top of page

सिल्वर की लगातार निखरती चमक सितंबर में सवा लाख पार, और इसी साल डेढ़ लाख

  • Aabhushan Times
  • Sep 13
  • 7 min read
ree

सिल्वर के रेट्स बहुत तेजी से बढऩे के कारण निवेशक बेहद खुश हैं, लेकिन ज्वेलर्स के चेहरों पर चिंता की लकीरें हैं। वर्तमान में बाजार बेहद धीमा है तथा सिल्वर ज्वेलरी सेक्टर में खरीदी को लेकर असमंजस के हालात बनते जा रहे हैं। इसका सबसे अहम कारण है कि सिल्वर के रेट्स में 2025 में लगातार तेजी देखी जा रही है, जो निवेशकों के लिए भले ही बेहद लाभकारी साबित हो रही है, और इंडस्ट्रीयल सेक्टर के लिए भी सिल्वर की खरीदी महंगी पड़ रही है, लेकिन ज्वेलरी उपभोक्ताओं के लिए सिल्वर का यह दौर सर्वाधिक चुनौतीपूर्ण है। अगस्त 2025 के अंत तक भारतीय बाजार में सिल्वर की कीमतें 1 लाख 17 हजार रुपए प्रति किलो के आसपास रहीं, जो, सितंबर की शुरुआत में पहले दिन ही सीधे 5 हजार बढक़र 1 लाख 28 हजार के आसपास पहुंच गईं। सिल्वर ने इस साल लगभग 30 प्रतिशत से भी अधिक की बढ़ोतरी दर्शाई है। भारत में, जहां सिल्वर सांस्कृतिक महत्व रखता है, यह उछाल निवेशकों को आकर्षित कर रहा है, क्योंकि सिल्वर ने स्टॉक या बॉन्ड्स की तुलना में गोल्ड की तरह ही बेहतरीन रिटर्न्स दिए हैं। 

निवेशक, विशेष रूप से संस्थागत और रिटेल, सिल्वर केउज्जवल फ्यूचर में लगातारउत्सुक दिख रहे हैं, क्योंकि यह भी गोल्ड की तरह ही मुद्रास्फीति और जियोपॉलिटिकल अनिश्चितताओं से बचाव प्रदान करता है, तथा इसकी इंडस्ट्रिल डिमांड भी लगातार बहुत तेजी से बढ़ती जा रही है। हालांकि, ज्वेलरी में सिल्वर की ग्राहकी हर स्तर पर धीमी है। सिल्वर की बहुत तेजी से बढ़ती जा रही उच्च कीमतों के कारण इसकी ज्वेलरी डिमांड में 30 प्रतिशत की गिरावट है, जो कि सिल्वर इंस्टीट्यूट की अगस्त 2025 रिपोर्ट में भी उल्लिखित है। माना जा रहा है कि सिल्वर जब 1 लाख रुपए प्रति किलो क्रॉस कर रहा था, तभी इसके रेट्स ने आम उपभोक्ताओं को असमंजस में डाल दिया था। अब, सितंबर के शुरूआत में ही सिल्वर सवा लाख के पार पहुंच कर 1 लाख 28 हजार का आंकड़ा छूने लगा, तो लोग सोच रहे हैं कि अभी खरीदें या कीमतें गिरने का इंतजार करें। ज्वेलर्स को सिल्वर ज्वेलरी पर भी त्यौहारों के सीजन में डिस्काउंट्स बढ़ाने पड़ रहे हैं। एशियाई बाजारों में भी सिल्वर ज्वेलरी की डिमांड दबाव में है। हालांकि, सिल्वर में निवेशकों को खुशी है, मगर इसके बावजूद, ज्वेलरी सेक्टर में स्लोडाउन से रोजगार प्रभावित हो रहे हैं। कुल मिलाकर, बाजार में असमंजस है - सिल्वर के निवेशक लाभ उठा रहे हैं, लेकिन उपभोक्ता रेट गिरने का इंतजार कर रहे हैं, मगर सिल्वर नीचे उतरने का ना ही नहीं ले रहा। वह लगातार तेजी पकड़ता जा रहा है और सितंबर 2025 की शुरूआत में ही हैं 1 लाख 28 हजार के पार पहुंचना आने वाले दिनों में होने वाली तेजी का ताजा संकेत है। 

