्षित निवेश के रूप में अब भी आकर्षित कर रहा है, क्योंकि इसके लगातार और ऊपर जाने के संकेत साफ दिख रहे हैं। निवेशक, खासकर संस्थागत और रिटेल इनवेस्टर्स, गोल्ड ईटीएफ और फ्यूचर्स में बढ़ी हुई दिलचस्पी दिखा रहे हैं, क्योंकि यह मुद्रास्फीति और जियोपॉलिटिकल अनिश्चितताओं से बचाव की ताकत देता है।


हालांकि, ज्वेलरी की ग्राहकी यानी उपभोक्ता स्तर पर खरीदारी में धीमापन आया है। गोल्ड के रेट्स में बहुत ही जेती के साथ बढ़ी उच्च छलांग के कारण ज्वेलरी की डिमांड में 50 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है, जैसा कि वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की 2025 के दूसरे क्वार्टर की रिपोर्ट में उल्लेखित है। वैश्विक जानकारों के मुताबिक भारतीय बाजार में गोल्ड की कुल डिमांड 2025 में बड़े पैमाने पर तक गिर सकती है, जो पिछले 5 सालों का सबसे निचला स्तर होगा। कारण स्पष्ट है क्योंकि गोल्ड के रेट्स में रिकॉर्ड हाई लेवल ने आम उपभोक्ताओं को असमंजस में डाल दिया है। लोग सोच रहे हैं कि क्या गोल्ड अभी खरीदें या उसकी कीमतें गिरने का इंतजार करें। त्यौहारों के सीजन जैसे दीपावली से पहले बाजारों में नई तैयारी शुरू हो गई है, लेकिन गोल्ड़ जेवलरी की बनावट में डिस्काउंट्स बढ़ाने पड़ सकते हैं ताकि खरीदारों को लुभाया जा सके। 


गोल्ड के मामले में भारतीय बाजारों में भी आम तोर पर काफी दबाव का ट्रेंड हैजहां माना जा रहा है कि गोल्ड के प्रति औंस 3500 अमरीकी डॉलर से ऊपर की कीमतों ने डिमांड को दबा दिया है। भारत में, गोल्ड इंपोर्ट पर निर्भर करता है। हमारे देश में इसके उच्च कीमतें इंपोर्ट केलेवल को कम कर रही रही हैं, जो ट्रेड डेफिसिट को प्रभावित कर सकता है। फिर डॉलर के रेटेस भी लगातार आसमान छू रहे हैं, तो गोल्ड के रेट्स कम होने आसान नहीं है।ऐसे में गोल्ड में बहुत पहले निवेश कर चुके कमाई करने वाले निवेशकों की खुशी के बावजूद, ज्वेलरी सेक्टर में स्लोडाउन से रोजगार और छोटे व्यापारियों पर असर पड़ रहा है। मुंबई सहित देश भर के ज्वेलर्स हैरान है कि बाजार से ग्हारकी मंदी की तरफ बढ़ रही है। कुल मिलाकर, ज्वेलरी के बाजार में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। इंटरनेशनल मार्केट में आने वाले वक्त में इस साल के अंत तक गोल्ड के रेट्स कहां तक जाएंगे, इस पर ज्यादातर एक्सपर्ट तेजी की तरफ ही एकमत हैं। इंटरनेशनल मार्केट में गोल्ड की कीमतें 2025 के अंत तक कुछ और ऊपर जाने की संभावनाएं जताई जा रही हैं, और ज्यादातर एक्सपर्ट्स इस पर सहमत हैं कि आने वाले कुछ ही महीनों में गोल्ड इंटरनेशनल मार्केट 3500 से बहुत आगे जाकर 3700 अमरीकी डॉलर प्रति औंस का स्तर छू सकते हैं। गोल्ड के इंटरनेशनल मार्केटके एक रिसर्च के अनुसार, 2025 के अंत तक गोल्ड 3675 अमरीकी डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकता है, जो ट्रेड अनिश्चितताओं और जियोपॉलिटिकल रिस्क्स पर आधारित है। इसी तरह, गोल्डमैन रिसर्च ने अपना अनुमान कई बार रिवाइज किया है और अब 3700अमरीकी डॉलर प्रति औंस का लक्ष्य रखा है। क्चस् का पूर्वानुमान 3500 अमरीकी डॉलर प्रति औंसहै, जबकि इनवेस्ट हेवन 3500 अमरीकी डॉलर प्रति औंसका लक्ष्य दे रहा है, जो 2026 में 3900 अमरीकी डॉलर प्रति औंसतक बढ़ सकता है।


