दुनिया भर में ज्वेलरी का बढ़ता बिजनेसभारतीय ज्वेलर्स को भी अपनी सोच विकसित करना जरूरी
- Aabhushan Times
- Sep 13
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भारतीय ज्वेलरी उद्योग वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना रहा है, और इसका सालाना एक्सपोर्ट लगातार बढ़ रहा है। ज्वेलरी बिजनेस में एक्सपोर्ट करने वाले बड़ी कमाई कर रहे हैं एवं अपना बिजनेस भी लगातार बढ़ा रहे हैं। भारतीय ज्वेलरी की पहचान दुनिया भर में कायम हो रही है तथा इसमें जो ज्वेलर्स दिल, दिमाग और दूरदर्शिता से काम कर रहे हैं, वे छोटे व मझोले ज्वेलर्स के लिए नए मानक गढ़ रहे हैं। माना कि गोल्ड व सिल्वर दोनों ही महंगे होते जा रहे हैं, लेकिन जो वक्त के साथ आगे नहीं बढ़ेगा, समय के साथ स्वयं को नहीं बदलेगा, उसे तो समाप्त ही होना है, यही प्रकृति का नियाम है। अत: गोल्ड व सिल्वर के तेजी से बढ़ते रेट्स के बीच सर पर हाथ धर कर, ग्राहकी न होने व धंधा नहीं होने का रोना रोते तो नहीं रहा जा सकता। सभी को किसी भी हाल में बिजनेस तो करना ही है, साथ ही अपने बिजनेस को विकसित भी करना है। इसलिए ज्वेलरी के क्षेत्र में हर स्तर के ज्वेलर को हर स्तर पर अपनी अपनी क्षमता के अनुरूप नए आयाम स्थापित करने होंगे। क्योंकि दुनिया भर के देशों में भारतीय ज्वेलरी की दीवानगी सर चढ़ कर बोल रही है।
भारतीय ज्वेलरी एक्सपोर्ट बिजनेस का भविष्य उज्ज्वल है। गोल्ड व सिल्वर के रेट्स चाहे कितने भी बढ़ जाएं, दुनिया भर में भारतीय ज्वेलरी के प्रति दीवानगी देखते हुए वर्तमान हालात में यह स्पष्ट है कि यह उद्योग भारतीय अर्थव्यवस्था का एक मजबूत स्तंभ बन गया है। भारतीय ज्वेलरी का लगातार बढ़ता एक्सपोर्ट न केवल भारत की आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रही है, बल्कि दुनिया भर में भारतीय कारीगरी और डिजाइन की मांग को भी दर्शाती है। जेम एंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, भारत का ज्वेलरी एक्सपोर्ट सालाना आधार पर उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज कर रहा है।उदाहरण के लिए, 2023-24 में भारत के कुल एक्सपोर्ट में जेम एंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा। इस वृद्धि का मुख्य कारण डायमंड, गोल्ड ज्वेलरी, सिल्वर ज्वेलरी और रंगीन रत्नों की बढ़ती वैश्विक मांग है। विशेष रूप से, कट और पॉलिश किए गए डायमंड के एक्सपोर्ट में भारत की वैश्विक हिस्सेदारी 50 प्रतिशत से अधिक है, जो इसे इस क्षेत्र में एक निर्विवाद लीडर बनाता है।इस वृद्धि का एक जो सबसे प्रमुख कारण है, वह यही है कि भारतीय ज्वेलर्स द्वारा अपनाई गईआधुनिक तकनीक और इंटरनेशनल मानकों के प्रति उनका समर्पण। ज्वेलरी के क्षेत्र में, अब भारतीय ज्वेलर्स केवल पारंपरिक डिजाइन तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे टाइमलेस और वेस्टर्न फ्यूजन डिजाइनों पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जो अमेरिका, यूरोप और मध्य पूर्व