देश के ज्वेलरी सेक्टर में साफ हालात दिख रहे हैं कि सिल्वर के रेट्स लगातार बढऩे से ज्वेलर्स परेशान हैं, उनके माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ रही हैं क्योंकि गोल्ड के साथ ही सिल्वर में भी ज्वेलरी की ग्राहकी नहीं हो रही है, और बिक्री के मामले में सिल्वर के गिफ्ट आइटम्स भी त्यौहारों के बावजूद तेजी नहीं पकड़ रहे हैं। ज्वेलर्स के लिए इससे बड़ी परेशानियां और क्या हो सकती हैं। बाजारों में साफ दिख रहा है कि सिल्वर के रेट्स में लगातार बढ़ोतरी से भारत के ज्वेलर्स परेशान हैं, क्योंकि ग्राहकी में भारी गिरावट आई है। बड़े - बड़े ज्लेलरी 

शोरूम्स खाली पड़े हैं, इंटरनेशनल लेवल के ज्वेलरी शो भी सिल्वर ज्वेलरी की ग्राहकी बढ़ाने में सफल कम साबित हो रहे हैं, क्योंकि सितंबर 2025 के शुरूआत में सिल्वर 41 अमरीकी डॉलर प्रति औंस का आंकड़ा छूने को पहुंच गया, जो भारतीय बाजार में 1 लाख 28 हजार रुपए प्रति किलो से के आसपास है। इससे वैश्विक स्तर पर ज्वेलरी डिमांड 25 से 30 प्रतिशत घट गई है। 

मुख्य रूप से भारत में जहां उच्च स्थानीय कीमतें प्रमुख कारण के रूप में देखी जाती रही हैं, सिल्वर के खरीददार बेहद परेशान हैं कि कीमतें घटें, तो खरीदें। इसके साथ ही ज्वेलर्स को भी बाजार में कई परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं। सबसे पहले, कच्चे माल की लागत बढऩे से ज्वेलरी विक्रेताओं का मार्जिन कम हो रहा है, और ग्राहक उच्च कीमतों पर खरीदने से कतरा रहे हैं। छोटे ज्वेलर्स, जिनका जीवन यापन सिल्वर ज्वेलरी की सेल पर ही निर्भर हैं, उनको स्टॉक होल्डिंग की समस्या है क्योंकि बिक्री धीमी है, तो कमाई कहां से निकले। सिल्वर के मामले में दूसरी समस्या इसके इंपोर्ट पर निर्भरता के कारण है; जिसकी वजह से सिल्वर के हाई रेट्स का कारण इंपोर्ट बिल भी बढ़ रहा है, जो ट्रेड डेफिसिट को प्रभावित कर सकता है, क्योंकि डॉलर ज्यादा चुकाने पड़ रहे हैं। फिर ज्वेलरी सेक्टर में त्योहारों की बात करें, तो दीपावाली जैसे त्यौहार से पहले की हर साल जो डिमांड रहती है, वह इस साल उम्मीद से बेहद कम है, जिससे जमा पूंजी कम होती हो रही है। ज्वेलरी की सेल के लिए ज्वेलर्स को डिस्काउंट्स देना पड़ रहा है, जो उनके लाभ को कम करता है। हालांकि, युवा ग्राहकों में सिल्वर ज्वेलरी की रुचि बरकरार है, लेकिन बजट की वजह से वे सस्ते विकल्प चुन रहे हैं, लाइट वेट सिल्वर ज्वेलरी खरीदी की तर झुक रह हैं। खास बात यह है कि ज्वेलरी सेक्टर में सिल्वर की खपत कम होने से रोजगार पर असर पड़ रहा है; छोटे वर्कशॉप्स में काम कम हो रहा है, कारीगर बैकार हो रहे हैं। कुल मिलाकर, ज्वेलर्स को सेल में कमी की वजह से कैश फ्लो की समस्या, बढ़ती लागत और कम बिक्री से जूझना पड़ रहा है। यदि सिल्वर की कीमतें स्थिर नहीं हुईं, तो सिल्वर ज्वेलरी सेक्टर में रिकवरी मुश्किल होगी। मगर, रेट्स कम होने आसान नहीं है, माना जा रहा है कि इस साल के अंत तक सिल्वर डेढ़ लाख का आंकड़ा छू भी सकता है, तो कोई आश्चर्य नहीं होगा। 