इंटरनेशमल मार्केट में गोल्ड एनालिस्ट्स का औसत अनुमान 2025 के अंत तक कुछ नीचे आने के मामले में गोल्ड के रेट्स 3324 अमरीकी डॉलर प्रति औंसतक अल्प समय के लिए नीचे ऊपरतने के संकेत दे रहे है, साथ ही उनका यह भी कहना है कि साल के अंत में यह 27 प्रतिशत ऊपर यानी 3500 अमरीकी डॉलर प्रति औंससे ज्यादा भी हो सकता है। बुलियन वॉल्ट्स के सर्वे में भी तेजी बताई जा रही है। गोल्ड मार्केट के इंटरनेशनल एक्सपर्ट्स का मानना है कि फेडरल रिजर्व के रेट कट्स, कमजोर अमरीकी डॉलर और सेंट्रल बैंक खरीदारी इस बढ़ोतरी को सपोर्ट करेगी। उदाहरण के लिए, लाइट फाइनेंसके एनालिस्ट्स भले ही नीचले स्तर पर 3292 अमरीकी डॉलर प्रति औंसका अनुमान दे रहे हैं, लेकिन मिक्स्ड फोरकास्ट्स में ज्यादातर मार्केट तेजी के मामले में बेहद पॉजिटिव हैं। वल्र्ड गोल्ड काउंसिल के एक्सपर्ट्स का कहना है कि 2025 में गोल्ड की कीमतें स्थिर रहेंगी, लेकिन कुछ वक्त के लिए अमरीकी डॉलर में उतार - चढ़ाव के कारण ये रेट्स कुछ कट होने के मामले में क्राइसिस में बढ़ा सकते हैं।


कुल मिलाकर, ज्यादातर एक्सपर्ट्स अमरीकी डॉलर प्रति औंस3500 से 3700 के रेंज में गोल्ड के रेट्स के मामले में सहमत हैं। हालांकि कुछ असहमति के स्वर गोल्ड मेंरेट्स के मामले में अनुमान 3200 से 3300 अमरीकी डॉलर प्रति औंसत नीचे उतरने के संकेत भी दे हैं। यह पूर्वानुमान ट्रंप एडमिनिस्ट्रेशन की टैरिफ पॉलिसीज और ग्लोबल इकोनॉमिक स्लो डाउन पर निर्भर हैं। यदि अमरीकी डॉलर केरेट कट्स होते हैं, तो गोल्ड 3700 अमरीकी डॉलर प्रति औंसका अब तक का सबसे अहम आंकड़ा पार कर सकता है, लेकिन यदि इकोनॉमी रिकवर होती है, तो गोल्ड पर थोड़ा सा दबाव पड़ सकता है। फिर भी भारत में उसके रेट 1 लाख रुपए से नीचे नीचे जाने के आसार बेहद कम ही माने जा रहे हैं। गोल्ड में दुनिया भर में तेजी के सबसे प्रमुख कारण जियोपॉलिटिकल टेंशन्स हैं, जैसे डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसीज, जो ट्रेड वॉर्स को बढ़ावा दे रही हैं। अमरीकी कोर्ट के ट्रंप के टैरिफ पर कड़े शब्दों के बाद भी सुधार न होना इस बात का संकेत है कि गोल्ड पर दुनिया की इकॉनोमी टिकी है, तो फिर कम होना असंभव सा लगता है। वैश्विक गोल्ड मार्केट के कई रिसर्चर्स का दावा है कि, ताजा हालात सेंट्रल बैंक्स को गोल्ड रिजर्व्स बढ़ाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। सेंट्रल बैंक खरीदारी रिकॉर्ड स्तर पर है, तथा वल्र्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट में 2025 में जियोपॉलिटिकल अनिश्चितता, स्टॉक मार्केट वोलेटिलिटी और अमरीकी डॉलर की कमजोरी को गोल्ड में तोजी का प्रमुख ड्राइवर्स बताया गया है। गोल्ड में तेजी का दूसरा कारण वैश्विक स्तर पर लगभग सभी देशों की मुद्रास्फीति और इंटरेस्ट रेट कट्स की उम्मीदें हैं। इंटरनेशनल एक्सपर्ट्स का कहना है कि किसी भी तरह की क्राइसिस में गोल्ड की डिमांड बढ़ती है, जो उसकी कीमतें ऊपर ले जाती हैं। 