जैसे बाजारों में अधिक चलन में हैं। इससे भारत के ज्वेलरी बिजनेस की संभावनाएं और भी तेजी के साथ लगातार बढ़ रही हैं। छोटे और मध्यम स्तर के ज्वेलर्स भी अब ई-कॉमर्स और ऑनलाइनप्लेटफॉर्म केजरिए वैश्विक ग्राहकों तक पहुंच बना रहे हैं, जिससे उनके बिजनेस का दायरा केवल घरेलू बाजारों तक सीमित नहीं है। सरकार की ज्वेलरी एक्सपोर्ट समर्थन नीतियां औरविशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) भी इसके विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। ये सभी कारक मिलकर भारतीय ज्वेलरी उद्योग के लिए एक मजबूत और टिकाऊ भविष्य का निर्माण कर रहे हैं।
भारत में कई ज्वेलर्स बिजनेस के मामले में केवल अपने शोरूम तक ही सीमित रहते हैं और स्थानीय ग्राहकों पर ही निर्भर करते हैं। हालांकि, ज्वेलरी के वैश्विक बाजार में अपार संभावनाएं हंह जिन्हें भुनाया जा सकता है। बड़ी सोच का बड़ा जादू का सिद्धांत भारतीय ज्वेलर्स के लिए अत्यधिक प्रासंगिक है। उन्हें अपनी सोच का विस्तार करना होगा और केवल घरेलू ग्राहकों के बजाय इंटरनेशनल मार्केट्स को भी लक्ष्य बनाना होगा। यह सिर्फ बड़े व्यापारिक घरानों के लिए ही नहीं, बल्कि छोटे और मध्यम आकार के ज्वेलर्स के लिए भी आजकल तो बेहद आसानी से संभव है। उन्हें इंटरनेशनल मानकों और डिजाइनों को अपनाना होगा। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म, ई-कॉमर्स वेबसाइट और सोशल मीडिया का उपयोग करके वे सीधे विदेशी ग्राहकों तक पहुंच सकते हैं। इसके अलावा, वे इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म पर पंजीकरण कर सकते हैं ताकि वे विदेशी आयातकों और वितरकों के साथ जुड़ सकें। सरकार की सहायता योजनाओं, जैसे कि एक्सपोर्ट प्रोत्साहन कार्यक्रमों का लाभ उठाकर वे अपने ज्वेलरी उत्पादों को विदेशों में भी बेच सकते हैं। इस दिशा में कदम उठाने से न केवल उनके व्यक्तिगत बिजनेस में वृद्धि होगी, बल्कि भारत की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी। एक छोटी सी दुकान भी अपनी अनूठी कला और डिजाइन के साथ वैश्विक बाजार में अपनी पहचान बना सकती है, यदि उसके मालिक की सोच वैश्विक हो।
भारतीय ज्वेलरी अपनी विविधता और अद्वितीयता के लिए जानी जाती है। यहां विभिन्न प्रकार की ज्वेलरी का उत्पादन और एक्सपोर्ट किया जाता है, जिनमेंगोल्ड के ज्वेलरी, डायमंड के ज्वेलरी, सिल्वर के ज्वेलरी और रंगीन रत्न शामिल हैं। इनमें से,डायमंड और गोल्ड के ज्वेलरी का एक्सपोर्ट सबसे अधिक होता है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा डायमंड कटिंग और पॉलिशिंग केंद्र है, और हमारे कट और पॉलिश किए गए डायमंड का एक्सपोर्ट कुल ज्वेलरी एक्सपोर्ट का एक बड़ा हिस्सा है। इसके बाद गोल्ड के ज्वेलरी आती हैं, जिसकी मांग अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात और हांगकांग जैसे देशों में बहुत अधिक है।