अब सबसे बड़ी बात यह है कि ज्यादातर मार्केट एनलिस्ट इस बात पर गैर कर रहे हैं कि सिल्वर की खपत बढऩे तथा इसके प्रोडक्शन की तहकिकात से इंटरनेशनल मार्केट में इस साल के अंत तक सिल्वर के रेट्स कहां तक जाएंगे। माना जा रहा है कि सिल्वर की खपत में वृद्धि और प्रोडक्शन में कमी से अंतरराष्ट्रीय बाजार में 2025 के अंत तक कीमतें 50 अमरीकी डॉलर प्रति औंस तथा भारतीय बाजारप में डेढ़ लाख के पार से भी और ऊपर जा सकती हैं। सिल्वर इंस्टीट्यूट के अनुसार, 2025 में ग्लोबल डिमांड 1.148 बिलियन औंस तक पहुंच सकती है, जबकि सप्लाई में 2 प्रतिशत की वृद्धि के बावजूद डेफिसिट 117.6 मिलियन औंस रहेगा। इंडस्ट्रियल डिमांड, खासकर सोलर के लगातार बढ़ते अनुसरण और इलेक्ट्रीक व्हेयीकल्स की डिमांड की वजह से, 14 प्रतिशत तक सिल्वर की डिमांड और बढ़ रही है। जबकि सिल्वर का प्रोडक्शन सालाना 835 मिलियन औंस तक ही सीमित है, जो 2016 से लगभग 7 प्रतिशत कम है। इस कारण रेट्स तो लगातार बढ़ेंगे, तता इनके किसी भी हाल में कम होने के कोई चांस नहीं है। इस असंतुलन के कारण ही सितंबर की शुरूआत में सिल्वर की कीमतें 41अमेरिकी डॉलर प्रति औंस तक पहुंच चुकी हैं, जैसा कि इंडस्ट्री की रिपोर्ट में अनुमान है कि सिल्वर का अगला लक्ष्य 45 अमेरिकी डॉलर प्रति औंस तक देखा जा रहा हैं। यदि इंडस्ट्रियल डिमांड बढ़ती रही और माइनिंग आउटपुट नहीं बढ़ा, तो सिल्वर की नजह से डेफिसिट गहराएगा, और इसकी कीमतें निश्चित तौर से 45 अमेरिकी डॉलर प्रति औंस तक जा सकती हैं, जो भारत में डेढ़ लाख रुपए प्रति किलो तक इसे पहुंचाएगी। वैसे, इंटरनेशनल मार्केट में देखे, तो सिल्वर के रेट्स पर ज्यादातर एक्सपर्ट इसके और ऊपर जाने के मामले में सकारात्मक हैं। क्योंकि हालात ही ऐसे हैं। ज्यादातर एक्सपर्ट्स 2025 के अंत तक सिल्वर के रेट्स में तेजी की भविष्यवाणी कर रहे हैं,  कि यह 41 से 45अमेरिकी डॉलर प्रति औंस की रेंज में रहेगा। अनुमान लगाया जा रहा हैकि सिल्वर 45 के पार भी का रुख भी देख रहा है। हालांकि, कुछ ज्यादा ही सकारात्मक सोचने वालेसिल्वर को 60 से 70 अमेरिकी डॉलर प्रति औंस तक भी देख रहे हैं। अगर ऐसा होता है तो सिल्वर साल के अंत तक 2 लाख भी जा सकते हैं, लेकिन इसकी संभावनाएं बेहद कम ही है। कुल मिलाकर, सिल्वर के बाजार तेजी पर सवार है, क्योंकि इंडस्ट्रियल डिमांड बहुत तेजी पर है। वैसे, सिल्वर के रेट्स लगातार तेज रहने के वास्तविक कारणों का विश्लेषण करना बेहद आसान है, क्योंकि इसकी इंडस्ट्रील खपत बहुत तेजी से बढ़ती जा रही है। फिर,ज्वेलरी इंडस्ट्री के लिए अच्छी बात यह है कि भारतीय युवाओं में ही नहीं, दुनिया भर के युवा जगत में सिल्वर की तरफ आकर्षण तथा उसकी ज्वेलरी में रुचि बरकरार  है। सिल्वर के रेट्स की तेजी के पीछे इंडस्ट्रियल डिमांड, सप्लाई डेफिसिट और जियो पॉलिटिकल फैक्टर्स खास काम कर रहे हैं। सोलर और इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की वजह से सिल्वर की डिमांड दुनिया भर में लगभग 14 प्रतिशत से भी ज्यादा बढ़ी है। जिसमें रेट कट्स और कमजोर अमेरिकी डॉलर का हालभी सपोर्ट कर रहा हैं। फिर, भारतीय युवाओं में सिल्वर ज्वेलरी की रुचि बरकरार रहेगी, क्योंकि यह अफोर्डेबल भी है और ट्रेंडी भी है। सन 2025 में जेमस्टोन के साथ सिल्वर बेहद पॉपुलर होवे की तरफ बढ़ रहा है, जेंडर-न्यूट्रल डिजाइन्स भी इसमें काफी बड़े पैमाने पर बढ़ रहे हैं। हालांकि, सिल्वर की उच्च कीमतें ज्वेलरी में इसकी डिमांड को थोड़ा बहुत प्रभावित कर सकती हैं, लेकिन सिल्वर ज्वेलरी की अपील सदा बनी रहेगी।

