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संपादकीय...गोल्ड और सिल्वर के बढ़ते रेट्स और ज्वेलरी मार्केट में हलचल

  • Aabhushan Times
  • Sep 13
  • 3 min read
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सिद्धराज लोढ़ा गोल्ड और सिल्वर की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं, जिससे ज्वेलरी मार्केट में हलचल मची हुई है। ज्वेलरी शोरूम्स में ग्राहकों की भीड़ कम हो गई है और ज्वेलर्स के माथे पर चिंता की लकीरें साफ दिख रही हैं। हालांकि, इस स्थिति में धैर्य बनाए रखना बेहद ज़रूरी है। यह सच है कि गोल्ड और सिल्वर की बढ़ती कीमतें ग्राहकों को ज्वेलरी की खरीदारी से रोक रही हैं, लेकिन चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह स्थिति स्थायी नहीं है। 'आभूषण टाइम्स' ज्वेलरी मार्केट की चिंताओं से वाकिफ है, मगर यह भी सच है कि भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में गोल्ड का सांस्कृतिक से ज्यादा बड़ा आर्थिक महत्व है। गोल्ड सिर्फ एक मेटल नहीं है, बल्कि यह एक निवेश, सामाजिक प्रतिष्ठा और परंपराओं का प्रतीक भी है और अर्थव्यवस्था को बैलेंस करने का साधन भी। सो, 'आभूषण टाइम्स' का दावा है कि चाहे गोल्ड कितना भी महंगा हो जाए, लोग इसे खरीदना बंद नहीं करेंगे। वर्ष 2025 में गोल्ड की कीमतों में लगातार तेज़ी देखी जा रही है, और विशेषज्ञों का मानना है कि यह तेज़ी साल के अंत तक भी जारी रहेगी। कुछ विशेषज्ञों का तो यह भी अनुमान है कि इस साल के अंत तक गोल्ड केरेट्स 1 लाख 25 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम के आंकड़े को पार कर सकते हैं। इस तेज़ी के पीछे कई वास्तविक और जटिल कारण हैं जो केवल बाज़ार की मांग से कहीं ज़्यादा हैं। सबसे पहले, वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता एक प्रमुख कारक है। 


दुनिया भर के देशों के बीच राजनीतिक तनाव भी गोल्ड की कीमतों को बढ़ा रहे हैं। दुनिया के कई हिस्सों में चल रहे संघर्ष और राजनीतिक अस्थिरता निवेशकों को जोखिम भरी संपत्तियों से दूर रखती है और उन्हें गोल्ड में निवेश करने के लिए प्रेरित करती है। इसके अलावा, केंद्रीय बैंकों द्वारा गोल्ड की खरीद में लगातार वृद्धि भी एक महत्वपूर्ण कारण है। दुनिया भर के कई देशों के केंद्रीय बैंक अपने विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने के लिए गोल्ड खरीद रहे हैं, जिससे इसकी मांग बढ़ रही है। जब दुनिया भर में आर्थिक स्थिरता पर सवाल उठते हैं, तो निवेशक सुरक्षित निवेश के तौर पर गोल्ड की ओर रुख करते हैं। गोल्ड को हमेशा एक सुरक्षित आश्रय माना गया है, जो मुद्रास्फीति अर्थात महंगाई और बाज़ार में उतार-चढ़ाव के खिलाफ अर्थव्यवस्था को एक कवच प्रदान करता है।


सिल्वर की कीमतें भी 2025 में लगातार तेज़ी दिखा रही हैं, जिससे बाज़ार में एक नया परिदृश्य सामने आया है। जहां यह तेज़ी निवेशकों के लिए मुनाफे का सौदा साबित हो रही है, वहीं उपभोक्ताओं और ज्वेलरी खरीदारों के लिए यह एक बड़ी चुनौती है। अगस्त 2025 के अंत तक अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में सिल्वर की कीमतें 1 लाख 15 हजार रुपये प्रति किलो से ऊपर रहीं, और सितंबर की शुरुआत में ही ये सवा लाख के पार पहुंच गईं। सिल्वर की इस तेज़ी के पीछे कई कारण हैं, जिनमें औद्योगिक मांग सबसे महत्वपूर्ण है। सिल्वर का उपयोग केवल ज्वेलरी में ही नहीं, बल्कि कई अन्य औद्योगिक क्षेत्रों में भी होता है। वैश्विक स्तर पर ग्रीन एनर्जीऔर टेक्नोलॉजी के बढ़ते चलन ने सिल्वर की औद्योगिक मांग को बहुत बढ़ा दिया है। इसके अलावा, निवेश के रूप में भी सिल्वर की लोकप्रियता बढ़ रही है, क्योंकि कई निवेशक इसे गोल्ड के एक सस्ते और आकर्षक विकल्प के रूप में देख रहे हैं। यह भी एक कारण है कि निवेशक अब बड़े पैमाने पर सिल्वर की खरीद कर रहे हैं, जिससे इसकी कीमतें आसमान छू रही हैं। हालांकि, ज्वेलरी बाज़ार के लिए यह एक मुश्किल समय है, लेकिन सिल्वर की औद्योगिक मांग से बाज़ार को भविष्य में भी लाभ मिलने की संभावना है।


'आभूषण टाइम्स' सदा आपके साथ खड़ा रहा है, तथा वर्तमान परिस्थितियों में भी आपके साथ है। हमारा यही कहना है कि ज्वेलर्स को आज की स्थिति भले ही चुनौतीपूर्ण लगें, लेकिन हर ज्वेलर को चिंता करने की बजाय धैर्य रखने की ज़रूरत है। 'आभूषण टाइम्स' को बाजार की धडक़नों का पता है, कि गोल्ड और सिल्वर महंगे होने से ज्वेलरी के ग्राहकों की संख्या कम हुई है, लेकिन हमारा यही कहना है किबाज़ार का यह दौर हमेशा के लिए नहीं है। इतिहास गवाह है कि आर्थिक उतार-चढ़ाव आते-जाते रहते हैं, लेकिन गोल्ड और सिल्वर का महत्व हमेशा बना रहता है। दुनिया के हर देश को अपनी अर्थव्यवस्था को संतुलित करने के लिए गोल्ड और सिल्वर की ज़रूरत होती है। भारतीय बाज़ार की बात करें तो, यहां गोल्ड और सिल्वर का महत्व सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक भी है। शादियों, त्यौहारों और अन्य शुभ अवसरों पर गोल्ड-सिल्वर की खरीद एक परंपरा है, जिसे लोग कभी नहीं छोड़ेंगे। इसलिए, यह निश्चित है कि बाज़ार फिर से चमकेगा और गोल्ड व सिल्वर की ज्वेलरी में ग्राहकी फिर से खुलेगी। 'आभूषण टाइम्स' का आपके केवल यही कहना है कि गोल्ड व सिल्वर के बढ़ते रेट्स के बीच ज्वेलरी बाज़ार की यह मंदी अस्थायी है, और जैसे ही वैश्विक आर्थिक स्थिरता वापस आएगी, ज्वेलरी की खरीदारी भी फिर से बढ़ेगी। इसलिए, सकारात्मक रहें और विश्वास रखें कि बाज़ार फिर से अपने पुराने गौरव को हासिल करेगा।


 
 
 

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