भारत में लगभग20,000 से अधिक पंजीकृत ज्वेलरी एक्सपोर्टर हैं, जिनमें छोटे कारीगरों से लेकर बड़े कॉर्पोरेट घराने शामिल हैं। ये एक्सपोर्टर ज्वेलरी के क्षेत्र में अपनी विशेष विशेषज्ञता के आधार पर दुनिया भर के विभिन्न बाजारों को लक्षित करते हैं। उदाहरण के लिए, मुंबई और सूरत के एक्सपोर्टर मुख्य रूप से डायमंड पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जबकि जयपुर के एक्सपोर्टर रंगीन रत्नों और सिल्वर के आभूषणों के लिए प्रसिद्ध हैं। ज्वेलरी एक्सपोर्ट से होने वाला लाभ कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे कि गोल्ड और डायमंड की अंतरराष्ट्रीय रेट्स, एक्सचेंज रेट्स, और निर्माण की लागत। हालांकि, यह उद्योग भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में महत्वपूर्ण योगदान देता है।ज्वेलरी एक्सपोर्ट से होने वाला लाभ न केवल ज्वेलरी व्यापारियों की आय बढ़ाता है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती दे रहा है। ज्वेलरी बिजनेस के विकास का लाभ इसकी व्यापारिक चेन में शामिल सभी लोगों तक पहुंचता है, जिसमें बुलियन विक्रेता, कारीगर, डिजाइनर और सेल्सपर्सन और ज्वेलर्स सभी शामिल हैं।
भारतीय ज्वेलरी की सुंदरता और कारीगरी ने दुनिया भर के लोगों को आकर्षित किया है। पारंपरिक भारतीय डिजाइन, जैसेकुंदन, पोल्की, और मीनाकारी, अपनी जटिलता और बारीकियों के लिए प्रसिद्ध हैं। इसके अलावा, भारत अब फ्यूजन और समकालीन डिजाइनों में भी अग्रणी है, जो इंटरनेशनल फैशन ट्रेंड्स के साथ मेल खाते हैं। हमारे देश की ज्वेलरी की इस वैश्विक लोकप्रियता को बढ़ावा देने में इंटरनेशनल ज्वेलरी एग्जिबिशनों का बड़ा हाथ है। ये एग्जिबिशन भारतीय ज्वेलर्स को अपने उत्पादों को सीधे विदेशी खरीदारों और उपभोक्ताओं के सामने प्रदर्शित करने का अवसर देती हैं।दुनिया की सबसे बड़ी और प्रतिष्ठित ज्वेलरी एग्जिबिशन में से कुछ, जैसे हांगकांग इंटरनेशनल डायमंड, जेम एंड पर्ल शो और जेसीके लास वेगास ज्वेलरी शो जैसी एग्जिबिशन में भारतीय पवेलियन हमेशा आकर्षण का केंद्र होते हैं। इन आयोजनों में भाग लेने से भारतीय ज्वेलर्स को न केवल नए व्यापारिक संबंध बनाने का मौका मिलता है, बल्कि वे इंटरनेशनल बाजार की मांग और डिजाइन प्रवृत्तियों को भी समझ पाते हैं। इसी तरह से इंडिया में होने वाले 'इंडिया इंटरनेशनल ज्वेलरी शोÓ अर्थात आइआइजेएस जैसी एग्जिबिशन हमारी ज्वेलरी कोवैश्विक स्तर पर पहुंचाने में बड़ी मददगार रही है। इसके अलावा, ये एग्जिबिशन भारतीय ज्वेलरी ब्रांडों की वैश्विक पहचान स्थापित करने में भी मदद करती हैं, जिससे भारत को ज्वेलरी मेकिंग हब के रूप में मान्यता मिल रही है। इन एग्जिबिशन के अलावा, ऑनलाइन बिजनेस प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया मार्केटिंग ने भी भारतीय ज्वेलरी को वैश्विक दर्शकों तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे इसकी वैश्विक पहुंच और भी व्यापक हुई है।