ट्रेड अनिश्चितताओं को हाईलाइट करते हुए गोल्ड मार्केट के विश्लेषक बताते हैं कि अमरीकी डॉलर की वैश्विक कमजोरी और रेंजबाउंड रेट्स ने इन्वेस्टमेंट डिमांड को बूस्ट दिया है। एशियन मार्केट्स में रिटेल बाइंग और ईटीएफ इनफ्लोज ने भी गोल्ड की कीमतें 3500 अमरीकी डॉलर प्रति औंसत पहुंचाने में भारी मदद की हैं। तीसरा कारण भी अहम है कि सॉवरेन डेब्ट कंसर्न्स और मिलिट्री एस्केलेशन्स गोल्ड को सेफ हेवन बनाते हैं। स्टेट्स स्ट्रीट ग्लोबल एडवाइजर्स की रिपोर्ट में सेंट्रल बैंक डिमांड को दशक भर की सबसे बड़ी तेजी बताया गया है। हमारे देश भारत में भी रिजर्व बैंक ऑफ इंडियाके गोल्ड रिजर्व्स बढऩे से गोल्ड की डिमांड में सपोर्ट मिल रहा है। इस तरह के इंटरनेशनल विश्लेषणों से स्पष्ट है कि शॉर्ट टर्म के थोड़े से उतार - चढ़ाव के बावजूद गोल्ड अपनी तेजी को बनाए रखेगा। हमने देखा है कि भारतीय जनमानस में गोल्ड की तरफ आकर्षण सदा से रहा है, तथा गोल्ड की संपत्ति के रूप में ताकत हमेशा से बरकरार रही है। लेकिन खरीदी कम हो रही है, जिससे ज्वेलर्स परेशान हैं। इसके बावजूद ज्वेलर्स का विश्वास है कि गोल्ड का सदियों पुराना आकर्षण भारतीय जनमानस में आगे भी निरंतर रहने वाला है, जो सांस्कृतिक, भावनात्मक और आर्थिक रूप से गहरा जुड़ा है। हमारे देश में गोल्ड को संपत्ति के रूप में देखा जाता है, जो मुद्रास्फीति से बचाव और विरासत का प्रतीक है। सन 2025 में भी यह ताकत बरकरार है, जैसा कि वल्र्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट्स से पता चलता है कि गोल्ड ने 28 प्रतिशत सालाना रिटर्न दिया हैं। हालांकि, इसका वर्तमान में ऑल टाइम हाई कीमतें ज्वेलरी की खरीद को कम कर रही हैं, जिससे गोल्ड की कुल डिमांड गिर सकती है। वैसे माना जा रहा है कि यदि गोल्ड की खरीद कम हुई, तो कई प्रभाव होंगे, जिसमें सबसे पहला प्रभाव यही होगा कि इसके रेट भारत में और बढ़ेंगे।