सिल्वर के सीन को ताजा हालात में देखें, तो बाजारों के निष्कर्ष के रूप में, केवल यही कहा जा रहा है कि वर्तमान हालात में सिल्वर के रेट्स के बढ़ते रहने की तरफ ही रहेंगे। आने वाले समय में इस साल के अंत तक सिल्वर और भी महंगा हो सकता है, क्योंकि बाजार के वर्तमान हालात इसकी तथ्यों के साथ पुष्टि करते दिख रहे हैं। माना जा रहा है कि दुनिया की कोई बी ताकत सिल्वर के रेट में कमी नहीं ला सकती, क्योंकि इसके ज्वेलरी तथा असैट वैल्यू के अलावा ज्यादा उपयोग हो रहे हैं। इसी कारण सिल्वर के रेट्स इंडस्ट्रियल डिमांड और डेफिसिट की वजह से बढ़ रहे हैं, जो दौर लगातार जारी रहेगा। वर्तमान में सिल्वर की कीमतें 41अमेरिकी डॉलर प्रति औंस पर हैं, तथा ये कीमतें 45अमेरिकी डॉलर प्रति औंस के पार तक भी जा सकती हैं। यदि डेफिसिट गहराया, तो इससे आगे भी सिल्वर और महंगा हो सकता है। मतलब साफ है कि सिल्वर इसी साल डेढ़ लाख रुपए प्रति किलो तक पहुंचेगा, भले ही भारत में इसकी डिमांड कम हो, लेकिन ग्लोबल फैक्टर्स इसे तेजी की तरफ ड्राइव करेंगे।



ree







राहुल मेहता - सिल्वर एम्पोरियम


सिल्वर मार्केट के विश्लेषकों का अनुमान है कि 2025 के अंत में सिल्वर 50 अमेरिकी डॉलर प्रति औंस तक पहुंच जाएगी और 2028 से पहले 77 डॉलर प्रति औंस तक पहुंचेगी, तो यह भारतीय रुपए में 2 लाख रुपए भी हो सकती है। ये अनुमान पिछले 50 साल के रुझानों पर आधारित हैं।


ree






दिनेश कोठारी - विनायक एक्सपोर्ट


जब गोल्ड का प्रदर्शन अच्छा होता है, तो सिल्वर का प्रदर्शन भी अच्छा होता है। सिल्वर खरीदना एक अच्छा निवेश है क्योंकि इसे एक मूल्यवान संपत्ति माना जाता है। गोल्ड की तरह ही सिल्वर भी हमेशा से ही भरोसेमंद निवेश रहे हैं और इसका मूल्य सदियों से कभी कम नहीं हुआ है।


ree






इन्द्रजीत सुराणा - सुराणा सिल्वर


इस साल 2025 में सिल्वर की कीमतों में बहुत तेज वृद्धि हुई है। मैं कहता रहा हूं कि सिल्वर के रेट्स 1.20 लाख से 1.25 प्रति किलोग्राम से आगे तक जा सकते हैं, तो वह तो हो गए। अब इसके आगे की संभावना यह है कि इसके डेढ़ लाख रुपए प्रति किलो तक जाने के आसार पक्के हैं।


ree






मनोज शोभावत - आनंद दर्शन सिल्वर्स



सिल्वर में तेजी का सबसे बड़ा कारण इसकी इंडस्ट्रीय़ल डिमांड में तेज़ी और आकर्षक सुरक्षित निवेश विकल्प के रूप में होना है। सिल्वर की आपूर्ति कम है। सिल्वर खनन कंपनियों का कहना है कि इसकी सप्लाई कम हो सकती है, तो, निश्चित तौर से कीमतों में उछाल जरूर आएगा।



 
 
 

Comments


Top Stories

Bring Jewellery news straight to your inbox. Sign up for our daily Updates.

Thanks for subscribing!

  • Instagram
  • Facebook

© 2035 by Aabhushan Times. Powered and secured by Mayra Enterprise

bottom of page