ज्वेलरी बिजनेस भारत में सबसे बड़े रोजगार पैदा करने वाले क्षेत्रों में से एक है। यह लाखों परिवारों की आजीविका का साधन है, जिनमें कारीगर, डिजाइनर, व्यापारी, और विक्रेता शामिल हैं।प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से, यह उद्योग लाखों लोगों को रोजगार दे रहा है।लगभग 50 लाख से अधिक लोग इस उद्योग से सीधे जुड़े हुए हैं, जिनमें से एक बड़ा हिस्सा कुशल कारीगरों का है। सूरत में डायमंड की कटाई और पॉलिशिंग में लाखों कारीगर कार्यरत हैं, जबकि जयपुर और अन्य शहरों में पारंपरिक ज्वेलरी बनाने वाले कारीगरों की संख्या भी लाखों में है। मुंबई में भी लगभग 1 लाख के आसपास कारीगर ज्वेलरी कारीगरी से जुड़े हैं। यह बिजनेस न केवल बड़े शहरों में, बल्कि छोटे कस्बों और गांवों में भी रोजगार प्रदान कर रहा है, जहां ज्वेलरी के कारीगर अपनी पारंपरिक कला को पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे बढ़ा रहे हैं। बढ़ती मांग के कारण, भारत में ज्वेलरी व्यापारियों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। भारत मेंलगभग 5 लाख से अधिक ज्वेलरी व्यापारी हैं, जिनमें छोटे रिटेलर्स से लेकर बड़े ब्रांडेड शोरूम तक शामिल हैं। ज्वेलरी उद्योग का व्यापारिक विकास देश की आर्थिक खुशहाली में महत्वपूर्ण योगदान देता है। यह न केवल ज्वेलरी की घरेलू खपत को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि एक्सपोर्ट के माध्यम से विदेशी मुद्रा भी लाता है। इस उद्योग का विस्तार कौशल विकास कार्यक्रमों को भी बढ़ावा देता है, जिससे युवाओं को आधुनिक तकनीकों और डिजाइन में प्रशिक्षित किया जाता है, जिससे उनकी रोजगार क्षमता बढ़ती है।

महेश बाफना - भवानी गोल्ड प्रा. लि.
हर ज्वेलर को अपनी सोच को बड़ा करना होगा, तथा यह समझना होगा कि ज्वेलरी वैश्विक स्तर पर पहनी जा रही है। अत: हमें आगे बढऩे की दिशा में सोचना होगा। इस विकास को बनाए रखने के लिए हमें स्वयं के बिजनेस के विकास प्रति भी कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जाने चाहिए।

पारस जैन - कनक ज्वेल्स
भारतीय ज्वेलरी की कलात्मकता एवं कारीगरी विश्व मंच पर चमक रही है। हर ज्वेलर्स को अपनी सोच को वैश्विक स्तर तक विकसित करना होगा और पारंपरिक डिजाइनों के साथ-साथ आधुनिक और समकालीन डिजाइनों पर भी ध्यान केंद्रित करना होगा, ताकि बिजनेस बढ़ता रहे।

जुगराज बोहरा - मंगलमणी ज्वेलर्स लि.
रिटेल ज्वेलर्स को नई नीतियों पर काम करना चाहिए ताकि इंटरनेशनल बाजारों तक पहुंचने में उन्हें मदद मिल सके।उन्हें यह समझना होगा कि भारत ज्वेलरी एक्सपोर्ट के क्षेत्र में अपनी वैश्विक नेतृत्व की स्थिति को मजबूत कर चुका है, तो इस माहौल में वो भी आगे बढ़ सकते हैं।

श्रेयांश कोठारी - बी डी बैंगल्स
गोल्ड व सिल्वर के बढ़ते रेट्स के बीच भी ज्वेलरी इंडस्ट्रीलगातार विकसित हो रही है। इसी से हमें समझना होगा कि गोल्ड स सिल्वर के बढ़ते रेट्स रुकावट तो कतई नहीं है। यह बिजनेस भारत की आर्थिक समृद्धि के साथ साथ हर ज्वेलर केविकास को भी सुनिश्तित कर रहा है।










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