साफ तौर पर दिख रहा है कि गोल्ड के रेट बढ़ते रहने से ज्वेलरी इंडस्ट्री प्रभावित होगी, क्योंकि ज्वेलर्स की कमाई कम होगी, तो रोजगार के अवसर कम हो सकते हैं, छोटे व्यापारी मुश्किल में पड़ेंगे और बाजार कुछ वक्त के लिए परेशानी में रहेगा। लेकिन इनवेस्टमेंट डिमांड बढ़ सकती है, क्योंकि जनमानस में गोल्ड का आकर्षण तो रहेगा, लेकिन ज्वेलरी के बजाय वह आकर्णष बुलियन में बदल सकता है, डिजिटल गोल्ड या बॉन्ड्स की तरफ भी शिफ्टिंग हो सकती है। लॉन्ग टर्म में, गोल्ड की ताकत बरकरार रखते हुए अर्थव्यवस्था संतुलित हो सकती है, लेकिन शॉर्ट टर्म में उपभोक्ता सेंटिमेंट कैशियस रहेगा। वर्तमान हालात में गोल्ड के रेट्स के बढ़ते रहने का विश्लेषण यही है कि गोल्ड की ताकत बरकरार रहेगी, तेजी भी बरकरार रहेगी। हालांकि आने वाले कुछ समय तक के लिए इसकी डिमांड ज्वेलरी में धीमी पड़ सकती है। मगर, इस साल के अंत तक गोल्ड और महंगा महंगा हो सकता है, क्योंकि बाजार के तथ्य यही है कि गोल्ड में तेजी से ज्वेलर शांत हैं, लेकिन आश्वस्त हैं कि गोल्ड की चमक फीकी नहीं होगी, इसी कारण बाजार धीमी ग्राहकी से उभरेगा, भले ही इसके रेट्स बढ़ते रहें।


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सुरेश जैन- रॉयल चेन्स


भारत में गोल्ड की डिमांड इन दिनों कम दिख रही है, ज्वेलर्स हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं तथा बाजार में ग्राहकी धीमी है। लेकिन गोल्ड के रेट्स बढऩे में आने वाले दिनों में ग्लोबल फैक्टर्स इसमें और बढ़ोतरी करेंगे। सो, साल के अंत तक गोल्ड1 लाख 15 हजार तक तक जा सकता है।


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मनोज जैन- शांती गोल्ड इन्टरनैशनल लि.


गोल्ड के रेट्स मेंहाल के दौर में दिख रही तेजी और लगातार हो रही बढ़ोतरी सन 2025 में दुनिया भर के देशों के बीच छीड़ी आर्थिक व राजनीतिक अस्थिरता, दुनिया भर के सेंट्रल बैंकों की लगातार खरीदी और विभिन्न अनिश्चितताओं से प्रेरित है, जो जारी रहने की संभावना है।


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रिंकु बाफना - लक्ष्मी गोल्ड


वर्तमान में 1 लाख 6 हजार के पार पहुंच चुकी गोल्ड की कीमतों को, फेडरल रेट कट्स से कुछ और बूस्ट अप मिल सकता है। कुछ और तेजी के साथ इस साल के अंत तक गोल्ड 1 लाख 15 हजार तर पहुंच सकता है, मगर नीचे उतरा तो 1 लाख के आसपास भी रह सकता है।


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कांतिलाल सोलंकी - संगम चेन्स एन ज्वेल्स


गोल्ड मार्केट के एक्सपर्ट्स कहते हैं कि यदि ट्रेड वॉर्स बढ़ा, तो गोल्ड इंटरनेशनल मार्केट में प्रति औस 3700 अमरीकी डॉलर का आंकड़ा भी पार कर सकता है। लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ, तो जहां है, वहीं स्थिर भी रह सकता है। मतलब साफ है कि गोल्ड सस्ता होना संभव नहीं है।


 
 
 

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